6th Generation Fighter Jet Engine DRDO: भारत की शक्ति और तकनीक का ऐतिहासिक चमत्कार!
भूमिका: आकाश में आत्मनिर्भर भारत
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Toggleआधुनिक युग की लड़ाइयाँ अब केवल ज़मीन पर ही नहीं, बल्कि हवा में भी तेज़ी से लड़ी जाती हैं। और इस दौड़ में शामिल होने के लिए किसी भी देश के पास अत्याधुनिक फाइटर जेट और उनसे जुड़े तकनीकी सिस्टम होने बहुत जरूरी हैं।
भारत लंबे समय से इस दिशा में आत्मनिर्भर बनने का प्रयास कर रहा है, और इसी क्रम में DRDO (Defence Research and Development Organisation) ने छठी पीढ़ी के फाइटर जेट इंजन के निर्माण की दिशा में बड़े कदम उठाए हैं।
यह केवल तकनीकी विकास की बात नहीं है, यह भारत की संप्रभुता, सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक क्रांतिकारी प्रयास है। यह आर्टिकल इसी सपने, उसकी चुनौतियों, तकनीकी विशेषताओं और DRDO की रणनीति पर आधारित है।

6th Generation Fighter Jet Engine: क्या होता है ‘6th Generation’?
पहले यह समझना जरूरी है कि “6th Generation Fighter Jet Engine किसे कहते हैं। हर जेट की एक ‘पीढ़ी’ होती है, जो तकनीकी स्तर, क्षमताओं और युद्ध कौशल के आधार पर तय होती है।
6th Generation Fighter Jet Engine की मुख्य विशेषताएँ:
सुपरक्रूज़ क्षमता: बिना आफ्टरबर्नर के ध्वनि से तेज गति
स्टील्थ तकनीक: रडार से बचने की क्षमता
AI आधारित निर्णय: कृत्रिम बुद्धिमत्ता द्वारा निर्णय लेना
ड्रोन नियंत्रण: मानव रहित विमानों का नियंत्रण करना
हाइपरसोनिक मिसाइल सपोर्ट: अत्यंत तेज़ गति वाली मिसाइलों को कैरी करने की क्षमता
DRDO और इंजन टेक्नोलॉजी: अब तक की यात्रा
भारत में फाइटर जेट इंजन के निर्माण की शुरुआत 1980 के दशक में हुई थी जब GTRE (Gas Turbine Research Establishment) ने कावेरी इंजन पर काम शुरू किया था। यह इंजन भारत के पहले स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस के लिए डिजाइन किया गया था।
लेकिन क्या हुआ?
इंजन की शक्ति अपेक्षा से कम निकली
तापमान और स्पंदन (vibration) की समस्याएं रहीं
विदेशी तकनीक की कमी ने गति धीमी की
हालांकि कावेरी इंजन ने DRDO को अत्यंत मूल्यवान अनुभव दिया, जिससे भविष्य के इंजन डिज़ाइन की नींव रखी गई।
भारत की रणनीति: 6th Generation Fighter Jet Engine की दिशा में
DRDO ने अब 6th Generation Fighter Jet Engine पर काम शुरू किया है, जो केवल एक इंजन नहीं, बल्कि ‘भारत की उड़ान’ का प्रतीक बनने जा रहा है।
DRDO की 6th Generation Fighter Jet Engine योजना:
110 किलो न्यूटन (kN) थ्रस्ट क्षमता वाला इंजन विकसित करना
हाइब्रिड इलेक्ट्रिक और गैस टर्बाइन तकनीक का मिश्रण
लो रडार क्रॉस सेक्शन (RCS) डिज़ाइन
उच्च तापमान सहनशील मेटल एलॉय और कोटिंग्स
6th Generation Fighter Jet Engine की तकनीकी विशेषताएँ जो इंजन को ‘भविष्य का इंजन’ बनाती हैं
1. सुपरक्रूज़ तकनीक
यह तकनीक जेट को बिना आफ्टरबर्नर के सुपरसोनिक गति पर उड़ने की क्षमता प्रदान करती है। इससे ईंधन की बचत होती है और इंजन की उम्र बढ़ती है।
2. स्टील्थ और इंफ्रारेड सिग्नेचर में कमी
इंजन की गर्मी को इस तरह कम किया जाएगा कि दुश्मन के इंफ्रारेड सेंसर्स से पहचान ना हो पाए। इससे स्टील्थ क्षमता बढ़ती है।
3. एडवांसड डिजिटल कंट्रोल
6th Generation Fighter Jet Engine पूरी तरह FADEC (Full Authority Digital Engine Control) से नियंत्रित होगा, जिससे पायलट को बेहतर नियंत्रण मिलेगा।
4. मेटामेटल और कंपोजिट्स
DRDO टाइटेनियम मिश्रधातु और उन्नत नैनोकोटिंग का इस्तेमाल कर रहा है ताकि इंजन अत्यधिक गर्मी और दबाव सह सके।
6th Generation Fighter Jet Engine आत्मनिर्भर भारत की नींव: तकनीक में आत्मनिर्भरता
1. स्वदेशी सामग्री और निर्माण
DRDO अब भारत में ही उच्च गुणवत्ता वाले टर्बाइन ब्लेड्स, कम्प्रेशर फैन और कोटिंग तकनीक विकसित कर रहा है।
2. निजी कंपनियों की भागीदारी
L&T, Godrej Aerospace, Bharat Forge जैसी कंपनियाँ DRDO के साथ मिलकर इंजन के पार्ट्स बनाने में मदद कर रही हैं।
दुनिया की तुलना में भारत कहाँ है?
दुनिया के विकसित देशों जैसे अमेरिका (F135 इंजन), रूस (AL-41), और फ्रांस (M88) पहले से 5वीं और 6th Generation Fighter Jet Engine पर काम कर रहे हैं। भारत ने देर से शुरुआत की, लेकिन अब तेज़ी से पकड़ बना रहा है।
DRDO की सोच:
> “हम पिछड़ सकते हैं, पर अब कभी रुकेंगे नहीं।”
सबसे बड़ी चुनौती: उच्च तापमान पर संचालन
6th Generation Fighter Jet Engine का सबसे गर्म भाग टर्बाइन होता है जो 1700°C से ऊपर की गर्मी झेलता है। DRDO अब ऐसे सिरेमिक कोटेड टर्बाइन ब्लेड्स बना रहा है जो इस गर्मी में भी कार्य कर सकें।
अगला कदम: उड़ान परीक्षण और प्रोटोटाइप
क्या-क्या हो रहा है?
इंजन का ग्राउंड टेस्ट पूरा
अब प्रोटोटाइप को इंफ्लाइट टेस्ट के लिए तैयार किया जा रहा है
रूस या भारत में फ्लाइंग टेस्ट बेड पर वास्तविक उड़ान में परीक्षण होंगे
भविष्य की तस्वीर: AMCA और Ghatak UAV
DRDO द्वारा बनाए जा रहे 6th Generation Fighter Jet Engine जैसे AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) और Ghatak UCAV इन्हीं इंजन पर आधारित होंगे।
इन प्रोजेक्ट्स के लिए DRDO का इंजन भारत को अगले 20 वर्षों तक आत्मनिर्भर और प्रतिस्पर्धी बनाए रखेगा।
6th Generation Fighter Jet Engine के पीछे की विज्ञान और इंजीनियरिंग
1. थ्रस्ट वेक्टरिंग टेक्नोलॉजी
6th Generation Fighter Jet Engine को हवा में “जैसा चाहे वैसा” मोड़ने के लिए इंजन में थ्रस्ट वेक्टरिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होगा। इसका मतलब है कि जेट अपने नोज को किसी भी दिशा में मोड़ सकता है, जिससे उसका ‘डॉगफाइटिंग’ क्षमता बेमिसाल हो जाती है।
2. एडाप्टिव इंजन टेक्नोलॉजी
DRDO का अगला लक्ष्य है “एडाप्टिव साइकिल इंजन” – जो जरूरत के हिसाब से खुद को बदल सकता है। जैसे:
क्रूज़िंग मोड में फ्यूल एफिशिएंसी बढ़ाना
कॉम्बैट मोड में अधिक पावर देना
इससे विमान अधिक समय तक हवा में रह सकता है और अपने मिशन को प्रभावशाली तरीके से अंजाम दे सकता है।
AI और स्मार्ट मैकेनिज्म का संगम
1. सेल्फ डायग्नोसिस सिस्टम
6th Generation Fighter Jet Engine में ऐसे सेंसर लगाए जा रहे हैं जो उड़ान के दौरान इंजन की सेहत की जांच करते रहेंगे और यदि कोई भी गड़बड़ी होती है, तो समय रहते जानकारी दे देंगे।
2. AI आधारित मेंटेनेंस
DRDO अब 6th Generation Fighter Jet Engine को AI-सक्षम बना रहा है, जिससे मेंटेनेंस की जरूरतें पहले से ही ऑटोमेटिक तरीके से शेड्यूल हो सकेंगी। इससे ऑपरेशनल लागत कम होगी और मिशन रेडीनेस बढ़ेगी।
सामरिक प्रभाव: भारत की सैन्य रणनीति में बदलाव
1. आयात पर निर्भरता से मुक्ति
आज भारत अपने लड़ाकू विमानों के इंजन रूस, फ्रांस और अमेरिका जैसे देशों से आयात करता है। एक स्वदेशी इंजन हमें इस निर्भरता से आजादी देगा, जिससे:
रक्षा खर्च में कमी आएगी
रणनीतिक नियंत्रण भारत के पास रहेगा
2. निर्यात की संभावनाएँ
अगर DRDO यह6th Generation Fighter Jet Engine पूरी तरह सफल बनाता है, तो भारत न केवल खुद आत्मनिर्भर होगा, बल्कि इसे अन्य मित्र देशों को भी निर्यात कर सकेगा। इससे भारत एक रक्षा निर्यातक शक्ति के रूप में उभरेगा।
वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की भूमिका
भारत के वैज्ञानिक – जैसे कि GTRE, ADA और HAL के इंजीनियर – इस इंजन को लेकर दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। इस परियोजना से जुड़ी युवा पीढ़ी में भी आत्मविश्वास जगा है कि अब भारत ‘फॉलोअर’ नहीं, बल्कि ‘लीडर’ बनेगा।
AMCA के साथ गठबंधन: शक्ति और चतुराई का संगम
Advanced Medium Combat Aircraft (AMCA) भारत का भविष्य है। यह विमान पूरी तरह स्टील्थ, मल्टीरोल और 6th जेनरेशन फीचर्स से लैस होगा। DRDO का स्वदेशी इंजन AMCA को उड़ान देगा और उसे पूरी तरह ‘Make in India’ बनाएगा।
AMCA + DRDO Engine = भारत की हवाई शक्ति का विस्फोट

लंबी दूरी के लक्ष्यों के लिए उन्नत क्षमता
6th Generation Fighter Jet Engine से लैस विमान लंबी दूरी तक उड़ सकते हैं, और दुश्मन के भीतर तक घुसकर हमला कर सकते हैं, जिससे भारत को “First Strike” या “Precision Deep Strike” क्षमता मिलेगी।
सरकार की भूमिका और समर्थन
भारत सरकार, विशेषकर रक्षा मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय, इस परियोजना को ‘स्ट्रेटेजिक नेशनल मिशन’ के रूप में देख रही है। इसके लिए:
बजट में अलग फंडिंग की गई है
नीति आयोग और DRDO के बीच समन्वय स्थापित किया गया है
फास्ट ट्रैक मोड पर तकनीकी परीक्षण हो रहे हैं
भविष्य की दृष्टि: 2035 और उससे आगे
DRDO का लक्ष्य है कि यह6th Generation Fighter Jet Engine 2032-2035 तक पूरी तरह फुल-स्पेक्ट्रम में उपयोग के लिए तैयार हो जाए। इसके बाद भारत अगली पीढ़ी के हाइपरसोनिक फाइटर जेट्स के इंजन पर काम शुरू कर सकेगा।
वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति में परिवर्तन
1. डिफेंस टेक्नोलॉजी में भारत का उदय
अब तक अमेरिका, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देशों का दबदबा रहा है, लेकिन DRDO के इस इंजन के सफल विकास के बाद भारत न केवल तकनीकी रूप से बराबरी करेगा, बल्कि:
एक Global Defence Technology Powerhouse बन जाएगा,
और उभरते देशों को एक सशक्त, सस्ता और भरोसेमंद विकल्प प्रदान करेगा।
2. मित्र देशों के साथ तकनीकी साझेदारी
भारत अपने इस इंजन को जापान, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, इंडोनेशिया जैसे रणनीतिक सहयोगियों के साथ साझा कर सकता है। इससे भारत की विदेश नीति को मजबूती मिलेगी और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में संतुलन कायम रहेगा।
Make in India और आत्मनिर्भर भारत को नई उड़ान
1. स्थानीय रोजगार और तकनीकी विकास
6th Generation Fighter Jet Engine की टेस्टिंग, निर्माण, और अपग्रेडेशन के लिए देशभर के:
युवाओं,
इंजीनियरों,
IT प्रोफेशनल्स,
और मेकैनिकल डिज़ाइनरों को काम मिलेगा।
देश के अलग-अलग कोनों में छोटे और मध्यम स्तर के उद्योग (MSMEs) इस परियोजना से जुड़ेंगे, जिससे रोजगार में भारी बढ़ोतरी होगी।
2. टियर-1, टियर-2 सप्लायर्स का विकास
HAL, BHEL और L&T जैसे टियर-1 सप्लायर्स के साथ-साथ भारत के स्टार्टअप्स और MSMEs को भी हाई-एंड टेक्नोलॉजी का एक्सपोज़र मिलेगा, जिससे एक स्थायी इकोसिस्टम बनेगा।
अंतरिक्ष और भविष्य की परियोजनाओं के लिए बुनियाद
1. रॉकेट और स्पेसक्राफ्ट इंजन टेक्नोलॉजी
DRDO का यह 6th Generation Fighter Jet Engine भविष्य में ISRO और Gaganyaan जैसी परियोजनाओं के लिए भी बेहद मददगार साबित होगा। इंजन की गर्मी, दबाव और वायुदाब से निपटने की जो तकनीकें विकसित की जा रही हैं, वो भविष्य के स्पेस इंजनों का आधार बन सकती हैं।
2. हाइपरसोनिक और डिफेंस स्पेस सिस्टम
6th Generation Fighter Jet Engine की तकनीकी समझ भारत को:
हाइपरसोनिक मिसाइल,
सबऑर्बिटल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट,
और भविष्य के अंतरिक्ष युद्ध के लिए तैयार करेगी।
सुरक्षा और साइबर सुरक्षा के साथ एकीकृत दृष्टिकोण
1. इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर से रक्षा
इंजन में ऐसी प्रणालियाँ होंगी जो दुश्मन के:
रेडार जैमिंग,
इलेक्ट्रॉनिक डिस्ट्रक्शन,
और GPS ब्लॉकिंग से खुद को बचा सकें।
2. साइबर अटैक के प्रति रेजिस्टेंस
DRDO साइबर-इंक्रिप्टेड कोडिंग और एआई-आधारित फॉल्ट डिटेक्शन प्रणाली विकसित कर रहा है, ताकि इंजन को हैकिंग या डेटा लीक से बचाया जा सके।
रक्षा क्षेत्र में शिक्षा और अनुसंधान का विस्तार
इस इंजन से भारत की यूनिवर्सिटीज़ और IITs को भी एक नई दिशा मिलेगी:
PhD और रिसर्च प्रोजेक्ट्स शुरू होंगे,
विदेशी संस्थानों के साथ कोलैबोरेशन होंगे,
और छात्र वास्तविक रक्षा परियोजनाओं में भागीदारी कर सकेंगे।
जनभावना और राष्ट्रभक्ति से जुड़ा प्रयास
यह इंजन केवल एक रक्षा उपकरण नहीं है – यह भारत की राष्ट्रभक्ति, स्वाभिमान और तकनीकी आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। जब यह इंजन हवा में गूंजेगा, तो उसमें सिर्फ ध्वनि नहीं होगी – उसमें भारत का आत्मविश्वास गूंजेगा।
निष्कर्ष: यह सिर्फ एक इंजन नहीं, यह भारत की आत्मा है
यह इंजन सिर्फ एक तकनीकी अविष्कार नहीं है – यह आत्मनिर्भर भारत की आत्मा है। यह इंजन है—
भारतीय नवाचार की पहचान
सामरिक शक्ति की रीढ़
और युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत
DRDO का यह प्रयास हमें बताता है कि अगर इरादा हो, तो हम किसी भी तकनीक को भारत में विकसित कर सकते हैं।
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