AI in the Workplace: कर्मचारियों के लिए नए अवसर या चुनौती? जानें इसके प्रभाव और भविष्य की दिशा!
भूमिका: एक क्रांति, जो सवाल खड़े कर रही है
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!21वीं सदी के दूसरे दशक में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने जिस तेज़ी से हमारे जीवन और कार्यशैली में जगह बनाई है, वो ऐतिहासिक है।
ऑफिस का एक आम कर्मचारी हो या कोई सीनियर मैनेजर, सभी अपने कार्यों में AI टूल्स जैसे ChatGPT, Grammarly, Notion AI, Midjourney आदि का उपयोग कर रहे हैं।
लेकिन जैसे-जैसे इसका उपयोग बढ़ रहा है, एक नया मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रश्न भी सामने आ रहा है—क्या AI का उपयोग करने वाले कर्मचारी अपने सहकर्मियों और प्रबंधकों की नज़रों में आलसी, अयोग्य या धोखेबाज नजर आते हैं?
ताज़ा अध्ययन क्या कहता है?
मार्च 2025 में KPMG और University of Queensland द्वारा प्रकाशित एक व्यापक वैश्विक अध्ययन में पाया गया कि:
57% कर्मचारी यह स्वीकार करते हैं कि वे AI का उपयोग छुपाते हैं।
23% कर्मचारियों को लगता है कि AI का इस्तेमाल उन्हें “धोखेबाज” के रूप में दर्शाता है।
25% लोगों को डर है कि वे “आलसी” समझे जा सकते हैं।
लगभग 32% कर्मचारियों को चिंता है कि AI उनके काम को पूरी तरह से बदल देगा।
NBC न्यूयॉर्क की रिपोर्ट में भी इसी बात को दोहराया गया कि कार्यस्थलों पर AI को लेकर एक “छुपी हुई शर्म” या AI Stigma बन चुका है।
AI का उपयोग क्यों छुपा रहे हैं कर्मचारी?
1. नौकरी की असुरक्षा
कई कर्मचारियों को डर है कि अगर वे यह बता देंगे कि उन्होंने काम को AI से कराया है, तो मैनेजमेंट को लगेगा कि उनकी आवश्यकता नहीं है। यह डर उन्हें चुप रहने को मजबूर करता है।
2. कमज़ोर समझे जाने का डर
कई बार कर्मचारी खुद को कमज़ोर महसूस करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि अगर उन्होंने कोई रिपोर्ट या ईमेल AI से बनवाई है, तो वे खुद उस योग्य नहीं हैं।
3. सहकर्मियों की आलोचना
कई बार ऑफिस कल्चर ऐसा होता है जहां AI यूज़ करने वाले को “शॉर्टकट” लेने वाला या “जुगाड़ी” माना जाता है।
भारत में AI को लेकर सोच क्या है?
भारत जैसे उभरते तकनीकी राष्ट्र में AI का तेजी से उपयोग हो रहा है, लेकिन मानसिकता अब भी परंपरागत है। एक रिपोर्ट के अनुसार:
21% डेस्क वर्कर्स को AI के उपयोग की जानकारी देने में झिझक होती है।
ग्रामीण या छोटे शहरों के कर्मचारियों में यह आंकड़ा और भी ज्यादा हो सकता है।
यह डेटा यह दिखाता है कि तकनीक की पहुंच भले बढ़ी हो, पर उसके सामाजिक स्वीकृति में अभी समय लगेगा।

AI और अपराधबोध का संबंध
Psychology Today की एक रिपोर्ट में बताया गया कि:
50% AI उपयोगकर्ता खुद को आलसी समझने लगते हैं।
35% को लगता है कि वे धोखा दे रहे हैं।
यह भावनाएँ दर्शाती हैं कि AI केवल तकनीक नहीं, बल्कि भावनात्मक तनाव भी है।
AI और नैतिक द्वंद्व
कई बार कर्मचारी AI से रिपोर्ट या प्रेजेंटेशन बनाते हैं, लेकिन फिर अंदर से अपराधबोध से भर जाते हैं। उन्हें लगता है कि ये उनका वास्तविक कार्य नहीं था। यहां एक मनोवैज्ञानिक द्वंद्व जन्म लेता है:
“मैंने काम किया, लेकिन किया नहीं। मैं खुद को स्मार्ट समझता हूँ, लेकिन क्या ये बौद्धिक ईमानदारी है?”
AI से कार्य की गुणवत्ता पर प्रभाव
यह बात सही है कि AI समय बचाता है, कार्य कुशलता बढ़ाता है और जटिल कार्यों को सरल बनाता है। परंतु कई लोगों को यह डर है कि:
AI से किया गया काम भावनात्मक रूप से जुड़ा नहीं होता।
AI से बनाया गया कंटेंट ‘मशीन-जैसा’ और सतही हो सकता है।
इससे सहकर्मियों की नज़र में यह काम नकली या कम महत्व का समझा जा सकता है।
AI को लेकर संगठनों की नीति
बहुत-सी कंपनियाँ अभी भी AI उपयोग पर कोई स्पष्ट गाइडलाइन नहीं देतीं। इससे दो समस्याएं जन्म लेती हैं:
कर्मचारी दुविधा में रहते हैं कि AI का इस्तेमाल करना सही है या नहीं।
कोई स्पष्ट दिशा न होने के कारण कर्मचारी गुपचुप तरीके से इसका इस्तेमाल करते हैं, जिससे एक छुपी हुई संस्कृति पनपती है।
Google, Microsoft जैसी कंपनियाँ अब AI नीति बना रही हैं, परंतु भारत के छोटे-मध्यम उद्यमों में अब भी स्पष्टता की कमी है।
प्रबंधकों की भूमिका
अगर प्रबंधक खुद AI के उपयोग को खुले रूप से स्वीकार करें और अपने अधीनस्थों को प्रेरित करें, तो कर्मचारियों में आत्मविश्वास बढ़ेगा। उदाहरण के लिए:
AI-जनित रिपोर्ट को टीम में साझा करना।
मीटिंग्स में यह स्वीकार करना कि “यह स्क्रिप्ट मैंने ChatGPT की मदद से बनाई।”
कर्मचारियों को AI टूल्स की ट्रेनिंग देना।
इससे कार्यस्थल पर एक स्वस्थ AI-संस्कृति विकसित हो सकती है।
AI और धोखा: नैतिक दृष्टिकोण
कुछ लोग मानते हैं कि AI का उपयोग “धोखा” है, खासकर अगर कोई रिपोर्ट, लेख या कंटेंट पूरी तरह AI से बना हो और उसका श्रेय इंसान को दिया जाए।
लेकिन यहां अंतर जरूरी है:
सहायक उपयोग (Assistive Use): जहां AI केवल सुझाव देता है।
पूर्णतः निर्भर उपयोग (Dependent Use): जहां इंसान बिना विचार किए AI की बात मान लेता है।
अगर कोई केवल Copy-Paste करता है, तो यह सवाल उठ सकता है कि उसका कौशल क्या है? लेकिन अगर कोई AI के सुझाव को समझकर उसमें अपनी समझ मिलाता है, तो यह एक सहयोगी बुद्धिमत्ता (Augmented Intelligence) है।
कर्मचारियों को किन नए कौशलों की ज़रूरत है?
AI के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि सहयोग करना ही भविष्य है। इसके लिए जरूरी है कि कर्मचारी निम्नलिखित कौशल विकसित करें:
- नैतिक विवेक (Ethical Judgment)
- भावनात्मक बुद्धिमत्ता (Emotional Intelligence)
- सृजनात्मकता (Creativity)
- विश्लेषणात्मक सोच (Critical Thinking)
- बौद्धिक जिज्ञासा (Intellectual Curiosity)
ये वे स्किल हैं जिन्हें AI आज भी नहीं समझ पाता।
AI और नई पीढ़ी
Gen Z और Millennials AI को अधिक आत्मविश्वास से अपना रहे हैं। लेकिन Baby Boomers और Gen X में यह एक तनाव का कारण है। इसका समाधान है:
सभी आयु वर्ग को बराबर प्रशिक्षण देना।
एक ऐसी संस्कृति बनाना जो कहे: “AI को अपनाना कमजोरी नहीं, समझदारी है।”
क्या AI उपयोगकर्ता वास्तव में कम बुद्धिमान होते हैं?
इसका उत्तर सीधा है—बिलकुल नहीं। AI उपयोग करने वाला व्यक्ति:
समय का प्रबंधन बेहतर करता है।
तकनीकी समझ रखता है।
जटिल कार्यों को सरलता से सुलझाता है।
अगर कोई AI को केवल टाइमपास टूल समझता है, तो यह उसका दृष्टिकोण है, न कि वास्तविकता।
भविष्य की दिशा: जागरूकता और स्वीकार्यता
भविष्य में वही संगठन टिक पाएंगे जो AI को एक सहयोगी शक्ति के रूप में देखेंगे, न कि एक प्रतिस्थापन के रूप में। इसके लिए ज़रूरी है:
AI उपयोग को ‘शर्म’ से हटाकर ‘स्मार्ट’ उपयोग माना जाए।
कर्मचारियों को नैतिक व मानसिक समर्थन दिया जाए।
AI उपयोग को टीम वर्क का हिस्सा माना जाए, न कि व्यक्तिगत धोखेबाज़ी।
AI का कार्यस्थल पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव: और क्या हम इसके आदतों को स्वीकार कर रहे हैं?
शारीरिक और मानसिक प्रभाव
जैसे-जैसे एआई का उपयोग बढ़ रहा है, वैसे-वैसे कार्यस्थल के मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण में भी बदलाव देखा जा रहा है। अगर हम बात करें एआई के प्रभाव से जुड़े शारीरिक और मानसिक प्रभावों की, तो हमें यह देखना होगा कि क्या इसके चलते कर्मचारियों में एक असुरक्षा का माहौल बन रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि एआई का बढ़ता प्रभाव कर्मचारियों की मानसिक स्थिति को प्रभावित करता है। यह कई तरह के नकारात्मक प्रभाव पैदा कर सकता है, जैसे:
1. परफॉरमेंस का दबाव: कार्यस्थल पर कर्मचारियों को यह महसूस हो सकता है कि एआई ने उनका काम आसान बना दिया है, जिससे उनके सामने अपनी योग्यता साबित करने का दबाव बढ़ जाता है।
2. कम आत्मविश्वास: यदि कोई व्यक्ति केवल एआई का इस्तेमाल करता है और उसे यह संकोच रहता है कि उसने काम पूरी तरह से खुद से नहीं किया, तो उसे आत्म-संदेह हो सकता है। यह मानसिक थकान और तनाव का कारण बन सकता है।
3. स्मार्ट वर्क और हार्ड वर्क का अंतर: कुछ कर्मचारियों को यह लगता है कि एआई का उपयोग करने से उनके श्रम का मूल्य घट जाता है, और वे “शार्टकट” के रूप में देखे जाते हैं, जिससे उनके मन में अपराधबोध की भावना पैदा होती है।
सामाजिक प्रभाव
एआई का इस्तेमाल अकेले काम करने के तरीके को भी बदलता है। जहां एक समय था कि टीम वर्क और मिलजुल कर काम करने पर जोर दिया जाता था, अब एआई को टीम के एक सदस्य की तरह समझा जाता है।
ऐसे में कर्मचारियों के बीच सामाजिक असहमति भी पैदा हो सकती है, क्योंकि कुछ लोग इसे “सहायक उपकरण” मानते हैं, जबकि कुछ इसे “कंप्यूटर की भूमिका” मानते हैं।
यह धारणा असल में कार्यस्थल पर सहयोग की भावना को प्रभावित कर सकती है, और इस कारण से कुछ कर्मचारी दूसरों से अलग महसूस कर सकते हैं।
एआई का प्रभाव: कौशल विकास और कर्मचारियों के लिए नए अवसर
एआई का उदय जितनी चिंता और भय उत्पन्न कर रहा है, उतना ही यह कर्मचारियों के लिए नए अवसर भी ला रहा है। एआई के प्रयोग से, कंपनियों को दक्ष कर्मचारियों की आवश्यकता महसूस हो रही है जो एआई के साथ मिलकर काम कर सकें। इसके परिणामस्वरूप, कौशल विकास की आवश्यकता में वृद्धि हो रही है।
कौशल विकास में बदलाव
टेक्निकल कौशल: कर्मचारियों को एआई टूल्स और सॉफ़्टवेयर का उपयोग करना सीखना पड़ रहा है। इससे उनकी कार्यकुशलता बढ़ती है, और वे अधिक कार्यात्मक होते हैं।
उदाहरण के लिए, एआई के माध्यम से डेटा एनालिसिस या रिपोर्ट बनाने में मदद मिलती है, जिससे कर्मचारी उन कार्यों को और बेहतर तरीके से कर सकते हैं।
सामाजिक और भावनात्मक कौशल: एआई द्वारा किए गए काम को समझने और उस पर प्रतिक्रिया देने के लिए कर्मचारियों को भावनात्मक बुद्धिमत्ता और संचार कौशल में भी सुधार करने की आवश्यकता है।
इससे न केवल कार्यक्षमता में वृद्धि होती है, बल्कि कर्मचारियों की टीम के साथ भी बेहतर समन्वय स्थापित होता है।

निर्णय लेने की क्षमता: एआई से प्राप्त डेटा का विश्लेषण करना और उसे सही तरीके से लागू करना कर्मचारियों के लिए एक नया कौशल बनता जा रहा है।
यदि एआई की मदद से लिया गया निर्णय गलत होता है, तो उसे सही करने की जिम्मेदारी कर्मचारी की होती है। यह निर्णय क्षमता में वृद्धि का कारण बनता है।
एआई और कर्मचारी भेदभाव: क्या एक नया भेदभाव जन्म ले सकता है?
एआई का उपयोग कार्यस्थल पर एक नए प्रकार के भेदभाव को जन्म दे सकता है। यह भेदभाव मुख्यतः उन कर्मचारियों के बीच हो सकता है जो एआई का इस्तेमाल करते हैं और जो नहीं करते। कुछ विश्लेषक यह मानते हैं कि यह एक नया प्रकार का “टेक्नोलॉजिकल डिवाइड” हो सकता है।
एआई का इस्तेमाल करने वाले और न करने वाले कर्मचारियों के बीच अंतर
कर्मचारी जो एआई का इस्तेमाल करते हैं: ये कर्मचारी अक्सर स्मार्ट तरीके से काम करते हैं और उनके पास अधिक डेटा और संसाधन होते हैं। इससे उनकी कार्यकुशलता बढ़ती है, और वे अपनी जिम्मेदारियों को जल्दी और बेहतर तरीके से पूरा करते हैं।
कर्मचारी जो एआई का इस्तेमाल नहीं करते: इन कर्मचारियों के पास शायद उतना संसाधन या सहारा नहीं होता, जो एआई देने का प्रयास करता है।
वे मैन्युअल कार्यों में अधिक समय बर्बाद करते हैं, जिससे उनकी कार्यकुशलता में गिरावट आ सकती है। इस कारण से उनका प्रदर्शन और उनके आत्मविश्वास में कमी आ सकती है।
यह परिदृश्य भविष्य में कर्मचारियों के बीच भेदभाव का कारण बन सकता है। एआई का इस्तेमाल करने वालों को लेकर उच्च मानक और अपेक्षाएँ हो सकती हैं, जबकि न करने वालों के लिए समानताएँ और अवसर सीमित हो सकते हैं।
कर्मचारियों के लिए भविष्य: AI के साथ सामंजस्य कैसे बनाए रखें?
संचार और पारदर्शिता बढ़ाना
कार्यस्थल पर एआई के उपयोग को लेकर खुला और पारदर्शी संवाद बेहद जरूरी है। प्रबंधकों को यह समझना चाहिए कि हर कर्मचारी की तकनीकी क्षमता अलग होती है, और किसी को एआई का उपयोग करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। इसके बजाय, उन्हें प्रशिक्षित किया जाना चाहिए ताकि वे एआई का सही और प्रभावी उपयोग कर सकें।
AI को सहयोगी के रूप में देखना
एआई को कभी भी प्रतिस्पर्धी के रूप में नहीं देखना चाहिए। कर्मचारियों को यह समझाना महत्वपूर्ण है कि एआई एक उपकरण है जो केवल उनकी कार्यकुशलता को बढ़ाता है, न कि उन्हें बदलता है। इससे कर्मचारियों के बीच एक स्वस्थ मानसिकता का विकास होगा, और एआई को अधिक सकारात्मक तरीके से अपनाया जाएगा।
आवश्यक प्रशिक्षण और समर्थन प्रदान करना
कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि कर्मचारियों को AI के उपयोग के लिए आवश्यक प्रशिक्षण और संसाधन प्रदान किए जाएं। इसके लिए नियमित वर्कशॉप्स और ट्रेनिंग प्रोग्राम्स आयोजित किए जा सकते हैं ताकि कर्मचारी अपने कौशल को अपडेट कर सकें और नए तकनीकी उपकरणों का सही तरीके से उपयोग कर सकें।
निष्कर्ष
एआई का कार्यस्थल पर प्रभाव अत्यधिक गहरा और विविधतापूर्ण है। यह तकनीकी प्रगति कर्मचारियों के काम करने के तरीके, उनकी मानसिकता और उनके बीच के सामाजिक संबंधों को बदल रही है।
जहां एक ओर एआई कार्यकुशलता और उत्पादन क्षमता में वृद्धि कर रहा है, वहीं दूसरी ओर यह कर्मचारियों के आत्मविश्वास, मानसिक स्थिति और काम के प्रति दृष्टिकोण पर नकारात्मक प्रभाव भी डाल सकता है।
एआई के प्रयोग से कुछ कर्मचारियों में कम आत्मसम्मान, मानसिक थकावट, और सामाजिक असहमति उत्पन्न हो सकती है, क्योंकि वे इसे “शॉर्टकट” या “आलस्य” के रूप में देख सकते हैं।
वहीं, दूसरी ओर, इसका सही उपयोग कौशल विकास, आत्मनिर्भरता, और निर्णय क्षमता में वृद्धि का कारण भी बनता है।
एआई का विकास कर्मचारियों के लिए नए अवसर और चुनौतीपूर्ण कार्य प्रस्तुत करता है, लेकिन साथ ही यह एक नई मानसिकता और सहानुभूति की भी मांग करता है।
भविष्य में, एआई को एक सहयोगी उपकरण के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि प्रतिस्पर्धी के रूप में। प्रशिक्षण और समर्थन कर्मचारियों को एआई के साथ सामंजस्य बनाने में मदद कर सकते हैं, जिससे वे अपनी कार्यकुशलता में सुधार कर सकें।
साथ ही, संचार और पारदर्शिता भी आवश्यक हैं ताकि कर्मचारियों को यह महसूस हो सके कि एआई का उपयोग उनके फायदे के लिए है, न कि उनके स्थान पर काम करने के लिए।
अंततः, एआई का कार्यस्थल पर प्रभाव सकारात्मक दिशा में ले जाने के लिए सभी पक्षों का सहयोग, समझदारी, और सकारात्मक दृष्टिकोण जरूरी है।
अगर इसे सही तरीके से अपनाया जाए, तो एआई न केवल कर्मचारियों की कार्यक्षमता बढ़ा सकता है, बल्कि कार्यस्थल के सामूहिक विकास और सफलता की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
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