AIIMS ने किया असंभव को संभव! 254 किलो के इस आदमी की सर्जरी बनी चमत्कार की मिसाल!

AIIMS ने किया असंभव को संभव! 254 किलो के इस आदमी की सर्जरी बनी चमत्कार की मिसाल!

Facebook
Twitter
Telegram
WhatsApp

AIIMS में हुआ चमत्कार! जब 254 किलो वज़न वाले सरकारी कर्मचारी ने दोबारा चलना शुरू किया!

परिचय: मोटापा नहीं, यह था जीवन के लिए ख़तरा

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

उत्तर प्रदेश के एक 31 वर्षीय सरकारी कर्मचारी के लिए मोटापा केवल एक शारीरिक समस्या नहीं, बल्कि एक जटिल चिकित्सा चुनौती बन चुका था।

उनका वजन 254 किलो था और बॉडी मास इंडेक्स (BMI) 75.5 – जो कि “सुपर-सुपर ओबेस” की श्रेणी में आता है। यह स्थिति न केवल असहज जीवनशैली की ओर ले जाती है, बल्कि कई जानलेवा बीमारियों का रास्ता भी खोल देती है।

इस चुनौती से लड़ने और नई ज़िंदगी की शुरुआत करने का जरिया बना – AIIMS, नई दिल्ली।

मोटापा या बीमारी? समझें “सुपर-सुपर ओबेस” क्या होता है

BMI (Body Mass Index) उस स्केल का नाम है जिससे यह तय किया जाता है कि आपका वजन आपकी लंबाई के अनुपात में कितना है। सामान्य BMI 18.5–24.9 होता है।

लेकिन जब BMI 40 से ऊपर चला जाए, तो व्यक्ति को “मोर्बिड ओबेस” कहा जाता है और जब यह 60 से भी ऊपर हो – तो यह सुपर-सुपर ओबेस कहलाता है।

इस कर्मचारी का BMI था 75.5, जो एक अत्यंत गंभीर स्थिति है। ऐसे मरीजों को सीढ़ियाँ चढ़ना, चलना, यहां तक कि सांस लेना भी भारी पड़ता है।

AIIMS दिल्ली में हुआ चमत्कार: कैसे की गई सर्जरी

AIIMS (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) का बैरियाट्रिक सर्जरी विभाग भारत के सबसे अनुभवी और अत्याधुनिक विभागों में से एक है। यहां प्रोफेसर संदीप अग्रवाल की टीम ने इस अत्यंत जोखिम भरे ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।

ऑपरेशन की ख़ास बातें:

यह सर्जरी लैप्रोस्कोपिक बैरियाट्रिक सर्जरी थी।

मरीज को सर्जरी से पहले फिजिकल और साइकोलॉजिकल काउंसलिंग दी गई।

ऑपरेशन के बाद मरीज को ICU में विशेष निगरानी में रखा गया।

रविवार को उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया।

इस सर्जरी के पीछे की सोच: क्यों जरूरी थी?

254 किलो वजन केवल शरीर का भार नहीं होता – यह दिल, फेफड़ों, लीवर और मस्तिष्क पर भार डालता है। इतना अधिक वजन होने पर:

दिल की बीमारियों की संभावना 60% तक बढ़ जाती है।

Obstructive Sleep Apnea जैसी बीमारी जानलेवा बन जाती है।

टाइप-2 डायबिटीज़, हाई बीपी और थायरॉयड जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं।

मरीज धीरे-धीरे मानसिक तनाव और अवसाद का भी शिकार हो जाता है।

बैरियाट्रिक सर्जरी इस स्थिति में जीवन रक्षक बन जाती है।

बैरियाट्रिक सर्जरी क्या है? जानिए आसान भाषा में

बैरियाट्रिक सर्जरी एक विशेष प्रकार की सर्जिकल प्रक्रिया होती है जिसमें पेट के आकार को छोटा किया जाता है ताकि व्यक्ति कम खा सके और तेजी से वजन घट सके। यह सर्जरी मुख्यतः दो प्रकार की होती है:

1. गैस्ट्रिक बायपास सर्जरी

2. स्लीव गैस्ट्रेक्टॉमी

AIIMS में इस मरीज पर जो प्रक्रिया की गई, वह स्लीव गैस्ट्रेक्टॉमी थी – जिसमें पेट के लगभग 80% हिस्से को हटाया जाता है।

AIIMS में इलाज क्यों है खास?

अनुभवी डॉक्टरों की टीम

अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं

किफायती दरों पर इलाज

वैज्ञानिक आधार पर उपचार

हर मरीज के लिए कस्टम ट्रीटमेंट प्लान

AIIMS ने 2008 से अब तक 1000+ बैरियाट्रिक सर्जरी सफलतापूर्वक की हैं।

मरीज की सर्जरी के बाद की स्थिति: उम्मीद की नई रौशनी

सर्जरी के बाद मरीज की हालत स्थिर बताई गई। डॉक्टरों ने बताया कि अगले 6 महीनों में उनके वजन में उल्लेखनीय गिरावट देखी जाएगी। सर्जरी के बाद उन्हें विशेष डायट प्लान, एक्सरसाइज़ और मेडिकल निगरानी में रखा गया है।

शुरुआती लाभ:

सांस लेने में आसानी

ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रित

ब्लड प्रेशर में स्थिरता

नींद की गुणवत्ता में सुधार

AIIMS ने किया असंभव को संभव! 254 किलो के इस आदमी की सर्जरी बनी चमत्कार की मिसाल!
AIIMS ने किया असंभव को संभव! 254 किलो के इस आदमी की सर्जरी बनी चमत्कार की मिसाल!

मरीज की प्रतिक्रिया: ‘AIIMS ने मुझे दोबारा ज़िंदा किया’

मरीज के शब्दों में:

> “मैं पहले सांस लेने में भी तकलीफ महसूस करता था। मेरा शरीर मेरा दुश्मन बन गया था। AIIMS और डॉक्टरों की टीम ने मुझे दोबारा ज़िंदगी दी है।”

भविष्य में होने वाले लाभ

अगर मरीज अपनी जीवनशैली में सुधार बनाए रखता है, तो:

1 साल में 100 किलो से अधिक वजन घट सकता है।

90% से अधिक जीवनशैली आधारित रोगों में सुधार हो सकता है।

मानसिक तनाव कम होगा।

आत्मविश्वास और सामाजिक जीवन बेहतर होगा।

भारत में मोटापे की स्थिति

WHO की रिपोर्ट के अनुसार भारत में:

शहरी क्षेत्रों में 30% लोग अधिक वजन के शिकार हैं।

हर 10 में से 1 व्यक्ति मोटापे से जुड़ी बीमारी से ग्रसित है।

बच्चों में भी मोटापा तेजी से बढ़ रहा है।

इसलिए यह घटना सिर्फ एक मरीज की नहीं, एक समाज की चेतावनी है।

बीमा, सरकारी मदद और भविष्य की उम्मीदें

हालांकि भारत में बैरियाट्रिक सर्जरी अब कई बीमा योजनाओं में कवर की जाती है, लेकिन अभी भी इसके लिए जागरूकता और प्रक्रिया को सरल करने की ज़रूरत है।

सरकार यदि इसपर विशेष योजना लाती है, तो गरीब और मध्यम वर्ग के लाखों मरीजों को जीवनदान मिल सकता है।

एक सरकारी कर्मचारी की ज़िंदगी में मोटापे ने कैसे बढ़ाई मुश्किलें

इस मरीज की निजी ज़िंदगी भी इस बीमारी से बुरी तरह प्रभावित हो रही थी। 254 किलो वजन की वजह से:

उन्हें रोज़मर्रा के काम जैसे स्नान करना, कपड़े पहनना, शौच जाना भी कठिन हो गया था।

ऑफिस जाना लगभग असंभव था; अधिकतर समय वे घर में ही बिस्तर पर रहते थे।

मानसिक रूप से वे अवसाद (डिप्रेशन) का शिकार हो चुके थे।

सामाजिक मेलजोल लगभग बंद हो गया था – लोग मज़ाक उड़ाते थे, जिससे आत्मविश्वास पूरी तरह टूट गया था।

AIIMS में इलाज उनके लिए आख़िरी उम्मीद बन चुका था। उनकी इच्छाशक्ति और AIIMS की विशेषज्ञ टीम ने मिलकर इस असंभव को संभव कर दिखाया।

मानसिक स्वास्थ्य पर मोटापे का प्रभाव

बहुत से लोग मोटापे को केवल शरीर से जोड़ते हैं, लेकिन इसका गहरा असर मन पर भी होता है। जब एक व्यक्ति बार-बार असफल डाइटिंग, लोगों की टिप्पणियाँ, और अकेलापन झेलता है, तो वह अवसाद और चिंता का शिकार हो सकता है।

इस मरीज की काउंसलिंग टीम ने बताया कि:

उन्होंने अपने जीवन में पहले कभी सार्वजनिक रूप से बैठना, यात्रा करना बंद कर दिया था।

वे लोगों से कट गए थे, यहां तक कि अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से भी।

AIIMS ने उन्हें न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी राहत दी।

AIIMS की टीम से बातचीत में सामने आईं कई बातें

AIIMS की बैरियाट्रिक यूनिट के प्रमुख प्रोफेसर संदीप अग्रवाल ने बताया:

> “इतना अधिक वजन होने पर सर्जरी किसी सामान्य प्रक्रिया की तरह नहीं की जा सकती। आपको हर मिलीमीटर की प्लानिंग करनी पड़ती है – एनेस्थीसिया से लेकर रिकवरी तक।”

उन्होंने आगे कहा:

> “यह सर्जरी मेडिकल साइंस के लिए एक केस स्टडी है, और इसने साबित कर दिया कि यदि टीम वर्क हो, तो कोई भी लक्ष्य बड़ा नहीं होता।”

सर्जरी के बाद की कठिन लेकिन खूबसूरत राह

अब जब मरीज की सर्जरी हो चुकी है, तो उनके सामने एक नई ज़िंदगी की शुरुआत है – लेकिन यह आसान नहीं होगी।

उन्हें करना होगा:

नियमित परहेज़ और डायट प्लान का पालन

फिजियोथेरपी और हल्की एक्सरसाइज़

डॉक्टर के साथ नियमित फॉलोअप

खुद में आत्मविश्वास बनाए रखना

डॉक्टरों का कहना है कि पहले 3 महीने वजन में 25–30 किलो की गिरावट आ सकती है, और 1 साल में यह घटकर लगभग 120–130 किलो तक पहुंच सकता है।

AIIMS ने किया असंभव को संभव! 254 किलो के इस आदमी की सर्जरी बनी चमत्कार की मिसाल!
AIIMS ने किया असंभव को संभव! 254 किलो के इस आदमी की सर्जरी बनी चमत्कार की मिसाल!

क्या बैरियाट्रिक सर्जरी सभी के लिए है?

नहीं, यह सर्जरी तभी की जाती है जब:

BMI 40 से ऊपर हो या

BMI 35 से ऊपर हो साथ में गंभीर बीमारियाँ (डायबिटीज़, हृदय रोग आदि)

डाइट और एक्सरसाइज़ से वजन कम करने में बार-बार असफलता मिली हो

यह सर्जरी कोई फैशन नहीं, बल्कि एक मेडिकल ज़रूरत है – जो गहराई से जांच और सलाह के बाद ही की जाती है।

मोटापे को नियंत्रित करने के सरल उपाय (सर्जरी से पहले)

1. संतुलित भोजन – तली हुई चीज़ें, चीनी और जंक फूड से दूरी बनाएँ

2. नियमित व्यायाम – रोज़ाना कम से कम 30 मिनट टहलना

3. नींद पूरी लेना – रोजाना 7-8 घंटे की नींद

4. तनाव मुक्त रहना – ध्यान और योग का अभ्यास

5. खुद को स्वीकारना और हिम्मत रखना

भारत में बढ़ते मोटापे के आंकड़े

हाल की रिपोर्ट्स के अनुसार:

भारत में लगभग 13 करोड़ लोग मोटापे की चपेट में हैं।

हर साल करीब 10 लाख मौतें मोटापे से संबंधित बीमारियों के कारण होती हैं।

बच्चों में भी मोटापा तेजी से बढ़ रहा है, जो भविष्य के लिए एक बड़ी चुनौती है।

यदि समय रहते इसे रोका न गया, तो आने वाले दशक में यह महामारी का रूप ले सकता है।

क्या कहती है WHO?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार:

मोटापा एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट है।

यह न केवल व्यक्तिगत, बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्तर पर भी प्रभाव डालता है।

समय रहते कदम उठाना आवश्यक है – जैसे सही खान-पान, शारीरिक गतिविधि और जागरूकता।

आगे का रास्ता: नीति, स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार

इस केस से सरकार और नीति-निर्माताओं को भी कुछ सीखने की ज़रूरत है:

बचपन से ही हेल्दी डाइट पर ज़ोर

स्कूलों में पोषण और स्वास्थ्य की शिक्षा

स्वास्थ्य बीमा में बैरियाट्रिक सर्जरी का समावेश

मोटापा रोकने के लिए राष्ट्रीय अभियान

निष्कर्ष (Conclusion):

उत्तर प्रदेश के 31 वर्षीय सरकारी कर्मचारी की 254 किलो वज़न और 75.5 BMI के साथ AIIMS में सफल बैरियाट्रिक सर्जरी न केवल चिकित्सा की एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, बल्कि यह समाज के लिए भी एक प्रेरणादायक संदेश है।

यह मामला हमें बताता है कि जब व्यक्ति खुद बदलाव के लिए तैयार हो और उसे सही चिकित्सा, मार्गदर्शन व मानसिक समर्थन मिले – तो कोई भी बाधा असंभव नहीं होती।

इस घटना के माध्यम से यह स्पष्ट हो गया है कि:

मोटापा सिर्फ शारीरिक नहीं, मानसिक और सामाजिक संकट भी है

चिकित्सा विज्ञान में अब इतनी प्रगति हो चुकी है कि अतिवजन जैसी समस्याओं का भी स्थायी समाधान संभव है।

हमें मोटे लोगों को हतोत्साहित नहीं, बल्कि उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए।

सही समय पर इलाज, जागरूकता और इच्छाशक्ति हो तो जीवन में चमत्कार हो सकते हैं।

अब जरूरत है एक स्वस्थ सोच और सशक्त नीति की – ताकि हर नागरिक को स्वास्थ्य के इस स्तर तक पहुँचने का अवसर मिल सके।

यह कहानी सिर्फ एक मरीज की नहीं, बल्कि उन लाखों भारतीयों की है जो मोटापे से संघर्ष कर रहे हैं – और उन्हें अब उम्मीद की एक नई किरण दिखाई दी है।

आप भी अपने जीवन में बदलाव चाहते हैं? पहला कदम आज ही उठाइए – क्योंकि हर बड़ी यात्रा एक छोटे से निर्णय से शुरू होती है।


Discover more from Aajvani

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Facebook
Twitter
Telegram
WhatsApp
Picture of Sanjeev

Sanjeev

Hello! Welcome To About me My name is Sanjeev Kumar Sanya. I have completed my BCA and MCA degrees in education. My keen interest in technology and the digital world inspired me to start this website, “Aajvani.com.”

Leave a Comment

Top Stories

Discover more from Aajvani

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading