Anita Anand: संघर्ष से सत्ता तक – एक भारतीय मूल महिला की वैश्विक जीत!
प्रस्तावना: भारतीय मूल की बेटी जो कनाडा की आवाज़ बनी
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!कभी भारत के तमिलनाडु और पंजाब की गलियों में पले-बढ़े परिवार की एक बेटी, जो आज कनाडा की कूटनीति की सबसे ऊँची कुर्सी पर विराजमान है।
यह कहानी है अनिता इंदिरा आनंद की – एक वकील, शिक्षिका, जनसेविका, और अब कनाडा की पहली हिंदू और भारतीय मूल की विदेश मंत्री।
यह केवल एक राजनीतिक उपलब्धि नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति में भारतवंशियों के योगदान और कनाडा की बहुलता का जीवंत प्रमाण है। इस आर्टिकल में हम उनके जीवन के सभी पहलुओं – शिक्षा, संघर्ष, नेतृत्व और सफलता – को बारीकी से जानेंगे।
बचपन और पारिवारिक पृष्ठभूमि
जन्म और विरासत
Anita Anand का जन्म 20 मई 1967 को कनाडा के नोवा स्कोटिया प्रांत के एक छोटे शहर केन्टविल में हुआ। उनके माता-पिता भारत से कनाडा प्रवास कर चुके थे।
पिता: एस.वी. आनंद – तमिलनाडु के मूल निवासी, एक जनरल सर्जन।
मां: सरोज राम – पंजाब से थीं, पेशे से एनेस्थेसियोलॉजिस्ट।
वे दोनों स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में कार्यरत थे और कनाडा में भारतीय मूल के प्रवासियों की पहली पीढ़ी से थे।
बहनों में सबसे छोटी
Anita Anand चार बहनों में सबसे छोटी थीं। उन्होंने भारतीय संस्कृति और कनाडा की आधुनिकता के बीच संतुलन बनाते हुए एक जिम्मेदार बचपन जिया। उनकी बहन सोनिया आनंद भी आज एक जानी-मानी मेडिकल रिसर्चर हैं।
शिक्षा: अंतरराष्ट्रीय स्तर की छात्रा
शुरूआती शिक्षा
Anita Anand ने बचपन में ही पढ़ाई में असाधारण रुचि दिखाई। वे पढ़ने और समाज के मुद्दों को समझने में गहरी दिलचस्पी रखती थीं। उन्होंने स्कूलिंग पूरी करने के बाद उच्च शिक्षा के लिए कई बड़े संस्थानों का रुख किया।
विश्वविद्यालय की शिक्षा
क्वीन्स यूनिवर्सिटी (Kingston, Ontario): पॉलिटिकल साइंस में ऑनर्स डिग्री।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (UK): लॉ और ज्यूरिसप्रुडेंस में डिग्री।
डलहौज़ी यूनिवर्सिटी: बैचलर ऑफ लॉ।
यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो: मास्टर ऑफ लॉ।
एक शिक्षिका के रूप में
1994 में वकालत की शुरुआत करने के बाद अनिता ने येल, क्वीन्स और वेस्टर्न यूनिवर्सिटी में कानून पढ़ाया। उन्होंने खासतौर पर कॉरपोरेट गवर्नेंस और वित्तीय नियमन में रिसर्च की।
राजनीतिक करियर की शुरुआत
संसद में प्रवेश
2019 में, Anita Anand ने ओकविल निर्वाचन क्षेत्र से लिबरल पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। वे संसद में पहुंचने वाली पहली हिंदू महिला सांसद बनीं।
कैबिनेट में प्रवेश
प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने उन्हें उसी वर्ष अपनी कैबिनेट में शामिल किया, जहां उन्होंने कनाडा सरकार की ओर से COVID-19 संकट से निपटने में बड़ी भूमिका निभाई।
मंत्री के रूप में प्रमुख भूमिकाएं
सार्वजनिक सेवाएं और खरीद मंत्री (2019–2021)
COVID-19 महामारी के दौरान मास्क, PPE, और टीकों की आपूर्ति सुनिश्चित की।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कंपनियों से वैक्सीन खरीद में समझदारी भरे फैसले लिए।
राष्ट्रीय रक्षा मंत्री (2021–2023)
सशस्त्र बलों में यौन शोषण के मामलों को लेकर सख्त सुधार लाईं।
यूक्रेन संकट के समय कनाडाई सेना के प्रशिक्षण और सहायता में बड़ी भूमिका निभाई।

ट्रेजरी बोर्ड प्रमुख (2023–2024)
सरकारी व्यय, डिजिटल नवाचार और पारदर्शिता के लिए नई नीतियां बनाई।
परिवहन मंत्री (2024–2025)
कनाडा के पहले हाई-स्पीड ट्रेन प्रोजेक्ट ‘अल्टो’ की योजना घोषित की।
ग्रीन ट्रांसपोर्ट और पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश को प्रोत्साहित किया।
विदेश मंत्री के रूप में नई जिम्मेदारी
ऐतिहासिक शपथ ग्रहण
13 मई 2025 को, प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने उन्हें विदेश मंत्री नियुक्त किया। यह केवल एक पद नहीं, बल्कि भारतीयों और हिंदुओं के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण था।
उन्होंने भगवद गीता पर हाथ रखकर शपथ ली।
वे कनाडा की पहली हिंदू और भारतीय मूल की विदेश मंत्री बनीं।
विदेश नीति पर दृष्टिकोण
भारत के साथ संबंधों को और गहराई देने का संकल्प।
लोकतंत्र, मानवाधिकार और जलवायु नीति में कनाडा की आवाज़ को वैश्विक मंचों पर मजबूती से रखने की योजना।
व्यक्तिगत जीवन और मूल्य
परिवार
1995 में विवाह हुआ जॉन नोल्टन से।
उनके चार बच्चे हैं और वे ओकविल में निवास करती हैं।
धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान
Anita Anand एक गर्वित हिंदू महिला हैं।
कनाडा में हिंदू म्यूज़ियम की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं।
भारत से रिश्ता और प्रवासी पहचान
भारतीय संस्कृति से जुड़ाव
Anita Anand ने कई बार भारत को अपनी “जड़ों की भूमि” कहा है।
Anita Anand दिवाली, होली जैसे त्योहारों को खुले मन से मनाती हैं।
प्रवासी समुदाय के लिए प्रेरणा
Anita Anand ने दिखाया कि कैसे कोई भारतीय मूल की महिला, विदेशी भूमि पर उच्चतम स्तर की सेवा कर सकती है।
आलोचनाएं और चुनौतियाँ
रक्षा मंत्री के रूप में, Anita Anand ने कई कड़े निर्णय लिए जिससे सैन्य प्रतिष्ठान में असंतोष भी देखा गया।
COVID-19 के समय वैक्सीन खरीद को लेकर विपक्ष द्वारा सवाल उठाए गए।
परंतु हर बार उन्होंने पारदर्शिता और साहस के साथ जवाब दिया।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य में अनिता आनंद
भारतीय मूल के वैश्विक नेता
Anita Anand आज कमला हैरिस, ऋषि सुनक, सत्य नडेला जैसे नामों की पंक्ति में खड़ी हैं।
महिला नेतृत्व का प्रतीक
एक महिला, एक हिंदू, एक शिक्षक और एक मां – ये चारों रूप उनकी पहचान बन चुके हैं।
विदेश मंत्री के रूप में अनिता आनंद का दृष्टिकोण
वैश्विक मंच पर कनाडा की भूमिका
विदेश मंत्री के रूप में Anita Anand का प्रमुख लक्ष्य है कनाडा को एक नैतिक, शांतिप्रिय और बहुलतावादी देश के रूप में प्रस्तुत करना, जो मानवाधिकार, जलवायु न्याय और लोकतंत्र को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देता है।
Anita Anand की नीति का मूल आधार तीन बातें हैं:
Multilateralism: बहुपक्षीय संस्थाओं जैसे UN, WHO, G7 में सक्रिय भूमिका।
Strategic Diplomacy: Indo-Pacific रणनीति के तहत भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और ASEAN देशों से संबंध मजबूत करना।
Human Rights & Peace: मानवाधिकारों की रक्षा और संघर्ष क्षेत्रों में शांति स्थापना के प्रयास।
भारत-कनाडा संबंधों में भूमिका
कूटनीतिक तनाव और समाधान की पहल
2023-24 में भारत और कनाडा के बीच कुछ गंभीर कूटनीतिक तनाव उत्पन्न हुए थे। Anita Anand ने इन तनावों को “अस्थायी लेकिन सुलझाए जा सकने वाले” कहा और दो कदम उठाए:
गोपनीय बैकचैनल डिप्लोमेसी के ज़रिए भारत के अधिकारियों से संवाद बनाए रखा।
संवेदनशील मुद्दों पर सार्वजनिक बयान देने से परहेज किया, जिससे माहौल बिगड़ने न पाए।
भारत से व्यापारिक और सामरिक संबंध
इंडो-कनाडा इकोनॉमिक पार्टनरशिप को पुनर्जीवित करने की योजना।
टेक्नोलॉजी, शिक्षा, और क्लाइमेट इनोवेशन के क्षेत्रों में संयुक्त परियोजनाओं की वकालत।
युवाओं और महिलाओं के लिए प्रेरणा
शिक्षा और सेवा की मिसाल
Anita Anand का जीवन संदेश देता है कि शिक्षा केवल डिग्री नहीं, समाज के लिए एक जिम्मेदारी है। एक वकील, प्रोफेसर और सांसद के रूप में उन्होंने यह सिद्ध किया।
महिला सशक्तिकरण की प्रतिनिधि
Anita Anand UN Women Canada और Girls20 जैसे मंचों की समर्थक हैं।
उन्होंने महिलाओं को नीति निर्माण और प्रशासन में आगे लाने के लिए “Lead Like a Girl” अभियान को समर्थन दिया।
विचारधारा और नैतिक मूल्यों का समन्वय
धर्म और सेवा का समन्वय
Anita Anand धार्मिक कट्टरता से दूर रहते हुए अपने हिंदू मूल्यों – करुणा, सेवा, और सत्य – को व्यवहार में उतारती हैं।
Anita Anand की राजनीतिक शैली विवेकशीलता और संवेदनशीलता का अद्भुत मिश्रण है।
निष्पक्षता की पहचान
Anita Anand किसी एक समुदाय, राष्ट्र या विचारधारा से नहीं, बल्कि मानवता की व्यापक सोच से जुड़ी नेता हैं।
आने वाले वर्षों की संभावनाएँ
कनाडा की पहली महिला प्रधानमंत्री?
कई विश्लेषकों का मानना है कि यदि लिबरल पार्टी 2027 के चुनावों में सत्ता में आती है, तो अनिता आनंद को प्रधानमंत्री पद का दावेदार माना जा सकता है।
वैश्विक मंच पर नेतृत्व
संयुक्त राष्ट्र महासभा, G20, और COP सम्मेलनों में उनकी भाषण शैली, सूझबूझ और नैतिक स्पष्टता उन्हें एक वैश्विक नेता की श्रेणी में ले जा चुकी है।
एक बेटी से विश्व नेता तक: जीवन के संदेश
“Being Indian is my root, being Canadian is my duty.”
यह अनिता आनंद की सोच है – जहाँ वे अपनी भारतीय विरासत को न सिर्फ गर्व से स्वीकारती हैं, बल्कि उसे दुनिया से जोड़ने का माध्यम बनाती हैं।
सेवा, नारीत्व और नेतृत्व का संगम
वे सेवा की भावना से जुड़ी हैं।
नारीत्व को नेतृत्व की ताकत मानती हैं।
और विश्वास रखती हैं कि “दुनिया बदलने के लिए पहली जरूरत – खुद को पहचानना है।”

लेटेस्ट अपडेट: 2025 तक की प्रमुख गतिविधियाँ
कनाडा की नई Indo-Pacific Policy 2025
जनवरी 2025 में Anita Anand ने कनाडा की नई इंडो-पैसिफिक नीति को लॉन्च किया। इस नीति के प्रमुख बिंदु हैं:
भारत को ‘प्राथमिक रणनीतिक साझेदार’ का दर्जा।
जलवायु, शिक्षा और रक्षा सहयोग को बढ़ाने पर बल।
समुद्री सुरक्षा में संयुक्त अभ्यास।
इस नीति के जरिए उन्होंने भारत से दूरी की आलोचनाओं को समाप्त कर दिया और यह दर्शाया कि वे भारत को एक साझेदार राष्ट्र मानती हैं।
जून 2025 – UNGA में ऐतिहासिक भाषण
संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में जून 2025 में उन्होंने एक प्रभावशाली भाषण दिया, जिसमें उन्होंने कहा:
> “We must not be silent spectators of injustice, nor indifferent participants of progress.”
इस भाषण को ‘द वॉइस ऑफ ग्लोबल साउथ’ का नाम दिया गया और इसकी विश्व स्तर पर सराहना हुई।
भारत दौरे की तैयारी
जुलाई 2025 में उनका प्रस्तावित भारत दौरा है, जो कि:
भारत-कनाडा के कूटनीतिक पुनःसंधान की शुरुआत मानी जा रही है।
इस दौरान नई Delhi, मुंबई और वाराणसी के कार्यक्रम तय हैं।
वे विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर से मुलाकात करेंगी और टेक्नोलॉजी और हायर एजुकेशन MoUs पर हस्ताक्षर होंगे।
व्यक्तित्व की विशेषताएँ
शांत लेकिन प्रभावशाली
Anita Anand का व्यक्तित्व बहुत नम्र, स्पष्ट और तर्कपूर्ण है। वे कभी आक्रामक नहीं बोलतीं, लेकिन उनके विचार इतने सशक्त होते हैं कि हर मंच पर प्रभाव छोड़ते हैं।
निर्णायक लेकिन न्यायप्रिय
वे निर्णय लेने में पीछे नहीं हटतीं।
लेकिन हर निर्णय नैतिकता, संवैधानिकता और जनहित के आधार पर लेती हैं।
ग्लोबल लेकिन जड़ से जुड़ीं
वे संयुक्त राष्ट्र, NATO और G7 जैसे मंचों पर सक्रिय हैं।
लेकिन उन्हें भारतीय मंदिरों, संगीत और संस्कृति से गहरा लगाव है।
भारतीय मूल के लोगों का गौरव
कनाडा और अमेरिका में बसे प्रवासी भारतीयों के लिए अनिता आनंद एक रोल मॉडल बन चुकी हैं। खासकर भारतीय महिलाएँ उन्हें देखकर राजनीति में आने की प्रेरणा ले रही हैं।
भविष्य का दृष्टिकोण
कनाडा की विदेश नीति को नया आकार
Anita Anand कनाडा की विदेश नीति को केवल सुरक्षा और व्यापार आधारित नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और मानवतावादी दृष्टिकोण से आगे बढ़ा रही हैं।
भारत के साथ 21वीं सदी की साझेदारी
वे मानती हैं कि भारत और कनाडा का भविष्य साझा है, और आने वाले दशक में यह साझेदारी:
शिक्षा-प्रौद्योगिकी सहयोग में अग्रणी होगी।
महिला नेतृत्व और लोकतंत्र के वैश्विक मॉडल के रूप में उभरेगी।
निष्कर्ष: नेतृत्व, संघर्ष और आत्मगौरव की प्रतीक अनिता आनंद
अनिता आनंद केवल कनाडा की पहली हिंदू विदेश मंत्री नहीं हैं, बल्कि वे भारतीय मूल की महिलाओं के लिए एक प्रेरणास्त्रोत, ग्लोबल लीडरशिप का आधुनिक चेहरा, और नैतिक, शांतिपूर्ण लेकिन दृढ़ राजनीतिक दृष्टिकोण की मिसाल हैं।
उनकी कहानी एक प्रवासी परिवार की साधारण पृष्ठभूमि से निकलकर वैश्विक मंच पर प्रभाव डालने की कहानी है।
उन्होंने न सिर्फ कनाडा की राजनीति में महिलाओं और अल्पसंख्यकों की भूमिका को मजबूत किया, बल्कि भारत-कनाडा संबंधों में भी नई ऊर्जा और गरिमा भरी।
उनकी सोच, जिसमें कूटनीति के साथ-साथ करुणा, न्याय और संस्कृति का समावेश है, उन्हें परंपरागत राजनेताओं से अलग बनाता है।
वे न तो अतीत को भूलती हैं, न ही भविष्य से डरती हैं।
उनका नेतृत्व हमें सिखाता है कि सांस्कृतिक पहचान को साथ रखते हुए भी एक वैश्विक नेता बना जा सकता है।
आज जब दुनिया अस्थिरता, विभाजन और टकराव के दौर से गुजर रही है, तब अनिता आनंद जैसे नेता यह विश्वास दिलाते हैं कि
“शांति, संवाद और संवेदना के साथ भी दुनिया बदली जा सकती है।”
इसलिए, अनिता आनंद को सिर्फ एक राजनेता नहीं, बल्कि 21वीं सदी की नैतिक और प्रेरणादायक शक्ति कहना अधिक सटीक होगा।
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