Anush Agarwalla ने पहली बार जर्मनी में दिलाई भारत को Dressage में जीत – 26-year-old Indian rider shines
प्रस्तावना (Introduction)
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Toggleजब किसी देश का युवा अंतरराष्ट्रीय खेल मंच पर एक नया इतिहास रचता है, तो वह सिर्फ अपनी जीत नहीं बल्कि पूरे राष्ट्र की शान बढ़ाता है। ऐसी ही एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है Anush Agarwalla ने। आज हर खेल प्रेमी के जुबान पर एक ही पंक्ति है – “26-year-old Indian rider secures first dressage event win in Germany”।

यह जीत सिर्फ एक प्रतियोगिता नहीं थी, बल्कि भारतीय घुड़सवारी के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय है। इस Article में हम अनुष अग्रवाला की पूरी यात्रा, प्रशिक्षण, घोड़ी Floriana के साथ उनके तालमेल, उनकी जीत का महत्व और भारत में घुड़सवारी के भविष्य पर चर्चा करेंगे।
कौन हैं Anush Agarwalla?
Anush Agarwalla, कोलकाता से ताल्लुक रखने वाले एक युवा घुड़सवार हैं। उनका जन्म 23 नवंबर 1999 को हुआ था। जब अधिकांश बच्चे स्कूल और खेलों में व्यस्त रहते हैं, तब 3 साल की उम्र से ही अनुष ने घुड़सवारी शुरू कर दी थी।
शुरुआती ट्रेनिंग:
कोलकाता के प्रतिष्ठित La Martiniere स्कूल में पढ़ाई की।
स्थानीय राइडिंग क्लब से शुरुआत की और धीरे-धीरे पेशेवर घुड़सवार बनने का सपना संजोया।
इन्हीं सपनों को सच करने की दिशा में पहला कदम बना – “26-year-old Indian rider secures first dressage event win in Germany”।
ड्रेसाज: एक कला, एक खेल
इससे पहले कि हम अनुष की उपलब्धियों की बात करें, जरूरी है समझना कि ड्रेसाज (Dressage) क्या होता है।
Dressage को घुड़सवारी की सबसे शुद्ध कला माना जाता है, जहां घोड़ा और सवार एक साथ सिंक्रोनाइज़ होकर विशेष चालों का प्रदर्शन करते हैं। यह तकनीक, अनुशासन और परिश्रम का सर्वोच्च उदाहरण है।
इसलिए जब कोई 26-year-old Indian rider secures first dressage event win in Germany, तो वह न सिर्फ जीतता है, बल्कि भारत को उस प्लेटफॉर्म पर ले जाता है जहां हम पहले कभी नहीं पहुंचे।
जर्मनी में प्रशिक्षण – सपनों की उड़ान
अनुष ने सिर्फ भारत में रहकर घुड़सवारी नहीं सीखी। 17 साल की उम्र में वे जर्मनी चले गए ताकि वे प्रोफेशनल ट्रेनिंग ले सकें। वहां उन्होंने प्रसिद्ध कोच Hubertus Schmidt से ट्रेनिंग ली।
क्यों जर्मनी?
जर्मनी को ड्रेसाज का गढ़ माना जाता है। यहां जाकर प्रशिक्षित होना किसी भी राइडर के लिए गोल्डन चांस होता है।
यहां से शुरू हुई उस ऐतिहासिक यात्रा की नींव, जो आज हमें कहने देती है – “26-year-old Indian rider secures first dressage event win in Germany”।
प्रतियोगिता का नाम: Jubilaumsturnier Hofgeismar Open
यह वही जगह है जहां भारतीय घुड़सवारी का इतिहास बदला। Jubilaumsturnier Hofgeismar Open, एक प्रतिष्ठित ड्रेसाज प्रतियोगिता है जिसमें मुख्य रूप से जर्मन और यूरोपीय राइडर्स भाग लेते हैं।
प्रदर्शन:
स्कोर: 69.891%
स्थान: पहला
साथी: Floriana (7 वर्षीया घोड़ी)
और यह वह क्षण था जब पूरी दुनिया ने देखा – 26-year-old Indian rider secures first dressage event win in Germany।
Floriana – जीत की असली साथी
Floriana एक शानदार, युवा और मजबूत डच घोड़ी है जिसकी उम्र केवल 7 साल है। लेकिन उसकी सवार के प्रति निष्ठा और परफॉर्मेंस देखकर किसी को नहीं लगता कि ये सिर्फ दूसरा S-level इवेंट था।
अनुष के शब्दों में:
“It was only our second S-level show, and she did phenomenal. I see a bright future with Floriana.”
और सच में, जब 26-year-old Indian rider secures first dressage event win in Germany, तो Floriana की भूमिका को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
क्या कहती है ये जीत?
इस जीत ने भारत को एक नई पहचान दी है। यह दिखाता है कि भारत अब ड्रेसाज जैसे नाज़ुक लेकिन प्रतिष्ठित खेलों में भी अपना स्थान बना रहा है।
26-year-old Indian rider secures first dressage event win in Germany सिर्फ एक न्यूज हेडलाइन नहीं, बल्कि भारत की अंतरराष्ट्रीय खेल पहचान का एक उदाहरण बन चुका है।
भारत में ड्रेसाज की स्थिति
अब तक भारत में घुड़सवारी मुख्यतः पोलो और इवेंटिंग तक ही सीमित रही है। लेकिन अनुष अग्रवाला जैसे खिलाड़ियों ने इसे अब ड्रेसाज तक पहुंचाया है।
उनकी जीत ने यह साबित कर दिया कि यदि सही प्रशिक्षण, इच्छा और मेहनत हो, तो 26-year-old Indian rider secures first dressage event win in Germany जैसी उपलब्धियां भारत से भी संभव हैं।
ओलंपिक और अनुष अग्रवाला
Paris Olympics 2024 में अनुष ने भारत का प्रतिनिधित्व किया। Anush Agarwalla पहले Indian Dressage Rider हैं जिन्होंने ओलंपिक लेवल पर भाग लिया।
हालांकि वे फाइनल राउंड तक नहीं पहुंचे, परंतु यह अनुभव और उनका जोश उन्हें आगे और मजबूत बनाएगा। और इससे पहले ही – 26-year-old Indian rider secures first dressage event win in Germany – इस रिकॉर्ड से वह ओलंपियन बन चुके हैं।
सोशल मीडिया और प्रेरणा
आज Anush Agarwalla का इंस्टाग्राम और सोशल मीडिया उनके ड्रेसाज के सफर की झलकियां पेश करता है।
उनकी पोस्ट:
“Winner Winner Chicken Dinner! First win for Floriana and myself at our 2nd S-level ride!”
जब 26-year-old Indian rider secures first dressage event win in Germany, तो वह सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं जीतते, वे हर युवा को प्रेरणा भी देते हैं।

भारतीय खेल नीति में बदलाव का संकेत
भारत में अब घुड़सवारी को एक पेशेवर खेल के रूप में देखा जा रहा है। और इसका मुख्य कारण है – 26-year-old Indian rider secures first dressage event win in Germany जैसी ऐतिहासिक उपलब्धियाँ।
आगामी योजनाएँ
Anush Agarwalla अब Grand Prix ड्रेसाज के लिए तैयारी कर रहे हैं। उनका उद्देश्य है:
World Equestrian Games
Asian Games 2026
2028 Los Angeles Olympics
और तब शायद फिर से दुनिया कहेगी – 26-year-old Indian rider secures first dressage event win in Germany और आगे भी।
निष्कर्ष (Conclusion)
Anush Agarwalla की सफलता इस बात का जीवंत प्रमाण है कि जुनून, समर्पण और निरंतर अभ्यास के दम पर कोई भी भारतीय युवा विश्व पटल पर अपनी पहचान बना सकता है। जब 26-year-old Indian rider secures first dressage event win in Germany, तो यह सिर्फ एक व्यक्तिगत जीत नहीं होती, यह भारत के घुड़सवारी खेल में एक क्रांतिकारी मोड़ होता है।
Anush Agarwalla की यह जीत बताती है कि भारतीय खिलाड़ी अब पारंपरिक खेलों की सीमाओं को तोड़कर नए और चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में भी अपना परचम लहरा रहे हैं। ड्रेसाज जैसे तकनीकी, शुद्ध और पश्चिम-प्रधान खेल में भारत की यह मौजूदगी भविष्य में और भी नई ऊँचाइयों को छुएगी।
Floriana जैसी युवा घोड़ी के साथ उनकी यह दूसरी प्रतियोगिता और पहली जीत बताती है कि यह तो सिर्फ शुरुआत है। आने वाले वर्षों में जब विश्व मंच पर बार-बार यह गूंजेगा – “26-year-old Indian rider secures first dressage event win in Germany”, तब दुनिया भारत की घुड़सवारी ताकत को पूरी गंभीरता से देखेगी।
इस सफलता से प्रेरित होकर अब भारत को चाहिए एक मज़बूत घुड़सवारी इंफ्रास्ट्रक्चर, युवा प्रतिभाओं को गाइडेंस और वैश्विक मंच पर नियमित भागीदारी। अनुष अग्रवाला ने रास्ता दिखा दिया है, अब देश की बारी है इस दिशा में मजबूत क़दम उठाने की।
“एक घोड़ा, एक सवार, और एक लक्ष्य – देश का नाम रोशन करना!”
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