ATMA योजना: तकनीक, प्रशिक्षण और तरक्की से खेती को नई दिशा
ATMA योजना: आधुनिक भारत का कृषि क्रांति मॉडल
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!भूमिका: जब खेती बनी बदलाव की ज़मीन
भारत एक कृषि प्रधान देश है – यह वाक्य हमने स्कूल से लेकर आज तक बार-बार सुना है। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि इस कृषि प्रधान देश का किसान आज भी मौसम, मंडी और मुनाफे के चक्रव्यूह में फंसा क्यों है?
इसका बड़ा कारण है – तकनीक और जानकारी की कमी। और इसी कमी को दूर करने के लिए सरकार ने जो सबसे महत्वपूर्ण योजना शुरू की, उसका नाम है – ATMA योजना।
ATMA का मतलब क्या है?
ATMA का पूरा नाम है – Agricultural Technology Management Agency, जिसे हिंदी में कहा जाता है – कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण। यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो किसानों और कृषि विशेषज्ञों को आपस में जोड़ता है, ताकि किसान सिर्फ खेती न करे, स्मार्ट खेती करे।
ATMA योजना की शुरुआत: क्यों और कब हुई?
साल 2005 में, जब भारत में हरित क्रांति की उपलब्धियाँ थमने लगी थीं और किसान फिर से असुरक्षित महसूस करने लगे थे, तब इस योजना की नींव रखी गई। इसका मकसद था – “खेत से लेकर बाजार तक” की प्रक्रिया को वैज्ञानिक, तकनीकी और समन्वित बनाना।
यह योजना हरित क्रांति – कृषोन्नति योजना के तहत आती है और इसे केंद्र व राज्य सरकार मिलकर लागू करती हैं।
ATMA योजना का मूल उद्देश्य
किसानों को नई तकनीकों से अवगत कराना
क्षेत्रीय जरूरतों के हिसाब से खेती के स्थानीय समाधान देना
प्रशिक्षण, प्रदर्शन और दौरे के माध्यम से किसानों की समझ बढ़ाना
खेती को लाभकारी और व्यवस्थित व्यवसाय बनाना
ATMA योजना का काम करने का तरीका
ATMA योजना की सबसे खास बात है इसका जिला-स्तरीय मॉडल। हर जिले में एक ATMA संस्था बनाई जाती है, जिसके सदस्य होते हैं:
जिला कलेक्टर (अध्यक्ष)
कृषि विभाग के अधिकारी
प्रगतिशील किसान
महिला किसान प्रतिनिधि
कृषि वैज्ञानिक
यह समूह मिलकर तय करता है कि जिले में कौन-सी फसल पर काम होगा, कौन से किसान प्रशिक्षण लेंगे और कहाँ पर प्रदर्शन प्लॉट बनाया जाएगा।
योजना की प्रमुख गतिविधियाँ
(i) प्रशिक्षण कार्यक्रम
किसानों को खेती के नए तरीकों, जैसे – ड्रिप इरिगेशन, जैविक खेती, एकीकृत कीट नियंत्रण, बागवानी, मशरूम उत्पादन, मत्स्य पालन आदि पर प्रशिक्षण दिया जाता है।
(ii) प्रदर्शन प्लॉट
आपको किसी बात पर यकीन तब होता है जब आप उसे अपनी आँखों से देख लें। ATMA योजना इसी को समझता है। किसानों के खेतों पर प्रदर्शन किए जाते हैं जिससे अन्य किसान भी सीख सकें।

(iii) एक्सपोज़र विज़िट
किसानों को दूसरे राज्यों या जिलों में ले जाकर वहां की कृषि प्रणाली दिखाई जाती है। इससे वे सीखते हैं कि एक ही ज़मीन से कई गुना मुनाफा कैसे कमाया जा सकता है।
(iv) किसान गोष्ठियाँ और मेलें
विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों और किसानों के बीच संवाद को बढ़ावा देने के लिए किसान मेलों और कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है।
(v) ICT (डिजिटल मदद)
अब किसान को सलाह सिर्फ ‘पंचायत’ में नहीं, मोबाइल ऐप, SMS, WhatsApp ग्रुप, और हेल्पलाइन नंबर से भी मिल रही है।
2025 की ताज़ा स्थिति और आंकड़े
अब तक 23 लाख से अधिक किसान ATMA योजना से सीधे जुड़ चुके हैं।
लगभग 70% से अधिक जिलों में ATMA सक्रिय रूप से काम कर रही है।
महिला किसानों की भागीदारी में 35% तक वृद्धि दर्ज की गई है।
2024-25 में सरकार ने ATMA समेत अन्य कृषि योजनाओं के लिए ₹1.22 लाख करोड़ का बजट आवंटित किया।
2025 में AI आधारित निर्णय प्रणाली भी शामिल की जा रही है ताकि किसानों को बेहतर सलाह मिल सके।
किसानों के अनुभव: बदली तस्वीर
(i) बिहार के मुजफ्फरपुर से शंभू यादव
पहले पारंपरिक तरीके से गेहूं की खेती करते थे, अब ATMA योजना की मदद से सब्ज़ियों की मल्चिंग तकनीक से दोगुनी आमदनी ले रहे हैं।
(ii) मध्य प्रदेश की रचना पटेल
ATMA के ट्रेनिंग से गुलाब की खेती और तेल निकालने की यूनिट शुरू की – अब गांव की 20 महिलाओं को भी रोज़गार दे रही हैं।
(iii) महाराष्ट्र के लातूर से सुरेश देशमुख
पहले सूखा क्षेत्र में संघर्ष कर रहे थे, अब ड्रिप सिंचाई और फसल विविधीकरण से 3 गुना तक मुनाफा बढ़ा चुके हैं।
योजना की ताकत: क्या बदला किसानों के लिए?
खेती सिर्फ जीविका नहीं, अब लाभकारी व्यवसाय बन रही है।
किसान अब वैज्ञानिक सोच के साथ खेती कर रहा है।
बिचौलियों पर निर्भरता घटी है, मंडी तक सीधा संपर्क बना है।
नई पीढ़ी अब खेती को अपनाने लगी है – क्योंकि अब इसमें भविष्य है।
चुनौतियाँ और समाधान
(i) चुनौतियाँ:
कई जिलों में ATMA योजना की जानकारी ही नहीं पहुँच पाई।
ICT का उपयोग हर किसान नहीं कर पा रहा।
बजट का पूरा उपयोग नहीं हो पाता।
(ii) समाधान:
पंचायत स्तर पर ATMA सेल बनाना चाहिए।
मोबाइल उपयोग के लिए स्थानीय भाषा में ट्रेनिंग देना ज़रूरी है।
फीडबैक सिस्टम से काम की समीक्षा होनी चाहिए।
भविष्य की दिशा: 2030 तक का लक्ष्य
सरकार अब ATMA को सिर्फ खेती तक सीमित नहीं रखना चाहती, बल्कि इसके ज़रिए:
Agri-Entrepreneurship को बढ़ावा देना
Value Addition और फसल प्रसंस्करण को शामिल करना
AI और सैटेलाइट डेटा के ज़रिए खेती को और सटीक बनाना
राज्यवार उपलब्धियाँ और मॉडल उदाहरण
भारत में ATMA योजना को हर राज्य में लागू किया गया है, लेकिन कुछ राज्यों ने इसे विशेष मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया है, जिनसे बाकी प्रदेशों ने भी प्रेरणा ली है:
(i) पंजाब – तकनीकी प्रगति की मिसाल
पंजाब में ATMA के तहत फसल विविधीकरण को बढ़ावा दिया गया।
गेहूं-धान चक्र को तोड़कर किसानों को दलहन, तिलहन और बागवानी की ओर आकर्षित किया गया।
कृषि उपकरण बैंक (Custom Hiring Centers) ATMA की ही पहल से शुरू किए गए।
(ii) तमिलनाडु – ICT का प्रभावी उपयोग
मोबाइल SMS सेवा, किसान पोर्टल, और वीडियो आधारित प्रशिक्षण से किसान घर बैठे जानकारी पा रहे हैं।
महिला किसानों के लिए विशेष ‘Women Farmer Clubs’ बनाए गए हैं।
(iii) झारखंड – आदिवासी इलाकों में परिवर्तन
पिछड़े और आदिवासी बहुल जिलों में ATMA ने महिलाओं को स्वरोज़गार से जोड़ा।
लाह, शहद, बकरी पालन और बांस उद्योग में प्रशिक्षण देकर नई आजीविका के द्वार खोले।
iv) उत्तर प्रदेश – गन्ना किसानों की सहायता
गन्ना आधारित खेती में जैविक उर्वरकों और ड्रिप सिंचाई को बढ़ावा।
प्रशिक्षण शिविरों के ज़रिए नई किस्मों की जानकारी दी गई।
नीतिगत बदलाव और सहयोगी योजनाएँ
ATMA योजना को केवल अकेले नहीं चलाया जाता, यह अन्य योजनाओं के साथ एकीकृत रूप में काम करती है:
(i) राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY)
इसके साथ मिलकर ATMA राज्य स्तरीय कृषि नवाचारों को प्रोत्साहित करती है।
(ii) प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY)
ATMA के माध्यम से ड्रिप व स्प्रिंकलर सिस्टम की जानकारी किसानों तक पहुंचती है।
(iii) मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना
मृदा परीक्षण और उसकी रिपोर्ट के आधार पर किसान को सही उर्वरक और फसल चुनने में मदद दी जाती है।
(iv) ई-नाम (e-NAM)
मंडी से जुड़ाव की सुविधा देकर बिचौलियों पर निर्भरता घटाई गई।
ATMA और महिला सशक्तिकरण
ATMA योजना ने विशेष रूप से महिला किसानों के लिए रास्ता खोला है, जो पहले खेत में काम तो करती थीं, लेकिन नीति निर्माण और प्रशिक्षण से वंचित थीं।
महिला कृषक समूह (Women Farmer Interest Groups) बनाए गए।
महिलाओं को सिलाई, मशरूम उत्पादन, मधुमक्खी पालन और प्रसंस्करण यूनिट का प्रशिक्षण दिया गया।
कई राज्यों में महिलाओं के लिए पार्ट टाइम एग्री-उद्यमिता के अवसर पैदा किए गए हैं।
युवाओं के लिए ATMA – खेती को करियर बनाना
जहां एक ओर गांवों से युवा शहरों की ओर पलायन कर रहे थे, ATMA ने खेती को प्रोफेशनल करियर विकल्प बना कर उन्हें लौटाया है:
एग्री-बिजनेस मॉडल के लिए ट्रेनिंग
Agri Startups की मदद के लिए जिला स्तर पर सहयोग
Digital Farming, Drone Technology, AI आधारित Decision Support की ट्रेनिंग
ATMA योजना की समीक्षा (Impact Assessment)
कई संस्थाओं और विश्वविद्यालयों द्वारा इस योजना का मूल्यांकन किया गया, जिनके अनुसार:
80% किसान मानते हैं कि योजना से उनकी जानकारी में सीधा लाभ हुआ।
60% किसानों की आमदनी में सुधार देखा गया।
45% किसान अब ICT आधारित निर्णय लेते हैं।
35% किसान जैविक या प्राकृतिक खेती की ओर शिफ्ट हुए हैं।
ATMA के साथ भविष्य की संभावनाएँ
सरकार ATMA को नई कृषि नीति के तहत और भी मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है:
AI आधारित Decision System
डिजिटल खेत मानचित्रण
स्मार्ट फार्मिंग टूलकिट
राष्ट्रीय किसान डेटाबेस से सीधा लिंक
सुझाव: योजना को और प्रभावी कैसे बनाएं?
- ग्राम स्तर तक ATMA की इकाई बनानी चाहिए।
- मोबाइल ऐप को सरल भाषा और स्थानीय बोलियों में लाना चाहिए।
- योजना का प्रचार-प्रसार जनभागीदारी से होना चाहिए।
- कृषि विद्यालयों और कॉलेजों को इससे जोड़कर युवाओं को शामिल किया जाए।

आत्मनिर्भर भारत और ATMA की भूमिका
ATMA योजना प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत मिशन का एक अहम हिस्सा बन चुकी है:
कृषि आधारित स्टार्टअप्स को बूस्ट करने में मददगार।
स्थानीय उत्पादन, स्थानीय समाधान और वैश्विक पहचान के मॉडल को बढ़ावा दे रही है।
हर किसान को अपने गांव में ही प्रशिक्षण, तकनीक और बाजार उपलब्ध करवा रही है।
नई तकनीकों के साथ ATMA का मेल
ATMA योजना अब धीरे-धीरे नवीनतम टेक्नोलॉजी के साथ समन्वय स्थापित कर रही है:
(i) Artificial Intelligence (AI)
किसानों को फसल चयन, कीट प्रबंधन और मौसम पूर्वानुमान में सहायता देने के लिए AI आधारित ऐप्स तैयार किए जा रहे हैं।
(ii) Internet of Things (IoT)
स्मार्ट सेंसर्स से खेत की मिट्टी की नमी, तापमान आदि की जानकारी रीयल टाइम में मिल रही है।
(iii) Blockchain Technology
कृषि उत्पादों की ट्रेसबिलिटी के लिए ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित सिस्टम बनाने की तैयारी है।
भविष्य का रोडमैप – ATMA V2.0 की तैयारी
भारत सरकार अब ATMA को एक ‘Mission Mode’ में ले जाने की योजना बना रही है। इसके तहत:
हर जिले में स्थायी ATMA ऑफिस
एकीकृत डिजिटल पोर्टल
फार्मर हेल्पलाइन और लाइव सेमिनार
कृषि विश्वविद्यालयों और निजी क्षेत्रों के साथ साझेदारी
किसानों की भागीदारी ही असली सफलता की कुंजी
ATMA योजना में एक बेहद महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें नीति निर्माण से लेकर क्रियान्वयन तक किसान शामिल हैं। यह “बॉटम-अप एप्रोच” है – यानी योजना गांव से शुरू होकर ऊपर तक जाती है।
इसका लाभ यह हुआ कि:
योजनाएँ स्थानीय जरूरतों के अनुसार ढलीं।
ग्राम स्तर पर योजनाओं की निगरानी और मूल्यांकन संभव हुआ।
किसानों को योजनाओं में अपना योगदान महसूस हुआ, जिससे आत्मविश्वास बढ़ा।
निष्कर्ष: ATMA – किसान की ताकत, भारत की आत्मनिर्भरता की नींव
ATMA योजना ने सच में भारतीय खेती की तस्वीर बदल दी है। अब किसान सिर्फ बीज बोने वाला नहीं, बल्कि प्रबंधक, नवप्रवर्तक और उद्यमी बन चुका है।
यह योजना केवल सरकारी दस्तावेज़ नहीं है, यह गाँव की मिट्टी से निकल रही एक नई सोच है – जो किसान को आत्मनिर्भर, जागरूक और समृद्ध बना रही है।
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