Beej Utsav 2025: भारत के Tribal Farmers का Seed Festival जो बदल रहा है खेती का भविष्य

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Beej Utsav 2025: कैसे यह बीज उत्सव बना किसानों की आत्मनिर्भरता की मिसाल

परिचय: बीज में बसे संस्कृतियाँ, चार दिन में जागी आत्मा

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Beej Utsav 2025 का आयोजन 4 जून को प्रारम्भ होकर 7 जून 2025 तक राजस्थान–मध्य प्रदेश–गुजरात के त्रि-राज्य क्षेत्र में स्थित आदिवासी इलाकों में हुआ।

यह उत्सव स्थानीय संस्कृति, प्राकृतिक खेती और जैव-विविधता की रक्षा के उद्देश्य से आयोजित एक शक्तिशाली पहल थी। इसे Vaagdhara, Krishi‑Adivasi Swaraj Sangathan सहित अनेक सामाजिक एवं किसान संघों ने मिलकर आयोजित किया ।

मुख्य हाइलाइट्स:

6,229+ किसान, महिलाएँ, युवा और बच्चे उपस्थित

116+ पारंपरिक बीज किस्मों का आदान-प्रदान एवं प्रदर्शन

60+ गतिविधियां — वीड सत्र, बायोडायवर्सिटी फेयर, बीज-पोस्ता निर्माण और वृक्षारोपण

आयोजन स्थल और उद्देश्य

कौन-कहाँ-कब:

समय: 4 – 7 जून 2025

स्थान: राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात के आदिवासी क्षेत्रों का त्रि‑सीमा इलाका, जिसमें विशेष रूप से Banswara, Jhabua और Dahod जिलों का समावेश रहा ।

उद्देश्य:

  1. लोकल बीज विविधता की रक्षा
  2. किसान आत्मनिर्भरता को पुनर्जीवित करना
  3. पारंपरिक कृषि प्रथाएं और आदिवासी संस्कृति को बढ़ावा देना

बीजों का आदान-प्रदान: जीवन का बीज, शुरूआत की मूर्त इकाई

आदान-प्रदान का ढांचा:

किसान अपने घरों से स्थानीय बीज लेकर आए और उन्हें ‘Seed Exchange Booths’ पर रखने के साथ उनकी जानकारी साझा की।

अन्य किसान, विशेषज्ञ और शोधकर्ता उनसे परामर्श कर बीजों का आदान-प्रदान करते साथ ही उनकी वैज्ञानिक पहचान एवं उपयुक्त खेती की जानकारी ली।

प्रदर्शित बीज:

मक्का (Desi Maize) – खेती व चारे के लिए

बाजरा/छिछोलिया मिलेट्स – सूखा एवं गरमी सहने में सक्षम

चना, अरहर, मूंग, राजमा – उच्च पोषण एवं पारंपरिक स्वाद

आंवला, करेला, नारी भाजी आदि – औषधीय गुणों से भरपूर

इस प्रक्रिया से क़रीब 116 से अधिक पारंपरिक किस्में किसानों के बीच बीज-ज्ञान के साथ हस्तांतरित हुई ।

Beej Utsav 2025: भारत के Tribal Farmers का Seed Festival जो बदल रहा है खेती का भविष्य
Beej Utsav 2025: भारत के Tribal Farmers का Seed Festival जो बदल रहा है खेती का भविष्य

ज्ञान-सत्र, कार्यशालाएँ और अनुभव साझा

मुख्य सत्र:

Biodiversity Fair: पारंपरिक बीजों पर वैज्ञानिक पहचान, स्थानीय चिकित्सा-उपयोग, प्रयोग एवं संग्रहण के तरीके

Seed Dialogues: पौष्टिक बीज, बाजार की लागत और इसके आर्थिक-पर्यावरणीय लाभ पर साक्षात्कार आधारित चर्चाएं

Seed Ball Making & Plantation: बच्चों और युवाओं के लिए पर्यावरणीय जागरूकता बढ़ाने की तकनीक शेयरिंग

सभी सत्र आदिवासी खेती और पारम्परिक कृषि विज्ञान के संरक्षण की मूल भावना से प्रेरित थे।

सांस्कृतिक जुड़ाव: ग्राम-जीवन का संगीत, लोककला और उत्साह

सांस्कृतिक कार्यक्रम:

गूलर, बैजनी, पखवाज, तबला जैसे लोकवाद्य

ग्रामीण नृत्य—भील एवं स्थानीय गीत

मिट्टी की कला, हस्तशिल्प प्रदर्शनी

कबड्डी, गुलेल, लकड़ी मिलाकर बनाए खेल

इससे उत्सव को सिर्फ एक वैज्ञानिक आयोजन न रहकर ग्राम-जीवन का उत्सव सा जीवंत स्वरूप मिला।

पर्यावरणीय असर: जैव विविधता, कार्बन ऑफसेट और प्राकृतिक तालमेल

स्थानीय किस्मों के लाभ:

जैव विविधता: विविध बीजों से खेती की सहनशीलता बढ़ी, प्राकृतिक आपदाओं जैसे सूखा और कीट संक्रमण से मुकाबला।

कार्बन फुटप्रिंट: कम रसायन उपयोग एवं न्यून तैलीय रसायनों से कम पर्यावरणीय प्रभाव

स्थानीय आत्मनिर्भरता: किसान स्वतंत्र रूप से बीज जुटा पा रहे हैं, महंगे हाइब्रिड बीज पर निर्भरता घट रही

आर्थिक और सामाजिक लाभ: सशक्त, आत्मनिर्भर, जुड़ा समुदाय

स्थायित्व और आत्मनिर्भरता:

स्थानीय बीजों से खेती पर लागत घटी, मार्केट-डिपेंडेंसी में कमी

आदिवासी स्वयं के बीजों पर आधारित खेती

सामाजिक प्रभाव:

Beej Mitra (Seed Friends) — स्थानीय किसान जिन्होंने विशेष रूप से बीज संरक्षित किए, उन्हें सम्मानित किया गया ।

महिलाएं प्रमुख भूमिका में: Seed और Plantation कार्यों में सक्रिय

सामुदायिक नेटवर्क मजबूत: किसान गुटों में साझेदारी और नवाचार पर चर्चा

चुनौतियाँ — मार्गदर्शन के समाधान

समस्या                                                              प्रस्तावित समाधान

विरासत बीज संकटग्रस्त                                        सामुदायिक Seed Bank की स्थापना

युवा जुड़ाव कम                                                    स्कूल-स्तर पर पारंपरिक कृषि को पढ़ाना

डिजिटल डेटा की कमी                                           मोबाईल ऐप, पोर्टल से बीज डेटाबेस स्थापित

सरकारी योजनाओं की पहुँच                                     ग्राम स्तर पर फंडिंग एवम सोशल मॉडल निर्मित

आगे की राह: बीज उत्सव से आंदोलन की ओर

दीर्घकालिक उद्देश्य:

1. वर्षवार Seed Fest — हर साल विभिन्न गांवों में Beej Utsav

2. डिजिटल बीज-पोर्टल — मोबाइल/वेब आधारित रिकॉर्डिंग

3. Beej Bank Initiatives — जन आधारित बीज बैंक

4. नीतिगत भागीदारी — पारंपरिक बीजों की सरकारी स्वीकृति हेतु

5. सामाजिक मीडिया एवं ब्लॉग अभियान — जागरूकता व किसानों के अनुभव साझा करना

बच्चों और युवाओं की भूमिका: बीज की कहानी से शिक्षा की खेती तक

Beej Utsav में केवल किसान ही नहीं, बल्कि स्कूली बच्चों और युवाओं को भी शामिल किया गया। इसका उद्देश्य था – ‘बीज से भविष्य की पढ़ाई’।

मुख्य पहल:

गांव के स्कूलों में बीज आधारित शिक्षा सत्र (Seed Literacy Programs)

छात्रों द्वारा बनाए गए बीज पोस्टर, चार्ट और बीज डायरियाँ

“एक छात्र – एक बीज” अभियान की शुरुआत

बीज थीम पर कहानियाँ और ड्राइंग प्रतियोगिताएँ

लाभ:

बच्चों में प्रकृति के प्रति जुड़ाव

पीढ़ियों में पारंपरिक कृषि ज्ञान का संक्रमण

नई सोच और नवाचार के बीज बोना

> “बीज सिर्फ अन्न नहीं उगाता, सोच भी उगाता है।”

आंकड़ों में बीज उत्सव: एक नजर में

विवरण                                    संख्या

उपस्थित किसान                       6,229+
प्रदर्शित बीज किस्में                   116+
महिला भागीदारी                       60% से अधिक
बीज मित्र सम्मानित                    150+ किसान
वृक्षारोपण                                 5,000+ पौधे
ज्ञान कार्यशालाएं                        60+
सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ                  30+ कार्यक्रम
बच्चों की भागीदारी                    1,800+ छात्र

बीज उत्सव से जुड़े प्रभावशाली चेहरे और आवाज़ें

कुछ प्रेरक व्यक्तित्व जिन्होंने कार्यक्रम को विशेष बनाया:

बाँसवाड़ा की ‘रामो बाई’, जिन्होंने 40 वर्षों से पारंपरिक मक्का संरक्षित किया।

झाबुआ के ‘नरेंद्र भाई’, जो “बीज बैंक ऑन बाइसिकल” मॉडल पर काम कर रहे हैं।

गुजरात की युवा छात्रा ‘मीरा’, जिसने स्कूल में ही बीज संग्रहालय बना डाला।

इन कहानियों ने “Beej Utsav” को एक जीवंत अनुभव में बदल दिया – जहां हर व्यक्ति प्रेरणा का स्रोत बन गया।

बीज उत्सव और आत्मनिर्भर भारत अभियान

यह उत्सव आत्मनिर्भर भारत के ‘लोकल टू ग्लोबल’ दृष्टिकोण का भी सशक्त उदाहरण है।
क्यों?

कारण:

बीज उत्पादन में आत्मनिर्भरता

प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण

ग्राम आधारित आर्थिक मॉडल

महिलाओं और युवाओं की भागीदारी

स्थानीय ज्ञान को अंतरराष्ट्रीय पहचान देने की पहल

Beej Utsav जैसे आयोजन भारत को कृषि विज्ञान और ग्राम विकास के नए मॉडल की ओर ले जा रहे हैं।

Beej Utsav से जुड़े भविष्य के प्रयास

B2B (Beej-to-Beej) नेटवर्क:

गांव से गांव तक बीज मित्रों की श्रृंखला बनाकर नेटवर्किंग की जा रही है।

डिजिटल बीज बैंक पोर्टल:

QR कोड आधारित बीज रजिस्ट्रेशन, उपयुक्तता, मौसम, और किसान विवरण उपलब्ध कराना।

जैविक प्रयोगशालाएं:

प्रत्येक जिले में “Mini Lab for Seed Testing” बनाने की योजना – बीज की गुणवत्ता की जांच onsite हो सके।

Beej Utsav 2025: भारत के Tribal Farmers का Seed Festival जो बदल रहा है खेती का भविष्य
Beej Utsav 2025: भारत के Tribal Farmers का Seed Festival जो बदल रहा है खेती का भविष्य

राष्ट्रीय बीज नीति में स्थानीय बीजों को स्थान:

स्थानीय बीजों की पहचान को वैधानिक रूप से मान्यता दिलाना ताकि किसान उन्हें खुले तौर पर बेच सकें।

निष्कर्ष: बीज उत्सव – परंपरा, प्रकृति और परिवर्तन का संगम

Beej Utsav 2025 केवल एक उत्सव नहीं था, बल्कि यह एक आंदोलन था — ऐसा आंदोलन जो हमारी कृषि, प्रकृति और समाज को मूल जड़ों से जोड़ने की कोशिश करता है। इस चार दिवसीय आयोजन ने यह स्पष्ट कर दिया कि:

  1. स्थानीय बीज सिर्फ उत्पादन का साधन नहीं, जीवन की संस्कृति हैं।
  2. आदिवासी ज्ञान-विज्ञान आज भी प्रासंगिक और टिकाऊ है।
  3. कृषि केवल खेत की बात नहीं, समाज, परंपरा और पर्यावरण से जुड़ी एक संपूर्ण व्यवस्था है।
  4. महिलाएं, बच्चे और युवा यदि बीजों की रक्षा में आगे आएं, तो देश की खाद्य सुरक्षा भविष्य में और भी मजबूत होगी।

Beej Utsav ने हर उस व्यक्ति को एक मंच दिया, जो खेती को सिर्फ मुनाफे के लिए नहीं, समर्पण और समाज सेवा के लिए देखता है।

इस आयोजन ने यह संदेश दिया कि ‘हर किसान, हर छात्र और हर नागरिक बीज रक्षक बन सकता है’ — बस ज़रूरत है जानकारी, संगठित प्रयास और थोड़ी सी जिम्मेदारी की।

बीज से बढ़ती है सभ्यता। बीज से जुड़ता है भविष्य।

आपका छोटा सा कदम — एक बीज बचाने, बांटने या संरक्षित करने का — आने वाली पीढ़ियों के लिए हरियाली और आत्मनिर्भरता की नींव बन सकता है।

FAQs: Beej Utsav 2025 के बारे में पूछे जाने वाले सामान्य प्रश्न

Q1: बीज उत्सव (Beej Utsav) क्या है?

उत्तर:
Beej Utsav एक चार दिवसीय सांस्कृतिक और कृषि आधारित उत्सव है, जिसका उद्देश्य स्थानीय/पारंपरिक बीजों को संरक्षित करना, किसानों में जागरूकता बढ़ाना और समुदाय आधारित जैविक खेती को बढ़ावा देना है।

Beej Utsav का आयोजन 2025 में राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात के आदिवासी क्षेत्रों में हुआ था।

Q2: Beej Utsav का मुख्य उद्देश्य क्या था?

उत्तर:

परंपरागत बीजों का आदान-प्रदान

किसानों को आत्मनिर्भर बनाना

बच्चों और महिलाओं की भागीदारी से खेती को जनांदोलन बनाना

जलवायु परिवर्तन के खिलाफ स्थानीय बीजों की शक्ति को दर्शाना

Q3: Beej Utsav 2025 में कितने किसान शामिल हुए?

उत्तर:
इस आयोजन में लगभग 6,229 से अधिक किसानों ने भाग लिया, जिनमें से बड़ी संख्या में महिलाएं और युवा भी शामिल थे।

Q4: क्या केवल किसान ही इसमें भाग ले सकते हैं?

उत्तर:
नहीं। Beej Utsav सभी के लिए खुला था — छात्र, शिक्षक, सामाजिक कार्यकर्ता, वैज्ञानिक, NGO प्रतिनिधि और आम नागरिक भी इसमें सक्रिय रूप से भाग ले सकते हैं।

Q5: Beej Utsav में कौन-कौन से बीजों का आदान-प्रदान हुआ?

उत्तर:
उत्सव में चना, मक्का, बाजरा, अरहर, मूंग, करेला, आंवला, लौकी जैसी 100+ स्थानीय बीज किस्मों का आदान-प्रदान हुआ। ये सभी जलवायु-अनुकूल, कम लागत और अधिक पोषण देने वाले बीज थे।

Q6: क्या इस आयोजन का कोई स्थायी प्रभाव हुआ है?

उत्तर:

हाँ, इस उत्सव से कई प्रभावशाली बदलाव देखने को मिले:

स्थानीय बीज बैंकों की स्थापना

‘बीज मित्र’ जैसे स्वैच्छिक किसान नेतृत्व का उदय

बच्चों में बीज शिक्षा और हरियाली के प्रति रुचि

ग्रामीण इलाकों में जैविक खेती की गति तेज हुई

Q7: क्या मैं अपने गाँव में Beej Utsav आयोजित कर सकता हूँ?

उत्तर:
बिलकुल! यदि आप एक सामाजिक संस्था, स्कूल, किसान समूह या पंचायत से जुड़े हैं, तो आप स्थानीय स्तर पर बीज उत्सव आयोजित कर सकते हैं। इसके लिए आप Vaagdhara, Beej Swaraj Abhiyan या अपने राज्य के कृषि विभाग से संपर्क कर सकते हैं।

Q8: Beej Utsav में हिस्सा लेने के लिए क्या पंजीकरण जरूरी होता है?

उत्तर:
अधिकतर स्थानीय आयोजनों में पंजीकरण नहीं होता, लेकिन यदि आप विशेष कार्यशाला या प्रशिक्षण में भाग लेना चाहते हैं, तो आयोजकों से पूर्व संपर्क और पंजीकरण करना उचित रहेगा।

Q9: क्या Beej Utsav में डिजिटल भागीदारी भी संभव है?

उत्तर:
जी हाँ। कई गतिविधियों जैसे बीज शिक्षा, पोस्टर प्रतियोगिता, और अनुभव साझा करने के लिए ऑनलाइन माध्यम (Zoom, WhatsApp, YouTube Live) का भी प्रयोग किया गया।

Q10: क्या Beej Utsav हर साल होता है?

उत्तर:
अभी यह स्थान-विशेष पर आयोजित होता है, लेकिन इसके व्यापक प्रभाव को देखते हुए इसे हर साल राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित करने की योजना है।


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Sanjeev

Hello! Welcome To About me My name is Sanjeev Kumar Sanya. I have completed my BCA and MCA degrees in education. My keen interest in technology and the digital world inspired me to start this website, “Aajvani.com.”

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