Chhattisgarh First Light: 17 गांवों में बिजली पहुँचने की दिल छू लेने वाली सच्ची कहानी!
परिचय: अंधेरे से उजाले की ओर
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!छत्तीसगढ़, जिसे देश का “ऊर्जा राज्य” कहा जाता है, वही राज्य अब उन दूर-दराज के गांवों में रौशनी पहुँचा रहा है, जहां दशकों से सिर्फ अंधेरा था।
मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले के 17 ऐसे गांव, जो नक्सल प्रभाव के कारण दशकों से विकास से वंचित थे, आज बिजली की रौशनी से जगमगा उठे हैं। यह केवल एक तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि एक सामाजिक क्रांति है।
Chhattisgarh First Light ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: क्यों नहीं पहुंची बिजली इतने वर्षों तक?
इन गांवों में बिजली ना पहुँच पाने के पीछे कई गहरे कारण रहे:
नक्सलवाद का खतरा: माओवादी हमलों के डर से अधिकारी और इंजीनियर इन इलाकों में विकास कार्य नहीं कर पाते थे।
भौगोलिक कठिनाइयाँ: घने जंगल, दुर्गम पहाड़ और टूटी-फूटी सड़कों के कारण यहाँ तकनीकी ढांचा खड़ा करना आसान नहीं था।
राजनीतिक उपेक्षा: सालों तक यह इलाके सरकारी प्राथमिकता से बाहर रहे।
Chhattisgarh First Light की पहल: बिजली पहुंचाने के लिए कौन-कौन सी योजनाएं लगीं?
2023-24 के दौरान छत्तीसगढ़ सरकार ने “मुख्यमंत्री मंजरा टोला विद्युतीकरण योजना” के तहत इन क्षेत्रों को जोड़ने का निर्णय लिया।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अगुवाई में प्रशासन ने निम्न पहल की:
विशेष विद्युत ग्रिड तैयार किए गए।
डीजी सेट और सौर संयंत्र लगाए गए।
माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में विशेष सुरक्षा बलों की तैनाती के साथ विद्युतीकरण कार्य किया गया।
Chhattisgarh First Light: किस तरह पहुंची बिजली?
बिजली पहुंचाने में कई तकनीकें इस्तेमाल हुईं:
सौर ऊर्जा (Solar Power): इन गांवों में स्थायी ग्रिड पहुंचा पाना मुश्किल था, इसलिए सौर ऊर्जा का विकल्प चुना गया।
माइक्रो-ग्रिड सिस्टम: जो छोटे स्तर पर जनरेट और डिस्ट्रिब्यूट कर सके।
डीजल जेनरेटर सपोर्ट: जब सूरज ना निकले तब डीजी सेट से सपोर्ट दिया गया।

Chhattisgarh First Light: स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया-रौशनी के बाद बदली ज़िंदगी
गांवों में जब पहली बार बल्ब जले, तो लोगों की आंखों में आँसू थे। 60 साल के रामसाय नेताम बताते हैं:
“हमने अपने पोते को पहली बार बिजली में पढ़ते देखा। अब रात में अंधेरा नहीं डराता।”
महिलाओं को रात में चूल्हा जलाने में सुविधा हुई,
बच्चों की पढ़ाई अब ढिबरी पर नहीं, बल्ब की रौशनी में होती है,
छोटे व्यवसाय जैसे सोलर पंखा, मोबाइल चार्जिंग शुरू हो गए हैं।
नक्सल प्रभाव में विकास: सुरक्षा और सामाजिक समावेश
सरकार ने इन इलाकों में CRPF और DRG जैसी फोर्स की सुरक्षा में विकास कार्य करवाया।
अब वही इलाके जहाँ गोलीबारी होती थी, वहां आज स्कूल, आंगनवाड़ी और स्वास्थ्य केंद्र चल रहे हैं।
Chhattisgarh First Light: मोर आवास मोर अधिकार’ योजना से आवास विकास
बिजली के साथ-साथ राज्य सरकार ने आवास विकास की दिशा में भी काम किया है।
अब इन गांवों के हजारों लोग पक्के घरों में रह रहे हैं। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को भी घर दिए जा रहे हैं।
Chhattisgarh First Light: Latest Update (मई 2025)
अब तक कुल 1,000 से अधिक परिवारों को बिजली कनेक्शन मिल चुका है।
बिजली के साथ सोलर स्ट्रीट लाइट्स, स्कूल लाइटिंग सिस्टम, मिनी कूलर और पंखे लगाए गए हैं।
कई गांवों में डिजिटल शिक्षा केंद्र और टेली-मेडिसिन यूनिट्स शुरू हो चुकी हैं।
बिजली नहीं, सामाजिक क्रांति है ये: नक्सल से विकास तक का सफर
बिजली केवल तकनीकी सुविधा नहीं है, ये बदलाव की चाबी है। इन 17 गांवों में बिजली आने के बाद कई सामाजिक स्तरों पर परिवर्तन हुआ:
(a) शिक्षा में क्रांति
पहले जहां बच्चे ढिबरी या आग की रोशनी में पढ़ते थे, अब सोलर लाइट्स में पढ़ाई कर रहे हैं।
स्कूलों में प्रोजेक्टर आधारित स्मार्ट क्लासेस शुरू हुई हैं।
अध्यापक अब डिजिटल माध्यम से पढ़ाने में सक्षम हो रहे हैं।
b) स्वास्थ्य सेवा में सुधार
अब गांवों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र 24 घंटे चालू हैं।
दवाइयां रेफ्रिजरेशन में सुरक्षित रखी जा रही हैं।
टेलीमेडिसिन सुविधा की शुरुआत से डॉक्टर अब स्क्रीन पर भी परामर्श दे रहे हैं।
(c) महिला सशक्तिकरण
महिलाएं अब छोटे पैमाने पर बिजनेस कर पा रही हैं—जैसे सिलाई केंद्र, चार्जिंग पॉइंट, रेडीमेड कपड़े बेचना।
अंधेरे में काम करने की मजबूरी खत्म हुई।
गांवों में महिला स्वयं सहायता समूहों की बिजली से प्रेरित नई योजनाएं शुरू हुई हैं।
निगरानी और जिम्मेदारी: कैसे सुनिश्चित हो रहा है काम?
सरकार ने इस बार सिर्फ परियोजना शुरू करने पर ध्यान नहीं दिया, बल्कि निगरानी व्यवस्था भी सुदृढ़ की:
हर गांव में एक विद्युत मित्र नियुक्त किया गया है जो सोलर सिस्टम की देखरेख करता है।
पंचायत स्तर पर रोज़मर्रा की रिपोर्टिंग व्यवस्था लागू की गई है।
मोबाइल ऐप के जरिए ग्रामीणों को शिकायत दर्ज करने की सुविधा दी गई है।
भविष्य की योजना: ये शुरुआत है, मंज़िल नहीं
राज्य सरकार और केंद्र मिलकर अब इन क्षेत्रों में भविष्य की योजनाएं बना रहे हैं:
(a) स्मार्ट ग्रिड योजना
भविष्य में इन गांवों को स्थायी ग्रिड नेटवर्क से जोड़ा जाएगा ताकि बिजली 24×7 रहे।
(b) सोलर प्लांट क्लस्टर
क्षेत्रीय स्तर पर बड़े सौर संयंत्र लगाकर कई गांवों को एक साथ जोड़ा जाएगा।
(c) डिजिटल गांव का सपना
बिजली के बाद अगला कदम है:
इंटरनेट कनेक्टिविटी
डिजिटल बैंकिंग
ई-गवर्नेंस
Chhattisgarh First Light: अब मॉडल स्टेट बनने की ओर
आज Chhattisgarh First Light का यह मॉडल देशभर के लिए प्रेरणा है। अन्य राज्य जैसे झारखंड, ओडिशा और पूर्वोत्तर राज्य इस मॉडल को अपनाने की योजना बना रहे हैं। यहां की सीख:
स्थानीय भागीदारी सबसे ज़रूरी
टेक्नोलॉजी को लोगों से जोड़ना
सुरक्षा और सेवा दोनों साथ-साथ
FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न): Chhattisgarh First Light
Q1. Chhattisgarh First Light किन गांवों में बिजली पहुंचाई गई है?
उत्तर: मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले के 17 गांव जैसे कि बोरगांव, पेकेर, साल्हे, कोहका, घुटरी, गोरखपुर आदि।
Q2. बिजली किस योजना के तहत पहुंचाई गई?
उत्तर: मुख्यमंत्री मंजरा टोला विद्युतीकरण योजना और सौर ऊर्जा पहल के तहत।

Q3. क्या इन गांवों में अब बिजली लगातार रहती है?
उत्तर: जी हाँ, सौर और बैकअप जनरेटर की मदद से गांवों को 12-18 घंटे तक बिजली दी जा रही है।
Q4. क्या यह स्थायी समाधान है?
उत्तर: अभी यह आंशिक समाधान है, लेकिन राज्य सरकार ग्रिड कनेक्शन और स्मार्ट सोलर प्लांट की योजना बना रही है।
Q5. इससे स्थानीय लोगों के जीवन में क्या बदलाव आया है?
उत्तर: बच्चों की पढ़ाई, स्वास्थ्य सेवा, छोटे व्यवसाय और जीवन की गुणवत्ता में भारी सुधार आया है।
Q6. कौन से 17 गांव हैं जहां पहली बार बिजली पहुंची है?
उत्तर: इनमें प्रमुख गांव हैं – कोरनापाल, मोदकपाल, कोर्रापाड़, मर्रीगुड़ा, पेरमापाल, चिन्नामेट्टा, चिन्नाबेड़मा, पुलूसगुड़ा, मेट्टागुड़ा, पुटकेल, पेरमागुड़ा, कोर्रापारा, आलनार, तालनार, तारलागुड़ा, मोरगुड़ा और मद्देड़ क्षेत्र के अन्य सुदूर ग्राम।
Q7. किस योजना के तहत बिजली पहुंचाई गई है?
उत्तर: यह कार्य केंद्र सरकार की “प्रसारणविहीन सौर ऊर्जा आधारित विद्युतीकरण योजना” और छत्तीसगढ़ सरकार की विशेष पहल के तहत किया गया है, जिसमें सौर मिनी ग्रिड, LED बल्ब, पंखे, इनवर्टर, बैटरी आदि लगाए गए।
Q8. इस परियोजना की मुख्य विशेषताएं क्या हैं?
उत्तर:
प्रत्येक घर में सौर ऊर्जा आधारित बिजली व्यवस्था
सामुदायिक भवनों में लाइटिंग और चार्जिंग सुविधा
प्राथमिक स्कूलों और स्वास्थ्य केंद्रों में बिजली आपूर्ति
महिला सहायता समूहों को व्यवसाय शुरू करने में सहयोग
Q9. बिजली पहुँचने से क्या-क्या बदलाव आए हैं?
उत्तर:
बच्चों को रात में पढ़ने का अवसर मिला
स्वास्थ्य केंद्रों में दवाइयों को सुरक्षित रखने की सुविधा
मोबाइल चार्जिंग और संचार साधन चालू
छोटे व्यवसाय शुरू होने लगे हैं
महिलाओं का सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण
Q10. क्या यह सिर्फ सौर ऊर्जा पर आधारित है या ग्रिड से भी जोड़ा गया है?
उत्तर: अभी यह गांव पूरी तरह ऑफ-ग्रिड सोलर मिनी प्लांट्स से जुड़े हैं। भविष्य में ग्रिड से जोड़ने की योजना है।
Q11. क्या सुरक्षा की भी कोई विशेष व्यवस्था की गई है?
उत्तर: हां, Chhattisgarh First Light लगाने से पहले और बाद में स्थानीय पुलिस बल, सीआरपीएफ और जिला प्रशासन ने सुरक्षा कवच प्रदान किया। ग्रामीणों की भागीदारी भी महत्वपूर्ण रही।
Q12. क्या इन गांवों में अब मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट भी है?
उत्तर: कुछ गांवों में सीमित मोबाइल नेटवर्क आ चुका है। इंटरनेट और डिजिटल सेवाएं जैसे कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) को जल्द शुरू किया जा रहा है।
Q13. ग्रामीणों की क्या प्रतिक्रिया रही इस योजना को लेकर?
उत्तर: ग्रामीणों ने इसे खुशी और राहत के साथ स्वीकार किया। कई लोगों ने इसे “आजादी के बाद असली आजादी” की तरह बताया, क्योंकि पहली बार बिजली ने उनके जीवन को रोशन किया।
Q14. क्या अन्य राज्य भी इस मॉडल को अपना सकते हैं?
उत्तर: हां, झारखंड, ओडिशा, असम, मणिपुर जैसे नक्सल और जनजातीय बहुल राज्य इस छत्तीसगढ़ मॉडल को देख रहे हैं ताकि अपने यहां भी इसी तरह के बदलाव लाए जा सकें।
Q15. इन गांवों में बिजली की निरंतरता कैसे सुनिश्चित की गई है?
उत्तर:
स्थानीय विद्युत मित्रों की नियुक्ति की गई है
समय-समय पर बैटरियों की मरम्मत और देखरेख
मोबाइल एप आधारित शिकायत प्रणाली भी लागू की गई है
Q16. भविष्य में इन गांवों के लिए क्या योजनाएं हैं?
उत्तर:
डिजिटल गांव बनाना
Wi-Fi और इंटरनेट सुविधा
स्कूलों में स्मार्ट क्लास
सौर कृषि पंप और ठंडी भंडारण सुविधा
युवाओं के लिए स्किल डेवलपमेंट केंद्र
निष्कर्ष: Chhattisgarh First Light
Chhattisgarh First Light: छत्तीसगढ़ के 17 दूरदराज़ और नक्सल प्रभावित गांवों तक पहली बार बिजली पहुंचना केवल एक विकासात्मक खबर नहीं है, बल्कि यह नई सोच, संकल्प और समावेशी शासन की एक ऐतिहासिक मिसाल है।
दशकों से अंधेरे में डूबे इन गांवों ने अब उजाले की ओर कदम बढ़ाया है – वह उजाला जो सिर्फ बल्बों का नहीं, बल्कि शिक्षा, रोजगार, सुरक्षा और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।
जहां एक ओर प्रशासनिक इच्छाशक्ति और तकनीकी नवाचार ने इस असंभव को संभव किया, वहीं दूसरी ओर यह पहल यह दिखाती है कि जब सरकार और समाज साथ मिलकर काम करते हैं, तो सबसे कठिन इलाकों में भी बदलाव संभव है।
बिजली सिर्फ एक सुविधा नहीं, बल्कि एक संभावना है – जिससे नवजीवन, नवचेतना और नवनिर्माण की राह खुलती है।
इस कदम ने यह प्रमाणित किया है कि भारत का विकास तभी पूर्ण होगा जब उसके सबसे पीछे छूटे हुए नागरिक भी साथ चलेंगे – और आज छत्तीसगढ़ के इन गांवों ने यही साबित कर दिखाया है।
Chhattisgarh First Light: “अंधेरे से उजाले की यह यात्रा, विकास की असली परिभाषा है।”
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