ChipIN Centre: कैसे बदल रहा है भारत के छात्रों का भविष्य Tech Revolution में?
प्रस्तावना: डिजिटल युग में भारत की छलांग
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Toggle21वीं सदी की दौड़ में टेक्नोलॉजी किसी भी राष्ट्र की ताकत का प्रतीक बन गई है। सेमीकंडक्टर — यानी चिप्स — हर आधुनिक उपकरण की आत्मा बन चुके हैं।
मोबाइल फोन, कार, मेडिकल उपकरण, स्मार्ट टीवी, या फिर रक्षा क्षेत्र का कोई यंत्र — हर जगह चिप्स की आवश्यकता है।
भारत सरकार ने इसी जरूरत को ध्यान में रखते हुए एक ऐतिहासिक पहल की शुरुआत की: ChipIN सेंटर।
यह सेंटर न केवल तकनीकी आत्मनिर्भरता की ओर कदम है, बल्कि लाखों युवाओं को सेमीकंडक्टर डिज़ाइनिंग की ट्रेनिंग देकर उन्हें भविष्य के लिए तैयार कर रहा है।
ChipIN सेंटर क्या है?
ChipIN का पूरा नाम है “ChipIN: Chips in India Initiative”। इसे Ministry of Electronics and Information Technology (MeitY) द्वारा लॉन्च किया गया, और C-DAC (Centre for Development of Advanced Computing) द्वारा संचालित किया जाता है।
इसका उद्देश्य भारत में एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म तैयार करना है जहाँ छात्र, शोधकर्ता और स्टार्टअप्स सेमीकंडक्टर चिप्स डिज़ाइन कर सकें — वो भी बिना महंगे टूल्स की बाधा के।
लक्ष्य: 5 वर्षों में 85,000 प्रशिक्षित प्रोफेशनल
सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2025 तक लगभग 85,000 इंजीनियरिंग छात्रों को सेमीकंडक्टर डिज़ाइनिंग में प्रशिक्षित किया जाए। अभी तक 20,000 से अधिक छात्र इस प्लेटफ़ॉर्म का लाभ ले चुके हैं और लाखों घंटे की डिज़ाइन प्रैक्टिस पूरी हो चुकी है।
क्यों है यह ज़रूरी?
भारत आज भी अधिकतर चिप्स का आयात करता है।
विदेशी कंपनियाँ डिज़ाइन में आगे हैं, लेकिन भारत के पास योग्य प्रतिभा है।
आत्मनिर्भर भारत तभी संभव है जब डिज़ाइन से लेकर निर्माण तक सब भारत में हो।
सुविधाएँ जो बनाती हैं इसे खास
ChipIN सेंटर केवल ट्रेनिंग ही नहीं देता, बल्कि एक संपूर्ण डिज़ाइन इकोसिस्टम प्रदान करता है।
1. Cutting-edge EDA Tools
Synopsys, Cadence, Siemens, Keysight जैसी वैश्विक कंपनियाँ अपने टूल्स भारत में मुफ्त या रियायती दर पर उपलब्ध करा रही हैं।
2. फैब तक सीधी पहुंच
ChipIN सेंटर के ज़रिए छात्र और स्टार्टअप्स SCL (Semi-Conductor Lab, Chandigarh) जैसी फैब्रिकेशन सुविधाओं तक सीधे अपनी डिज़ाइन भेज सकते हैं।
3. IP Cores लाइब्रेरी
एक प्री-बिल्ट डिज़ाइन घटकों की लाइब्रेरी जिससे डिज़ाइनिंग तेज और सटीक होती है।
4. डिज़ाइन थिंकिंग आधारित ट्रेनिंग
सिर्फ टूल्स का प्रशिक्षण नहीं, बल्कि हार्डवेयर समस्या को हल करने की सोच — यानी सोच, डिज़ाइन, सिम्युलेशन, और टेस्टिंग — सब कुछ सिखाया जाता है।

किसे मिल रहा है लाभ?
B.Tech, M.Tech और Ph.D छात्र
IITs, NITs और राज्य स्तरीय इंजीनियरिंग कॉलेज
Startups जो भारत में चिप्स बनाना चाहते हैं
रक्षा अनुसंधान प्रयोगशालाएं
AI, IoT और 5G स्टार्टअप्स जिन्हें हार्डवेयर डिज़ाइन की जरूरत होती है
सफलता की कहानियाँ
1. IIT बॉम्बे के छात्रों ने 5nm चिप का प्रोटोटाइप तैयार किया
2024 में IIT बॉम्बे की एक टीम ने Siemens और Cadence के टूल्स की मदद से एक low-power IoT चिप डिज़ाइन की, जो स्वास्थ्य निगरानी उपकरणों में इस्तेमाल की जा सकती है।
2. एक स्टार्टअप ने 3 महीनों में चिप डिज़ाइन को SCL तक पहुँचाया
ChipIN की मदद से एक बेंगलुरु-आधारित स्टार्टअप ने केवल 12 सप्ताह में एक AI-सक्षम चिप डिज़ाइन किया और उसे SCL को भेजा।
सरकारी दृष्टिकोण: सिर्फ योजना नहीं, मिशन
भारत सरकार इसे केवल योजना नहीं मानती, बल्कि यह एक राष्ट्र मिशन है। इसमें शामिल है:
500 करोड़ से अधिक का निवेश
राष्ट्रीय स्तर पर 250 से अधिक संस्थानों से साझेदारी
Make in India और Digital India से सीधा तालमेल
R&D पर विशेष ज़ोर
भारत में सेमीकंडक्टर डिज़ाइनिंग का बदलता परिदृश्य
1. पहले क्या स्थिति थी?
भारत दशकों से सेमीकंडक्टर उपभोक्ता रहा है, निर्माता नहीं। देश में चिप निर्माण इकाइयों का न होना एक बड़ी चुनौती रही। इसके परिणामस्वरूप:
हर साल अरबों डॉलर की चिप्स का आयात होता है।
डिज़ाइनिंग में छात्र केवल सैद्धांतिक ज्ञान तक सीमित रहते थे।
विश्व स्तरीय EDA tools जैसे Cadence/Synopsys के लाइसेंस महंगे होने के कारण कॉलेजों में उपयोग सीमित था।
भारत की प्रतिभा तो थी, लेकिन संसाधन और एक्सपोजर नहीं था।
2. कैसे बदल रही है तस्वीर?
ChipIN सेंटर के आने के बाद:
हजारों छात्रों ने अब प्रैक्टिकल डिज़ाइनिंग में भागीदारी की है।
लगभग हर IIT, IIIT, NIT और अग्रणी राज्य कॉलेज अब डिज़ाइन ट्रेनिंग के लिए रजिस्टर हो चुके हैं।
भारत की डिज़ाइनिंग कैपेसिटी को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिलने लगी है।
चिप डिज़ाइनिंग का भारत के लिए क्या रणनीतिक महत्व है?
1. राष्ट्रीय सुरक्षा
डिजिटल डिवाइसेज़ में इस्तेमाल होने वाले चिप्स यदि विदेशों से आयात किए जाएं, तो उनमें बैकडोर या सिक्योरिटी खतरों की आशंका बनी रहती है। स्वदेशी डिज़ाइन से यह खतरा समाप्त होता है।
2. अर्थव्यवस्था में योगदान
भारत हर साल लगभग 20 अरब डॉलर से अधिक के सेमीकंडक्टर आयात करता है। आत्मनिर्भरता से यह खर्च बचेगा और देश में 10 लाख से अधिक रोज़गार के अवसर बन सकते हैं।
3. स्टार्टअप्स को शक्ति
IoT, EV, 5G, AI, स्मार्ट हेल्थ — हर सेक्टर को कस्टम चिप्स की ज़रूरत होती है। ChipIN सेंटर से स्टार्टअप्स अपने प्रोडक्ट्स के लिए हार्डवेयर डिज़ाइन इन-हाउस कर पा रहे हैं।
रणनीतिक दृष्टिकोण से सरकार की 5 बड़ी पहलें
1. India Semiconductor Mission (ISM)
ChipIN इसी मिशन का हिस्सा है। इसका उद्देश्य है डिज़ाइन, फैब्रिकेशन और टेस्टिंग — तीनों को भारत में विकसित करना।
2. Design Linked Incentive (DLI) Scheme
DLI स्कीम के तहत चिप डिज़ाइनिंग स्टार्टअप्स को आर्थिक सहयोग मिलता है।
3. Semicon India Program
76,000 करोड़ रुपये की सहायता के साथ फैब यूनिट्स स्थापित करने की योजना।
4. Academic Collaboration
सरकार ने AICTE, IITs और टॉप यूनिवर्सिटीज़ से MoU साइन किए हैं ताकि छात्र शुरुआत से डिज़ाइनिंग में भाग लें।
5. Women in Chip Design
एक विशेष प्रोग्राम जिससे महिला छात्रों को तकनीकी क्षेत्र में नेतृत्व की भूमिका मिले।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का बढ़ता दबदबा
ChipIN Centre और डिज़ाइनिंग इनिशिएटिव के चलते भारत अब सिर्फ़ आउटसोर्सिंग हब नहीं रहा। Intel, Qualcomm, NVIDIA, और AMD जैसी कंपनियां अब भारत में अपने डिज़ाइन सेंटर बढ़ा रही हैं।
भारत में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी डिज़ाइन प्रतिभा है।
ग्लोबल चिप मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां अब भारत में डिज़ाइन आउटसोर्स कर रही हैं।
भविष्य की कल्पना: 2030 तक भारत की स्थिति
- चिप्स का भारत में ही डिज़ाइन और निर्माण
हर राज्य में डिज़ाइनिंग सेंटर और फैब यूनिट
5 लाख से अधिक डिज़ाइन इंजीनियर
भारत: डिज़ाइन टू फिनिश प्लेटफ़ॉर्म में ग्लोबल लीडर
चिप डिज़ाइन में भारत की आत्मनिर्भरता: एक नई दिशा
ChipIN Centre जैसे प्रयासों से भारत अब एक डिजिटल उपभोक्ता से डिज़िटल निर्माता बनने की ओर अग्रसर है। यह केवल तकनीकी विकास नहीं है — यह एक आर्थिक क्रांति, शैक्षणिक सुधार, और रणनीतिक मजबूती का संकल्प है।
भारत क्यों बनेगा चिप डिज़ाइनिंग का अगला ग्लोबल हब?
- जनसंख्या में युवाओं का अनुपात सबसे अधिक — मतलब स्किल्ड वर्कफोर्स।
सरकार की स्पष्ट नीतियाँ और प्रोत्साहन — जैसे Semicon India, DLI, और PLI योजनाएं।
विश्वस्तरीय टैलेंट — भारत के इंजीनियर पहले से ही दुनिया की टॉप कंपनियों में डिज़ाइन कर रहे हैं।
मूल्य में प्रतिस्पर्धात्मक — भारत में डिज़ाइनिंग की लागत अमेरिका/यूरोप की तुलना में बहुत कम है।

चिप निर्माण से डिज़ाइन तक: भारत के सफर का संकल्प
भारत के प्रधानमंत्री और MeitY का लक्ष्य स्पष्ट है:
> “2027 तक भारत को टॉप 5 सेमीकंडक्टर डिज़ाइन और मैन्युफैक्चरिंग देशों में लाना।”
ChipIN Centre इस संकल्प को साकार करने की पहली सीढ़ी है। अब वो दिन दूर नहीं जब हर भारतीय स्मार्टफोन, कार, टीवी या सैटेलाइट में भारत में डिज़ाइन की गई चिप लगी होगी।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs) – ChipIN Centre के बारे में
Q1: ChipIN Centre क्या है?
उत्तर: ChipIN Centre भारत सरकार के Ministry of Electronics and IT (MeitY) द्वारा शुरू की गई एक पहल है, जिसका उद्देश्य इंजीनियरिंग छात्रों को सेमीकंडक्टर और चिप डिज़ाइनिंग में प्रशिक्षण देना है। यह सेंटर भारत के टॉप संस्थानों जैसे IITs, NITs में स्थापित किए गए हैं।
Q2: ChipIN का फुल फॉर्म क्या है?
उत्तर: ChipIN का फुल फॉर्म है – “CHIP-IN (CHIPs to INdia)” initiative, जो भारत को चिप डिज़ाइनिंग और निर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य करता है।
Q3: क्या ChipIN Centre सभी इंजीनियरिंग छात्रों के लिए उपलब्ध है?
उत्तर: ChipIN Centres फिलहाल देश के चुनिंदा टॉप इंजीनियरिंग कॉलेजों जैसे IITs, NITs और कुछ IIITs में उपलब्ध हैं। लेकिन इसका लक्ष्य आने वाले वर्षों में और भी संस्थानों तक इसका विस्तार करना है।
Q4: छात्रों को किस प्रकार की ट्रेनिंग मिलती है ChipIN Centre में?
उत्तर: छात्रों को industry-grade tools और EDA सॉफ्टवेयर पर hands-on ट्रेनिंग दी जाती है, जिससे वे real-world चिप डिजाइनिंग, verification और layout में पारंगत हो सकें।
Q5: क्या यह ट्रेनिंग मुफ्त होती है?
उत्तर: हां, यह ट्रेनिंग पूरी तरह से सरकार द्वारा प्रायोजित होती है और MeitY द्वारा समर्थित संस्थानों में मुफ्त उपलब्ध कराई जाती है।
Q6: ChipIN Centre का उद्देश्य क्या है?
उत्तर: इस पहल का मुख्य उद्देश्य भारत को सेमीकंडक्टर डिज़ाइन में आत्मनिर्भर बनाना, छात्रों को अत्याधुनिक तकनीक से लैस करना और भारत को वैश्विक स्तर पर चिप डिज़ाइनिंग हब बनाना है।
Q7: क्या इस प्रोग्राम से प्लेसमेंट में मदद मिलती है?
उत्तर: बिलकुल। ChipIN Centre में शामिल छात्र कंपनियों की नजरों में अधिक योग्य माने जाते हैं, और कई कंपनियाँ सीधे इन सेंटरों से भर्ती भी करती हैं।
Q8: क्या इसमें किसी सर्टिफिकेट की सुविधा होती है?
उत्तर: हां, MeitY द्वारा प्रमाणित ट्रेनिंग सर्टिफिकेट प्रदान किया जाता है जो भविष्य में नौकरी या उच्च शिक्षा में उपयोगी होता है।
Q9: क्या ChipIN Centre केवल डिजाइनिंग तक सीमित है या मैन्युफैक्चरिंग से भी जुड़ा है?
उत्तर: ChipIN Centre मुख्यतः चिप डिज़ाइनिंग पर केंद्रित है। हालांकि, इसका उद्देश्य पूरे सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को सपोर्ट करना है जिसमें मैन्युफैक्चरिंग भी शामिल हो सकती है।
Q10: क्या नॉन-इंजीनियरिंग बैकग्राउंड वाले छात्र इसमें भाग ले सकते हैं?
उत्तर: फिलहाल यह ट्रेनिंग इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल, कंप्यूटर साइंस और संबंधित शाखाओं के छात्रों के लिए डिज़ाइन की गई है।
निष्कर्ष:
ChipIN Center भारत सरकार की एक दूरदर्शी पहल है, जिसने सेमीकंडक्टर डिज़ाइनिंग जैसे उच्च तकनीकी क्षेत्र में देश के युवाओं को एक नया आयाम प्रदान किया है।
इस कार्यक्रम ने न केवल लाखों घंटे की ट्रेनिंग सुनिश्चित की है, बल्कि छात्रों की प्रतिभा को दिशा देकर उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार किया है।
आज जब दुनिया चिप संकट से गुजर रही है, भारत चिप निर्माण से पहले डिज़ाइनिंग में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करा रहा है।
IITs, NITs और अन्य संस्थानों के छात्र अब सिर्फ नौकरियों के लिए नहीं, बल्कि तकनीकी नवाचार में नेतृत्व करने के लिए तैयार किए जा रहे हैं।
ChipIN Centre न केवल एक तकनीकी अभियान है, बल्कि यह भारत की आत्मनिर्भरता, युवाओं की क्षमता और डिजिटल भविष्य का प्रतीक भी है।
अगर यही रफ्तार और समर्थन बना रहा, तो वह दिन दूर नहीं जब “Made in India Chip” पूरी दुनिया के डिजिटल उत्पादों में एक पहचान बनेगा।
यही है ChipIN Centre का असली विज़न — आत्मनिर्भर भारत, तकनीकी भारत।
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