आज के इस डिजिटल युग में, सरकार द्वारा प्रदान की गयी सेवाओं की उपलब्धता और पहचान को बेहतर बनाने के लिए एक समान डिजिटल ब्रांडिंग की आवश्यकता होती है। इसी कदम को आगे बढ़ाते हुए भारत सरकार ने डिजिटल ब्रांड आइडेंटिटी मैनुअल (DBIM) की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य विभिन्न सरकारी डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को एकीकृत करके ब्रांड भाषा प्रदान करना है। भारत सरकार के द्वारा चलाई गयी यह पहल सरकारी सेवाओं को नागरिकों के लिए अधिक सुलभ और प्रभावी बनाने में सहायक होगी।
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DBIM क्या है?
डिजिटल ब्रांड आइडेंटिटी मैनुअल (DBIM) भारत सरकार द्वारा अपनाई गई एक अनोखी रणनीति है, जिसका मुख्य उद्देश्य विभिन्न सरकारी डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को एक समेकित ब्रांड पहचान प्रदान करना है।
यह डिजिटल मैनुअल सरकारी वेबसाइटों, मोबाइल ऐप्स और अन्य डिजिटल टूल्स के लिए एक मानकीकृत डिज़ाइन, रंग योजना, टाइपोग्राफी और उपयोगकर्ताओ के अनुभव दिशानिर्देशों को परिभाषित करता है। Read more…
DBIM के प्रमुख उद्देश्य
1. एकरूपता बनाए रखना – इसके तहत सभी सरकारी डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर एक समान ब्रांड पहचान स्थापित करना हैं ताकि उनकी एक अलग ब्रांडिंग सुनिश्चित की जा सके |
2. यूजर फ्रेंडली इंटरफेस – इसके माध्यम से नागरिकों को सरल और सुविधाजनक डिजिटल अनुभव प्रदान किया जायेगा |
3. सरकारी सेवाओं की पहचान को मजबूत बनाना – इस मेन्युअल के द्वारा डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की ब्रांडिंग को अधिक पहचानने योग्य और विश्वसनीय बनाया जा सकेगा |
4. डिजिटल परिवर्तन को बढ़ावा देना – भारत सरकार के द्वारा चलाई गयी यह एक ऐसी पहल हैं जो डिजिटल इंडिया पहल को समर्थन प्रदान करेगी।
5. साइबर सुरक्षा और विश्वसनीयता – इसके द्वारा सभी सरकारी सेवाओं की सुरक्षा और भरोसेमंदता को सुनिश्चित किया जा सकेगा |
DBIM के प्रमुख घटक
1. लोगो और ब्रांडिंग
* DBIM के द्वारा प्रत्येक सरकारी पोर्टल का लोगो एक विशिष्ट प्रारूप में होना चाहिए।
* इसके तहत राष्ट्रीय प्रतीक और अन्य सरकारी चिह्नों का सही उपयोग सुनिश्चित करना।
2. रंग योजना (कलर पैलेट)
• इसके माध्यम से सभी सरकारी डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के लिए पूर्वनिर्धारित रंगों का उपयोग किया जा सकता हैं |
* इसके तहत उपयोगकर्ता के अनुभव को सहज बनाने के लिए उपयुक्त रंगों का संयोजन किया जा सकता हैं |
3. टाइपोग्राफी (फॉन्ट शैली)
* सभी सरकारी प्लेटफॉर्म्स के लिए मानकीकृत फ़ॉन्ट का उपयोग किया जा सकता हैं |
* इसके द्वारा हिंदी और अंग्रेजी में पठनीयता बढ़ाने के लिए उपयुक्त फॉन्ट चयन किया जा सकता हैं |
4. यूजर इंटरफेस (UI) डिज़ाइन
* इसके द्वारा वेबसाइट और ऐप्स के लिए एक समान डिज़ाइन दिशा-निर्देश जारी किये जा सकते हैं |
* इसके माध्यम से बटन, फॉर्म, नेविगेशन और अन्य तत्वों का मानकीकरण सुनिश्चित किया जा सकता हैं |
5. सामग्री और संचार
* इस डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर सरकार की संचार रणनीति को सुनिश्चित किया जा सकता हैं |
* इसके द्वारा भाषा, स्वर और संदेशों में एकरूपता को बनाया रखा जा सकता हैं।
DBIM का कार्यान्वयन
1. नीतिगत ढांचा तैयार करना – इसके लिए सरकार ने डिजिटल संचार और ब्रांडिंग के लिए विस्तृत दिशानिर्देश तैयार किए हैं।
2. सरकारी एजेंसियों के प्रशिक्षण – सभी सरकारी विभागों और एजेंसियों को DBIM के मानकों का पालन करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।
3. सतत निगरानी और समीक्षा – डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की समीक्षा कर उन्हें DBIM के अनुसार अपडेट किया जाता है जिससे वें सुचारु रूप से कार्य कर सके |
4. फीडबैक तंत्र – DBIM के तहत उपयोगकर्ताओं और हितधारकों से फीडबैक लेकर आवश्यक सुधार किए जाते हैं।
DBIM के लाभ
1. सुव्यवस्थित ब्रांड पहचान – इसके माध्यम से नागरिकों को सरकारी डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की पहचान करने में आसानी होती है।
2. बेहतर उपयोगकर्ता अनुभव – यह मैन्युअल सरकार की अधिकांश सेवाओं को उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाने में मदद करता है।

3. समय और संसाधनों की बचत – इसके द्वारा डिज़ाइन और विकास में एकरूपता लाने से लागत कम आती है।
4. साइबर सुरक्षा में सुधार – यह प्लेटफॉर्म सुरक्षित डिजिटल अनुभव सुनिश्चित करने में मदद करता है।
5. डिजिटल इंडिया मिशन को मजबूती – डिजिटल इंडिया मिशन के तहत सरकार की इन डिजिटल पहलों को और अधिक प्रभावी बनाता है। Click here
निष्कर्ष
डिजिटल ब्रांड आइडेंटिटी मैनुअल (DBIM) भारत सरकार के विभिन्न डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को एकीकृत और प्रभावी ब्रांडिंग प्रदान करने का एक महत्वपूर्ण कदम है।
यह अधिकांश सरकारी सेवाओं को नागरिकों के लिए अधिक सुलभ और विश्वसनीय बनाने में मदद करेगा। इसके कार्यान्वयन से न केवल सरकार की डिजिटल उपस्थिति में सुधार होगा, बल्कि नागरिकों को एक सहज और सुविधाजनक अनुभव भी मिलेगा।
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