Deep Sea Fishing India: अरबों की संपत्ति समंदर में, सरकार की नई रणनीति तैयार!
प्रस्तावना: समुद्र की गहराइयों में भारत की समृद्धि
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Toggleभारत एक समुद्री राष्ट्र है, जिसके पास 7,516.6 किलोमीटर लंबा समुद्र तट और लगभग 2 मिलियन वर्ग किलोमीटर का विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) है।
ऐसे में समुद्री संसाधनों का दोहन न केवल देश की आर्थिक शक्ति को सुदृढ़ करता है, बल्कि करोड़ों लोगों की आजीविका से भी जुड़ा है।
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें देश के मत्स्य पालन क्षेत्र की वर्तमान स्थिति, इसकी चुनौतियां, और भविष्य की योजनाओं की विस्तृत समीक्षा की गई।
यह बैठक केवल आंकड़ों की समीक्षा नहीं हैं, बल्कि यह एक समग्र दृष्टिकोण को दर्शाती है—जहां आर्थिक विकास, मछुआरों का सशक्तिकरण, और समुद्री पारिस्थितिकी का संरक्षण, तीनों के बीच संतुलन स्थापित करने का प्रयास किया गया।
प्रधानमंत्री की दृष्टि: ‘सागर’ से ‘संपदा’ की ओर
प्रधानमंत्री मोदी का मत्स्य पालन क्षेत्र को लेकर दृष्टिकोण स्पष्ट है—भारत को समुद्री शक्ति (Blue Economy Powerhouse) के रूप में स्थापित करना। इसके लिए उन्होंने विशेष जोर दिया:
गहरे समुद्र में मछली पकड़ने की तकनीक और जहाजों के आधुनिकीकरण पर,
मत्स्य उत्पादों के निर्यात को दुगुना करने पर,
और मछुआरों की सामाजिक सुरक्षा व प्रशिक्षण पर।
यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसे लंबे समय तक उपेक्षित किया गया, जबकि यह खाद्य सुरक्षा, पोषण, रोजगार और निर्यात जैसे अहम लक्ष्यों को पूरा करने की क्षमता रखता है।
गहरे समुद्र में मत्स्याखन (Deep Sea Fishing): अपार संभावनाओं का भंडार
Deep Sea Fishing क्या है गहरे समुद्र में मछली पकड़ना?
गहरे समुद्र में मछली पकड़ना उन क्षेत्रों में किया जाता है जो तटरेखा से काफी दूर होते हैं—अर्थात 200 मीटर से अधिक गहराई वाले समुद्रों में। यहाँ टूना, मैकेरल, सार्डिन, स्क्विड जैसे उच्च गुणवत्ता वाले और निर्यात योग्य मछलियाँ पाई जाती हैं।
Deep Sea Fishing: भारत की स्थिति
भारत में गहरे समुद्र की क्षमता का उपयोग बहुत सीमित है।
अभी भी 85% मत्स्याखन तटीय इलाकों तक सीमित है।
समुद्री संसाधनों का असमान दोहन हो रहा है—कुछ क्षेत्रों में Deep Sea Fishing और कुछ क्षेत्रों में संसाधन बेकार पड़े हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस असंतुलन को सुधारने के लिए विशेषीकृत गहरे समुद्र के जहाजों, GPS आधारित ट्रैकिंग, सैटेलाइट आधारित मछली स्थान निर्धारण, और लंबी अवधि के इंश्योरेंस कवरेज की योजना का प्रस्ताव रखा।
प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY): नीली क्रांति की बुनियाद
उद्देश्य
2020 में लॉन्च की गई इस योजना का उद्देश्य केवल मत्स्य उत्पादन बढ़ाना नहीं है, बल्कि सम्पूर्ण मूल्य श्रृंखला (Value Chain) को सशक्त बनाना है—मत्स्यपालन, प्रसंस्करण, विपणन, निर्यात और मछुआरों का कल्याण।
लक्ष्य
2025 तक मत्स्य उत्पादन को 22 मिलियन टन तक पहुंचाना।
निर्यात को 1 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाना।
55 लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार देना।
फिश हार्बर, फिश लैंडिंग सेंटर और आइसिंग प्लांट्स का निर्माण।

अब तक की उपलब्धियां
देश के 21 राज्यों में 1000+ परियोजनाओं की शुरुआत।
महिलाओं को मत्स्यपालन के कारोबार में प्रशिक्षण।
मछुआरों को KCC (Kisan Credit Card) से जोड़ना।
मछुआरों की सुरक्षा और सशक्तिकरण
प्रौद्योगिकी का उपयोग
प्रधानमंत्री मोदी ने 1 लाख मछली पकड़ने वाली नौकाओं में AIS ट्रांसपोंडर लगाने की योजना को आगे बढ़ाया है, जिससे:
नौकाएं किसी भी आपदा या संकट में तुरंत ट्रैक की जा सकेंगी।
भारतीय नौसेना और कोस्ट गार्ड आपातकाल में सहायता कर सकेंगे।
यह तटीय सुरक्षा और आतंकवाद रोकथाम के लिहाज़ से भी अहम है।
बीमा और सामाजिक सुरक्षा
PMMSY के तहत मछुआरों को बीमा सुरक्षा दी जा रही है।
प्रशिक्षण कार्यक्रमों से उन्हें समुद्री मौसम, आधुनिक उपकरणों और संरक्षण कानूनों की जानकारी दी जा रही है।
निर्यात और वैश्विक प्रतिस्पर्धा: ‘Make in Sea, Export to World’
भारत विश्व में तीसरे स्थान पर है समुद्री उत्पादों के निर्यात में। लेकिन अब तक हमारे अधिकांश निर्यात सस्ते मछली उत्पादों पर आधारित रहे हैं।
मोदी सरकार की रणनीति:
उच्च मूल्य वाले उत्पादों (जैसे टूना, स्क्विड) का उत्पादन बढ़ाना।
फिश प्रोसेसिंग पार्क, कोल्ड स्टोरेज और सर्टिफाइड लेबोरेट्री की स्थापना।
अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों के अनुरूप प्रोडक्ट तैयार करना।
नीली अर्थव्यवस्था (Blue Economy): समुद्र से संपूर्ण विकास की ओर
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ‘सागरमाला परियोजना’, ‘मरीन क्लस्टर्स’, ‘कोस्टल इको-टूरिज्म’ जैसी पहलों के जरिए नीली अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहा है।
नीली अर्थव्यवस्था के 5 स्तंभ:
- समुद्री परिवहन और बंदरगाह आधारित विकास।
- मछली पालन और समुद्री जैव विविधता का संरक्षण।
- अपतटीय ऊर्जा (offshore wind energy)।
- समुद्री पर्यटन।
- महासागरीय अनुसंधान।
Deep Sea Fishing: नवीनतम प्रगति और योजनाएं (2025 अपडेट)
अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में टूना प्रोसेसिंग क्लस्टर का प्रस्ताव।
23,000 करोड़ की मरीन प्रोजेक्ट्स की घोषणा—जिसमें बंदरगाह, कंटेनर टर्मिनल और लॉजिस्टिक्स जोड़े जाएंगे।
‘ब्लू इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन’ की योजना—जो मत्स्यपालन और मरीन जैवविविधता दोनों के लिए संसाधनों को बढ़ाएगा।
Deep Sea Fishing आधारित सहकारी समितियों को मजबूती: सामुदायिक विकास की कुंजी
भारत के Deep Sea Fishing क्षेत्र में 90% से अधिक कार्य मछुआरा समुदाय करता है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस समीक्षा बैठक में Fish Farmer Producer Organizations (FFPOs) को सशक्त करने पर जोर दिया। इसका उद्देश्य है:
छोटे मछुआरों को संगठित करना।
उनकी खरीद क्षमता और बाजार में सौदेबाजी की शक्ति को बढ़ाना।
सरकारी सब्सिडी और ऋण योजनाओं तक सीधा लाभ पहुँचाना।
Cooperative to Prosperity Model के तहत यह एक बड़ा कदम है, जिसमें मत्स्य पालन को केवल व्यक्तिगत पेशा नहीं बल्कि संगठित सामुदायिक व्यवसाय के रूप में देखा जाएगा।
समुद्री अनुसंधान और नवाचार: वैज्ञानिक दृष्टिकोण का समावेश
प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर भी बल दिया कि आने वाले समय में Deep Sea Fishing Research भारत की वैश्विक पहचान बनाएगा।
Deep Sea Fishing मुख्य प्रस्तावित कदम:
राष्ट्रीय समुद्री जैव विविधता मिशन की शुरुआत।
ICMR, ICAR और CSIR संस्थानों को मत्स्य पोषण और रोग नियंत्रण पर रिसर्च के लिए समन्वयित करना।
AI और IoT आधारित फिश ट्रैकिंग और ह्यूस्टन जैसे ‘ऑटोमेटेड मछली पकड़ने के उपकरणों’ की शुरुआत।
यह कदम भारत को मत्स्य प्रौद्योगिकी और जैव-प्रयोगशाला अनुसंधान में अग्रणी बनाएगा।
Deep Sea Fishing: तटीय राज्यों की भूमिका और राज्य सरकारों के साथ समन्वय
Deep Sea Fishing एक समवर्ती विषय है, जिसमें केंद्र और राज्य दोनों की भूमिका होती है। प्रधानमंत्री ने सभी तटीय राज्यों—गुजरात, महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल—को राज्य स्तरीय कार्य योजना बनाने का सुझाव दिया है।
राज्यों के लिए प्राथमिक निर्देश:
तटीय आधारभूत ढांचे (Fish Landing Centers, Cold Chains) का विकास।
मछुआरों के लिए मौसम आधारित पूर्व चेतावनी प्रणाली।
समुद्री पुलिस और फिशरीज डिपार्टमेंट के बीच तालमेल।
नीति निर्माण में जन भागीदारी: ‘जन्म से जन-जागरूकता’ तक
प्रधानमंत्री मोदी की शैली में हर नीति में जन भागीदारी का महत्व है। मत्स्यपालन क्षेत्र में भी उन्होंने प्रस्ताव दिया:
स्कूल और कॉलेजों में ‘Ocean Literacy’ कार्यक्रम चलाया जाए।
महिलाओं के लिए विशेष ‘मरीन एंटरप्रेन्योरशिप ट्रेनिंग कैंप’ हो।
युवाओं को Coastal Startups के लिए प्रोत्साहन (जैसे, जैविक मत्स्य उत्पादन, मरीन टूरिज्म ऐप्स आदि)।
मत्स्य निर्यात: वैश्विक बाज़ार में ‘भारतीय समुद्री ब्रांड’ की पहचान
वर्तमान में भारत का प्रमुख निर्यात उत्पाद फ्रोज़न श्रिम्प है। लेकिन पीएम मोदी का लक्ष्य है कि भारत मछली निर्यात में गुणवत्ता के लिए जाना जाए, मात्रा के लिए नहीं।
नए कदम:
One District One Product (ODOP) के तहत तटीय जिलों को निर्यात केंद्र बनाना।
GMP प्रमाणित प्रोसेसिंग यूनिट्स।
विदेश मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय के सहयोग से Global Brand Positioning of Indian Marine Products।
संरक्षण और सतत विकास: पर्यावरण संतुलन के लिए प्रतिबद्धता
Deep Sea Fishing क्षेत्र को विकसित करते समय पर्यावरणीय संतुलन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इस दिशा में मोदी सरकार का विशेष फोकस है:
Marine Protected Areas (MPAs) का विस्तार।
ट्रॉलिंग पर ‘स्मार्ट बैन’ नीति—यानी वैज्ञानिक सलाह से कुछ महीनों के लिए समुद्री क्षेत्र में विश्राम।
प्लास्टिक अपशिष्ट नियंत्रण और जैविक मछली पकड़ने की तकनीकों को बढ़ावा।
भावनात्मक पहलू: मछुआरों की जिंदगी से जुड़ा एक मानवीय दृष्टिकोण
प्रधानमंत्री मोदी ने इस बैठक में मछुआरों की कठिनाइयों की व्यक्तिगत रूप से चर्चा की:
कैसे वह दिन-रात समुद्र में रहते हैं, जान की बाज़ी लगाते हैं।
मौसम की मार, आर्थिक अस्थिरता और जीवन बीमा की कमी।
उन्होंने इस क्षेत्र को “देश के असली सीमा प्रहरी” बताया—जो समुद्री सीमाओं की रक्षा भी करते हैं और देश के लिए अन्न भी जुटाते हैं।
यह मानवीय दृष्टिकोण उनकी नीतियों में स्पष्ट झलकता है—जहाँ समृद्धि केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं, बल्कि आम आदमी की ज़िंदगी में बदलाव से जुड़ी है।

भविष्य की रूपरेखा: ‘Blue India Vision 2047’
प्रधानमंत्री मोदी ने 2047 के अमृतकाल को ध्यान में रखते हुए एक दीर्घकालिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है:
भारत को दुनिया की टॉप 3 Deep Sea Fishing शक्तियों में लाना।
100% Sustainable Fishery Certification प्राप्त करना।
समुद्र आधारित रोजगार में 5 करोड़ नए अवसर तैयार करना।
मरीन टेक्नोलॉजी में भारत को निर्यातक बनाना।
भारत की नीली क्रांति: आत्मनिर्भरता से वैश्विक नेतृत्व तक
जब प्रधानमंत्री मोदी “ब्लू इकॉनॉमी” की बात करते हैं, तो यह केवल एक आर्थिक शब्द नहीं होता—यह भारत के समुद्रतटीय समाज की संस्कृति, परंपरा, और भविष्य की दिशा का प्रतीक बन जाता है। उनकी मंशा स्पष्ट है—भारत को समुद्र से जुड़ी अर्थव्यवस्था में केवल आत्मनिर्भर ही नहीं, बल्कि वैश्विक नेतृत्वकर्ता बनाना।
इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार द्वारा पाँच-स्तरीय रणनीति पर कार्य किया जा रहा है:
नींव सुदृढ़ करना (Foundation Building):
तटीय गांवों का डिजिटल सर्वे और उनका भू-स्थानिक डेटा तैयार किया जा रहा है।
हर मछुआरे को PM Matsya Sampada कार्ड देने की योजना।
मछुआरों के लिए पोर्टेबल कोल्ड स्टोरेज, सौर चालित आइस बॉक्स, और मोबाइल मछली मार्केट्स की सुविधा।
नवाचार और प्रौद्योगिकी (Innovation & Technology): Deep Sea Fishing
AI आधारित Fish Behavior Forecasting Tools विकसित हो रहे हैं जिससे मछुआरे कम प्रयास में अधिक उत्पादन कर सकें।
ड्रोन आधारित मछली निगरानी प्रणाली।
मछली स्वास्थ्य जांच के लिए Mobile Bio Labs।
वैश्विक बाज़ार से जुड़ाव (Export & Global Trade):
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की समुद्री उत्पादों की ब्रांडिंग ‘Flavours of Indian Ocean’ नाम से की जाएगी।
भारत-बांग्लादेश, भारत-आसियान जैसे क्षेत्रीय ब्लॉक्स के साथ विशेष निर्यात गलियारों पर काम।
यूरोप, जापान, और यूएस के लिए गुणवत्ता प्रमाणीकरण संस्थानों की स्थापना।
सतत एवं समावेशी विकास (Sustainability & Inclusiveness):
महिलाओं के लिए ‘मछली पालन में महिला शक्ति’ योजना, जिसके तहत उन्हें सामूहिक मछली बीज उत्पादन इकाइयाँ सौंपी जाएंगी।
जलवायु संकट के मद्देनज़र समुद्री पारिस्थितिकी के संरक्षण के लिए विशेष बजट।
Mangrove Rejuvenation Drive के साथ समुद्र किनारे के इको-सिस्टम को मजबूत करना।
शैक्षणिक एवं संस्थागत मजबूती (Institutional Strengthening):
‘राष्ट्रीय समुद्री विश्वविद्यालय’ (National Marine University) की स्थापना पर विचार।
मछुआरा प्रशिक्षण अकादमियाँ, जिनमें आधुनिक सुरक्षा उपाय, पोषण, और उद्यमिता पर पाठ्यक्रम।
देश के सभी बंदरगाहों में Fisheries Cell अनिवार्य किया जाएगा।
प्रधानमंत्री के प्रेरक शब्द: “जो समुद्र को समझता है, वही भविष्य को दिशा देता है”
इस उच्चस्तरीय बैठक के अंत में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा:
>“भारत की 7516.6 किलोमीटर लंबी समुद्री सीमा सिर्फ भौगोलिक आकृति नहीं है, यह हमारे किसानों, मछुआरों, वैज्ञानिकों और युवाओं के लिए असंख्य संभावनाओं का द्वार है। अगर हमने समुद्र की शक्ति को समझा और उसकी क्षमता का सही उपयोग किया—तो भारत केवल भूमि आधारित राष्ट्र नहीं रहेगा, बल्कि महासागरों का अग्रदूत बनेगा।”
स्थानीय से वैश्विक: आत्मनिर्भर भारत की समुद्री गाथा
प्रधानमंत्री की दृष्टि एक साधारण ‘मछली पकड़ने’ वाले देश से एक ‘समुद्री नेतृत्वकर्ता राष्ट्र’ में भारत का कायाकल्प करने की है। उन्होंने यह सुनिश्चित किया है कि मत्स्य क्षेत्र अब ‘उपेक्षित कृषि उप-क्षेत्र’ नहीं, बल्कि रोज़गार, पोषण, निर्यात और विज्ञान का प्रमुख केंद्र बन रहा है।
Deep Sea Fishing: जनहित में उठाए गए नवीनतम बड़े कदम (2024–25 की घोषणाएँ)
₹6,000 करोड़ से अधिक की PMMSY योजना की नई किस्त मंज़ूर।
राष्ट्रीय मत्स्य किसान पोर्टल का शुभारंभ।
Coastal Insurance Scheme की शुरुआत – प्राकृतिक आपदा से मछुआरों को आर्थिक राहत।
Deep Sea Fishing Mission में भारतीय नौसेना और ISRO की तकनीकी साझेदारी।
निष्कर्ष: भारत की मत्स्य क्रांति—एक आत्मनिर्भर समुद्री भविष्य की ओर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित यह उच्चस्तरीय बैठक भारत के मत्स्य क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ है। यह केवल योजनाओं की समीक्षा नहीं थी, बल्कि भारत के समुद्री भविष्य की ठोस रूपरेखा तैयार करने का संकल्प था।
गहराई से समुद्र में उतरने से लेकर वैश्विक समुद्री बाज़ार में अग्रणी बनने तक—सरकार ने हर पहलू पर गंभीर, दूरदर्शी और समावेशी दृष्टिकोण अपनाया है।
Deep Sea Fishing: प्रमुख निष्कर्ष बिंदु
गंभीर राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ एक सुनियोजित रणनीति।
मछुआरों के जीवन स्तर में सुधार, आधुनिक प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता का विस्तार।
समुद्री पारिस्थितिकी के संरक्षण के लिए तकनीक आधारित समाधान।
भारत को वैश्विक सीफूड हब बनाने की दिशा में ठोस कदम।
महिलाओं, युवाओं और पारंपरिक समुदायों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना।
Deep Sea Fishing पहल केवल आर्थिक लाभ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक न्याय, पर्यावरणीय संतुलन और तकनीकी नवाचार का पूर्ण समावेशी मॉडल प्रस्तुत करती है।
आज भारत एक ‘भूमि आधारित विकासशील राष्ट्र’ से एक ‘समुद्र प्रेरित महाशक्ति’ बनने की ओर तेज़ी से अग्रसर है।
यह केवल एक Deep Sea Fishing नीति नहीं, बल्कि भारत के महासागरीय स्वप्न का प्रारंभ है—जहाँ हर लहर, हर मछुआरा और हर समुद्रतट, ‘न्यू इंडिया’ की ताकत बनेगा।
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