Deinococcus radiodurans – रेडिएशन से जंग जीतने वाला पृथ्वी का अमर बैक्टीरिया

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Deinococcus radiodurans – जीवन की सीमाओं को चुनौती देने वाला अद्भुत सूक्ष्मजीव

1. परिचय – जब विज्ञान ने पाया “Conan the Bacterium”

प्रकृति में लाखों प्रकार के सूक्ष्मजीव (Microorganisms) पाए जाते हैं — कुछ रोग फैलाते हैं, कुछ हमारे लिए उपयोगी होते हैं।
लेकिन एक ऐसा सूक्ष्मजीव है जो वैज्ञानिकों को हैरान कर देता है — क्योंकि यह रेडिएशन, अत्यधिक गर्मी, ठंड, वैक्यूम, और एसिड जैसी परिस्थितियों में भी जीवित रह सकता है।

इसका नाम है Deinococcus radiodurans (डीनोकोकस रेडियोडुरन्स)। इसे प्यार से कहा जाता है – “Conan the Bacterium”, क्योंकि यह “Conan the Barbarian” की तरह किसी भी कठिन परिस्थिति से लड़ सकता है।

2. Deinococcus radiodurans क्या है?

यह एक गैर-रोगजनक (Non-pathogenic) बैक्टीरिया है, यानी यह मनुष्यों को नुकसान नहीं पहुंचाता। इसका आकार गोल (Spherical) होता है और यह आमतौर पर चार कोशिकाओं के समूह (Tetrad) के रूप में दिखाई देता है। यह बैक्टीरिया हवा में, मिट्टी में, सूखे भोजन में, और यहां तक कि रेडिएशन से भरे माहौल में भी जीवित रह सकता है।

Deinococcus शब्द दो हिस्सों से बना है –

Deinos (ग्रीक शब्द) जिसका अर्थ है “भयंकर” या “अद्भुत”

Coccus का अर्थ है “गोलाकार” और Radiodurans का अर्थ है “रेडिएशन को झेलने वाला” अर्थात् “रेडिएशन सहने वाला भयंकर जीव”।

Deinococcus radiodurans – रेडिएशन से जंग जीतने वाला पृथ्वी का अमर बैक्टीरिया
Deinococcus radiodurans – रेडिएशन से जंग जीतने वाला पृथ्वी का अमर बैक्टीरिया

3. खोज कैसे हुई?

1956 में अमेरिका के वैज्ञानिक आर्थर एंडरसन एक प्रयोग कर रहे थे। उन्होंने एक डिब्बाबंद मांस (canned meat) को रेडिएशन से स्टरलाइज़ (Sterilize) किया ताकि सभी बैक्टीरिया मर जाएँ। लेकिन कुछ समय बाद, वही मांस फिर से खराब हो गया। जब जांच की गई तो पता चला कि उसमें एक अज्ञात बैक्टीरिया था जो रेडिएशन के बाद भी जिंदा था।

उसी का नाम रखा गया — Deinococcus radiodurans।

यह खोज दुनिया के लिए एक झटका थी, क्योंकि तब तक माना जाता था कि इतनी मात्रा में रेडिएशन में कोई जीव नहीं बच सकता।

4. नाम की उत्पत्ति और अर्थ

Deino – शक्तिशाली या भयंकर

Coccus – गोल कोशिका

Radiodurans – रेडिएशन में टिकने वाला

इस नाम से ही इसके चरित्र की झलक मिलती है — यह एक ऐसा जीव है जो हर विपरीत परिस्थिति को झेल सकता है।

5. संरचना और आकार

यह ग्राम-पॉज़िटिव (Gram-positive) प्रकार का जीव है, लेकिन इसकी दीवार में कुछ ग्राम-नेगेटिव विशेषताएँ भी मिलती हैं।

इसका आकार लगभग 1.5 से 3.5 माइक्रोमीटर व्यास का होता है।

यह बैक्टीरिया स्पोर (बीजाणु) नहीं बनाता, फिर भी जीवित रहता है।

इसकी कोशिका दीवारें बहुत मोटी और मजबूत होती हैं, जो इसे बाहरी दबावों से बचाती हैं।

इसकी कोशिकाएँ आपस में जुड़कर एक टेट्राड (चार का समूह) बनाती हैं।

6. यह कैसे जीवित रहता है?

इस बैक्टीरिया की सबसे बड़ी खासियत है इसका DNA पुनर्निर्माण (DNA Repair Mechanism)। जब किसी अन्य जीव का DNA रेडिएशन से टूट जाता है, तो वह मर जाता है। लेकिन Deinococcus radiodurans अपने टूटे DNA टुकड़ों को जोड़कर फिर से सही कर लेता है।

मानो किसी ने किसी किताब के पन्ने फाड़ दिए हों, और यह जीव उन सभी टुकड़ों को फिर से जोड़कर किताब को ठीक कर दे।

7. रेडिएशन झेलने की क्षमता

रेडिएशन को मापने की इकाई होती है Gray (Gy)।

इंसान अधिकतम 5 से 10 Gy तक की रेडिएशन झेल सकता है।

Deinococcus radiodurans लगभग 5000 Gy तक आराम से झेल सकता है।

कुछ प्रयोगों में यह 15,000 Gy से भी अधिक झेलने में सक्षम पाया गया है।

यह इतनी रेडिएशन है कि अगर किसी मनुष्य पर डाली जाए तो उसका डीएनए तुरंत नष्ट हो जाएगा।

8. तापमान, ठंड, वैक्यूम और एसिड में उत्तरजीविता

Deinococcus radiodurans केवल रेडिएशन ही नहीं, बल्कि कई अन्य चरम परिस्थितियों में भी टिक सकता है —

गर्मी (Heat): 60°C तक के तापमान में भी सक्रिय रहता है।

ठंड (Cold): शून्य डिग्री से नीचे तापमान में भी निष्क्रिय नहीं होता।

वैक्यूम (Vacuum): बिना हवा और दबाव के भी जीवित रह सकता है।

एसिड (Acid): अम्लीय वातावरण में भी अपने प्रोटीन और डीएनए को सुरक्षित रखता है।

इसी वजह से वैज्ञानिक इसे “Almost Immortal Microbe” भी कहते हैं।

9. डीएनए मरम्मत की अनोखी प्रक्रिया

इसकी सबसे अद्भुत विशेषता है डीएनए की मरम्मत की क्षमता। जब रेडिएशन या यूवी किरणें इसके डीएनए को तोड़ देती हैं, तब यह अपने जीनोम की कई कॉपियों की मदद से DNA को दोबारा जोड़ देता है।

इस प्रक्रिया को “Extended Synthesis-Dependent Strand Annealing (ESDSA)” कहा जाता है। यह जीव लगभग 1000 से अधिक टूटे डीएनए टुकड़ों को कुछ घंटों में जोड़ सकता है।

10. प्रोटीन सुरक्षा और एंटीऑक्सिडेंट प्रणाली

रेडिएशन से सिर्फ डीएनए ही नहीं, बल्कि प्रोटीन भी नष्ट हो जाते हैं। लेकिन Deinococcus radiodurans के अंदर मँगनीज (Mn) आधारित विशेष प्रोटीन होते हैं जो ऑक्सिडेशन से बचाते हैं।

ये प्रोटीन सेल के अंदर Reactive Oxygen Species (ROS) को खत्म कर देते हैं, जिससे डीएनए और एंजाइम सुरक्षित रहते हैं।

यही कारण है कि इस बैक्टीरिया के अंदर की जैविक मशीनरी “कवच” की तरह सुरक्षित रहती है।

11. जीनोम की खासियत

Deinococcus radiodurans का जीनोम (Genetic Material) काफी अनोखा है।

इसमें दो मुख्य क्रोमोसोम और दो प्लास्मिड होते हैं।

एक कोशिका में इसके जीनोम की 4 से 10 प्रतियाँ तक मौजूद रहती हैं।

यही बहु-प्रतिकृति प्रणाली DNA को दोबारा जोड़ने में मदद करती है।

इसका GC content लगभग 67% है, जो इसे स्थिर बनाता है।

12. क्यों कहा जाता है “Conan the Bacterium”?

“Conan the Barbarian” नामक फिल्म के नायक की तरह यह बैक्टीरिया किसी भी कठिन परिस्थिति में हार नहीं मानता। वैज्ञानिकों ने जब इसे Conan the Bacterium कहा तो यह नाम तुरंत लोकप्रिय हो गया। यह नाम इसकी अविश्वसनीय सहनशक्ति (resilience) का प्रतीक बन गया।

13. वैज्ञानिक प्रयोग और अंतरिक्ष परीक्षण

NASA और जापानी अंतरिक्ष एजेंसी JAXA ने Deinococcus radiodurans को Low Earth Orbit (LEO) में रखा। एक साल तक यह बैक्टीरिया अंतरिक्ष के वैक्यूम और कॉस्मिक रेडिएशन के बीच रहा — और फिर भी जीवित पाया गया।

इससे यह साबित हुआ कि यदि पृथ्वी से कोई सूक्ष्मजीव अंतरिक्ष में पहुँचे, तो वह अन्य ग्रहों पर भी जीवित रह सकता है।

इसी विचार को “Panspermia Hypothesis” कहा जाता है — यानी जीवन का बीज ब्रह्मांड के एक ग्रह से दूसरे ग्रह तक फैल सकता है।

14. बायोटेक्नोलॉजी में उपयोग

Deinococcus radiodurans के विशेष गुण इसे जैव-प्रौद्योगिकी (Biotechnology) में भी उपयोगी बनाते हैं।

इसे ऐसे जीन इंजीनियरिंग कार्यों में उपयोग किया जा सकता है जहाँ रेडिएशन की संभावना हो।

वैज्ञानिक इसे Genetic Chassis की तरह इस्तेमाल करने की योजना बना रहे हैं ताकि यह विषाक्त वातावरण में भी प्रोटीन बना सके।

15. रेडियोधर्मी अपशिष्ट सफाई (Bioremediation)

दुनिया के कई देशों में परमाणु अपशिष्ट (Nuclear Waste) को नष्ट करना एक बड़ी चुनौती है। यह बैक्टीरिया उन स्थानों पर जीवित रह सकता है जहाँ सामान्य जीव मर जाते हैं।

इसलिए वैज्ञानिक इसे रेडियोधर्मी अपशिष्ट को जैविक रूप से निष्क्रिय करने (Detoxify) के लिए उपयोग करने की कोशिश कर रहे हैं।

यह भारी धातुओं (Heavy Metals) को अवशोषित कर उन्हें कम हानिकारक यौगिकों में बदल सकता है।

16. चिकित्सा और अंतरिक्ष अनुसंधान में संभावनाएँ

Deinococcus radiodurans से मिलने वाले मँगनीज-आधारित यौगिक (Mn complexes) इंसानों के लिए रेडिएशन से बचाव की दवा बनाने में मददगार हो सकते हैं।

इससे भविष्य में:

कैंसर रेडियोथेरेपी से होने वाले नुकसान कम किए जा सकते हैं।

अंतरिक्ष यात्रियों को कॉस्मिक रेडिएशन से बचाया जा सकता है।

और जैव-टीकों (Bio-Vaccines) में स्थायित्व बढ़ाया जा सकता है।

17. मानव सभ्यता के लिए महत्व

यह बैक्टीरिया हमें सिखाता है कि जीवन हमेशा रास्ता ढूंढ लेता है। जहाँ इंसान या अन्य जीव नहीं टिक सकते, वहाँ भी जीवन किसी रूप में बना रह सकता है।

इसकी मौजूदगी हमें याद दिलाती है कि पृथ्वी के बाहर भी जीवन संभव है — बस वह हमारी तरह नहीं दिखता।

18. भविष्य के शोध क्षेत्र

भविष्य में वैज्ञानिक इसके जीन को अन्य जीवों में स्थानांतरित करने पर काम कर रहे हैं ताकि

फसलों को सूखे और विकिरण से सुरक्षित बनाया जा सके और मनुष्यों के लिए रेडिएशन-रोधी उपचार विकसित किए जा सकें। साथ ही यह अध्ययन जारी है कि यह जीव इतने कठोर वातावरण में “विकसित” कैसे हुआ, क्या यह पृथ्वी पर जन्मा, या अंतरिक्ष से आया?

Deinococcus radiodurans – रेडिएशन से जंग जीतने वाला पृथ्वी का अमर बैक्टीरिया
Deinococcus radiodurans – रेडिएशन से जंग जीतने वाला पृथ्वी का अमर बैक्टीरिया
🔹 FAQs: Deinococcus radiodurans – सबसे मजबूत बैक्टीरिया के बारे में

1. Deinococcus radiodurans क्या है?

उत्तर:
Deinococcus radiodurans एक ग्राम-पॉजिटिव, गोलाकार बैक्टीरिया है, जो अपनी असाधारण सहनशीलता के लिए जाना जाता है। यह रेडिएशन, उच्च तापमान, ठंड, निर्जलीकरण (dehydration), वैक्यूम और एसिडिक वातावरण में भी जीवित रह सकता है।

2. Deinococcus radiodurans को “Conan the Bacterium” क्यों कहा जाता है?

उत्तर:
इसे “Conan the Bacterium” इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह काल्पनिक योद्धा “Conan the Barbarian” की तरह किसी भी कठिन परिस्थिति में नहीं मरता। यह नाम इसकी ताकत और अजेय क्षमता को दर्शाता है।

3. Deinococcus radiodurans की खोज कब और कैसे हुई थी?

उत्तर:
इस बैक्टीरिया की खोज 1956 में अमेरिका के ओरेगन में एक प्रयोग के दौरान हुई थी, जब वैज्ञानिक रेडिएशन से संरक्षित डिब्बाबंद मांस में बैक्टीरिया की वृद्धि देखकर हैरान रह गए थे। तभी इसका नाम “Deinococcus radiodurans” रखा गया।

4. Deinococcus radiodurans रेडिएशन में कैसे जीवित रहता है?

उत्तर:
इस बैक्टीरिया में DNA मरम्मत (DNA repair) की अनोखी प्रणाली होती है। जब रेडिएशन इसके DNA को तोड़ देता है, तो यह कुछ घंटों में ही उसे फिर से जोड़ देता है। साथ ही इसके प्रोटीन भी रेडिएशन से नष्ट नहीं होते, जिससे यह जीवित रह पाता है।

5. क्या Deinococcus radiodurans अंतरिक्ष में जीवित रह सकता है?

उत्तर:
हाँ, यह बैक्टीरिया अंतरिक्ष की विकिरण, वैक्यूम और तापमान जैसी चरम परिस्थितियों में भी जीवित रह सकता है। इसलिए इसे वैज्ञानिक “space life model” के रूप में भी अध्ययन करते हैं।

6. Deinococcus radiodurans का उपयोग कहाँ किया जाता है?

उत्तर:
इसे बायोटेक्नोलॉजी और पर्यावरण विज्ञान में उपयोग किया जाता है — विशेष रूप से radioactive waste cleaning (bioremediation) में। यह रेडियोधर्मी प्रदूषण को कम करने में मदद कर सकता है।

7. क्या Deinococcus radiodurans इंसानों के लिए हानिकारक है?

उत्तर:
नहीं, यह बैक्टीरिया मनुष्यों के लिए हानिकारक नहीं है। यह न तो संक्रमण करता है और न ही कोई बीमारी फैलाता है। वास्तव में, इसे वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए उपयोग किया जाता है।

8. Deinococcus radiodurans का आकार और बनावट कैसी होती है?

उत्तर:
यह एक गोलाकार (coccus) आकार का बैक्टीरिया है जिसका व्यास लगभग 1.5–3 माइक्रोमीटर होता है। ये कोशिकाएँ जोड़ों में या चार के समूह में दिखाई देती हैं।

9. क्या Deinococcus radiodurans पृथ्वी से बाहर जीवन की संभावना को सिद्ध करता है?

उत्तर:
हाँ, यह इस संभावना को मजबूत करता है कि जीवन अत्यंत कठोर परिस्थितियों में भी मौजूद हो सकता है — जैसे मंगल ग्रह या अंतरिक्ष में। इसलिए NASA और ESA जैसी एजेंसियाँ इस पर अध्ययन कर रही हैं।

10. Deinococcus radiodurans को इतना खास क्या बनाता है?

उत्तर:
इसकी DNA मरम्मत क्षमता, प्रोटीन सुरक्षा तंत्र, और ऑक्सीडेटिव तनाव (oxidative stress) से लड़ने की शक्ति इसे “धरती का सबसे मजबूत जीव” बनाती है।

🔹 निष्कर्ष – प्रकृति का अमर योद्धा

Deinococcus radiodurans केवल एक सूक्ष्मजीव नहीं, बल्कि यह जीवन की असीम संभावनाओं का प्रतीक है। जिस दुनिया में परमाणु विकिरण, अत्यधिक गर्मी, ठंड, और अंतरिक्ष का वैक्यूम तक जीवन को असंभव बना देते हैं — वहाँ यह बैक्टीरिया न केवल जीवित रहता है, बल्कि सक्रिय रूप से अपना DNA पुनर्निर्मित भी करता है।

इसकी अद्भुत DNA मरम्मत प्रणाली, प्रोटीन सुरक्षा तंत्र, और रेडिएशन-प्रतिरोधी क्षमता ने वैज्ञानिकों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि जीवन की सीमाएँ वास्तव में कहाँ तक हैं। यही कारण है कि Deinococcus radiodurans को “Conan the Bacterium” कहा जाता है — एक ऐसा योद्धा जो मौत से भी नहीं डरता।

अंतरिक्ष अनुसंधान से लेकर radioactive waste management, biotechnology, और medical science तक — यह बैक्टीरिया भविष्य के अनेक वैज्ञानिक नवाचारों की नींव रख सकता है।

संक्षेप में, Deinococcus radiodurans हमें यह सिखाता है कि जीवन की असली ताकत केवल आकार या गति में नहीं, बल्कि अनुकूलन (adaptation) और पुनर्जनन (regeneration) की क्षमता में है।

यह सचमुच प्रकृति का एक जीवित चमत्कार है — धरती का सबसे मजबूत और अमर जीव।

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Parveen Kumar

Hello! Welcome To About me My name is Parveen Kumar Sniya. I have completed my B.Tech degrees in education. I Working last 4 years Digital Plaform like as Youtube,Facebook, Blogging etc.

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