Delhi Metro Tunnel Phase 4: माँ आनंदमयी मार्ग से तुगलकाबाद तक बनी सुरंग ने रचा नया इतिहास |

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Delhi Metro Tunnel Phase 4 Update: माँ आनंदमयी मार्ग से तुगलकाबाद के बीच भूमिगत सुरंग निर्माण पूरा

 

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प्रस्तावना: भविष्य की रफ्तार को आकार देती Delhi Metro

भारत की राजधानी Delhi Metro रेल न केवल एक यातायात साधन है, बल्कि यह आधुनिक शहरी जीवन की धड़कन बन चुकी है। दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) ने अब एक और क्रांतिकारी उपलब्धि हासिल की है — फेज-4 के अंतर्गत गोल्डन लाइन कॉरिडोर में माँ आनंदमयी मार्ग और तुगलकाबाद रेलवे कॉलोनी के बीच भूमिगत सुरंग का निर्माण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है।

यह सुरंग राजधानी के परिवहन मानचित्र को न केवल बदल देगी, बल्कि टेक्नोलॉजी और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में भी एक मिसाल कायम करेगी।

गोल्डन लाइन: Delhi Metro की कनेक्टिविटी को नई ऊंचाइयाँ

गोल्डन लाइन, जिसे Delhi Metro की लाइन-10 के रूप में भी जाना जाता है, फेज-4 विस्तार योजना का अहम हिस्सा है। इसका मार्ग तुगलकाबाद से एरोसिटी तक फैला हुआ है, जिसकी कुल लंबाई लगभग 23.6 किलोमीटर है।

इस कॉरिडोर में कुल 16 स्टेशन होंगे — जिनमें से 12 अंडरग्राउंड और 4 एलिवेटेड होंगे।

मुख्य स्टेशन होंगे:

तुगलकाबाद

मठुरा रोड

सूरजकुंड

IGNOU रोड

महरौली

वसंत कुंज

एरोसिटी

सुरंग निर्माण: इंजीनियरिंग का अनोखा उदाहरण

कहाँ और कैसे बनाई गई सुरंग?

इस सुरंग का निर्माण माँ आनंदमयी मार्ग और तुगलकाबाद रेलवे कॉलोनी स्टेशन के बीच किया गया है। सुरंग की लंबाई करीब 2.65 किलोमीटर है और इसकी औसत गहराई 16 मीटर है।

इस निर्माण में अत्याधुनिक Earth Pressure Balance Tunnel Boring Machine (EPBM) तकनीक का इस्तेमाल किया गया।

सुरंग निर्माण की तकनीकी जानकारी:

डायमीटर (भीतर से): 5.8 मीटर

कुल रिंग्स की संख्या: 1,894

सुरंग बोरिंग मशीन का नाम: AMRIT

निर्माण एजेंसी: Afcons Infrastructure

निर्माण की अवधि: 42 महीने

प्रोजेक्ट लागत: ₹1,669.20 करोड़

सुरंग की संरचना और सुरक्षा मापदंड

इस सुरंग को दो समानांतर मार्गों में विभाजित किया गया है — एक अप ट्रैक और दूसरा डाउन ट्रैक के लिए। इससे संचालन में लचीलापन और आपातकालीन स्थितियों में वैकल्पिक मार्ग की सुविधा मिलती है।

DMRC ने टनलिंग के दौरान ग्राउंड मॉनिटरिंग सिस्टम, वाइब्रेशन कंट्रोल, और वाटर प्रूफिंग तकनीक को शामिल किया है ताकि निर्माण के समय सतह पर स्थित इमारतों और बुनियादी ढांचे को किसी प्रकार का नुकसान न पहुँचे।

निर्माण में आई चुनौतियाँ और समाधान

बड़ी चुनौतियाँ:

  1. दिल्ली की घनी आबादी वाले इलाकों से गुजरना

  2. चट्टानी भूगर्भीय परतों को पार करना

  3. मौजूदा सीवरेज और जल आपूर्ति पाइपलाइन से टकराव

  4. रेलवे ट्रैक के करीब खुदाई का जोखिम

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DMRC ने ऐसे किया समाधान:

EPBM तकनीक के इस्तेमाल से जमीन का संतुलन बनाए रखा गया

मॉनिटरिंग सेंसर और CCTV निगरानी 24×7 सक्रिय रखी गई

नॉइज़ और वाइब्रेशन को न्यूनतम स्तर पर लाया गया

खुदाई से पूर्व ग्राउंड सर्वे और माइक्रो टनलिंग योजना लागू की गई

सुरंग निर्माण का चरणबद्ध विवरण

1. सर्वेक्षण एवं मैपिंग – जमीन की संरचना और संभावित बाधाओं की डिजिटल मैपिंग की गई।

2. बोरिंग मशीन की स्थापना – 105 मीटर लंबी TBM AMRIT को स्थल पर लाया गया।

3. टनलिंग प्रक्रिया – हर दिन लगभग 8–10 मीटर खुदाई की गई।

4. रिंग सेगमेंट डालना – सुरंग के आकार को कायम रखने हेतु कंक्रीट रिंग्स डाली गईं।

5. सेलिंग और प्रूफिंग – सुरंग में वॉटर सीलिंग, इलेक्ट्रिकल वेंटिलेशन और एंटी-ड्रिप कोटिंग की गई।

प्रगति की वर्तमान स्थिति

इस सुरंग की खुदाई जून 2024 में पूरी की जा चुकी है और अब इसमें ट्रैक बिछाने, वेंटिलेशन सिस्टम, लाइटिंग, और ऑटोमेशन का काम प्रगति पर है। दूसरी समानांतर सुरंग का निर्माण जनवरी 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है।

गोल्डन लाइन के फायदे

यातायात लाभ:

दक्षिणी दिल्ली को हवाई अड्डे से सीधे जोड़ेगा

वायलेट लाइन और एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन से इंटरचेंज सुविधा

ट्रैफिक जाम और प्रदूषण में भारी कमी

दैनिक यात्रा में समय की बचत — अनुमानतः 30% कम समय

सामाजिक व आर्थिक लाभ:

रियल एस्टेट की कीमतों में वृद्धि

नए व्यावसायिक क्षेत्रों को बढ़ावा

रोज़गार के अवसरों में वृद्धि

प्रदूषण नियंत्रण में सहयोग

पर्यावरणीय प्रभाव और सतत विकास

DMRC ने इस परियोजना के दौरान पर्यावरणीय संतुलन का विशेष ध्यान रखा। निर्माण में निकलने वाली मिट्टी और कंक्रीट मलबे का दोबारा उपयोग किया गया। साथ ही, निर्माण स्थल पर धूल नियंत्रण, जल संरक्षण और हरियाली बढ़ाने के उपाय किए गए।

कब तक पूरी होगी गोल्डन लाइन?

DMRC के अनुसार, गोल्डन लाइन को मार्च 2026 तक पूरी तरह से चालू कर दिया जाएगा। इस पूरी परियोजना को तीन मुख्य पैकेज में विभाजित किया गया है और सभी ठेकेदार तय समयसीमा पर काम पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

सुरंग निर्माण के तकनीकी पक्ष: बारीकियों की गहराई में

Delhi Metro की इस सुरंग को बनाने में जिस टेक्नोलॉजी और इंजीनियरिंग का इस्तेमाल हुआ है, वह भारत में मेट्रो निर्माण के नए मानक स्थापित करता है।

आमतौर पर भूमिगत सुरंग बनाना एक अत्यंत जटिल कार्य होता है — विशेषकर जब इसे घनी आबादी, पुरानी इमारतों और संवेदनशील संरचनाओं के नीचे से होकर गुजरना हो।

टनल बोरिंग मशीन (TBM) AMRIT – भारत की शहरी सुरंगों की नायिका

लंबाई: 105 मीटर

वजन: लगभग 650 टन

संचालन: हाइड्रॉलिक मोटर और इलेक्ट्रॉनिक सेंसर से नियंत्रित

गति: रोज़ाना 8-10 मीटर तक की खुदाई

विशेषता: Earth Pressure Balance (EPB) तकनीक से मिट्टी को स्थिर रखते हुए आगे बढ़ना

TBM AMRIT पूरी तरह से स्वचालित मशीन है, जो हर खुदाई के बाद सुरंग की दीवारों में कंक्रीट रिंग्स सेट कर देती है। इससे सुरंग गिरने का खतरा शून्य के बराबर हो जाता है।

Delhi Metro का फेज-4 विस्तार और उसकी रूपरेखा

फेज-4 Delhi Metro का अब तक का सबसे महत्वाकांक्षी चरण है। इसका उद्देश्य दिल्ली के बाहरी और घने इलाकों को जोड़ते हुए यातायात का विकेंद्रीकरण करना है।

फेज-4 में प्रस्तावित कुल रूट:

1. जनकपुरी वेस्ट–आर.के. आश्रम मार्ग (Magenta Line एक्सटेंशन)

2. मजलीपुर–मौजपुर (Pink Line रिंग को पूरा करना)

3. तुगलकाबाद–एरोसिटी (Golden Line)

इन तीनों कॉरिडोर की कुल लंबाई 65.10 किमी है। इसका लगभग 70% हिस्सा भूमिगत होगा।

Delhi Metro Tunnel Phase 4: माँ आनंदमयी मार्ग से तुगलकाबाद तक बनी सुरंग ने रचा नया इतिहास |
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माँ आनंदमयी मार्ग और तुगलकाबाद रेलवे कॉलोनी की भूमिका

माँ आनंदमयी मार्ग:

यह स्टेशन IGNOU रोड, ओखला, और साउथ दिल्ली के अन्य रिहायशी इलाकों को जोड़ता है। यहाँ से निकटवर्ती आवासीय क्षेत्रों को हवाई अड्डे से जोड़ने में यह स्टेशन निर्णायक साबित होगा।

तुगलकाबाद रेलवे कॉलोनी:

यह स्टेशन दक्षिणी दिल्ली और फरीदाबाद के बीच ट्रांजिट पॉइंट की भूमिका निभाएगा। इसके पास स्थित रेलवे लाइन और वायलेट लाइन के इंटरचेंज की सुविधा यात्रियों के लिए लाभदायक होगी।

Delhi Metro: स्मार्ट मेट्रो तकनीक और सुरक्षा

Delhi Metro अब केवल एक ट्रांसपोर्ट सिस्टम नहीं रही, बल्कि यह एक “स्मार्ट मोबिलिटी प्लेटफॉर्म” बन चुकी है। इस सुरंग में निम्न तकनीकों को शामिल किया गया है:

वेंटिलेशन कंट्रोल सिस्टम – आपातकाल में धुएँ और गैस को बाहर निकालना

ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम – ट्रेनों के बीच दूरी बनाए रखना

ट्रेन ऑटोमैशन (CBTC) – बिना ड्राइवर के संचालन की सुविधा

CCTV और IoT आधारित अलर्ट सिस्टम – 24×7 निगरानी

निर्माण में लगे श्रमिकों और इंजीनियरों की मेहनत

इस सुरंग के निर्माण में प्रतिदिन लगभग 500 से अधिक मज़दूरों, इंजीनियरों, जियोटेक एक्सपर्ट्स और सेफ्टी इंस्पेक्टर्स ने योगदान दिया।

विशेष सुरक्षा उपाय:

हर वर्कर को PPE किट, ऑक्सीजन मास्क और सुरक्षा अलार्म दिया गया

तीन शिफ्टों में कार्य — रात का समय सुरंग की खुदाई के लिए सबसे उपयुक्त

चिकित्सा शिविर, जल संरक्षण और मोबाइल लैब्स की सुविधा स्थल पर मौजूद

Delhi Metro: पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कदम

DMRC ने पर्यावरण की दृष्टि से भी कई प्रेरणादायक पहल की हैं:

निर्माण स्थल पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

कचरे और गाद का रिसाइकलिंग प्लांट

वनों की कटाई की जगह वृक्षारोपण अभियान

डीजल इंजन की जगह इलेक्ट्रिक क्रेन और बायोफ्यूल से चलने वाले ट्रक

यात्रियों के लिए संभावित बदलाव

वैकल्पिक मार्ग की सुविधा – दक्षिणी दिल्ली के निवासियों को अब मथुरा रोड या रिंग रोड पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा

निवेश और रियल एस्टेट में तेजी – सुरंग मार्ग के निकट क्षेत्रों में संपत्ति मूल्य में 20–30% तक वृद्धि की संभावना

महिलाओं और बुजुर्गों के लिए सुविधा – स्टेशन डिज़ाइन पूरी तरह से दिव्यांग और वरिष्ठ नागरिकों के अनुकूल

स्मार्ट टिकटिंग और मोबाइल ऐप्स – यात्रियों को यात्रा योजनाएँ, भीड़ स्तर और ट्रेन स्थिति मोबाइल पर मिलेगी

भविष्य की योजनाएँ और लक्ष्य

DMRC का लक्ष्य है कि:

सुरंग से संबंधित सभी टेक्निकल इंस्टॉलेशन दिसंबर 2025 तक पूरे कर लिए जाएँ

ट्रायल रन जनवरी–फरवरी 2026 के बीच किए जाएँ

कमर्शियल संचालन मार्च 2026 तक प्रारंभ हो

निष्कर्ष: Delhi Metro की नई सुरंग — तकनीक, सुविधा और भविष्य की ओर एक मजबूत कदम

Delhi Metro रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) द्वारा माँ आनंदमयी मार्ग और तुगलकाबाद रेलवे कॉलोनी स्टेशन के बीच बनाई गई यह भूमिगत सुरंग, केवल कंक्रीट और स्टील की रचना नहीं है — यह दिल्ली के भविष्य की आधारशिला है।

गोल्डन लाइन (तुगलकाबाद–एरोसिटी कॉरिडोर) के इस महत्वपूर्ण खंड ने Delhi Metro निर्माण में तकनीकी दक्षता, पर्यावरणीय संवेदनशीलता और यात्री सुविधा के अद्वितीय मानक स्थापित किए हैं।

Delhi Metro परियोजना में आधुनिक टनल बोरिंग मशीन, स्मार्ट सिग्नलिंग, और सतत विकास के सिद्धांतों को शामिल कर, DMRC ने दिखा दिया है कि शहरी ढांचे में विकास और पर्यावरण का संतुलन कैसे बनाए रखा जा सकता है।

यह सुरंग दक्षिणी दिल्ली को न केवल हवाई अड्डे से जोड़ेगी, बल्कि ट्रैफिक, प्रदूषण और यात्रा समय को भी प्रभावी रूप से घटाएगी।

यात्रियों के लिए बेहतर कनेक्टिविटी, शहर के लिए सुव्यवस्थित ट्रांसपोर्ट और पर्यावरण के लिए एक टिकाऊ समाधान — यह सुरंग इन तीनों लक्ष्यों को साथ लेकर आगे बढ़ती है।

अंततः, यह सुरंग Delhi Metro की सिर्फ एक परियोजना नहीं, बल्कि “भविष्य की दिल्ली” की ओर एक सुनहरा द्वार है — तेज़, सुरक्षित और हरित परिवहन का प्रतीक।


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Hello! Welcome To About me My name is Sanjeev Kumar Sanya. I have completed my BCA and MCA degrees in education. My keen interest in technology and the digital world inspired me to start this website, “Aajvani.com.”

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