Earth Day 2025: हरित भविष्य की ओर बढ़ता एक प्रेरणादायक कदम
प्रस्तावना: जब धरती पुकारती है
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Toggleहर साल 22 अप्रैल को मनाया जाने वाला पृथ्वी दिवस (Earth Day) महज़ एक दिन नहीं, बल्कि एक चेतावनी है – हमारी धरती बीमार हो रही है।
प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन, वनों की कटाई, जलवायु परिवर्तन, और प्रदूषण ने हमारी इस एकमात्र रहने योग्य ग्रह को संकट में डाल दिया है।
2025 में, Earth Day की प्रासंगिकता और भी अधिक बढ़ गई है, क्योंकि अब यह सिर्फ एक पर्यावरण दिवस नहीं बल्कि मानव अस्तित्व की लड़ाई बन चुका है।
Earth Day का इतिहास: एक बीज से वटवृक्ष तक
शुरुआत कहाँ से हुई?
Earth Day की शुरुआत 1970 में अमेरिका के एक पर्यावरण प्रेमी सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन के प्रयासों से हुई थी। औद्योगिक क्रांति के बाद जैसे-जैसे पर्यावरणीय संकट गहराने लगा, नेल्सन ने पर्यावरणीय शिक्षा और आंदोलन को एक नया रूप दिया।
22 अप्रैल 1970 को अमेरिका में लगभग 2 करोड़ लोगों ने सड़कों पर उतरकर पर्यावरण संरक्षण की मांग की — यह अमेरिका के इतिहास का सबसे बड़ा नागरिक प्रदर्शन था।
विश्वव्यापी आंदोलन में कैसे बदला?
1990 में Earth Day पहली बार वैश्विक स्तर पर मनाया गया और आज यह 190 से अधिक देशों में 1 अरब से अधिक लोगों की भागीदारी के साथ सबसे बड़े पर्यावरणीय आयोजनों में से एक बन चुका है।
Earth Day 2025 की थीम: “Our Planet, Our Power”
हर साल EarthDay.org द्वारा एक थीम घोषित की जाती है। वर्ष 2025 की थीम है –
“हमारा ग्रह, हमारी शक्ति” (Our Planet, Our Power)।
इसका उद्देश्य है —
2030 तक विश्व स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन तीन गुना करना।
इस थीम के जरिए यह संदेश दिया जा रहा है कि अब सरकारों, उद्योगों और आम लोगों को मिलकर निर्णायक कदम उठाने होंगे।
हर कोई परिवर्तन ला सकता है — एक बल्ब बदलना हो या सरकार की नीति।
आज की सबसे बड़ी चुनौती: जलवायु परिवर्तन
ग्लोबल वॉर्मिंग की हकीकत
2024 का वर्ष अब तक का सबसे गर्म साल रहा। कई देशों में 50 डिग्री सेल्सियस के पार तापमान गया।
समुद्र का स्तर बढ़ रहा है, हिमखंड पिघल रहे हैं, सूखा और बाढ़ आम हो गए हैं। ये सब प्राकृतिक घटनाएँ नहीं, बल्कि मानवजनित गतिविधियों का नतीजा हैं।
भारत की स्थिति
भारत में जलवायु परिवर्तन का सीधा असर फसलों पर पड़ा है। कृषि पैटर्न बदल रहा है, पानी की कमी विकराल होती जा रही है, और शहरों में गर्मी की लहरें जानलेवा बन रही हैं।

प्राकृतिक संसाधनों का संकट: विकास बनाम विनाश
जंगलों का कटाव
हर साल लाखों हेक्टेयर जंगल केवल औद्योगिक विकास और शहरीकरण के नाम पर नष्ट किए जाते हैं। इससे न केवल जैव विविधता खत्म होती है, बल्कि आदिवासी समुदायों का जीवन भी प्रभावित होता है।
जल संकट
दुनिया की एक तिहाई आबादी जल संकट से जूझ रही है। भारत जैसे देश में नदी प्रदूषण, भूजल दोहन और बारिश की असमानता अब आम बात हो गई है।
नवीकरणीय ऊर्जा: आशा की नई किरण
क्या है नवीकरणीय ऊर्जा?
सौर ऊर्जा
पवन ऊर्जा
जल ऊर्जा
बायोमास ऊर्जा
ये ऊर्जा स्रोत प्राकृतिक हैं, अक्षय हैं और प्रदूषण मुक्त हैं। 2025 में दुनिया का झुकाव अब इन स्रोतों की ओर तेजी से बढ़ रहा है।
भारत की भूमिका
भारत ने 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है। सौर ऊर्जा पार्क, ग्रीन हाइड्रोजन मिशन, और ईवी नीतियाँ इसी दिशा में प्रयास हैं।
Earth Day 2025 में हो रही प्रमुख पहलें
- EarthDay.org द्वारा विश्वभर में 30,000 से अधिक आयोजनों का आयोजन
- भारत में स्कूलों और कॉलेजों में पर्यावरण सप्ताह
- ‘Green Bharat’ अभियान के तहत सामूहिक वृक्षारोपण
- क्लाइमेट क्लॉक प्रोजेक्ट का विस्तार
- स्वयंसेवी संगठनों द्वारा वेस्ट मैनेजमेंट ड्राइव्स
पर्यावरणीय शिक्षा और युवा
आज की पीढ़ी अगर पर्यावरणीय के प्रति जागरूक है तो भविष्य सुरक्षित है। स्कूलों, विश्वविद्यालयों में ईको क्लब, ग्रीन प्रोजेक्ट्स, सस्टेनेबल प्रैक्टिसेस पर काम हो रहा है।
युवा कर रहे हैं कमाल:
दिल्ली की ज्योति वर्मा द्वारा प्लास्टिक मुक्त मोहल्ला अभियान
कश्मीर के रईस अहमद द्वारा 5000 पौधों का रोपण
गुजरात के विद्यार्थियों द्वारा जल संरक्षण के इनोवेटिव मॉडल
भारत और पृथ्वी दिवस: एक आत्मीय संबंध
भारत में प्रकृति को केवल संसाधन नहीं, बल्कि “माता” के रूप में पूजा जाता है। “वसुधैव कुटुम्बकम्” का सिद्धांत हमें सिखाता है कि पूरी पृथ्वी एक परिवार है। इस दृष्टिकोण से देखा जाए तो भारत की संस्कृति और पृथ्वी दिवस का भाव एक-दूसरे के पूरक हैं।
भारतीय परंपराएँ और पर्यावरण संरक्षण
पेड़-पौधों की पूजा: तुलसी, पीपल, वटवृक्ष – यह केवल वनस्पति नहीं, देवता हैं।
नदियों की आराधना: गंगा, यमुना, सरस्वती – इन्हें माँ का दर्जा दिया गया है।
जीव-जंतुओं का सम्मान: नाग पंचमी, गोपाष्टमी, गायत्री जयंती – पशु और पक्षी भी जीवन के भाग हैं।
लेकिन आज क्या हो रहा है?
शहरीकरण की दौड़ में हम इन्हीं पवित्र तत्वों को नुकसान पहुँचा रहे हैं। गंगा आज दुनिया की सबसे प्रदूषित नदियों में से एक है। जंगलों की कटाई से बाघ, हाथी जैसे जीव संकट में हैं।
संविधान और पर्यावरण: भारत की कानूनी संरचना
भारत का संविधान भी पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देता है:
अनुच्छेद 48A:
राज्य का कर्तव्य है कि वह पर्यावरण की रक्षा और सुधार करे और वन तथा वन्य जीवों की सुरक्षा करे।
अनुच्छेद 51A(g):
प्रत्येक नागरिक का यह मूल कर्तव्य है कि वह प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा करे।
प्रमुख कानून:
पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986
जल (प्रदूषण निवारण) अधिनियम, 1974
वायु (प्रदूषण निवारण) अधिनियम, 1981
इन कानूनों के होते हुए भी यदि पृथ्वी संकट में है, तो कहीं न कहीं हमारी राजनीतिक इच्छाशक्ति और सामाजिक जागरूकता की कमी ज़िम्मेदार है।

Earth Day 2025 पर विज्ञान और तकनीक की भूमिका
ग्रीन टेक्नोलॉजी के उदाहरण:
1. कार्बन कैप्चर टेक्नोलॉजी (CCS):
वायुमंडल में फैले कार्बन डाइऑक्साइड को पकड़ कर ज़मीन के नीचे संग्रह करना।
2. स्मार्ट ग्रिड और ऊर्जा कुशल उपकरण:
बिजली की बर्बादी को कम करने में मददगार।
3. बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक:
अब ऐसे प्लास्टिक तैयार हो रहे हैं जो मिट्टी में आसानी से घुल जाते हैं।
4. ईवी (इलेक्ट्रिक वाहन) क्रांति:
प्रदूषण मुक्त परिवहन के लिए Tesla, Tata, Ola, Ather जैसी कंपनियाँ अग्रणी हैं।
Earth Day और SDGs: सतत विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals)
संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित 17 SDGs में से कई सीधे पृथ्वी दिवस से जुड़ते हैं:
1. SDG 6: स्वच्छ जल और स्वच्छता
2. SDG 7: सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा
3. SDG 12: जिम्मेदार उपभोग और उत्पादन
4. SDG 13: जलवायु परिवर्तन से निपटना
5. SDG 15: स्थलीय पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा
Earth Day एक मोरल कॉल है कि हमें इन लक्ष्यों को सिर्फ सरकारी दस्तावेजों में नहीं, अपने जीवन में उतारना होगा।
वैकल्पिक जीवनशैली: एक नई सोच की ज़रूरत
सस्टेनेबल लाइफस्टाइल अपनाएँ:
Fast Fashion छोड़िए, Eco-friendly कपड़े अपनाइए।
Re-use, Recycle, Refuse को जीवन में उतारिए।
मांसाहारी भोजन से परहेज़, क्योंकि पशुपालन भी जलवायु संकट का बड़ा कारण है।
‘क्लाइमेट डाइट’ जैसे अभियान अब युवाओं में तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं।
पृथ्वी दिवस 2025 और युवाओं की भूमिका
इस समय दुनिया की सबसे बड़ी आबादी युवाओं की है — और यही आबादी पृथ्वी की दिशा तय करेगी। युवा न केवल भविष्य के कर्णधार हैं, बल्कि वर्तमान के परिवर्तनकर्ता भी हैं।
युवाओं से उम्मीद क्यों है?
तकनीकी रूप से सक्षम हैं: सोशल मीडिया, ऐप्स, डिजिटल ज्ञान।
सजग हैं: जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग जैसे मुद्दों पर जागरूकता रखते हैं।
उद्यमी हैं: ग्रीन स्टार्टअप्स, ईको-बिज़नेस में हिस्सा ले रहे हैं।
आवाज उठा सकते हैं: नीति-निर्माताओं पर प्रभाव डाल सकते हैं।
युवाओं के लिए संकल्प:
ईको-क्लब या ग्रीन ग्रुप बनाना।
कॉलेज फेस्टिवल्स में ‘सस्टेनेबिलिटी थीम’ जोड़ना।
“क्लाइमेट स्ट्राइक” या “क्लाइमेट वॉक” जैसे आयोजनों में भाग लेना।
गाँवों या स्कूलों में जाकर पर्यावरण जागरूकता फैलाना।
कुछ प्रेरणादायक कहानियाँ
1. लिसिप्रिया कंगुजम (भारत):
मणिपुर की यह छोटी बच्ची सिर्फ 11 साल की उम्र में भारत की ‘ग्रेटा थनबर्ग’ कहलाने लगी। उसने संसद के बाहर खड़े होकर क्लाइमेट एक्शन की माँग की।
2. ग्रेटा थनबर्ग (स्वीडन):
“Fridays for Future” की शुरुआत करने वाली इस युवती ने पूरे विश्व को दिखा दिया कि उम्र मायने नहीं रखती, संकल्प मायने रखता है।
3. अमृतसर का प्लास्टिक फ्री गाँव:
पंजाब के एक गाँव में पंचायत और युवाओं ने मिलकर प्लास्टिक का पूर्ण बहिष्कार किया और उसका मॉडल अब देशभर में अपनाया जा रहा है।
पृथ्वी दिवस 2025 और जलवायु संकट
आज पूरी दुनिया जिस गंभीर संकट से जूझ रही है, वो सिर्फ भविष्य की समस्या नहीं है – यह आज की आपात स्थिति है।
मुख्य संकट:
बर्फ का पिघलना: आर्कटिक और हिमालयी ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं।
समुद्री स्तर में वृद्धि: तटीय शहर जैसे मुंबई, कोलकाता, चेन्नई पर खतरा।
सूखा और बाढ़: भारत में हर साल सैकड़ों किसान जलवायु से प्रभावित होते हैं।
प्रजातियाँ विलुप्त: हर साल लगभग 10,000 प्रजातियाँ विलुप्त हो रही हैं।
एक नई क्रांति की ओर – Earth Day से Earth Habit की यात्रा
अब समय आ गया है कि Earth Day को सिर्फ एक दिन नहीं, बल्कि एक दैनिक आदत बनाया जाए।
इसका मतलब है:
हर दिन ऊर्जा की बचत करना।
हर दिन पानी व्यर्थ न बहाना।
हर दिन कूड़ा सही ढंग से निपटाना।
हर दिन पौधों और पशु-पक्षियों का सम्मान करना।
Earth Day तब सफल होगा, जब वह हर दिन हमारी आदत बन जाएगा।
निष्कर्ष: पृथ्वी बचाओ, जीवन बचाओ
पृथ्वी कोई विकल्प नहीं है। न उसके पास कोई बैकअप है, न हमारे पास कोई ‘प्लान बी’।
हम इसे किराए पर नहीं लिए हुए हैं — यह हमारी जिम्मेदारी है।
2025 का पृथ्वी दिवस हमें सिर्फ फूल लगाने या भाषण देने का दिन नहीं है। यह है:
कर्म करने का दिन,
आत्मावलोकन का दिन,
और संकल्प लेने का दिन।
तो आइए, हम सब मिलकर प्रतिज्ञा लें कि हम न केवल इस धरती को बचाएँगे, बल्कि उसे और भी सुंदर बनाएँगे — अपने बच्चों के लिए, उनके बच्चों के लिए, और सम्पूर्ण सृष्टि के लिए।
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