EOS-06 के OCM सेंसर द्वारा वैश्विक स्तर पर फाइटोप्लांकटन सांद्रता की पहचान
परिचय – समुद्र विज्ञान और पर्यावरण अध्ययन के क्षेत्र में, समुद्र के रंग का निरीक्षण (Ocean Colour Monitoring – OCM) बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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Toggleभारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा प्रक्षेपित किये गये EOS-06 उपग्रह में लगे Ocean Colour Monitor (OCM) सेंसर ने वैश्विक स्तर पर फाइटोप्लांकटन (Phytoplankton) और क्लोरोफिल-ए (Chlorophyll-a) की सांद्रता को मापने की एक नई उपलब्धि हासिल की है।
जो ओसियनोग्राफी के क्षेत्र मे भारत के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि हैं। यह सेंसर हर दो दिन में एक बार पृथ्वी के महासागरों से संबंधित डेटा एकत्र करता है, जिसके तहत समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र (marine ecosystem) की जैव-भू-रासायनिक विविधता (biogeochemical variability) का अध्ययन किया जाता है।

यहाँ पर हम भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संस्थान (ISRO ) के द्वारा प्रक्षेपित किये गये EOS-06 के OCM सेंसर, उसकी कार्यप्रणाली, महत्व, फाइटोप्लांकटन और क्लोरोफिल-ए की भूमिका, और महासागर पारिस्थितिकी तंत्र में उनके प्रभावों पर विस्तृत चर्चा करने का प्रयास करेंगे।
1. EOS-06 उपग्रह और उसका OCM सेंसर
EOS-06 उपग्रह क्या है?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संस्थान (ISRO ) के द्वारा प्रक्षेपित किया गया EOS-06 (Earth Observation Satellite-06) RISAT-2B नामक उपग्रह का उत्तराधिकारी है और यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा 26 नवंबर 2022 को लॉन्च किया गया था।
यह एक अत्याधुनिक पृथ्वी का अवलोकन उपग्रह है, जिसे विशेष रूप से महासागर, जल निकायों और तटीय क्षेत्रों की निगरानी के लिए डिज़ाइन किया गया है।
EOS-06 उपग्रह की प्रमुख विशेषताएँ:
* यह उपग्रह ध्रुवीय-सूर्य समकालिक कक्षा (Polar Sun-Synchronous Orbit) में परिक्रमा करता है।
* इसमें Ocean Colour Monitor (OCM-3), Sea Surface Temperature Monitor (SSTM), और Ku-band Scatterometer (SCAT-3) जैसे महत्वपूर्ण उपकरण लगे हैं जिनका मुख्य काम Ocean Colour को Monitor करना हैं।
•यह उपग्रह समुद्री जैव-रासायनिक घटनाओं, जलवायु परिवर्तन, मत्स्य पालन प्रबंधन और प्रदूषण निगरानी के लिए महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करता है और उस डेटा को भविष्य के लिए भी अपने पास रखता हैं।
Ocean Colour Monitor (OCM-3) सेंसर क्या है?
यह EOS-06 का OCM-3 सेंसर एक मल्टी-स्पेक्ट्रल कैमरा है, जो 13 अलग-अलग स्पेक्ट्रल बैंड्स में डेटा एकत्र करता है। इसका मुख्य कार्य महासागरीय जल की सतह से परावर्तित प्रकाश का अध्ययन करना और उसमें मौजूद क्लोरोफिल-ए (Chl-a) की मात्रा को मापना है। Read more….
OCM सेंसर की मुख्य विशेषताएँ:
* इसका 1 किलोमीटर (km) का स्थानिक संकल्प (Spatial Resolution) – यानी यह OCM सेंसर 1 किलोमीटर के क्षेत्र में होने वाले परिवर्तनों को कैप्चर कर सकता है।
* OCM सेंसर की दो-दिन की पुनरावृत्ति दर (Revisit Time) – यह हर 2 दिनों में एक बार पूरे विश्व के महासागरों की स्थिति को रिकॉर्ड करता है और डेटा को कलेक्ट करता हैं।
* OCM सेंसर महासागरीय जैव-रासायनिक घटनाओं का अध्ययन करने में पूरी तरह से सक्षम हैं।
* यह मत्स्य पालन, समुद्री जलवायु परिवर्तन, और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की निगरानी में सहायक होता हैं।
2. फाइटोप्लांकटन (Phytoplankton) और क्लोरोफिल-ए (Chlorophyll-a) क्या हैं?
फाइटोप्लांकटन क्या हैं?
फाइटोप्लांकटन एक सूक्ष्म, एककोशीय पादप प्रजातियाँ (microscopic plant-like organisms) होती हैं, जो महासागरों, झीलों और नदियों के जल में तैरती रहती हैं।
ये फ़ूड चैन के अंतर्गत आने वाले प्राथमिक उत्पादक (primary producers) होते हैं, जो सूर्य के प्रकाश की सहायता से प्रकाश-संश्लेषण (photosynthesis) की प्रक्रिया द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) को जैविक पदार्थों में परिवर्तित करने का कार्य करते हैं।
क्लोरोफिल-ए (Chlorophyll-a) क्या है?
क्लोरोफिल-ए (Chl-a) एक हरा वर्णक (pigment) है, जो प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में मदद करता है। महासागरों में क्लोरोफिल-ए की सांद्रता (Chlorophyll-a concentration) समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की उत्पादकता और जल की गुणवत्ता को दर्शाती है।
इसकी मात्रा को मापने से हमे यह पता चलता है कि महासागरों में फाइटोप्लांकटन की कितनी मात्रा मौजूद है और वे किस प्रकार के समुद्री वातावरण में वृद्धि कर रहे हैं।
3. OCM सेंसर द्वारा महासागरीय अध्ययन का महत्व
OCM सेंसर से प्राप्त डेटा कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डालता है:
(A) जैव-भू-रासायनिक प्रक्रियाएँ (Biogeochemical Processes)
* इनके द्वारा महासागरों में समाहित पोषक तत्वों (nutrients) के प्रवाह और उनके वितरण की जानकारी मिलती है।
* इनके द्वारा महासागरों में प्राथमिक उत्पादकता (Primary Productivity) यानी जैविक गतिविधियों के स्तर को समझने में काफ़ी मदद मिलती है।

(B) जलवायु परिवर्तन और महासागर स्वास्थ्य (Climate Change and Ocean Health)
* इनके द्वारा जलवायु परिवर्तन के कारण महासागरों में होने वाले अम्लीकरण (ocean acidification), तापमान की वृद्धि और प्रवाल भित्तियों (coral reefs) के क्षरण की निगरानी संभव होती है।
* इनके द्वारा जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अध्ययन कर समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के भविष्य की भविष्यवाणी की जा सकती है।
(C) मत्स्य पालन (Fisheries) और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र
* मत्स्य पालन उद्योग विकसित करने के लिए यह डेटा बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इसके द्वारा डेटा से मिली जानकारी फाइटोप्लांकटन की मात्रा के लिए यह संकेत देती है कि मछलियों के लिए भोजन की उपलब्धता कैसी होगी।
* इससे समुद्री जैव विविधता और पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है।
(D) समुद्री प्रदूषण और जल गुणवत्ता (Marine Pollution and Water Quality)
* इससे महासागरों में होने वाले तेल रिसाव (oil spills), प्लास्टिक प्रदूषण और औद्योगिक कचरे के प्रभावों की निगरानी संभव होती है।
* इसके द्वारा तटीय क्षेत्रों में यूफिकेशन (Eutrophication) यानी अत्यधिक पोषक तत्वों के कारण ऑक्सीजन की कमी से होने वाली समस्याओं की पहचान की जा सकती है। Click here
4. OCM सेंसर के उपयोग के संभावित लाभ
1. इनके द्वारा वैश्विक स्तर पर महासागरों की पारिस्थितिकी का अध्ययन किया जा सकता है।
2. इनके द्वारा समुद्री जैव विविधता को संरक्षित करने में बहुत मदद मिलती है।
3. इससे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की सटीक निगरानी संभव होती है।
4. इनसे समुद्री संसाधनों के सतत उपयोग और संरक्षण में सहायता मिलती है।
5. इनसे मत्स्य पालन उद्योग को वैज्ञानिक आधार पर निर्णय लेने में सहायता मिलती है।
6. इनके द्वारा समुद्री आपदाओं (जैसे हरिकेन और सूनामी) की निगरानी के लिए डेटा उपलब्ध कराया जा सकता है।
5. निष्कर्ष
भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संस्थान (ISRO) द्वारा प्रक्षेपित किया गया EOS-06 उपग्रह का Ocean Colour Monitor (OCM-3) सेंसर महासागरों के जैव-भू-रासायनिक अध्ययन में क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है।
यह वैश्विक स्तर पर फाइटोप्लांकटन और क्लोरोफिल-ए की सांद्रता को ट्रैक करने में सक्षम है, जिससे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की बेहतर समझ विकसित हो रही है।
इस तकनीक के माध्यम से जलवायु परिवर्तन, मत्स्य पालन, समुद्री प्रदूषण और महासागरीय पारिस्थितिकी संतुलन पर प्रभावी निगरानी रखी जा सकती है। इस प्रकार, OCM सेंसर वैश्विक पर्यावरणीय नीति निर्माण, समुद्री संरक्षण और सतत विकास के लिए महत्वपूर्ण उपकरण साबित हो सकता है।