Excessive Heat क्या है? कारण, प्रभाव और बचाव की सम्पूर्ण जानकारी!
भूमिका: जब गर्मी जीवन को छूने लगती है
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Toggleगर्मी मौसम का एक सामान्य हिस्सा है। लेकिन जब यह सिर्फ मौसम नहीं, बल्कि एक मुसीबत बन जाए – तब हम बात करते हैं ‘अत्यधिक गर्मी’ की। यह सिर्फ तापमान का बढ़ना नहीं है, यह एक चुनौती है – शरीर के लिए, समाज के लिए, और संपूर्ण प्रकृति के लिए।
गर्मी कोई नई चीज़ नहीं, पर अब उसका रूप बदला है। अब गर्मी सिर्फ झुलसाती नहीं, मारने भी लगी है। वो इंसान जो खेतों में काम करता है, वो बच्चा जो दोपहर में स्कूल से लौट रहा है, वो महिला जो चूल्हे पर रोटी बना रही है – सभी के लिए यह एक अदृश्य शत्रु बन चुकी है।
अत्यधिक गर्मी (Excessive Heat) क्या है?
अत्यधिक गर्मी (Excessive Heat) उस स्थिति को कहते हैं जब पर्यावरण का तापमान सामान्य से बहुत ऊपर चला जाता है, और यह हमारे शरीर के अंदरूनी संतुलन को बिगाड़ देता है। आमतौर पर जब तापमान 40°C या उससे ऊपर हो, और वातावरण में नमी (ह्यूमिडिटी) भी अधिक हो – तो वह गर्मी जानलेवा हो सकती है।
यह वो स्थिति है जब हमारा शरीर पसीना बहाकर खुद को ठंडा नहीं रख पाता, जिससे शरीर का तापमान लगातार बढ़ने लगता है – और फिर शरीर के अंगों पर असर डालना शुरू हो जाता है।
एक दिन की कहानी: जब गर्मी ने घर के भीतर कदम रखा
कल्पना कीजिए एक गाँव का दृश्य। दोपहर के 2 बजे हैं। सूरज आसमान में आग बरसा रहा है। खेत में काम कर रहे बुजुर्ग रामप्रसाद जी पसीने से लथपथ हो गए हैं।
अचानक उन्हें चक्कर आता है, और वो वहीं गिर जाते हैं। उनका बेटा दौड़कर आता है, उन्हें पानी देता है, पर कुछ नहीं होता। यही है ‘हीट स्ट्रोक’ – जब शरीर का तापमान इतना बढ़ जाता है कि मस्तिष्क और दिल दोनों जवाब देने लगते हैं।
ये कोई काल्पनिक कहानी नहीं है, यह हर साल हजारों लोगों के साथ घटती है – खासकर भारत जैसे गर्म देशों में।
अत्यधिक गर्मी (Excessive Heat) के प्रकार
हीट क्रैम्प्स
ये हल्की अवस्था होती है।
भारी काम के दौरान मांसपेशियों में ऐंठन होती है।
अधिकतर पैरों, हाथों और पेट में।
हीट एक्सॉशन (Heat Exhaustion)
पसीना अधिक, कमजोरी, चक्कर आना, मतली।
तत्काल आराम और पानी जरूरी होता है।
सबसे खतरनाक स्थिति।
शरीर का तापमान 104°F (40°C) से ऊपर।
त्वचा सूखी हो जाती है, मानसिक भ्रम, उलझन और बेहोशी हो सकती है।
यह एक आपातकाल है।
अत्यधिक गर्मी (Excessive Heat) के लक्षण
अत्यधिक गर्मी शरीर को बहुत तरह से प्रभावित करती है, जैसे:
तेज़ सिरदर्द
चक्कर आना
धड़कन तेज़ होना
उल्टी या मिचली
भ्रम या बोलने में कठिनाई
त्वचा का लाल और सूखा हो जाना
पेशाब का रंग गाढ़ा हो जाना
शरीर का जलन महसूस करना
अत्यधिक गर्मी (Excessive Heat) के कारण
प्राकृतिक कारण
गर्म हवाओं का प्रवाह (लू)
भूमध्य रेखा के पास का क्षेत्र
जलवायु परिवर्तन
मानवजनित कारण
अधिक सीमेंटेड शहर, कम पेड़ (Urban Heat Island)
वाहन और फैक्ट्रियों से निकलती गर्मी
कंक्रीट की इमारतें जो गर्मी को रोक लेती हैं
बेतरतीब शहरीकरण
किन लोगों को अधिक खतरा होता है?
बुजुर्ग: उनकी तापमान नियंत्रण क्षमता कम होती है।
बच्चे: पसीने की ग्रंथियाँ पूरी विकसित नहीं होतीं।
गर्भवती महिलाएं: शरीर पर पहले से तनाव होता है।
मजदूर: जो धूप में काम करते हैं।
हृदय, मधुमेह, रक्तचाप के रोगी।
अत्यधिक गर्मी (Excessive Heat) का मनोवैज्ञानिक प्रभाव
गर्मी सिर्फ शारीरिक ही नहीं, मानसिक प्रभाव भी छोड़ती है:
चिड़चिड़ापन
गुस्सा
एकाग्रता में कमी
नींद की गड़बड़ी
सामाजिक व्यवहार में बदलाव
अत्यधिक गर्मी (Excessive Heat) से बचाव के उपाय
व्यक्तिगत स्तर पर
हल्के, ढीले और सूती कपड़े पहनें।
दिन में 3-4 लीटर पानी पिएं।
छाता या टोपी का प्रयोग करें।
दिन में 12 से 3 के बीच बाहर निकलने से बचें।
घर में
खिड़कियों पर पर्दे लगाएं।
दोपहर में पंखा और गीले कपड़े का उपयोग करें।
AC नहीं है तो मिट्टी के घड़े का पानी पिएं।
समुदाय स्तर पर
सार्वजनिक स्थानों पर पेयजल की व्यवस्था।
स्कूलों में दोपहर की छुट्टियाँ।
मजदूरों को छांव और ब्रेक का समय देना।
अत्यधिक गर्मी (Excessive Heat) के समय क्या करें और क्या न करें
क्या करें:
1. ढेर सारा पानी पिएं: शरीर में पानी की कमी न होने दें। हर घंटे थोड़ा-थोड़ा पानी पिएं, भले ही प्यास न लगी हो।
2. हल्के और ढीले कपड़े पहनें: सूती और हल्के रंग के कपड़े गर्मी से बचाते हैं। ये पसीना जल्दी सोखते हैं और हवा का संचार बनाए रखते हैं।
3. धूप में बाहर निकलने से पहले सिर ढकें: टोपी, दुपट्टा या छाता साथ रखें। इससे लू लगने की संभावना कम हो जाती है।
4. दिन के सबसे गर्म समय में घर के अंदर रहें: दोपहर 12 से 3 बजे तक बाहर निकलने से बचें।
5. ताजे फल और सब्जियाँ खाएं: खीरा, तरबूज, ककड़ी, नींबू पानी जैसी चीज़ें शरीर को ठंडक देती हैं।
क्या न करें:
1. ठंडा पानी या कोल्ड ड्रिंक एकदम से न पिएं: तेज़ गर्मी से आने के बाद सीधे फ्रिज का पानी या आइसक्रीम खाने से गला खराब हो सकता है।
2. तेल-मसाले वाला भारी खाना न खाएं: ऐसे खाने से शरीर में गर्मी बढ़ती है और पेट की दिक्कतें हो सकती हैं।
3. बिना सिर ढके धूप में न निकलें: इससे लू लगने का खतरा बढ़ जाता है।
4. अधिक कैफीन या शराब का सेवन न करें: ये डिहाइड्रेशन को बढ़ाते हैं।
5. शरीर को नज़रअंदाज़ न करें: अगर चक्कर, ज़्यादा पसीना, उल्टी जैसा महसूस हो तो तुरंत आराम करें और डॉक्टर से सलाह लें।

जलवायु परिवर्तन और बढ़ती गर्मी
आज अत्यधिक गर्मी (Excessive Heat) का एक बड़ा कारण जलवायु परिवर्तन है। इंसानों द्वारा किया गया प्रदूषण – जैसे गाड़ियों से निकलने वाला धुआँ, जंगलों की कटाई, कारखानों की गैसें – ये सब मिलकर पृथ्वी को गर्म कर रहे हैं।
जब वातावरण का तापमान बढ़ता है, तब:
सूखे बढ़ते हैं
जल संकट गहराता है
फसलें सूख जाती हैं
और बीमारियाँ बढ़ती हैं
सरकार की भूमिका और नीति
भारत सरकार और राज्य सरकारें समय-समय पर ‘हीट एक्शन प्लान’ बनाती हैं। इनमें:
हीट वेव की चेतावनी देना
मेडिकल सेंटर तैयार रखना
सार्वजनिक जल वितरण
जनजागरूकता अभियान
इन सबका उद्देश्य लोगों को सावधान, सुरक्षित और सतर्क बनाना है।
भारतीय संदर्भ में अत्यधिक गर्मी (Excessive Heat)
भारत जैसे देश में जहां 1.4 अरब से ज़्यादा लोग रहते हैं, अत्यधिक गर्मी (Excessive Heat) सिर्फ स्वास्थ्य संकट नहीं – एक आर्थिक और सामाजिक चुनौती भी है। किसानों की फसलें सूखती हैं, श्रमिकों का उत्पादन घटता है, और लोगों की ऊर्जा कम हो जाती है।
2022 और 2023 में उत्तर भारत और राजस्थान में तापमान 48°C तक चला गया था – यह बताता है कि अब गर्मी सिर्फ परेशानी नहीं, एक आपदा है।
क्या समाधान हैं?
हर मोहल्ले में पेड़ लगाना
छायादार बस स्टॉप्स बनाना
ठंडी छतें (Cool Roof Technology)
जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन
सौर ऊर्जा का उपयोग
अत्यधिक गर्मी (Excessive Heat) का आर्थिक प्रभाव
जब गर्मी सामान्य से बहुत ज़्यादा हो जाती है, तो उसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है, खासकर निम्नलिखित क्षेत्रों में:
कृषि क्षेत्र
सूखा पड़ने से फसलें खराब हो जाती हैं।
सिंचाई की मांग बढ़ती है, जिससे भूजल का दोहन बढ़ता है।
किसानों पर कर्ज़ का बोझ बढ़ता है।
श्रम क्षेत्र
मजदूरों की कार्यक्षमता कम हो जाती है।
निर्माण कार्य धीमा हो जाता है।
उत्पादन में गिरावट आती है।
ऊर्जा क्षेत्र
बिजली की मांग बढ़ती है (AC, कूलर आदि से)।
ग्रिड पर दबाव बढ़ता है, बिजली कटौती होती है।
पेट्रोल-डीज़ल की खपत में इज़ाफा होता है।
अत्यधिक गर्मी (Excessive Heat) और शहरी जीवन
शहरी ताप द्वीप (Urban Heat Island Effect)
शहरों में कंक्रीट, डामर की सड़कें, और कम पेड़ – मिलकर एक “ताप द्वीप” बनाते हैं, जो गांवों की तुलना में ज़्यादा गर्म होते हैं।
कमजोर वर्ग पर असर
झुग्गियों में रहने वाले लोग सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।
छतों पर टिन की चादरें और प्लास्टिक की छतें गर्मी को और बढ़ा देती हैं।
सार्वजनिक परिवहन पर असर
बसों और ट्रेनों में अत्यधिक गर्मी (Excessive Heat) से यात्रियों को परेशानी होती है।
अधिक गर्मी से इंजन भी ओवरहीट हो जाते हैं।
अत्यधिक गर्मी (Excessive Heat) के दौरान बच्चों और वृद्धों की सुरक्षा
बच्चों के लिए सुझाव:
स्कूल में खेलने का समय सुबह या शाम किया जाए।
पानी की बोतल साथ रखें।
स्कूल यूनिफॉर्म हल्की और सूती हो।
वृद्धों के लिए सुझाव:
धूप में न निकलें, खासकर दोपहर में।
BP, शुगर की दवाएं समय पर लें।
नमक-चीनी का घोल (ORS) पिएं।
भावनात्मक कहानी: दादी की ठंडी छांव
गर्मी के दिनों में गाँव की एक दादी, अपने घर की छत पर पुरानी छप्पर वाली छाया बनाकर बच्चों को दोपहर में वहीं सुलाती थीं। वहाँ मिट्टी का घड़ा, तुलसी का पौधा और आम का पेड़ – मिलकर एक प्राकृतिक AC बनाते थे।
आज की पीढ़ी के लिए यह याद दिलाना ज़रूरी है कि प्रकृति के पास गर्मी से बचने का अपना उपाय पहले से मौजूद है – बस हमें उसे समझना और अपनाना है।
अत्यधिक गर्मी (Excessive Heat) से संबंधित महत्वपूर्ण आँकड़े (2024 तक)
भारत में हर साल 1500 से अधिक लोग अत्यधिक गर्मी (Excessive Heat) से मरते हैं।
2023 में राजस्थान के कुछ हिस्सों में तापमान 50°C तक पहुंच गया था।
दिल्ली में जून महीने में 18 दिन ‘हीट वेव’ घोषित किए गए।
2030 तक अत्यधिक गर्मी (Excessive Heat) से होने वाली मृत्यु दर दोगुनी हो सकती है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अत्यधिक गर्मी
यूरोप
2022 की गर्मियों में फ्रांस, इटली और स्पेन में हजारों लोगों की मृत्यु हुई।
यूरोपीय शहर भी अब हीट एक्शन प्लान बना रहे हैं।
अफ्रीका
कई देशों में सूखा और भुखमरी की स्थिति बनी रहती है।
अत्यधिक गर्मी से कृषि चरमरा जाती है।
अमेरिका
कैलिफोर्निया और टेक्सास में गर्मियों में जंगलों में आग बढ़ती है।
हीट एडवाइजरी और अलर्ट आम हो गए हैं।
अत्यधिक गर्मी (Excessive Heat) और पानी का संकट
गर्मी के साथ ही पानी की कमी और ज़्यादा खतरनाक हो जाती है:
कुएँ और तालाब सूख जाते हैं।
भूजल स्तर गिर जाता है।
पीने के पानी के लिए झगड़े होते हैं।
पशुओं के लिए पानी का संकट गहरा जाता है।
इसलिए यह ज़रूरी है कि गर्मी के साथ-साथ जल संरक्षण पर भी विशेष ध्यान दिया जाए।
क्या कर सकते हैं हम – एक नागरिक के रूप में?
व्यक्तिगत ज़िम्मेदारियाँ
पानी व्यर्थ न करें।
पेड़ लगाएँ।
छत पर सफेद पेंट या रिफ्लेक्टिव शीट का प्रयोग करें।
कमजोर वर्गों को पानी और सहायता दें।
सामुदायिक पहल
‘पानी घर’ की व्यवस्था करें।
स्थानीय पार्कों को हरा-भरा रखें।
सामूहिक रूप से वृक्षारोपण करें।
भावनात्मक संदेश: गर्मी को हराना है, तो एक होना है
गर्मी एक मौन आपदा है – यह बिना किसी आवाज़ के लोगों को मार देती है। इससे निपटने के लिए हमें न केवल वैज्ञानिक उपायों की ज़रूरत है, बल्कि एक-दूसरे के प्रति संवेदनशीलता की भी ज़रूरत है। अगर हम सब मिलकर एक बच्चे को, एक वृद्ध को, एक जानवर को छांव दे सकें – तो यह गर्मी हमें हरा नहीं सकती।

अत्यधिक गर्मी (Excessive Heat)से निपटने के लिए सरकारी योजनाएं और नीतियाँ
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA)
NDMA ने देश के विभिन्न हिस्सों में Heat Action Plan लागू करने के दिशा-निर्देश दिए हैं।
इसमें प्राथमिक उपचार, जल वितरण केंद्र, छाया क्षेत्र, और सार्वजनिक सूचनाएं शामिल होती हैं।
स्थानीय प्रशासन के प्रयास
कुछ नगर निगम छतों पर सफेद पेंट या रिफ्लेक्टिव कोटिंग करा रहे हैं।
सार्वजनिक स्थानों पर “जल छाया केंद्र” स्थापित किए जा रहे हैं।
स्कूली बच्चों के लिए गर्मी की छुट्टियाँ बढ़ाई जाती हैं।
अत्यधिक गर्मी पर किए गए शोध और निष्कर्ष
वैज्ञानिक निष्कर्ष
जलवायु वैज्ञानिक मानते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग का असर अब सीधे महसूस किया जा रहा है।
2020 से 2024 के बीच दुनिया में सबसे गर्म साल रिकॉर्ड किए गए।
स्वास्थ्य संस्थानों की चेतावनी
WHO के अनुसार, यदि गर्मी का प्रभाव इसी तरह जारी रहा, तो 2030 तक हर साल 2.5 लाख से ज़्यादा लोग हीट वेव्स से मर सकते हैं।
UN रिपोर्ट के अनुसार
भारत उन 5 देशों में शामिल है जो अत्यधिक गर्मी (Excessive Heat) से सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।
शहरीकरण और जंगलों की कटाई इस संकट को और गहरा कर रही है।
अत्यधिक गर्मी (Excessive Heat) और शिक्षा का संबंध
बच्चों की पढ़ाई पर असर
अधिक गर्मी में स्कूल जाना मुश्किल हो जाता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में पंखा या बिजली न होने से कक्षाएं बंद करनी पड़ती हैं।
पढ़ाई का माहौल
अधिक तापमान में एकाग्रता घटती है।
बच्चों को चक्कर आना, थकावट और सिरदर्द होता है।
समाधान
गर्मियों में सुबह की पाली में स्कूल चलें।
कक्षा में ठंडे पानी की व्यवस्था हो।
बच्चों को हीट स्ट्रोक से बचाव की जानकारी दी जाए।
अत्यधिक गर्मी (Excessive Heat) और मानसिक स्वास्थ्य
गर्मी सिर्फ शरीर को नहीं, मन को भी प्रभावित करती है।
गर्मी और तनाव
गर्मी के कारण नींद नहीं आती, जिससे चिड़चिड़ापन और तनाव बढ़ता है।
अधिक तापमान मानसिक बीमारियों को बढ़ावा देता है।
कमजोर वर्ग में मानसिक दबाव
झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों में चिंता और अवसाद बढ़ता है।
मजदूर वर्ग अपने बच्चों को गर्मी से नहीं बचा पाने के कारण अपराधबोध से ग्रसित हो जाता है।
मानसिक सहारा देना ज़रूरी
परिवार और समाज को एक-दूसरे का मनोबल बढ़ाना चाहिए।
सामुदायिक संवाद से मानसिक शांति को बढ़ावा दिया जा सकता है।
भावनात्मक प्रेरणा: “छांव बनने वाला हर इंसान भगवान है”
एक बार की बात है, एक छोटा बच्चा गर्मी में स्कूल से लौटते वक्त बेहोश होकर गिर पड़ा। पास से गुजर रही एक बुज़ुर्ग महिला उसे अपनी छत की छाया में ले गई, पानी पिलाया और उसके चेहरे पर पानी के छींटे दिए।
जब वह बच्चा होश में आया, उसने सिर्फ एक सवाल किया – “दादी, आप कौन हो?”
महिला ने मुस्कुराकर जवाब दिया – “मैं वो हूँ जो खुद भी इस गर्मी से जूझती हूँ, लेकिन दूसरों के लिए छांव बनना नहीं भूली।”
ये कहानी हमें सिखाती है कि इस दुनिया में छांव देने वाले लोग ही असली फरिश्ते होते हैं। ऐसे छोटे-छोटे मानवीय कार्य ही इस विशाल गर्मी को हराने का असली उपाय हैं।
भविष्य की तैयारी – क्या ज़रूरी है?
प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा
पेड़ों की अंधाधुंध कटाई बंद हो।
वर्षा जल संचयन को बढ़ावा दिया जाए।
इन्फ्रास्ट्रक्चर का पुनर्निर्माण
इमारतों को ऊर्जा कुशल बनाना।
सड़कों पर गर्मी अवशोषक सामग्री का उपयोग।
जन जागरूकता
स्कूली पाठ्यक्रम में गर्मी के बारे में जानकारी शामिल हो।
मीडिया के माध्यम से जन शिक्षा को बढ़ावा दिया जाए।
निष्कर्ष: गर्मी से नहीं हारना है, समाधान बनना है
अत्यधिक गर्मी (Excessive Heat) एक ऐसी सच्चाई बन चुकी है जिससे हम मुँह नहीं मोड़ सकते। लेकिन डरना भी इसका हल नहीं है। हमें चाहिए कि हम इस गर्मी से लड़ने के लिए वैज्ञानिक सोच, सामाजिक एकजुटता, और इंसानियत को साथ लाएं।
हर वह इंसान जो एक पौधा लगाता है, एक गिलास पानी पिलाता है, या एक वृद्ध को छांव देता है – वह नायक है इस गर्मी के दौर में।
“सूरज से लड़ना है तो पेड़ बनो, पानी बचाओ, और दिल में इंसानियत को ज़िंदा रखो।”
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