Finger Millet और Guava उत्पादकता में तमिलनाडु का दमदार सफर: जानिए कैसे बना देश में नंबर 1!
भूमिका
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Toggleभारत कृषि प्रधान देश है, और जब हम कृषि उत्पादकता की बात करते हैं, तो देश के दक्षिणी राज्यों की भूमिका बेहद अहम रही है। तमिलनाडु ऐसा ही एक राज्य है,
जो केवल अपनी सांस्कृतिक विरासत और औद्योगिक विकास के लिए ही नहीं, बल्कि कृषि के क्षेत्र में भी अपनी एक अलग पहचान रखता है।
हाल ही में जारी कृषि संबंधित आंकड़ों के अनुसार, तमिलनाडु ने Finger Millet (रागी) और अमरूद की उत्पादकता में देशभर में प्रथम स्थान प्राप्त किया है, और मक्का, गन्ना, इमली, टैपिओका (कसावा), चमेली और तिलहन में दूसरा स्थान प्राप्त किया है।
अब हम इस सफलता की बारीकियों, प्रयासों और आंकड़ों को समझने की कोशिश करेंगे – और यह जानेंगे कि तमिलनाडु ने किस प्रकार यह उपलब्धि हासिल की है।
रागी (Finger Millet) में पहला स्थान – क्यों और कैसे?
Finger Millet, जिसे पोषक अनाजों में राजा कहा जाता है, तमिलनाडु की परंपरागत फसल है। विशेषकर कृष्णागिरी, धर्मपुरी और सलेम जिले इस फसल के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
कारण:
सूखा सहनशील फसल – कम पानी में भी अच्छी उपज।
प्राकृतिक खेती को बढ़ावा – राज्य सरकार ने मिलेट मिशन के तहत जैविक खेती को प्राथमिकता दी।
स्थानीय बीजों का उपयोग – किसानों को स्थानीय जलवायु के अनुसार बेहतर बीज मुहैया कराए गए।
मूल्यवर्धन और प्रोसेसिंग – Finger Millet से बने उत्पाद जैसे रागी बिस्कुट, रागी पाउडर, Finger Millet इडली मिक्स का प्रचार।
उपलब्धि:
तमिलनाडु की औसत Finger Millet उत्पादकता देश के औसत से 30-35% अधिक है।
अमरूद में उत्पादकता में अव्वल
अमरूद एक ऐसा फल है जो विटामिन सी का बड़ा स्रोत माना जाता है। तमिलनाडु के धारापुरम, तिरुपुर, धर्मपुरी और डिंडीगुल जिले इस फल की खेती में अग्रणी हैं।
कारण:
नई तकनीकें जैसे ड्रिप सिंचाई और मल्चिंग का प्रयोग।
उन्नत किस्में – जैसे ‘लखनऊ-49’ और ‘अल्लाहबाद सफेदा’।
फलों का प्रसंस्करण – अमरूद जूस, कैंडी, स्क्वैश आदि ने किसानों को बाजार में नया स्थान दिया।
बागवानी मिशन की सफलता – केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं ने बड़ा योगदान दिया।
परिणाम:
तमिलनाडु की प्रति हेक्टेयर अमरूद उत्पादकता लगभग 30 टन/हेक्टेयर तक पहुँच चुकी है।
मक्का में दूसरा स्थान
मक्का तमिलनाडु की सबसे तेज़ी से बढ़ती फसल है। यह मुख्य रूप से सलेम, एरोड, विरुधुनगर और नामक्कल जिलों में उगाया जाता है।
कारण:
प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर उपयोग – सिंचाई और उपजाऊ भूमि।
अनुबंध खेती (Contract Farming) का विस्तार – पशु चारे और स्टार्च उद्योगों से सीधा संपर्क।
उन्नत संकर किस्मों का उपयोग।
मेकेनाइजेशन – मशीनों के द्वारा बुवाई और कटाई।
उपलब्धि:
राज्य की औसत उत्पादकता 6.5-7 टन/हेक्टेयर तक पहुंच चुकी है, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है।
गन्ना की शानदार उपज
तमिलनाडु में गन्ना न केवल खाद्य उद्योग का आधार है, बल्कि यह गन्ने की उच्च उत्पादकता के लिए भी जाना जाता है।
कारण:
प्रति बूंद अधिक फसल (More Crop Per Drop) – सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली।
को-जेनरेशन पॉलिसी – चीनी मिलों से बिजली उत्पादन, जिससे किसानों को बोनस।
फर्टिगेशन तकनीक – उर्वरकों का नियंत्रित उपयोग।
चीनी मिलों के साथ बेहतर तालमेल – समय पर भुगतान और न्यूनतम समर्थन मूल्य।
परिणाम:
राज्य की औसत उत्पादकता 110-120 टन/हेक्टेयर है, जो देश की शीर्ष उत्पादकता श्रेणी में आती है।
इमली की उत्कृष्टता
इमली, जो स्वाद और औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है, तमिलनाडु के सेलम, पेरम्बलूर, विल्लुपुरम जिलों में प्रचुरता से पाई जाती है।
कारण:
वन विभाग के साथ सामुदायिक खेती।
जैविक कृषि का प्रोत्साहन – इमली पर कोई रासायनिक कीटनाशक नहीं।
प्रसंस्करण और निर्यात – इमली पेस्ट, टॉफी, चटनी और पाउडर का बढ़ता बाज़ार।
उपलब्धि:
तमिलनाडु ने इमली की क्लस्टर आधारित खेती में नई मिसाल कायम की है।

टैपिओका (कसावा) – तमिलनाडु की अनोखी फसल
टैपिओका एक कंद फसल है, जिसे खासकर सलेम, नामक्कल और कडलूर में बड़े स्तर पर उगाया जाता है।
कारण:
उद्योगों से जुड़ाव – कसावा स्टार्च और स्बियन इंडस्ट्री।
क्लाइमैट स्मार्ट खेती – सूखा और अधिक गर्मी सहने की क्षमता।
न्यूनतम इनपुट, अधिक आउटपुट – कम लागत में अच्छी आय।
उपलब्धि:
तमिलनाडु की कसावा उत्पादकता लगभग 30-35 टन/हेक्टेयर है।
चमेली (मदुरै मल्लि) – सुगंध की खेती
चमेली केवल फूल नहीं, तमिलनाडु की संस्कृति और अर्थव्यवस्था का हिस्सा है। मदुरै, शिवगंगा, थेनी, डिंडिगुल जैसे जिलों में यह फूल बहुतायत में उगता है।
विशेषताएं:
मदुरै मल्लि को GI टैग – इसकी सुगंध और सफेद मोटी पंखुड़ियाँ प्रसिद्ध हैं।
महिलाओं की भागीदारी – फूल तोड़ना, गूंथना और बाज़ार पहुँचाना।
निर्यात क्षमता – मलेशिया, सिंगापुर और खाड़ी देशों में मांग।
उत्पादकता:
तमिलनाडु ने प्रति एकड़ अधिकतम फूल उत्पादन का रिकॉर्ड स्थापित किया है।
तिलहन – कृषि विविधता की पहचान
तिलहन में तमिलनाडु की स्थिति बेहद सुदृढ़ है, खासकर गिंगेली (तिल) और सरसों जैसी फसलों में।
कारण:
फसल चक्र में समावेश – धान या मक्का के बाद।
सरकारी अनुदान और बीज सब्सिडी।
तेल मिलों से जुड़ाव – किसानों को सीधा लाभ।
उपलब्धि:
तिलहन की उत्पादकता में तमिलनाडु देश में दूसरे स्थान पर है, जो एक बड़ी बात है।
तमिलनाडु की कृषि नीति: सफलता की रीढ़
तमिलनाडु में कृषि क्षेत्र की सफलता किसी एक पहलू की देन नहीं है, बल्कि यह राज्य सरकार की दीर्घकालिक योजनाओं, किसानों के साथ सतत संवाद और वैज्ञानिक खेती के सफल संयोजन का परिणाम है।
प्रमुख पहलें:
तमिलनाडु मिलेट मिशन (TMM): Finger Millet और अन्य मोटे अनाजों को फिर से लोकप्रिय बनाने के लिए शुरू किया गया यह मिशन किसानों को बीज, प्रशिक्षण और बाजार उपलब्ध कराता है।
तमिलनाडु कृषि बजट: भारत का पहला राज्य जिसने सामान्य बजट से अलग विशेष कृषि बजट पेश किया। इसके तहत हर फसल और हर कृषि ज़ोन के लिए अलग योजनाएं।
PMKSY (प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना) का प्रभावी क्रियान्वयन: तमिलनाडु ने “More Crop Per Drop” नीति के तहत माइक्रो इरिगेशन को हर खेत तक पहुँचाया।
किसानों की भूमिका और महिला भागीदारी
तमिलनाडु की कृषि में एक विशेष पहलू है – कृषि में महिलाओं की बढ़ती भूमिका। चाहे वह चमेली की खेती हो, अमरूद के बागों की देखरेख या प्रोसेसिंग यूनिट्स का संचालन – महिलाओं ने कई क्षेत्रों में नेतृत्व संभाला है।
उदाहरण:
मदुरै मल्लि की गूंथाई (जैस्मिन गार्लैंड्स) – ज्यादातर महिलाएं घर से ही रोजगार अर्जित करती हैं।
कृषक उत्पादक संगठन (FPOs) – महिला स्व-सहायता समूहों की भूमिका सराहनीय है।
प्राकृतिक खेती में महिलाओं की रुचि – रासायनिक मुक्त खेती की ओर महिलाओं का झुकाव तेज़ी से बढ़ा है।
जलवायु अनुकूल खेती की रणनीति
तमिलनाडु ने जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को भांपते हुए एक सतत कृषि मॉडल अपनाया है। वर्षा आधारित खेती को कम कर, सिंचित खेती की ओर बढ़ना, सूखा-प्रतिरोधी किस्मों को बढ़ावा देना इसकी मुख्य रणनीतियां रहीं।
तकनीकी पहलें:
FASAL ऐप और मौसम आधारित फसल सलाह।
कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) द्वारा गांव स्तर पर तकनीक का प्रसार।
सैटेलाइट इमेजिंग और रिमोट सेंसिंग तकनीक का उपयोग।
विपणन और मूल्यवर्धन (Value Addition)
फसल उत्पादकता के साथ-साथ बाजार मूल्य में वृद्धि और प्रोसेसिंग का विस्तार भी तमिलनाडु की रणनीति का मुख्य हिस्सा रहा है।
प्रमुख बिंदु:
Aavin और TANTEA जैसी सहकारी संस्थाएं।
FPOs द्वारा डायरेक्ट मार्केटिंग।
Agri Export Zones (AEZ) – गन्ना, अमरूद और फूलों के लिए विशेष एक्सपोर्ट क्लस्टर।
इन फसलों की निर्यात क्षमता और वैश्विक मांग
तमिलनाडु के कृषि उत्पाद सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी लोकप्रिय हैं।
निर्यात किए जाने वाले उत्पाद:
जैस्मिन (फ्रेश और एक्सट्रैक्ट फॉर्म) – सिंगापुर, मलेशिया, खाड़ी देश।
Finger Millet पाउडर और Finger Millet कुकीज़ – अमेरिका और यूरोप में स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद के रूप में।
गन्ना से बनी चीनी और इथेनॉल – औद्योगिक उपयोग में।
कसावा स्टार्च – टेक्सटाइल और फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्रीज़।
चुनौतियाँ जो अभी भी बनी हुई हैं
हालांकि तमिलनाडु की कृषि ने बड़ी सफलता पाई है, परंतु कुछ चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं:
जल संकट: तमिलनाडु में कई जिलों में पानी की कमी अब भी एक बड़ी चुनौती है।
कृषि श्रमिकों की कमी: युवा वर्ग खेती से दूर होता जा रहा है।
भूमि जोत का आकार छोटा होना: इससे मशीनीकरण में दिक्कत आती है।
कृषि ऋण का बोझ: कुछ क्षेत्रों में किसानों पर ऋण का दबाव बना रहता है।
तमिलनाडु मॉडल: अन्य राज्यों के लिए उदाहरण
तमिलनाडु ने जिस प्रकार योजनाबद्ध, वैज्ञानिक और किसान-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाया है, वह अन्य राज्यों के लिए रोल मॉडल बन चुका है।
अन्य राज्यों को मिलने वाली प्रमुख सीख:
फसल विविधीकरण: सिर्फ गेहूं-धान जैसी पारंपरिक फसलों पर निर्भर न रहकर क्षेत्रीय उपयुक्त फसलों को प्राथमिकता देना।
माइक्रो इरिगेशन: जल की कमी वाले क्षेत्रों में ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी तकनीकों को अपनाना।
कृषि आधारित महिला उद्यमिता: महिलाओं को स्व-सहायता समूहों के माध्यम से खेती से जोड़ना और उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना।
प्रोसेसिंग यूनिट्स और वैल्यू एडिशन: गांव स्तर पर ही कृषि उत्पादों को संसाधित कर मार्केट वैल्यू बढ़ाना।
विज्ञान और नवाचार: खेती का भविष्य
तमिलनाडु सरकार ने कृषि में इनोवेशन और रिसर्च को विशेष प्राथमिकता दी है, जिससे उत्पादकता और गुणवत्ता दोनों में सुधार हुआ।
प्रमुख वैज्ञानिक पहलों में शामिल हैं:
Tamil Nadu Agricultural University (TNAU) का अनुसंधान योगदान।
जैविक कीटनाशकों और खादों का स्थानीय स्तर पर उत्पादन।
बीजों की नई किस्में (HYV और GM crops) जो विशेष रूप से तमिलनाडु की मिट्टी और जलवायु के लिए उपयुक्त हैं।
Precision farming (सटीक खेती): सेंसर, ड्रोन, और AI आधारित निर्णय प्रणाली का उपयोग।

किसानों की आवाज़: ज़मीनी अनुभव
किसानों के अनुभव ही किसी भी नीति की असली परीक्षा होती हैं। तमिलनाडु के कई किसानों ने बताया कि सरकार की योजनाएं अब कागज़ पर नहीं, बल्कि खेतों तक पहुँच रही हैं।
कुछ किसान अनुभव:
“Finger Millet की खेती ने हमें पोषण और पैसा दोनों दिया।” – सलेम ज़िले के किसान वेंकटेसन।
“अमरूद की प्रोसेसिंग यूनिट से मेरी बेटी की पढ़ाई हो पाई।” – डिंडीगुल की महिला कृषक रमा।
“ड्रिप इरिगेशन ने हमारी 40% पानी की बचत की।” – तिरुपुर के किसान मुरलीधरन।
भविष्य का रोडमैप: 2030 तक Finger Millet के लक्ष्य
तमिलनाडु सरकार ने कृषि क्षेत्र को और ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए 2030 तक एक विज़न डॉक्युमेंट तैयार किया है, जिसमें निम्नलिखित लक्ष्य शामिल हैं:
- हर किसान के पास जलवायु स्मार्ट खेती की तकनीक।
- हर जिले में एक विशेष फसल का केंद्र (Special Crop Hub)।
- 10 लाख से अधिक किसानों को डिजिटल प्रशिक्षण।
- निर्यात में 3 गुना वृद्धि।
- कृषि-आधारित स्टार्टअप्स का विस्तार।
भविष्य की राह – Finger Millet आत्मनिर्भर कृषि की ओर
तमिलनाडु की सरकार और किसान दोनों आत्मनिर्भर कृषि की ओर अग्रसर हैं। “वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट“, “जैविक खेती का विस्तार”, “स्टार्टअप्स को बढ़ावा“, और “डिजिटल कृषि” जैसे कदम राज्य को भविष्य की कृषि शक्तियों में शामिल करने की दिशा में उठाए जा रहे हैं।
तमिलनाडु की Finger Millet की कृषि और फसल उत्पादकता से जुड़े FAQ
1. तमिलनाडु किस फसल में भारत में सबसे अधिक उत्पादकता वाला राज्य है?
तमिलनाडु भारत में Finger Millet (रागी) और अमरूद (ग्वावा) की उत्पादकता में शीर्ष स्थान रखता है।
2. तमिलनाडु किन फसलों में देश में दूसरे स्थान पर है?
मक्का (माइज़), गन्ना (शुगरकेन), इमली (तामरिंद), कसावा (टैपिओका), चमेली (जैस्मिन) और तिलहन (ऑइलसीड्स) में तमिलनाडु दूसरे स्थान पर है।
3. तमिलनाडु की कृषि सफलता का मुख्य कारण क्या है?
सफलता के पीछे वैज्ञानिक खेती, जल प्रबंधन, ड्रिप सिंचाई, बेहतर बीज, किसानों को प्रशिक्षण, और सरकार की प्रभावी नीतियाँ हैं।
4. क्या तमिलनाडु में महिलाओं की कृषि में भागीदारी महत्वपूर्ण है?
हाँ, महिलाओं ने विशेषकर फूलों की खेती और कृषि उत्पाद प्रोसेसिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है।
5. तमिलनाडु में जल संकट के बावजूद कृषि कैसे सफल हो रही है?
ड्रिप इरिगेशन, माइक्रो इरिगेशन, वर्षा जल संचयन और सूखा-प्रतिरोधी फसलों के इस्तेमाल से जल कुशल खेती को बढ़ावा दिया गया है।
6. तमिलनाडु सरकार ने किसानों के लिए कौन-कौन सी योजनाएँ शुरू की हैं?
तमिलनाडु Finger Millet मिशन, विशेष कृषि बजट, PMKSY, कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) से प्रशिक्षण, और डिजिटल कृषि पर केंद्रित योजनाएं प्रमुख हैं।
7. तमिलनाडु की कृषि निर्यात में क्या-क्या शामिल है?
जैस्मिन, Finger Millet पाउडर, अमरूद, गन्ने से चीनी और इथेनॉल, और कसावा स्टार्च तमिलनाडु के कृषि निर्यात में महत्वपूर्ण उत्पाद हैं।
8. तमिलनाडु की कृषि के सामने क्या चुनौतियाँ हैं?
जल संकट, भूमि के छोटे जोत, कृषि श्रमिकों की कमी, और ऋण की समस्या अभी भी चुनौतियाँ हैं।
9. तमिलनाडु में कृषि में तकनीकी नवाचार कैसे हो रहे हैं?
बीज सुधार, जैविक खाद-कीटनाशक, सटीक खेती (प्रिसिजन फार्मिंग), ड्रोन और AI आधारित कृषि तकनीकें अपनाई जा रही हैं।
10. क्या तमिलनाडु का कृषि मॉडल भारत के अन्य राज्यों के लिए फॉलो करने योग्य है?
हाँ, फसल विविधीकरण, महिला कृषि उद्यमिता, जलवायु स्मार्ट खेती और मूल्य संवर्धन जैसे तमिलनाडु के मॉडल को अन्य राज्य अपनाकर अपनी कृषि सुधार सकते हैं।
11. तमिलनाडु का कृषि क्षेत्र 2030 तक किन लक्ष्यों को हासिल करना चाहता है?
जलवायु स्मार्ट खेती, डिजिटल प्रशिक्षण, निर्यात में वृद्धि, फसल केन्द्रों की स्थापना, और स्टार्टअप्स के विस्तार के लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं।
12. तमिलनाडु के किसानों को सरकार से सबसे ज्यादा किस प्रकार की मदद मिलती है?
बीज, प्रशिक्षण, सिंचाई सुविधा, फसल बीमा, कृषि ऋण, और बाजार तक पहुंच के लिए सहायता प्रमुख हैं।
13. तमिलनाडु की Finger Millet और ग्वावा उत्पादकता में सुधार का क्या असर हुआ है?
इन फसलों के उत्पादन में वृद्धि से किसानों की आमदनी बढ़ी है, पोषण स्तर सुधरा है और राज्य की कृषि विविधता मजबूत हुई है।
14. क्या तमिलनाडु में Finger Millet जैविक खेती का प्रचलन है?
हाँ, जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है और कई किसान रासायनिक मुक्त खेती अपनाकर बेहतर उत्पादकता प्राप्त कर रहे हैं।
15. तमिलनाडु की Finger Millet कृषि में भविष्य के लिए क्या सुझाव हैं?
जल संरक्षण, तकनीकी नवाचारों का विस्तार, युवा किसानों को आकर्षित करना, और किसानों के लिए बेहतर बाजार सुविधाएं प्रदान करना आवश्यक है।
निष्कर्ष: Finger Millet
Finger Millet: तमिलनाडु की कृषि क्षेत्र में उपलब्धियां न केवल राज्य के किसानों की मेहनत और संकल्प का परिणाम हैं, बल्कि यह प्रभावी सरकारी नीतियों, वैज्ञानिक अनुसंधान और नवीनतम तकनीकों के सामंजस्य की भी सफलता है।
Finger Milletऔर अमरूद जैसे फसलों में देश में प्रथम स्थान प्राप्त करना और मक्का, गन्ना, इमली, टैपिओका, चमेली तथा तिलहन में दूसरे स्थान पर रहना तमिलनाडु की कृषि विविधता और गुणवत्ता का परिचायक है।
इस सफलता के पीछे जल संरक्षण के लिए अपनाए गए माइक्रो इरिगेशन जैसे आधुनिक तरीकों, बेहतर बीजों के विकास, किसान प्रशिक्षण, और कृषि उत्पादों की प्रोसेसिंग इकाइयों का विस्तार महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
साथ ही, महिलाओं की सक्रिय भागीदारी और डिजिटल तकनीकों के उपयोग ने भी तमिलनाडु की कृषि को मजबूत और टिकाऊ बनाया है।
हालांकि चुनौतियाँ अभी भी मौजूद हैं, जैसे जल संकट, छोटे भूखंडों की समस्या, और कृषि श्रमिकों की कमी, तमिलनाडु की निरंतर नवोन्मेष और बेहतर प्रबंधन से ये बाधाएँ पार की जा रही हैं।
भविष्य की योजनाओं में जलवायु-स्मार्ट खेती, डिजिटल प्रशिक्षण, कृषि निर्यात में वृद्धि और स्टार्टअप्स के विकास पर जोर दिया गया है, जो इस क्षेत्र को और भी विकसित करने की दिशा में एक मजबूत नींव साबित होंगे।
अंततः, तमिलनाडु का कृषि मॉडल न केवल राज्य की आत्मनिर्भरता का स्रोत है, बल्कि वह पूरे भारत के लिए एक प्रेरणा और मार्गदर्शक भी है।
यह स्पष्ट करता है कि अगर समर्पण, तकनीक, और सही नीतियाँ साथ मिलें तो कृषि क्षेत्र को आर्थिक समृद्धि और सामाजिक स्थिरता दोनों के लिए एक मजबूत आधार बनाया जा सकता है।
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