FSSAI की चेतावनी और आपका स्वास्थ्य | Calcium Carbide से बचाव जरूरी!
प्रस्तावना: आम का मौसम और छुपा खतरा
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Toggleभारत में गर्मियों के मौसम का नाम आते ही सबसे पहले याद आता है – आम। यह न सिर्फ “फलों का राजा” है, बल्कि हमारी संस्कृति, स्वाद और परंपरा का अभिन्न हिस्सा भी है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि बाजार में बिकने वाले अधिकतर आम कृत्रिम रूप से पकाए जाते हैं, और वह भी एक खतरनाक रसायन – कैल्शियम कार्बाइड से? अब इसी विषय पर भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने कड़ा रुख अपनाया है।
FSSAI की नई चेतावनी क्या कहती है?
FSSAI ने हाल ही में एक बार फिर से स्पष्ट किया है कि कैल्शियम कार्बाइड से फलों को पकाना कानूनन प्रतिबंधित है। विशेष रूप से आम के मौसम में यह चेतावनी और भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि व्यापारी जल्दी मुनाफा कमाने के लिए इस घातक तरीके का सहारा लेते हैं।
प्रमुख निर्देश:
- कैल्शियम कार्बाइड पर पूर्ण प्रतिबंध की पुष्टि।
फल पकाने वाले कक्षों (ripening chambers) को चेतावनी – केवल मान्य विधियों का प्रयोग करें।
राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के खाद्य विभागों को सतर्क रहने और कार्रवाई करने का निर्देश।
कैल्शियम कार्बाइड क्या है और यह इतना खतरनाक क्यों है?
कैल्शियम कार्बाइड (CaC₂) एक औद्योगिक रसायन है जिसे सामान्यतः वेल्डिंग और स्टील बनाने में प्रयोग किया जाता है। जब इसे नमी के संपर्क में लाया जाता है, तो यह एसिटिलीन गैस छोड़ता है, जो फल पकाने में तेजी लाता है।
लेकिन यह गैस सिर्फ पकाने का काम नहीं करती, बल्कि मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत घातक भी है।
इसके स्वास्थ्य पर प्रभाव:
सिरदर्द, चक्कर आना, उल्टी
न्यूरोलॉजिकल समस्याएं
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल असंतुलन
गर्भवती महिलाओं और बच्चों पर गंभीर प्रभाव
उपभोक्ताओं को कैसे पता चले कि आम कृत्रिम रूप से पके हैं?
1. बहुत जल्दी पकना – अगर आम सीजन की शुरुआत में ही पूरी तरह पके मिलें।
2. रंग में असमानता – ऊपर से पीले लेकिन अंदर से कच्चे।
3. सुगंध की कमी – प्राकृतिक आम की महक नहीं आती।
4. स्वाद में कसैला पन – जीभ पर चुभन सी महसूस होती है।
FSSAI द्वारा सुझाया गया सुरक्षित विकल्प – एथिलीन गैस
FSSAI ने एथिलीन गैस को एक सुरक्षित विकल्प के रूप में मान्यता दी है। यह वही गैस है जो फल खुद प्राकृतिक रूप से भी छोड़ते हैं जब वे पकते हैं।
एथिलीन के लाभ:
यह एक प्राकृतिक प्लांट हार्मोन है।
इससे फल धीरे-धीरे और समान रूप से पकते हैं।
इससे स्वास्थ्य पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता।
व्यापारियों और FBOs के लिए निर्देश
FSSAI ने फलों के व्यापारियों, हैंडलर्स और फूड बिजनेस ऑपरेटर्स (FBOs) से स्पष्ट कहा है कि:
वे सिर्फ मान्यता प्राप्त राइपनिंग चैंबर का ही प्रयोग करें।
एथिलीन जनरेटिंग उपकरण का उपयोग करें।
सभी प्रक्रियाएं FSSAI के मानकों और दिशानिर्देशों के अनुसार होनी चाहिए।

खाद्य सुरक्षा विभागों की जिम्मेदारी
राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के खाद्य सुरक्षा विभागों को:
सघन निरीक्षण करने होंगे।
शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई करनी होगी।
गलत पाए जाने पर कठोर दंड देना होगा।
उपभोक्ता क्या करें?
उपभोक्ताओं के लिए सुझाव:
स्थानीय किसानों से खरीदारी करें।
पके आम खरीदने से बचें जो बहुत चमकदार और आकर्षक दिखते हैं।
घर लाकर आमों को 2-3 दिन खुली हवा में रखें।
किसी तरह की शंका होने पर राज्य के खाद्य विभाग में शिकायत करें।
कानूनी प्रावधान
FSS Act 2006 के अंतर्गत कैल्शियम कार्बाइड का प्रयोग दंडनीय अपराध है।
दोषियों को जुर्माना, लाइसेंस रद्दीकरण, और कानूनी कार्यवाही का सामना करना पड़ सकता है।
आम का सही स्वाद – स्वास्थ्य के साथ
एक अच्छा आम न सिर्फ स्वादिष्ट होता है, बल्कि वह स्वस्थ शरीर और प्राकृतिक ऊर्जा का स्रोत होता है। लेकिन अगर उसे जहरीले रसायन से पकाया गया हो, तो वही आम बीमारियों का घर बन सकता है।
देश में कहां सबसे अधिक मिलावट की शिकायतें आती हैं?
FSSAI और राज्यों के खाद्य विभागों की रिपोर्टों के अनुसार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, और दिल्ली जैसे राज्यों में आम की कृत्रिम पकाने की सबसे अधिक शिकायतें दर्ज होती हैं। इसका प्रमुख कारण:
अधिक उपभोक्ता मांग
व्यापारी वर्ग में जागरूकता की कमी
कम लागत में तेजी से मुनाफा कमाने की होड़
कृषि मंत्रालय की पहल – सुरक्षित फलों को बढ़ावा
भारत सरकार का “सेफ फ्रूट इंडिया” अभियान छोटे किसानों को एथिलीन आधारित राइपनिंग चैंबर्स उपलब्ध करा रहा है, ताकि वे प्राकृतिक ढंग से फल पका सकें। इससे:
किसानों की आमदनी बढ़ेगी
उपभोक्ताओं को सुरक्षित फल मिलेंगे
मिलावट पर अंकुश लगेगा
क्या है खाद्य निरीक्षक की भूमिका?
खाद्य निरीक्षक (Food Safety Officer) के पास यह अधिकार होता है कि वह:
बाजार में बिक रहे फलों के नमूने लेकर जांच करें
लैब में परीक्षण के लिए भेजें
दोषियों पर FIR या लाइसेंस रद्द करने की कार्रवाई करें
अगर आप कोई भी संदेहास्पद फल पाते हैं, तो FSSAI ऐप या टोल फ्री नंबर के माध्यम से शिकायत कर सकते हैं।
खुद कैसे जांच करें?
अगर आप जानना चाहते हैं कि आम कैल्शियम कार्बाइड से पके हैं या नहीं, तो ये छोटे-छोटे टेस्ट करें:
1. गंध टेस्ट: अगर आम से तेज केमिकल जैसी गंध आती है, तो वह कार्बाइड से पका हो सकता है।
2. रंग: प्राकृतिक आमों का रंग थोड़ा हल्का और असमान होता है, जबकि कृत्रिम आम ज्यादा चमकीले होते हैं।
3. छीलने पर: कार्बाइड से पके आम के अंदर कच्चापन या हरापन दिखता है।
क्या कहता है अंतरराष्ट्रीय मानक?
अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में कैल्शियम कार्बाइड पर पूर्ण प्रतिबंध है। वहां फलों को पकाने के लिए सिर्फ प्राकृतिक या नियंत्रित एथिलीन सिस्टम का उपयोग होता है।
भारत भी अब उसी दिशा में बढ़ रहा है। FSSAI के नए सख्त नियम और आम जनता की भागीदारी से भविष्य में स्थिति और बेहतर होगी।
किसानों के लिए FSSAI की ट्रेनिंग पहल
FSSAI और कृषि विश्वविद्यालयों ने किसानों को फूड ग्रेड एथिलीन प्रयोग की ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया है। यह कार्यक्रम मुफ्त होता है और इसका उद्देश्य है:
किसानों को सशक्त बनाना
फलों की गुणवत्ता बनाए रखना
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय फलों की ब्रांड वैल्यू बढ़ाना
नैतिक जिम्मेदारी और नागरिक चेतना
आखिरकार, यह सिर्फ कानून या संस्थान की जिम्मेदारी नहीं है। हम सबकी एक नैतिक जिम्मेदारी भी बनती है कि:
हम सिर्फ प्राकृतिक और प्रमाणित आम खरीदें
दुकानदार से पूछें कि फल कैसे पके हैं
अपने परिवार, दोस्तों, और छात्रों को भी इस बारे में जागरूक करें

क्या करें अगर आपको संदिग्ध आम दिखे?
- स्थानीय स्वास्थ्य विभाग को सूचना दें।
FSSAI के मोबाइल ऐप ‘Food Safety Connect’ पर फोटो और विवरण अपलोड करें।
दुकानदार को चेताएं और सही जानकारी दें।
दूसरों को भी इस बात की जानकारी दें कि वे केवल प्रमाणित फल विक्रेताओं से ही फल खरीदें।
सस्टेनेबल और ऑर्गेनिक आम की ओर बढ़ता भारत
अब भारत में ऑर्गेनिक खेती का चलन तेजी से बढ़ रहा है। कई किसान अब:
कृषि जैविक पद्धति से आम उगा रहे हैं
कार्बाइड मुक्त और प्राकृतिक रूप से पके फल बेच रहे हैं
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (जैसे BigBasket, Amazon Fresh, Nature’s Basket) से सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंच रहे हैं
भारत सरकार भी इन किसानों को प्रमाणपत्र और बाजार उपलब्ध करा रही है, जिससे उपभोक्ता सुरक्षित विकल्प चुन सकें।
FAQs: कैल्शियम कार्बाइड से पके आम और FSSAI की चेतावनी से जुड़े सवाल
Q1. कैल्शियम कार्बाइड क्या होता है और इसका उपयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर: कैल्शियम कार्बाइड (CaC₂) एक रासायनिक यौगिक है जिसे आम, केला, पपीता आदि फलों को कृत्रिम रूप से पकाने के लिए उपयोग किया जाता है। यह जब नमी के संपर्क में आता है, तो एसीटिलीन गैस छोड़ता है, जो फल पकाने का प्रभाव देता है। लेकिन यह प्रक्रिया हानिकारक रसायनों के कारण स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है।
Q2. FSSAI ने हाल ही में कौन-सी चेतावनी जारी की है?
उत्तर: FSSAI (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) ने फलों को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड के उपयोग पर सख्त प्रतिबंध की चेतावनी दी है। यह रासायन खाद्य सुरक्षा और मानकों अधिनियम 2006 के अनुसार अवैध है और इसके उपयोग पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
Q3. कैल्शियम कार्बाइड से पके आम हमारे शरीर को कैसे नुकसान पहुंचाते हैं?
उत्तर:
सांस की समस्याएं
गले और फेफड़ों में जलन
सिरदर्द और चक्कर
कैंसर की आशंका (लंबे समय में)
तंत्रिका तंत्र (Nervous System) को नुकसान
विशेष रूप से बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों के लिए ये अत्यधिक घातक हो सकते हैं
Q4. क्या कोई सुरक्षित तरीका है फल पकाने का?
उत्तर: हां, FSSAI और वैज्ञानिक विशेषज्ञों के अनुसार फलों को पकाने के लिए इथिलीन गैस (Ethylene Gas) का उपयोग सुरक्षित, नियंत्रित और प्राकृतिक तरीका है। इसके अलावा फलों को कमरे के तापमान पर प्राकृतिक रूप से पकाना सबसे बेहतरीन विकल्प है।
Q5. हम कैसे पहचानें कि आम या कोई फल कैल्शियम कार्बाइड से पका है या नहीं?
उत्तर:
रंग अत्यधिक पीला या चमकदार हो
स्वाद फीका और अजीब हो सकता है
गंध में रासायनिकपन या कृत्रिमता हो
छूने पर फल अत्यधिक मुलायम लगे
कभी-कभी फल के अंदर कच्चापन और बाहर अत्यधिक पकाव दिखे
Q6. FSSAI द्वारा कौन-कौन से कदम उठाए जा रहे हैं?
उत्तर:
बाजारों में नियमित जांच और छापेमारी
खाद्य विक्रेताओं को चेतावनी और प्रशिक्षण
प्रमाणित एथिलीन चैंबर के उपयोग का प्रचार
जनता के लिए जागरूकता अभियान
नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना और जेल की सजा
निष्कर्ष: सुरक्षित आम खाएं, सेहतमंद रहें
भारत में आम सिर्फ एक फल नहीं है, यह हमारी संस्कृति, भावनाओं और स्वाद का हिस्सा है। लेकिन इस प्राकृतिक मिठास को कुछ लालची व्यापारियों द्वारा कैल्शियम कार्बाइड जैसे खतरनाक रसायनों से जहरीला बनाया जा रहा है।
FSSAI की चेतावनी न सिर्फ एक औपचारिक सूचना है, बल्कि यह हमारी और हमारे परिवार की सुरक्षा के लिए एक गंभीर चेतावनी है।
हमें समझना होगा कि सिर्फ स्वाद नहीं, सेहत भी उतनी ही जरूरी है। कैल्शियम कार्बाइड से पके फल चाहे दिखने में सुंदर लगें, लेकिन उनके पीछे छिपा ज़हर धीरे-धीरे शरीर को खोखला कर सकता है। यह समय है जागने का, सोचने का और सही चुनाव करने का।
एक जिम्मेदार उपभोक्ता के रूप में हमारा कर्तव्य है कि हम:
प्राकृतिक तरीके से पके फल खरीदें,
संदिग्ध फल विक्रेताओं की जानकारी साझा करें,
और दूसरों को भी जागरूक करें।
याद रखिए, एक अच्छा नागरिक वही है जो सिर्फ अपनी नहीं, बल्कि समाज की भी भलाई के बारे में सोचता है। जब हम मिलकर प्रयास करेंगे, तभी बाजार से कैल्शियम कार्बाइड जैसे ज़हर को पूरी तरह खत्म किया जा सकेगा।
तो आइए, इस आम के मौसम को प्राकृतिक, स्वादिष्ट और सुरक्षित बनाएं।
सेहत से समझौता नहीं – सिर्फ सुरक्षित और असली आम ही खाएं।
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