Geeta Samota: भारत की वो बहादुर महिला जिसने CISF के नाम किया Everest का शिखर!
परिचय: एक महिला, एक सपना और एक इतिहास
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Toggle19 मई 2025 – यह तारीख इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई, जब भारत की केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की सब-इंस्पेक्टर गीता सामोता ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (8849 मीटर) को फतह कर लिया।
यह कारनामा किसी साधारण उपलब्धि से कहीं अधिक है—यह साहस, संकल्प, और सेवा का प्रतीक है। यह CISF के 52 सालों के इतिहास में पहली बार हुआ जब किसी महिला अधिकारी ने एवरेस्ट पर कदम रखा।
यह कहानी सिर्फ एक पर्वत की चढ़ाई नहीं, बल्कि एक महिला के संघर्ष, सपने और सफलता की भी है। यह भारत की बेटियों की नई उड़ान का प्रतीक है।
पृष्ठभूमि: सीकर की साधारण बेटी, असाधारण इरादे
गीता सामोता का जन्म राजस्थान के सीकर जिले के चक नामक गांव में हुआ। एक सामान्य किसान परिवार से आने वाली गीता बचपन से ही महत्वाकांक्षी थीं।
स्कूली शिक्षा गांव में हुई और फिर उन्होंने कॉलेज में हॉकी खेलनी शुरू की। खेलों में उनकी रुचि ने उन्हें अनुशासन और टीम भावना सिखाई।
हालांकि एक दुर्घटना में उन्हें हॉकी छोड़नी पड़ी, लेकिन यह अंत नहीं था—यह तो एक नए सफर की शुरुआत थी।
CISF की वर्दी पहनने तक का सफर
गीता ने अपने करियर की शुरुआत 2011 में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) में सब-इंस्पेक्टर के रूप में की। पहली पोस्टिंग उदयपुर एयरपोर्ट यूनिट में हुई।
वहीं से उनकी सेवा यात्रा शुरू हुई। CISF जैसी बल में काम करने का अर्थ है अनुशासन, चुनौती और निष्ठा—और गीता ने हर भूमिका को पूरी निष्ठा से निभाया।
वर्दी पहनते ही उनका सपना था कुछ ऐसा करना जिससे देश को गर्व हो। और उन्होंने इस सपने को पर्वतारोहण से जोड़ दिया।
पर्वतारोहण की तरफ पहला कदम
CISF में सेवा देने के दौरान ही उन्हें पर्वतारोहण में रुचि जगी। वर्ष 2015 में गीता ने इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस (ITBP) के औली स्थित संस्थान से बेसिक माउंटेनियरिंग कोर्स किया। खास बात यह थी कि उस कोर्स में वे अपनी बैच की एकमात्र महिला थीं।
इसके बाद उन्होंने 2017 में एडवांस माउंटेनियरिंग कोर्स भी किया, जिससे वे CISF की पहली महिला बन गईं जिन्होंने दोनों माउंटेनियरिंग कोर्स पास किए।
सात चोटियों की चुनौती: “Seven Summits”
गीता ने पर्वतारोहण में गंभीरता से कदम बढ़ाते हुए “Seven Summits” की चुनौती स्वीकार की। यह चुनौती दुनिया के सात महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों को फतह करने की होती है।
गीता ने अब तक निम्नलिखित 5 महाद्वीपों की चोटियों पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की है:
- Mount Kosciuszko (2,228 मीटर), ऑस्ट्रेलिया
Mount Kilimanjaro (5,895 मीटर), अफ्रीका
Mount Elbrus (5,642 मीटर), यूरोप
Mount Aconcagua (6,961 मीटर), दक्षिण अमेरिका
Mount Lobuche (6,119 मीटर), नेपाल (एवरेस्ट से पहले की तैयारी)
इन सभी चढ़ाइयों को सिर्फ 6 महीने और 27 दिनों में पूरा करके गीता ने एक रिकॉर्ड बनाया।

एवरेस्ट की ओर: सबसे कठिन सफर
एवरेस्ट पर चढ़ाई आसान नहीं होती। यह सिर्फ एक शारीरिक परीक्षा नहीं है, बल्कि मानसिक दृढ़ता, टीमवर्क, ऑक्सीजन की कमी और -40 डिग्री जैसी परिस्थितियों में खुद को जीवित रखने की परीक्षा होती है।
गीता की टीम ने नेपाल के रास्ते से एवरेस्ट की चढ़ाई की। वे Everest Base Camp (5,364 मीटर) से शुरू होकर Camp 1, Camp 2, Camp 3 होते हुए Camp 4 तक पहुंचीं।
अंतिम चढ़ाई “Death Zone” कहे जाने वाले क्षेत्र से होकर होती है, जहां ऑक्सीजन सिलेंडर और संपूर्ण मानसिक फोकस जरूरी होता है।
19 मई 2025 को सुबह करीब 4:30 बजे गीता सामोता ने माउंट एवरेस्ट की चोटी पर भारतीय तिरंगा और CISF का झंडा फहराया।
मानव भावना और प्रेरणा की ऊंचाई
चोटी पर पहुंचते ही गीता ने सबसे पहले माँ भारत को नमन किया और फिर CISF के झंडे को हवा में लहराया। उन्होंने यह उपलब्धि CISF की सभी महिला कर्मियों को समर्पित की।
उनके शब्द थे—
“यह सिर्फ एक पर्वत की चढ़ाई नहीं है, बल्कि हर उस महिला की विजय है जो सपने देखती है और उन्हें पूरा करने की हिम्मत रखती है।”
समाज और बल में मिली सराहना
गीता के लौटते ही नई दिल्ली एयरपोर्ट पर CISF के जवानों, अधिकारियों और उनके परिजनों ने भव्य स्वागत किया। फूल, बैंड और तालियों की गूंज के बीच उनका अभिनंदन हुआ।
भारत सरकार, गृह मंत्रालय, खेल मंत्रालय, और महिला आयोग ने भी उन्हें बधाई दी। प्रधानमंत्री कार्यालय ने ट्विटर पर उनके साहस की सराहना की।
लक्ष्य अभी बाकी है: बाकी दो महाद्वीपों की चोटियां
अब गीता सामोता का लक्ष्य “Seven Summits” की बाकी दो चोटियों पर चढ़ाई करना है:
Mount Denali, उत्तरी अमेरिका (6,190 मीटर)
Mount Vinson, अंटार्कटिका (4,892 मीटर)
CISF और भारत सरकार उनके इस अभियान में पूर्ण सहयोग कर रहे हैं। वर्ष 2026 तक गीता इन दोनों चोटियों को भी फतह कर सकती हैं, जिससे वह भारत की पहली Seven Summits महिला बन सकती हैं।
गीता सामोता का प्रशिक्षण: शरीर नहीं, मन से फतह किया एवरेस्ट
एवरेस्ट जैसी ऊंचाई पर चढ़ाई करने के लिए सिर्फ शारीरिक ताकत काफी नहीं होती। मानसिक दृढ़ता, आत्म-नियंत्रण और फोकस असली हथियार होते हैं। गीता ने अपनी तैयारी का केंद्र इन बातों को बनाया।
1. मानसिक तैयारी का प्रशिक्षण
ध्यान और मेडिटेशन से उन्होंने ऑक्सीजन की कमी वाले क्षेत्रों में खुद को शांत और केंद्रित रखने की कला सीखी।
हर दिन 5 से 7 घंटे की कड़ी ट्रेनिंग में वे कार्डियो, योग, वज़न ट्रेनिंग और पर्वतीय दौड़ शामिल करती थीं।
नींद और खानपान पर खास ध्यान देती थीं – हाई-प्रोटीन डाइट और हाइड्रेशन उनकी प्राथमिकता रही।
2. पर्वतीय वातावरण की चुनौती
हाइपोथर्मिया, AMS (Acute Mountain Sickness), हड्डियों में अकड़न, और बर्फीले तूफान – इन सब का प्रशिक्षण उन्होंने लद्दाख और उत्तरकाशी के बर्फीले क्षेत्रों में किया।
उन्होंने कृत्रिम ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ-साथ बिना ऑक्सीजन चलने की भी ट्रेनिंग की थी, ताकि शरीर प्राकृतिक रूप से अनुकूल हो सके।
परिवार और बल का समर्थन: पीछे से मजबूत दीवार
Geeta Samota का परिवार हमेशा उनके साथ खड़ा रहा। खासकर उनके पिता, जिन्होंने गांव में होने के बावजूद कभी उन्हें सीमित नहीं किया। उनकी मां ने भी खेतों में काम करते हुए अपनी बेटी का सपना जिंदा रखा।
CISF ने भी इस अभियान में पूरा सहयोग दिया:
प्रशिक्षण, लॉजिस्टिक्स, मानसिक स्वास्थ्य, मेडिकल टीम – हर स्तर पर उन्हें मजबूत समर्थन मिला।
बल ने यह सुनिश्चित किया कि उनकी ट्रेनिंग की अवधि के दौरान उन्हें मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग, ट्रैकिंग गियर, और हर जरूरी सहायता मिले।
एवरेस्ट विजय के बाद की उपलब्धियाँ और सम्मान
Geeta Samota की उपलब्धियों को ना सिर्फ सुरक्षा बलों ने सराहा, बल्कि देशभर के विभिन्न संगठनों और संस्थानों ने भी उनका सम्मान किया:
“नारी शक्ति पुरस्कार 2025” के लिए नामांकन
राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा विशेष सम्मान
राजस्थान सरकार की ओर से ₹25 लाख का नकद पुरस्कार और राज्य ब्रांड एंबेसडर का दर्जा
CISF द्वारा प्रोन्नति और राष्ट्रीय प्रेरणा मिशन का प्रतिनिधित्व
Geeta Samota: भारत की बेटियों के लिए आदर्श
Geeta Samota की यात्रा उन सभी बेटियों के लिए मिसाल है जो छोटे गांवों से आती हैं और बड़े सपने देखती हैं। उन्होंने दिखा दिया कि:
पृष्ठभूमि मायने नहीं रखती, इरादा और मेहनत मायने रखती है।
वर्दी पहनने वाली महिलाएं सिर्फ सुरक्षा नहीं देतीं, प्रेरणा भी जगाती हैं।
संघर्ष ही सबसे बड़ा शिक्षक होता है।
उनकी कहानी आज स्कूलों, कॉलेजों, प्रतियोगी परीक्षाओं में मिसाल के तौर पर दी जा रही है। कई लड़कियों ने पर्वतारोहण को करियर मानना शुरू किया है।

Geeta Samota की भविष्य की योजनाएँ: अब अगला लक्ष्य आसमान से ऊपर
माउंट एवरेस्ट की चोटी पर भारत का झंडा लहराने के बाद Geeta Samota अब रुकने के मूड में नहीं हैं। उनका अगला लक्ष्य है:
1. Seven Summits को पूरा करना
Geeta Samota अब तक 5 महाद्वीपों की सबसे ऊँची चोटियाँ फतह कर चुकी हैं।
अब उनके सामने हैं:
Denali (उत्तर अमेरिका की सबसे ऊँची चोटी)
Mount Vinson (अंटार्कटिका की सबसे ऊँची चोटी)
वह 2026 तक ये दोनों शिखर भी जीतने का लक्ष्य रखती हैं।
2. महिला पर्वतारोहियों के लिए प्रशिक्षण केंद्र
Geeta Samota CISF और केंद्र सरकार के सहयोग से एक “Women Mountaineering Academy” स्थापित करना चाहती हैं।
यह अकादमी ग्रामीण क्षेत्रों की लड़कियों को पर्वतारोहण, साहसिक खेलों, मानसिक मजबूती और फिजिकल ट्रेनिंग के लिए समर्पित होगी।
3. अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भागीदारी
वे अब अंतरराष्ट्रीय महिला पर्वतारोहण प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी।
उनका उद्देश्य भारत को ग्लोबल मैप पर “Women Adventure Powerhouse” के रूप में स्थापित करना है।
भारत के युवाओं के लिए Geeta Samota का संदेश
Geeta Samota मानती हैं कि आज के युवा, चाहे वह गांव से हों या शहर से, अगर सही दिशा और प्रेरणा मिले तो वे कुछ भी कर सकते हैं।
उनके संदेश की कुछ प्रेरणादायक बातें:
1. अपने डर को अपना हथियार बनाओ
> “डर खत्म नहीं होता, लेकिन उसे पहचान कर, उसे साथ लेकर चलना ही असली हिम्मत है।”
2. सीमाएं बाहर नहीं, अंदर होती हैं
> “मैं गांव की लड़की थी, सबने कहा एवरेस्ट असंभव है। लेकिन मैंने माना नहीं। हमारी सीमाएं हमारे अंदर होती हैं, बाहर नहीं।”
3. एक बार खुद पर विश्वास करना सीखो
> “अगर आप खुद पर भरोसा कर लें, तो पूरी दुनिया आपकी जीत पर तालियाँ बजाएगी।”
4. बेटियों को सिर्फ घर की दीवारों तक मत रखो
> “हर बेटी में एक एवरेस्ट फतह करने की ताकत होती है। ज़रूरत है तो बस एक मौके की।”
निष्कर्ष (Conclusion):
गीता सामोता की जीवन यात्रा केवल एक पर्वतारोही की कहानी नहीं है, बल्कि यह साहस, समर्पण और आत्मविश्वास की मिसाल है।
एक साधारण पृष्ठभूमि से निकलकर दुनिया की सबसे ऊँची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराना, केवल शारीरिक शक्ति नहीं, बल्कि मानसिक दृढ़ता और सपनों पर अटूट विश्वास का परिणाम है।
उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि अगर इरादे मजबूत हों और लक्ष्य स्पष्ट हो, तो कोई भी बाधा आपको रोक नहीं सकती।
Geeta Samota न सिर्फ CISF की पहली महिला बनीं जिन्होंने एवरेस्ट फतह किया, बल्कि उन्होंने लाखों बेटियों को यह भरोसा भी दिया कि वो भी ‘असंभव’ को संभव बना सकती हैं।
आज की पीढ़ी के लिए Geeta Samota एक प्रेरणा स्रोत हैं — जो न केवल सीमाओं को तोड़ती हैं, बल्कि यह भी दिखाती हैं कि भारत की नारी शक्ति अब किसी भी ऊँचाई को छूने में सक्षम है।
उनका यह साहसिक कदम एक आवाज़ है —
“बेटी को रोको मत, उसे उड़ने दो — शायद वह भी एक दिन एवरेस्ट से ऊँचा उड़ जाए!
FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1. Geeta Samota कौन हैं?
A. Geeta Samota CISF की सब-इंस्पेक्टर हैं जिन्होंने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई कर CISF के इतिहास में पहली महिला पर्वतारोही बनकर इतिहास रचा।
Q2. Geeta Samota ने माउंट एवरेस्ट कब फतह किया?
A. उन्होंने 19 मई 2025 को एवरेस्ट की चोटी पर सफल चढ़ाई की।
Q3. क्या उन्होंने अन्य पर्वत भी फतह किए हैं?
A. हां, उन्होंने अब तक 5 महाद्वीपों की ऊंची चोटियों पर चढ़ाई की है और Seven Summits मिशन के तहत 2 और बची हैं।
Q4. Seven Summits मिशन क्या है?
A. यह मिशन सात महाद्वीपों की सबसे ऊंची पर्वत चोटियों पर चढ़ाई करने का अभियान है।
Q5. क्या Geeta Samota को कोई पुरस्कार मिला है?
A. उन्हें नारी शक्ति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया है और CISF समेत राज्य सरकारों ने उन्हें सम्मानित किया है।
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