Global Out-of-School Population

Global Out-of-School Population बढ़कर 272 Million पहुंचा – शिक्षा को बचाने की आखिरी चेतावनी!

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Global Out-of-School Population: दुनिया के 272 मिलियन बच्चों की पढ़ाई छूट गई, अब क्या होगा?

परिचय
UNESCO की Global Education Monitoring Team द्वारा 2025 में जारी नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में अब 272 मिलियन बच्चे और युवा स्कूल से बाहर हैं। ये आंकड़ा पिछली गणना से 21 मिलियन ज्यादा है, जो एक गंभीर शिक्षा संकट की ओर संकेत करता है। इस रिपोर्ट से साफ होता है कि शिक्षा तक सार्वभौमिक पहुँच की दिशा में दुनिया अपनी रफ्तार खो चुकी है।

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Global Out-of-School Population बढ़कर 272 Million पहुंचा – शिक्षा को बचाने की आखिरी चेतावनी!

Global Out-of-School Population: कौन हैं यें बच्चे जो शिक्षा से वंचित हैं?

Global Out-of-School Population आंकड़े में वे सभी बच्चे शामिल हैं जो:

प्राथमिक, माध्यमिक या उच्च माध्यमिक स्तर की शिक्षा से बाहर हैं।

युद्ध, गरीबी या सामाजिक भेदभाव के कारण स्कूल छोड़ चुके हैं।

जिनकी शिक्षा कोविड-19 के बाद कभी दोबारा शुरू नहीं हो सकी।

Global Out-of-School Population: कहाँ हैं सबसे ज्यादा शिक्षा का संकट?

क्षेत्र                                                            अनुमानित स्कूल से बाहर बच्चे

उप-सहारा अफ्रीका                                   सबसे अधिक, लगभग 98 मिलियन
दक्षिण एशिया                                            गरीबी और लैंगिक असमानता के कारण लाखों
मध्य-पूर्व व उत्तरी अफ्रीका                         संघर्ष और पलायन की मार
लैटिन अमेरिका                                         आर्थिक असमानता और शिक्षा तक सीमित पहुँच

Global Out-of-School Population: स्कूल छोड़ने के प्रमुख कारण

1. गरीबी: कई बच्चे परिवार के लिए काम करने को मजबूर होते हैं।

2. युद्ध और आपदा: स्कूलों का ढांचा तबाह हो चुका है।

3. लैंगिक भेदभाव: लड़कियों की शिक्षा को प्राथमिकता नहीं दी जाती।

4. डिजिटल अंतर: ऑनलाइन शिक्षा के संसाधनों की कमी।

5. कोविड-19 का प्रभाव: करोड़ों बच्चों की पढ़ाई बीच में छूट गई।

Global Out-of-School Population: स्कूल से बाहर होने का भविष्य पर प्रभाव

बाल मजदूरी और बाल विवाह में वृद्धि

कौशल और रोजगार की कमी

SDG-4 (सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा) लक्ष्य से दूर होती दुनिया

सामाजिक असमानता और वर्ग विभाजन गहराना

Global Out-of-School Population UNESCO की सिफारिशें: क्या करें सरकारें और समाज?

1. शिक्षा में बजट बढ़ाया जाए

हर देश को शिक्षा पर GDP का कम से कम 6% खर्च करना चाहिए।

2. लड़कियों और अल्पसंख्यकों की विशेष मदद

स्कॉलरशिप, जागरूकता और सुरक्षा सुनिश्चित हो।

3. डिजिटल शिक्षा तक सबकी पहुँच

सस्ते इंटरनेट, डिवाइस और ई-क्लासेस की सुविधा हर क्षेत्र में पहुँचे।

4. आपदा-प्रभावित क्षेत्रों में वैकल्पिक शिक्षा

Mobile Schools, टेली-लर्निंग और सामुदायिक शिक्षा केंद्र स्थापित किए जाएँ।

Global Out-of-School Population UNESCO की चेतावनी: अब समय नहीं बचा!

> “अगर हम अभी कदम नहीं उठाते, तो एक पूरी पीढ़ी बिना शिक्षा के रह जाएगी।”

Global Out-of-School Population डेटा के पीछे की कहानी: 21 मिलियन नए ‘आउट-ऑफ-स्कूल’ बच्चे कैसे बढ़े?

UNESCO की टीम ने बताया है कि इन अतिरिक्त 21 मिलियन बच्चों का स्कूल से बाहर होना कई हालिया वैश्विक घटनाओं का परिणाम है:

संघर्ष और युद्ध (2023–2025):

गाजा, सूडान, यूक्रेन, म्यांमार जैसे देशों में राजनीतिक अस्थिरता और युद्ध के कारण स्कूलों पर हमले हुए, शिक्षक मारे गए, और लाखों बच्चे स्कूल छोड़ने को मजबूर हुए।

मौसमीय आपदाएँ और जलवायु संकट:

बाढ़, सूखा, तूफान आदि ने शारीरिक स्कूल ढांचे को तबाह कर दिया।

अफ्रीका और एशिया में जलवायु विस्थापितों की संख्या बढ़ी, जिससे शिक्षा स्थायी नहीं रही।

आर्थिक मंदी और बेरोजगारी:

कई देशों में बढ़ती महंगाई और आर्थिक अस्थिरता ने परिवारों को बच्चों की शिक्षा की बजाय काम पर भेजने को मजबूर कर दिया।

Global Out-of-School Population: UNESCO के अनुसार उम्र के अनुसार स्कूली शिक्षा से बाहर रहने वाले बच्चे:

आयु वर्ग                                                     अनुमानित संख्या (मिलियन में)

6–11 वर्ष (प्राथमिक)                                     57 मिलियन
12–14 वर्ष (निचली माध्यमिक)                      67 मिलियन
15–17 वर्ष (उच्च माध्यमिक)                          148 मिलियन

> सबसे खतरनाक ट्रेंड यह है कि जितनी उम्र बढ़ती है, स्कूल छोड़ने का प्रतिशत और ज्यादा होता है। खासकर लड़कियाँ किशोरावस्था में सबसे ज्यादा पीछे रह जाती हैं।

Global Out-of-School Population: कुछ सकारात्मक उदाहरण भी हैं – जहाँ बदलाव हो रहा है

हालांकि संकट गहरा है, लेकिन कुछ देशों में शिक्षा सुधार की दिशा में बेहतरीन पहल भी हुई हैं:

भारत: “समग्र शिक्षा अभियान” के तहत स्कूल ड्रॉपआउट दर में कमी लाई गई है। नारी शिक्षा पर ज़ोर बढ़ा है।

रवांडा: डिजिटल शिक्षा को ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुँचाया गया है।

कोलंबिया: मोबाइल स्कूल व शिक्षकों की तैनाती से विस्थापित समुदायों को मुख्यधारा से जोड़ा गया है।

Human Story: एक बच्ची की आवाज़ — “मैं भी पढ़ना चाहती हूँ”

13 वर्षीय फातिमा, सूडान के संघर्ष क्षेत्र से आई है। उसका कहना है:

> “जब स्कूल बंद हुआ, मुझे खेत में काम करना पड़ा। पर मैं फिर से स्कूल जाना चाहती हूँ, डॉक्टर बनना चाहती हूँ।”

ऐसी लाखों आवाजें हर देश में हैं। और ये आंकड़े सिर्फ नंबर नहीं हैं — ये सपने अधूरे रहने की कहानियाँ हैं।

Global Out-of-School Population:अब समय है — Action का, Reaction का नहीं!

आज जब 272 मिलियन बच्चे स्कूल से बाहर हैं, तो हमें सिर्फ आँकड़े देखने की नहीं, बल्कि कुछ करने की ज़रूरत है। इस शिक्षा संकट से बाहर निकलने का रास्ता सिर्फ सरकारी नीतियों से नहीं निकलेगा — हम सभी को मिलकर जिम्मेदारी लेनी होगी।

Global Out-of-School Population: आप क्या कर सकते हैं?

किसी बच्चे की पढ़ाई में मदद करें — किताबें, ड्रेस या स्कूल फीस।

स्थानीय NGO या स्कूल से जुड़कर स्वयंसेवक बनें।

शिक्षा के हक़ में जागरूकता फैलाएँ — WhatsApp, Facebook, Instagram जैसे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करें।

अपनी लोकल पंचायत या विधायक को इस मुद्दे पर पत्र लिखें।

UNESCO जैसी संस्थाओं के अभियान में हिस्सा लें।

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Global Out-of-School Population बढ़कर 272 Million पहुंचा – शिक्षा को बचाने की आखिरी चेतावनी!

निष्कर्ष: शिक्षा का संकट — पूरी मानवता की ज़िम्मेदारी

Global Out-of-School Population UNESCO की ताज़ा रिपोर्ट में सामने आया 272 मिलियन बच्चों का स्कूल से बाहर होना सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि मानवता के लिए एक गहरी चेतावनी है। यह उस मौन त्रासदी की तस्वीर है, जहाँ हर दिन लाखों सपने अधूरे रह जाते हैं, क्योंकि उन्हें कक्षा का रास्ता कभी दिखता ही नहीं।

विकास की दौड़ में पीछे छूटे ये बच्चे सिर्फ अपने नहीं, हमारे सामूहिक भविष्य के भी हिस्से हैं। जब एक बच्चा अनपढ़ रह जाता है, तो एक समाज कमजोर होता है, एक देश पीछे होता है, और एक पीढ़ी अपने अधिकारों से वंचित रह जाती है।

अब सवाल यह नहीं है कि कौन ज़िम्मेदार है, बल्कि यह है कि अब हम क्या करेंगे?

क्या हम चुप रहेंगे?

क्या हम सिर्फ आँकड़ों को देखकर आगे बढ़ जाएंगे?

या हम मिलकर कोई बदलाव लाएंगे?

हमें शिक्षा को सिर्फ एक नीति या वादा नहीं, बल्कि एक नैतिक कर्तव्य समझना होगा।-

> हर बच्चा जो स्कूल जाता है, वह न केवल अपना भविष्य लिखता है, बल्कि मानवता की नई दिशा भी तय करता है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

Q1. UNESCO की यह Global Out-of-School Population रिपोर्ट कब और किसने जारी की है?

उत्तर: Global Out-of-School Population रिपोर्ट UNESCO की Global Education Monitoring (GEM) Team द्वारा जून 2025 में जारी की गई है, जिसमें वैश्विक स्तर पर स्कूल से बाहर बच्चों की स्थिति पर विस्तृत जानकारी दी गई है।

Q2. “Out-of-school population” का मतलब क्या होता है?

उत्तर: इसका मतलब है वे बच्चे और युवा जो प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक (6–17 वर्ष) उम्र वर्ग में आते हैं, लेकिन किसी भी प्रकार की औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं कर रहे हैं।

 Q3. स्कूल से बाहर बच्चों की संख्या इतनी अधिक क्यों हो गई?

उत्तर: इसके प्रमुख कारण हैं —

युद्ध और संघर्ष,

गरीबी,

लैंगिक असमानता,

जलवायु आपदाएँ,

डिजिटल संसाधनों की कमी,

और कोविड-19 के बाद शिक्षा में गिरावट।

Q4. सबसे ज़्यादा स्कूल से बाहर बच्चे किन क्षेत्रों में हैं?

उत्तर: UNESCO रिपोर्ट के अनुसार उप-सहारा अफ्रीका, दक्षिण एशिया, और मध्य पूर्व में सबसे अधिक बच्चे स्कूल से बाहर हैं।

Q5. क्या भारत भी इस रिपोर्ट में शामिल है?

उत्तर: हाँ, भारत इस Global Out-of-School Population रिपोर्ट में शामिल है। भारत ने हाल के वर्षों में शिक्षा क्षेत्र में प्रगति की है, लेकिन फिर भी कुछ पिछड़े और ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों की स्कूल से दूरी चिंता का विषय है।

Q6. Global Out-of-School Population रिपोर्ट में कुल कितने बच्चे स्कूल से बाहर बताए गए हैं?

उत्तर: Global Out-of-School Population रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में दुनिया भर में 272 मिलियन (27.2 करोड़) बच्चे और युवा स्कूल से बाहर हैं, जो पिछली गणना से 21 मिलियन अधिक है।

Q7. क्या यह आंकड़ा पहले से बढ़ा है?

उत्तर: हाँ, पिछले आंकड़े की तुलना में 21 मिलियन की वृद्धि हुई है, जो दर्शाता है कि हालात पहले से खराब हुए हैं।

Q8. सरकारें इस समस्या से कैसे निपट सकती हैं?

उत्तर: UNESCO ने सरकारों को सुझाव दिए हैं जैसे —

शिक्षा बजट बढ़ाना,

लैंगिक समानता को बढ़ावा देना,

डिजिटल शिक्षा का विस्तार,

आपदा-प्रभावित क्षेत्रों में वैकल्पिक शिक्षा उपलब्ध कराना।

Q9. मैं एक आम नागरिक होते हुए इस समस्या में कैसे योगदान दे सकता हूँ?

उत्तर:

आप किसी जरूरतमंद बच्चे की शिक्षा में सहयोग कर सकते हैं,

स्थानीय NGOs से जुड़ सकते हैं,

शिक्षा के प्रति जागरूकता फैला सकते हैं,

और समाज में शिक्षा के अधिकार को लेकर आवाज उठा सकते हैं।

Q10. क्या UNESCO शिक्षा को एक मौलिक अधिकार मानता है?

उत्तर: बिल्कुल, UNESCO का मानना है कि शिक्षा हर मानव का मूल अधिकार है और इसे प्राप्त करना प्रत्येक बच्चे के जीवन और समाज के विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है।


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Hello! Welcome To About me My name is Sanjeev Kumar Sanya. I have completed my BCA and MCA degrees in education. My keen interest in technology and the digital world inspired me to start this website, “Aajvani.com.”

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