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ToggleIIAS अध्यक्ष पद भारत को मिला: वैश्विक प्रशासन में भारत की चमक
परिचय
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!भारत ने एक बार फिर से विश्व प्रशासन के क्षेत्र में अपनी काबिलियत का परिचय दिया है। अंतर्राष्ट्रीय प्रशासनिक विज्ञान संस्थान (International Institute of Administrative Sciences – IIAS) के 2025-2028 के कार्यकाल के लिए अध्यक्ष पद पर भारत के DARPG सचिव, श्री वी. श्रीनिवास को निर्विरोध चुना गया है।
यह एक बड़ी उपलब्धि है, जिसने भारत की वैश्विक प्रशासनिक नेतृत्व की भूमिका को और भी मजबूत किया है।
IIAS क्या है और इसका महत्व क्यों है?
अंतर्राष्ट्रीय प्रशासनिक विज्ञान संस्थान (IIAS) प्रशासनिक विज्ञान के क्षेत्र में विश्व का एक प्रमुख संस्थान है।
यह संस्थान विभिन्न देशों के प्रशासनिक अधिकारियों, शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं को एक मंच प्रदान करता है, जहां वे प्रशासन के क्षेत्र में नवीनतम शोध, अनुभव और चुनौतियों पर चर्चा करते हैं।
यह संस्था 1930 में स्थापित हुई और इसका मुख्यालय बेल्जियम के ब्रुसेल्स में है। IIAS का उद्देश्य विश्वभर में प्रशासनिक सुधारों को प्रोत्साहित करना और बेहतर सरकारी कार्यप्रणाली को बढ़ावा देना है।
भारत की अध्यक्षता इस बात का संकेत है कि प्रशासनिक नवाचारों और सुधारों के मामले में भारत का प्रभाव विश्व स्तर पर बढ़ रहा है।
वी. श्रीनिवास की अध्यक्षता: एक महत्वपूर्ण नाम
वी. श्रीनिवास भारत सरकार के प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग (DARPG) के सचिव हैं। उनकी प्रशासनिक दक्षता, नेतृत्व कौशल और समर्पण ने उन्हें IIAS अध्यक्ष पद के लिए एक उपयुक्त उम्मीदवार बनाया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2025-2028 के कार्यकाल के लिए उनका नामांकन किया था, जो भारत की कूटनीतिक और प्रशासनिक उपलब्धियों का प्रतिबिंब है।
अध्यक्ष पद के लिए चुनाव और परिणाम
3 जून 2025 को आयोजित हुए IIAS के अध्यक्ष पद के चुनाव में भारत और ऑस्ट्रिया के उम्मीदवारों के बीच मुकाबला हुआ।
इस चुनाव में भारत को कुल मतों का 61.7% समर्थन मिला, जिसने भारत को स्पष्ट बहुमत और अध्यक्ष पद दिलाया। यह जीत भारत के प्रशासनिक क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व को दर्शाती है।
भारत में IIAS का वार्षिक सम्मेलन 2025
भारत IIAS का वार्षिक सम्मेलन 2025 में आयोजित करने वाला है, जो कोच्चि, केरल में होगा।
इस सम्मेलन का विषय होगा — “अगली पीढ़ी के प्रशासनिक सुधार: नागरिक सशक्तिकरण और अंतिम व्यक्ति तक सेवाएं पहुंचाना”।
इस सम्मेलन में 30 से अधिक सदस्य देश, 18 राष्ट्रीय अनुभाग और 50 से ज्यादा प्रशासनिक संस्थान भाग लेंगे। यह भारत के प्रशासनिक क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत करने का सुनहरा मौका होगा।
भारत और ऑस्ट्रिया के बीच बढ़ते संबंध
भारत और ऑस्ट्रिया के बीच राजनीतिक और प्रशासनिक सहयोग में भी निरंतर वृद्धि हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जुलाई 2024 में ऑस्ट्रिया की ऐतिहासिक यात्रा ने दोनों देशों के बीच सहयोग के नए द्वार खोले हैं।
दोनों देशों ने आर्थिक, तकनीकी, और प्रशासनिक क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की सहमति जताई है। भारत की IIAS अध्यक्षता ऐसे सहयोग को और प्रोत्साहित करेगी।
प्रशासनिक क्षेत्र में भारत की वैश्विक भूमिका
यह उपलब्धि दर्शाती है कि भारत न केवल विकासशील देश के रूप में, बल्कि प्रशासनिक नवाचार और नेतृत्व के क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
भारत की बढ़ती भूमिका और IIAS जैसे संस्थानों में नेतृत्व पदों पर पहुंचने से देश की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा और मजबूत होगी।
यह भारत के प्रशासनिक सुधारों के लिए एक प्रोत्साहन भी है, जो आम नागरिकों तक बेहतर सेवाएं पहुंचाने की दिशा में काम कर रहा है।

भारत की IIAS अध्यक्षता: प्रशासनिक सुधारों की नई दिशा
1. अंतर्राष्ट्रीय प्रशासनिक विज्ञान संस्थान (IIAS) का परिचय
अंतर्राष्ट्रीय प्रशासनिक विज्ञान संस्थान (International Institute of Administrative Sciences) एक वैश्विक संगठन है जो सार्वजनिक प्रशासन और प्रशासनिक विज्ञान के क्षेत्र में शोध, शिक्षा, और नीति निर्माण को प्रोत्साहित करता है।
इसका उद्देश्य विभिन्न देशों के प्रशासनिक तंत्रों के बीच सहयोग बढ़ाना, प्रशासनिक दक्षता को बढ़ावा देना, और प्रशासनिक चुनौतियों के समाधान के लिए नवीनतम ज्ञान साझा करना है।
IIAS की स्थापना 1930 में हुई थी और इसका मुख्यालय बेल्जियम के ब्रुसेल्स शहर में स्थित है। यह संस्था सार्वजनिक प्रशासन के क्षेत्र में सबसे पुराना और प्रतिष्ठित मंच मानी जाती है।
इसके सदस्यों में विभिन्न देशों की सरकारें, प्रशासनिक संस्थान, विश्वविद्यालय, और शोध केंद्र शामिल हैं।
IIAS की प्रमुख गतिविधियों में शोध पत्रों का प्रकाशन, प्रशासनिक सम्मेलन, कार्यशालाएं, और प्रशिक्षण कार्यक्रम शामिल हैं।
इससे विश्व के प्रशासनिक अधिकारियों को नवीनतम तकनीकों और सुधारों से अवगत कराकर सरकारी सेवाओं को बेहतर बनाने में मदद मिलती है।
2. IIAS की संरचना और कार्यप्रणाली
IIAS का संगठन तीन मुख्य स्तंभों पर आधारित है:
सदस्य देश और राष्ट्रीय अनुभाग: IIAS के सदस्य देशों की संख्या 30 से अधिक है। प्रत्येक सदस्य देश का अपना राष्ट्रीय अनुभाग होता है जो देश के प्रशासनिक अधिकारियों को जोड़ता है। भारत का भी IIAS में सक्रिय राष्ट्रीय अनुभाग है।
वैश्विक सम्मेलन और कार्यशालाएं: हर वर्ष IIAS का वार्षिक सम्मेलन आयोजित किया जाता है, जिसमें सदस्य देशों के प्रशासनिक अधिकारी, नीति निर्माता, और शोधकर्ता भाग लेते हैं।
शोध और प्रकाशन: IIAS प्रशासनिक विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान को प्रोत्साहित करता है और नियमित रूप से जर्नल और रिपोर्ट प्रकाशित करता है।
IIAS के अध्यक्ष पद का कार्यकाल तीन वर्ष का होता है, जिसमें अध्यक्ष संस्था के सभी गतिविधियों का नेतृत्व करता है और वैश्विक प्रशासनिक सुधारों को दिशा देता है।
3. भारत की IIAS में भागीदारी और महत्व
भारत लंबे समय से IIAS का सक्रिय सदस्य रहा है। भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारियों ने IIAS की गतिविधियों में भाग लेकर प्रशासनिक सुधारों और नवाचारों को अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
भारत में प्रशासनिक सुधारों की प्रक्रिया को लगातार मजबूती मिल रही है, जिसमें ई-गवर्नेंस, डिजिटल इंडिया, सेवा केंद्रों का विस्तार, और नागरिक सशक्तिकरण शामिल हैं।
IIAS में भारत की सक्रिय भागीदारी से देश को निम्न लाभ होते हैं:
वैश्विक प्रशासनिक मानकों और नवाचारों को अपनाने का अवसर।
विभिन्न देशों के प्रशासनिक अनुभवों का अध्ययन और उनका स्थानीयकरण।
प्रशासनिक सुधारों के लिए नीति निर्माण में विशेषज्ञता और समर्थन।
प्रशासनिक अधिकारियों के कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण और नेटवर्किंग के अवसर।
4. वी. श्रीनिवास: प्रशासनिक सुधारों के नायक
वी. श्रीनिवास, भारत सरकार के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (DARPG) के सचिव हैं। उनका प्रशासनिक सफर वर्षों का अनुभव लिए हुए है, जिसमें उन्होंने कई महत्वपूर्ण प्रशासनिक सुधारों को सफलतापूर्वक लागू किया है।
उनका नेतृत्व प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने, भ्रष्टाचार कम करने, और सरकारी सेवाओं को अंतिम नागरिक तक पहुँचाने पर केंद्रित रहा है।
श्रीनिवास की नियुक्ति IIAS के अध्यक्ष पद पर इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वे भारत की प्रशासनिक प्रणाली के अंदरूनी अनुभव के साथ वैश्विक मंच पर नेतृत्व कर सकते हैं।
उनकी कुछ प्रमुख उपलब्धियां:
DARPG के तहत प्रशासनिक सुधारों के लिए नई नीतियां बनाना।
डिजिटल इंडिया पहल के माध्यम से सेवाओं को डिजिटलीकृत करना।
नागरिकों की शिकायतों का त्वरित निपटान सुनिश्चित करना।
स्थानीय प्रशासन को मजबूत बनाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाना।
5. अध्यक्ष पद के लिए चुनाव प्रक्रिया और भारत की जीत
IIAS के अध्यक्ष पद के लिए 3 जून 2025 को चुनाव हुआ। भारत के DARPG सचिव वी. श्रीनिवास और ऑस्ट्रिया के उम्मीदवार के बीच मुकाबला था। भारत ने कुल मतों में 61.7% वोट हासिल कर स्पष्ट बहुमत से जीत दर्ज की।
यह चुनाव प्रशासनिक क्षेत्र में भारत की बढ़ती विश्वसनीयता और नेतृत्व क्षमता को दर्शाता है। भारत की जीत का अर्थ है कि दुनिया प्रशासन में भारत को एक सक्रिय, कुशल और नवाचार-प्रधान नेता के रूप में देख रही है।
6. भारत में IIAS वार्षिक सम्मेलन 2025 की तैयारियां
भारत 2025 में IIAS का वार्षिक सम्मेलन कोच्चि, केरल में आयोजित करेगा। यह सम्मेलन प्रशासनिक सुधारों और नवाचारों पर एक महत्वपूर्ण मंच होगा। सम्मेलन का विषय “अगली पीढ़ी के प्रशासनिक सुधार: नागरिक सशक्तिकरण और अंतिम व्यक्ति तक सेवाएं पहुंचाना” रखा गया है।
यह विषय भारत के प्रशासनिक दृष्टिकोण के अनुरूप है, जो डिजिटल इंडिया, जनता की भागीदारी, और पारदर्शिता को केंद्र में रखता है।
सम्मेलन में लगभग 30 सदस्य देशों, 18 राष्ट्रीय अनुभागों, और 50 से अधिक प्रशासनिक संस्थानों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। यह आयोजन भारत को प्रशासनिक नेतृत्व के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करेगा।

7. भारत-ऑस्ट्रिया के प्रशासनिक सहयोग में वृद्धि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जुलाई 2024 में ऑस्ट्रिया की ऐतिहासिक यात्रा ने दोनों देशों के बीच प्रशासनिक, आर्थिक और तकनीकी सहयोग को और मजबूत किया।
भारत और ऑस्ट्रिया ने संयुक्त राष्ट्र सुधारों, वैश्विक आर्थिक स्थिरता, और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई।
भारत की IIAS अध्यक्षता इन सहयोग प्रयासों को और आगे बढ़ाएगी और दोनों देशों के प्रशासनिक तंत्रों के बीच अनुभव साझा करने के अवसर बढ़ाएगी।
8. भारत की प्रशासनिक सुधार नीतियां और वैश्विक संदर्भ
भारत ने पिछले कुछ दशकों में प्रशासनिक सुधारों के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इनमें प्रमुख हैं:
डिजिटल इंडिया पहल: जिससे सरकारी सेवाएं ऑनलाइन उपलब्ध हो रही हैं और भ्रष्टाचार कम हो रहा है।
जनभागीदारी: जनता की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए कई पोर्टल और ऐप बनाए गए हैं।
सशक्त शिकायत निवारण तंत्र: लोक शिकायतों का त्वरित निपटान सुनिश्चित करने के लिए नीतियां।
अखिल भारतीय सेवा सुधार: IAS, IPS जैसे सेवाओं के आधुनिकीकरण और प्रशिक्षिण में सुधार।
IIAS के अध्यक्ष पद पर भारत की पहुंच से इन सुधारों को वैश्विक मंच पर साझा करने, अन्य देशों के अनुभव सीखने, और सहयोग बढ़ाने का मौका मिलेगा।
9. भविष्य की संभावनाएं और भारत की भूमिका
भारत की IIAS अध्यक्षता न केवल देश की प्रशासनिक छवि को वैश्विक स्तर पर मजबूत करेगी, बल्कि प्रशासनिक सुधारों के नए आयाम खोलेगी। भविष्य में भारत:
वैश्विक प्रशासनिक नीतियों के विकास में नेतृत्व करेगा।
प्रशासनिक नवाचारों के क्षेत्र में दूसरे देशों को मार्गदर्शन देगा।
प्रशासनिक सुधारों के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाएगा।
वैश्विक प्रशासनिक शिक्षा और प्रशिक्षण के लिए नए कार्यक्रम चलाएगा।
निष्कर्ष
भारत को अंतर्राष्ट्रीय प्रशासनिक विज्ञान संस्थान (IIAS) की अध्यक्षता मिलना न केवल एक सम्मान की बात है, बल्कि यह वैश्विक प्रशासनिक नेतृत्व में भारत की मजबूत उपस्थिति का परिचायक भी है।
वी. श्रीनिवास जैसे अनुभवी और कुशल प्रशासनिक अधिकारियों के नेतृत्व में भारत प्रशासनिक सुधारों के क्षेत्र में नई दिशा और गति प्रदान कर रहा है।
यह उपलब्धि भारत की बढ़ती वैश्विक प्रतिष्ठा, प्रशासनिक दक्षता, और नवाचार की क्षमता को दर्शाती है।
IIAS अध्यक्षता के जरिए भारत न केवल अपने प्रशासनिक मॉडल को दुनिया के सामने रख सकेगा, बल्कि दूसरे देशों के अनुभवों से सीखकर अपनी सेवाओं को और बेहतर बनाएगा।
यह पद भारत के लिए अवसरों का एक नया द्वार खोलता है, जिससे वह प्रशासनिक विज्ञान के क्षेत्र में वैश्विक मंच पर और अधिक प्रभावशाली भूमिका निभा सकेगा।
अंततः, यह सफलता हमें याद दिलाती है कि समर्पण, कुशल नेतृत्व, और निरंतर सुधार के जरिए कोई भी राष्ट्र प्रशासनिक उत्कृष्टता की मिसाल बन सकता है।
इस उपलब्धि के साथ, भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह प्रशासन के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व के लिए पूरी तरह तैयार है और आने वाले समय में प्रशासनिक सुधारों के क्षेत्र में विश्व के अन्य देशों के लिए प्रेरणा स्रोत बनेगा।
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