IIT रुड़की ने बनाया दुनिया का पहला AI AI Modi लिपि से देवनागरी लिप्यांतरण मॉडल
प्रस्तावना: भारतीय लिपियों की ऐतिहासिक विरासत
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Toggleभारत जैसे बहुभाषी देश में लिपियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। यहां सैकड़ों वर्षों से विविध भाषाएं और लिपियाँ पनपती रही हैं, जिनमें से कई अब लुप्त होने की कगार पर हैं। उन्हीं में से एक है मोडी लिपि, जो खास तौर पर महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में प्रचलित थी।
मोडी लिपि मुख्यतः मराठी भाषा के दस्तावेजों के लिए उपयोग की जाती थी, खासकर पेशवाओं के काल में। लेकिन आधुनिक शिक्षा प्रणाली में इसका स्थान न होने के कारण यह अब बहुत कम लोगों को पढ़नी आती है। इस कारण हमारे ऐतिहासिक दस्तावेज़, संपत्ति रिकॉर्ड और सांस्कृतिक ग्रंथ समझ से बाहर हो गए हैं।
इस चुनौती को हल करने के लिए IIT रुड़की AI Modi लिप्यांतरण नामक एक अनूठी पहल शुरू की गई। यह दुनिया का पहला AI आधारित मॉडल है जो प्राचीन मोडी लिपि को आधुनिक देवनागरी में स्वचालित रूप से बदल देता है।
IIT रुड़की AI Modi लिप्यांतरण परियोजना का आरंभ
इस परियोजना की नींव IIT रुड़की के कम्प्यूटर साइंस विभाग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लैब ने मिलकर रखी। वर्षों की रिसर्च और कोडिंग के बाद उन्होंने एक ऐसा मॉडल तैयार किया जो मशीन लर्निंग और ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकग्निशन (OCR) तकनीक का संयोजन करता है।
इस मॉडल को विकसित करने का उद्देश्य केवल तकनीकी नहीं था, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विरासत को डिजिटल रूप से संरक्षित करने का एक महान प्रयास है।
मोडी लिपि क्या है?
मोडी लिपि एक पुरानी ब्राह्मी आधारित लिपि है जिसका प्रयोग विशेष रूप से मराठी में होता था। इसकी शुरुआत 13वीं शताब्दी में हुई थी और 17वीं-18वीं सदी में पेशवाओं के समय यह सरकारी दस्तावेजों की प्रमुख लिपि बन गई।
इसके अक्षर देवनागरी से मिलते-जुलते तो हैं, लेकिन लेखन शैली बेहद जटिल है। यही कारण है कि सामान्य OCR तकनीकों से इसे पहचानना मुश्किल था।
देवनागरी लिपि: तकनीक के लिए उपयुक्त
आज देवनागरी लिपि हिंदी, संस्कृत, मराठी, कोंकणी जैसी भाषाओं के लिए प्रयुक्त होती है। यह डिजिटल रूप से मानकीकृत है और सभी प्रमुख Unicode मानकों में सम्मिलित है। इसीलिए IIT रुड़की AI Modi लिप्यांतरण के लिए देवनागरी को लक्ष्य लिपि के रूप में चुना गया।
तकनीकी विश्लेषण: मॉडल कैसे करता है कार्य
इस AI मॉडल में दो मुख्य तकनीकें उपयोग में ली गईं:
- OCR (Optical Character Recognition) – स्कैन किए गए प्राचीन दस्तावेजों से अक्षर पहचानना
- NLP और Deep Learning – शब्दों का संदर्भ समझकर सही देवनागरी शब्द का चयन करना
IIT रुड़की AI Modi लिप्यांतरण मॉडल खास तौर पर डिप लर्निंग एल्गोरिदम से प्रशिक्षित है, जो बड़ी मात्रा में ऐतिहासिक स्क्रिप्ट्स को समझ सकता है।
पायलट परीक्षण और सटीकता
IIT रुड़की ने इस मॉडल का परीक्षण 500 से अधिक ऐतिहासिक दस्तावेजों पर किया। परिणामस्वरूप, 92% तक की सटीकता हासिल की गई। यह उपलब्धि इस क्षेत्र में एक मील का पत्थर है।
ऐतिहासिक दस्तावेजों का पुनर्जीवन
अब इस तकनीक की सहायता से 18वीं और 19वीं सदी के राजपत्र, संपत्ति रिकॉर्ड, दफ्तरी रजिस्टर और पत्राचार को पढ़ना संभव हो गया है।
IIT रुड़की AI Modi लिप्यांतरण के माध्यम से भारत के कई संग्रहालय, पुस्तकालय और शैक्षणिक संस्थान पुराने दस्तावेजों का डिजिटल आर्काइव तैयार कर रहे हैं।
भाषा संरक्षण और विविधता को बढ़ावा
यह मॉडल न केवल मोडी लिपि को संरक्षित करेगा, बल्कि भारत की भाषाई विविधता को डिजिटल युग में जीवित रखने का एक साधन बनेगा।
भविष्य में इस मॉडल को शारदा, ब्राह्मी, मैथिली और तमिल ब्राह्मी जैसी अन्य ऐतिहासिक लिपियों के लिए भी विस्तार दिया जा सकता है।
शिक्षा और नीति में संभावनाएं
IIT रुड़की AI Modi लिप्यांतरण को शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में सम्मिलित किया जा सकता है। छात्र अब मोडी लिपि में लिखे गए ऐतिहासिक स्रोतों से प्रत्यक्ष अध्ययन कर सकेंगे।
इसके अतिरिक्त, भारत सरकार की ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘भारतीय भाषाओं में AI’ पहल को भी यह मॉडल मजबूती प्रदान करता है।
प्रमुख चुनौतियाँ
- स्कैनिंग की गुणवत्ता
- हस्तलिखित अक्षरों की विविधता
- संदर्भ आधारित अनुवाद में असंगति
- उच्च मात्रा में Annotated Data की आवश्यकता
IIT रुड़की की टीम इन सभी चुनौतियों पर लगातार कार्य कर रही है।
भविष्य की योजनाएँ
IIT रुड़की की टीम इस मॉडल को एक वेब एप्लीकेशन और मोबाइल ऐप के रूप में लाने की योजना बना रही है। साथ ही, इसे क्लाउड बेस्ड बनाकर आम जनता के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।
राज्य सरकारें और अभिलेखागार विभाग भी इस तकनीक को अपनाने में रुचि दिखा रहे हैं।
वैश्विक स्तर पर पहचान
IIT रुड़की AI Modi लिप्यांतरण मॉडल को कई अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में प्रस्तुत किया गया है और इसे ऐतिहासिक AI तकनीक के रूप में मान्यता मिल रही है। यह मॉडल भारत को डिजिटल मानविकी (Digital Humanities) के वैश्विक मानचित्र पर स्थापित कर रहा है।
कैसे काम करता है IIT रुड़की AI Modi लिप्यांतरण
1. डेटा संग्रह और प्रशिक्षण प्रक्रिया
IIT रुड़की की टीम ने हजारों मोडी लिपि के स्कैन किए हुए दस्तावेज एकत्र किए।
इनमें प्रमुखतः –
पेशवाओं के जमाने के राजकीय पत्र
पुरानी जमीनों के बहीखाते
मंदिर अभिलेख
ऐतिहासिक संपत्ति विवाद
इन स्कैन दस्तावेजों को OCR तकनीक से डिजिटाइज़ किया गया, फिर भाषा-विशेषज्ञों द्वारा Annotated (हस्ताक्षरित) डेटा में बदला गया।
AI मॉडल को इस समृद्ध डेटासेट से प्रशिक्षित किया गया।
IIT रुड़की AI Modi लिप्यांतरण मॉडल एक Sequential Encoder-Decoder Architecture पर आधारित है, जो क्रमवार अक्षरों और शब्दों को पहचान कर उनका अनुवाद करता है।
2. संदर्भ-आधारित AI निर्णय क्षमता
मान लीजिए, मोडी लिपि में लिखा गया शब्द अस्पष्ट है – जैसे ‘धा’ और ‘भा’ में भ्रम हो सकता है।
तो यह मॉडल केवल अक्षर नहीं देखता, बल्कि वाक्य के अगले और पिछले शब्दों को भी पढ़ता है – ताकि सटीक अर्थ चुना जा सके।
यही कारण है कि IIT रुड़की AI Modi लिप्यांतरण अन्य OCR सिस्टम से 10 गुना बेहतर परिणाम देता है।
3. देवनागरी आउटपुट की गुणवत्ता
इस AI मॉडल का आउटपुट Unicode-Standard में है, यानी किसी भी डिजिटल डिवाइस या सर्च इंजन में प्रयोग करने योग्य।
फायदे:
गूगल सर्च में इंडेक्स हो सकता है
वेबसाइट या ऐप पर सीधा इस्तेमाल संभव
पब्लिकेशन/शोधपत्रों में उपयोगी
सांस्कृतिक और शैक्षणिक प्रभाव
1. डिजिटल इंडिया और ज्ञानवर्धन
IIT रुड़की की यह परियोजना भारत सरकार की ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘राष्ट्रीय भाषा AI मॉडल’ योजना में मील का पत्थर है।
IIT रुड़की AI Modi लिप्यांतरण न केवल भाषा रूपांतरण करता है, बल्कि ज्ञान के लोकतंत्रीकरण की ओर बढ़ता है।
2. शोध और पुरालेखों के लिए वरदान
महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश के पुरातत्व और इतिहास के छात्र अब पुरानी स्क्रिप्ट्स को पढ़ सकते हैं।
उदाहरण:
महाराष्ट्र अभिलेखागार विभाग अब अपने 50,000+ दस्तावेजों को AI से ट्रांसलेट करवा रहा है।
वैश्विक प्रभाव और सहयोग
अंतरराष्ट्रीय रिसर्च में भागीदारी
IIT रुड़की की टीम ने इस AI मॉडल को ACL (Association for Computational Linguistics) और IEEE Conferences में प्रस्तुत किया है।
इसे “World’s First End-to-End Modi-to-Devanagari AI Transliteration” के रूप में सराहा गया।
निष्कर्ष: जब तकनीक परंपरा से मिलती है
IIT रुड़की की यह ऐतिहासिक पहल न सिर्फ तकनीक के क्षेत्र में एक नया मील का पत्थर है, बल्कि यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को आधुनिक युग में जीवंत करने का भी माध्यम है।
IIT रुड़की AI Modi लिप्यांतरण मॉडल यह साबित करता है कि जब भारत के इंजीनियर, शोधकर्ता और विद्वान अपनी परंपरा से जुड़ते हैं, तो वे वैश्विक स्तर पर अनूठे और उल्लेखनीय नवाचार कर सकते हैं।
इस तकनीक के माध्यम से:
भाषाओं की सुरक्षा संभव है,
इतिहास को पढ़ा और समझा जा सकता है,
और नई पीढ़ी अपनी जड़ों से जुड़ सकती है।
IIT रुड़की AI Modi लिप्यांतरण न केवल एक लिपि को दूसरी लिपि में बदलता है, बल्कि यह एक समय-संवाद है – अतीत और वर्तमान के बीच।
यह मॉडल सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि उन सभी देशों के लिए प्रेरणा है, जहां ऐतिहासिक लिपियाँ लुप्त होने की कगार पर हैं।
इस क्रांतिकारी उपलब्धि के साथ, IIT रुड़की ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया है कि “Where Tradition Meets Technology, Innovation is Born.”