India GDP Growth Q4 FY25: 7% की प्रगति, FY25 में 6.3% के साथ अर्थव्यवस्था की मजबूत स्थिति

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India GDP Growth Forecast FY25: Q4 में 7%, FY25 में 6.3% वृद्धि की संभावनाएं

भूमिका: आर्थिक पुनरुद्धार की ओर बढ़ता भारत

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भारत की अर्थव्यवस्था हाल के वर्षों में कई वैश्विक और घरेलू चुनौतियों का सामना करते हुए भी लगातार आगे बढ़ती रही है।

कोविड-19 महामारी के बाद से भारत ने जिस तरह से विकास की गति को पुनः प्राप्त किया, वह वैश्विक स्तर पर एक मिसाल है।

अब, वित्तीय वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में अनुमानित 7% वृद्धि दर और पूरे वर्ष के लिए संभावित 6.3% की जीडीपी वृद्धि दर इस पुनरुत्थान की पुष्टि करती है।

चौथी तिमाही (Q4 FY25) में 7% की संभावित GDP वृद्धि: क्या हैं मुख्य वजहें?

1. कृषि क्षेत्र में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन

चौथी तिमाही में कृषि उत्पादन में वृद्धि देखने को मिली, जिसका मुख्य कारण सामान्य से बेहतर मानसून, समय पर बुआई और सरकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी रही। गेहूं, चना और सरसों जैसी प्रमुख फसलों की पैदावार ने ग्रामीण मांग को सहारा दिया।

2. ग्रामीण खपत में पुनर्जीवन

अतीत की मंदी के बाद अब ग्रामीण क्षेत्रों में खपत बढ़ने लगी है। इसका प्रमुख कारण मनरेगा जैसी योजनाओं का विस्तार, कृषि आय में वृद्धि और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन की पहलें रही हैं।

3. सरकारी पूंजीगत व्यय में बढ़ोतरी

सरकार द्वारा बुनियादी ढांचा, परिवहन, ऊर्जा और ग्रामीण विकास योजनाओं पर ज़ोर दिया गया। नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (NIP) के तहत कई प्रोजेक्ट्स पर काम हुआ, जिससे निर्माण और इससे जुड़े सेक्टरों को गति मिली।

4. सेवाओं के क्षेत्र में तेज़ी

IT, फिनटेक, टेलीकॉम और हॉस्पिटैलिटी जैसे क्षेत्रों ने Q4 में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की। विशेषकर, वैश्विक आईटी डिमांड और डिजिटल सेवाओं में निरंतर वृद्धि ने GDP को बल दिया।

5. मुद्रास्फीति नियंत्रण में और ब्याज दरें स्थिर

Q4FY25 में खुदरा मुद्रास्फीति लगभग 5% के आसपास रही, जो भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के लक्ष्य के भीतर है। इससे उपभोक्ता विश्वास और खपत को बढ़ावा मिला।

FY25 में GDP वृद्धि 6.3% रहने की संभावना: इसके पीछे की व्यापक तस्वीर

जहां एक ओर चौथी तिमाही में 7% की वृद्धि की उम्मीद की जा रही है, वहीं पूरे वर्ष के लिए 6.3% की वृद्धि अपेक्षित है। इसके कई कारण हैं:

1. पहली छमाही में धीमी गति

वित्तीय वर्ष 2024-25 की पहली और दूसरी तिमाही में आर्थिक गतिविधियाँ अपेक्षा से धीमी रहीं। मुख्यतः वैश्विक मंदी, निर्यात में गिरावट, और निजी निवेश की सुस्ती ने विकास को रोका।

2. निजी निवेश में कमी

बिजनेस सेंटिमेंट में सुधार होने के बावजूद, प्राइवेट सेक्टर का निवेश अब भी सीमित रहा। बैंक ऋण वितरण में सावधानी और पूंजीगत लागत में बढ़ोतरी ने इसे प्रभावित किया।

3. वैश्विक मांग में गिरावट

अमेरिका और यूरोप जैसे विकसित देशों में मांग घटने से भारत के वस्तु और सेवा निर्यात पर असर पड़ा। खासकर टेक्सटाइल, ऑटो पार्ट्स और इंजीनियरिंग सेक्टर प्रभावित हुए।

India GDP Growth Q4 FY25: 7% की प्रगति, FY25 में 6.3% के साथ अर्थव्यवस्था की मजबूत स्थिति
India GDP Growth Q4 FY25: 7% की प्रगति, FY25 में 6.3% के साथ अर्थव्यवस्था की मजबूत स्थिति

विभिन्न क्षेत्रों का विश्लेषण: किसने कितना योगदान दिया?

1. कृषि क्षेत्र

FY25 में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर लगभग 3.5% रही। यह संख्या सामान्य मानसून और योजनागत समर्थन के कारण आई।

2. उद्योग क्षेत्र

उद्योग जगत में लगभग 5.5% की वृद्धि रही। हालांकि विनिर्माण में सुस्ती रही, लेकिन निर्माण, खनन और बिजली उत्पादन ने बेहतर प्रदर्शन किया।

3. सेवाएं

GDP में सबसे बड़ा योगदान सेवाओं का रहा, जो लगभग 7.8% की वृद्धि के साथ सबसे तेज़ गति से बढ़ा। इसमें विशेषकर बैंकिंग, बीमा, आईटी और रियल एस्टेट का योगदान रहा।

RBI की भूमिका और मौद्रिक नीतियाँ

भारतीय रिज़र्व बैंक ने FY25 में अपनी मौद्रिक नीतियों को संतुलन में रखा। ब्याज दरों में कोई बड़ी वृद्धि नहीं की गई, जिससे क्रेडिट ग्रोथ को बनाए रखने में मदद मिली। इसके साथ ही, महंगाई को नियंत्रित रखने के प्रयासों में भी सफलता मिली।

भविष्य की रणनीतियाँ और संभावनाएँ

1. निजी निवेश को प्रोत्साहन

सरकार को अब PLI (Production Linked Incentive) स्कीम जैसे उपायों को और व्यापक बनाना होगा ताकि घरेलू और विदेशी निजी निवेश आकर्षित किया जा सके।

2. रोजगार पर ज़ोर

6.3% की वृद्धि दर तब सार्थक होगी जब यह रोजगार सृजन में भी तब्दील हो। सरकार को MSME और स्टार्टअप सेक्टर को प्रोत्साहन देना होगा।

3. डिजिटल अर्थव्यवस्था में निवेश

डिजिटलीकरण भारत की आर्थिक मजबूती का प्रमुख इंजन बन सकता है। डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर को और मजबूत किया जाना चाहिए।

4. वैश्विक सहयोग को बढ़ावा

भारत को वैश्विक व्यापार संधियों और निर्यात अवसरों का भरपूर लाभ उठाना चाहिए। इसके लिए लॉजिस्टिक्स लागत कम करने, और उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने पर ध्यान देना होगा।

भारत की अर्थव्यवस्था: वैश्विक दृष्टिकोण में FY25 की स्थिति

भारत की आर्थिक स्थिति को सिर्फ घरेलू आधार पर आंकना पर्याप्त नहीं है। हमें यह भी समझना चाहिए कि भारत किस प्रकार वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है।

चौथी तिमाही की 7% वृद्धि और पूरे वर्ष की 6.3% संभावित वृद्धि इस बात की ओर इशारा करती है कि भारत वैश्विक मंदी और भू-राजनीतिक संकटों के बावजूद एक मजबूत अर्थव्यवस्था बना हुआ है।

1. अमेरिका, यूरोप और चीन का प्रभाव

अमेरिका में ब्याज दरों में तेजी और मांग में सुस्ती भारत के निर्यात पर प्रभाव डालती रही।

यूरोप की अर्थव्यवस्था ऊर्जा संकट और युद्ध जैसी स्थिति से प्रभावित रही, जिससे भारत के इंजीनियरिंग और टेक्सटाइल निर्यात पर असर पड़ा।

चीन की धीमी रिकवरी ने वैश्विक कच्चे माल के दामों में गिरावट की स्थिति बनाई, जिसका भारत को मिश्रित प्रभाव मिला।

2. जियो-पॉलिटिकल तनाव और कच्चे तेल की कीमतें

रूस-यूक्रेन युद्ध, इज़राइल-गाज़ा संकट और मध्य एशिया में अस्थिरता से अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अस्थिरता बनी रही। हालांकि भारत ने ऊर्जा के विविध स्रोतों से आपूर्ति सुनिश्चित कर, अपनी घरेलू महंगाई को संतुलित रखा।

रोजगार, खपत और घरेलू निवेश की बदलती तस्वीर

1. रोजगार में सुधार की आवश्यकता

विकास दर जितनी भी तेज हो, यदि वह रोजगार उत्पन्न नहीं कर रही तो वह टिकाऊ नहीं मानी जा सकती। MSME सेक्टर, कृषि से जुड़े गैर-कृषि कार्य, और स्टार्टअप इकोसिस्टम को और मजबूती दी जानी चाहिए।

2. निजी खपत की बदलती प्रवृत्तियाँ

FY25 की चौथी तिमाही में उपभोक्ता भावना में सुधार देखा गया। त्योहारी सीज़न, डिजिटल खरीदारी और EMI आधारित खपत बढ़ने से बाजार में पुनर्जीवन दिखा।

3. बैंकिंग क्षेत्र और ऋण वितरण

बैंकों ने खुदरा ऋण, गृह ऋण और ऑटो ऋण में बढ़ोत्तरी दर्ज की, जिससे मांग को बल मिला। RBI की नीतियाँ भी उधारी को प्रोत्साहित करने की दिशा में संतुलित रही हैं।

राजकोषीय नीतियाँ और सरकार की जिम्मेदारी

सरकार की विकास-उन्मुख नीतियाँ, विशेषकर पूंजीगत व्यय (capital expenditure) में बढ़ोतरी, रेलवे, रोडवेज और हवाई अड्डों जैसे क्षेत्रों में निवेश, अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में सहायक रही हैं।

1. राजकोषीय घाटा: चिंता या अवसर?

FY25 में सरकार का फोकस राजकोषीय अनुशासन को बनाए रखते हुए निवेश को बनाए रखने पर रहा। घाटा थोड़ा अधिक हो सकता है, लेकिन अगर इसका प्रयोग उत्पादक परिसंपत्तियों में हो रहा है, तो यह चिंता का विषय नहीं है।

2. GST संग्रहण में बढ़ोतरी

राजस्व संग्रहण में वृद्धि हुई, विशेषकर जीएसटी संग्रह में निरंतर वृद्धि देखी गई। यह एक सकारात्मक संकेत है कि औपचारिक अर्थव्यवस्था में स्थिरता बढ़ रही है।

अर्थव्यवस्था को गति देने वाले प्रमुख सेक्टर

1. इन्फ्रास्ट्रक्चर

भारत का इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र देश के विकास इंजन के रूप में उभरा है। प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना, भारतमाला, और नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन के तहत कई परियोजनाएँ FY25 में सक्रिय रहीं।

2. डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप इकोसिस्टम

डिजिटल भुगतान, यूपीआई, और ऑनलाइन सेवाओं में जबरदस्त वृद्धि देखी गई। इससे ई-कॉमर्स, एजु-टेक और फिनटेक स्टार्टअप्स को बल मिला।

3. ग्रीन एनर्जी और इलेक्ट्रिक वाहन

FY25 में भारत ने अक्षय ऊर्जा, विशेषकर सौर और पवन ऊर्जा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की। इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में भी वृद्धि हुई, जिससे नए निवेश और रोजगार की संभावनाएं बनीं।

India GDP Growth Q4 FY25: 7% की प्रगति, FY25 में 6.3% के साथ अर्थव्यवस्था की मजबूत स्थिति
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राजनीतिक स्थिरता और नीतिगत समर्थन

1. राजनीतिक स्थिरता से निवेश को बल

भारत में राजनीतिक स्थिरता और स्पष्ट नीति-निर्माण ने घरेलू और विदेशी निवेशकों को आश्वस्त किया। FDI में निरंतर प्रवाह रहा।

2. सरल व्यापार नियम और डिजिटलीकरण

Ease of Doing Business में सुधार, ऑनलाइन पंजीकरण और कर प्रणाली में पारदर्शिता ने व्यापार को सरल बनाया।

चुनौतियाँ जो बनी हुई हैं

1. नौकरी सृजन की धीमी गति

बढ़ती GDP के बावजूद, सभी क्षेत्रों में पर्याप्त रोजगार नहीं उत्पन्न हो पा रहे। विशेषकर शिक्षित युवा बेरोजगारी एक चिंता का विषय बनी हुई है।

2. निर्यात में अस्थिरता

FY25 में कई बार निर्यात में गिरावट देखी गई, विशेष रूप से टेक्सटाइल और इंजीनियरिंग क्षेत्रों में। इसका समाधान वैश्विक बाजारों में विविधता और प्रतिस्पर्धात्मक उत्पादों द्वारा किया जा सकता है।

3. महंगाई और खाद्य सुरक्षा

हालांकि मुद्रास्फीति नियंत्रण में रही, लेकिन खाद्य महंगाई अभी भी निम्न वर्गों पर असर डालती है। इसके लिए आपूर्ति श्रृंखला को और मज़बूत करना ज़रूरी है।

आने वाले वर्ष (FY26) की संभावनाएँ

1. FY26 में 7% से अधिक ग्रोथ की उम्मीद

अगर निवेश में तेजी, वैश्विक परिस्थितियों में सुधार और कृषि क्षेत्र सामान्य रहा तो FY26 में भारत 7% से अधिक की वृद्धि दर्ज कर सकता है।

2. आत्मनिर्भर भारत का प्रभाव

मेक इन इंडिया, PLI स्कीम और निर्यात प्रोत्साहन जैसी योजनाओं से उत्पादन में वृद्धि और रोजगार में बढ़ोतरी संभव है।

3. नई तकनीकों का समावेश

AI, IoT, डिजिटल हेल्थ और 5G टेक्नोलॉजी का तेज़ी से उपयोग भारत को चौथी औद्योगिक क्रांति में एक अग्रणी देश बना सकता है।

निष्कर्ष: भारत की अर्थव्यवस्था FY25 में मजबूती की ओर

भारत की अर्थव्यवस्था ने FY25 की चौथी तिमाही में 7% की शानदार वृद्धि दर्ज कर एक सकारात्मक संकेत दिया है कि हमारी अर्थव्यवस्था न केवल वैश्विक चुनौतियों का सामना कर रही है, बल्कि स्थायित्व और सुधार की दिशा में भी बढ़ रही है।

पूरे वित्तीय वर्ष में 6.3% की अनुमानित वृद्धि यह दर्शाती है कि भारत ने संतुलन, विवेकपूर्ण नीतियों और दीर्घकालिक सोच के साथ अपने आर्थिक ढांचे को सुदृढ़ किया है।

हालांकि, कुछ चुनौतियाँ — जैसे निर्यात में उतार-चढ़ाव, रोजगार सृजन की गति, और निजी निवेश में धीमापन — अब भी बनी हुई हैं।

मगर सरकार द्वारा पूंजीगत व्यय में बढ़ोत्तरी, डिजिटल अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन, तथा वैश्विक निवेशकों का भरोसा यह साबित करता है कि भारत लंबी दौड़ के लिए तैयार है।

आने वाले समय में यदि भारत औद्योगिक उत्पादन, हरित ऊर्जा, रोजगार सृजन और कृषि सुधारों को समान रूप से संतुलित कर आगे बढ़ता है, तो निश्चय ही देश 7% से अधिक की सतत वार्षिक वृद्धि हासिल कर सकता है।

यह स्पष्ट है कि भारत अब सिर्फ एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था नहीं, बल्कि एक नवोन्मेषी, लचीली और निर्णायक राष्ट्र की आर्थिक ताक़त बन चुका है – जो भविष्य में वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर है।


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Hello! Welcome To About me My name is Sanjeev Kumar Sanya. I have completed my BCA and MCA degrees in education. My keen interest in technology and the digital world inspired me to start this website, “Aajvani.com.”

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