India’s HDI Ranking 2025: विश्व स्तरीय छलांग के पीछे कौन सी गुप्त रणनीति है?
भूमिका
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Toggleमानव विकास का विचार केवल आर्थिक विकास तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह इस बात से जुड़ा होता है कि एक देश अपने नागरिकों को कितनी गुणवत्ता वाली ज़िंदगी दे पा रहा है — जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, और सम्मानजनक जीवन स्तर शामिल हो।
मानव विकास सूचकांक (Human Development Index – HDI) इसी सोच का प्रतिरूप है। India’s HDI Ranking 2025 में तीन अंकों का सुधार हुआ है, और यह मात्र एक संख्या नहीं, बल्कि देश के भीतर हो रहे सामाजिक व आर्थिक परिवर्तन की झलक है।

HDI क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?
HDI, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा विकसित एक समग्र सूचकांक है जो तीन प्रमुख मापदंडों पर आधारित होता है:
1. जीवन प्रत्याशा – स्वास्थ्य और चिकित्सा की स्थिति को दर्शाता है।
2. शिक्षा का स्तर – स्कूली शिक्षा की औसत और अपेक्षित अवधि के आधार पर।
3. प्रति व्यक्ति आय – जीवन यापन की क्षमता को दर्शाने वाला आर्थिक माप।
ये तीनों मिलकर यह दर्शाते हैं कि किसी देश के नागरिक किस स्तर की ज़िंदगी जी रहे हैं, और उन्हें कितने अवसर प्राप्त हैं।
भारत की रैंकिंग में सुधार: 2025 की रिपोर्ट क्या कहती है?
2025 की HDI रिपोर्ट में भारत ने 193 देशों में से 130वां स्थान हासिल किया है, जो 2022 के 133वें स्थान से बेहतर है। इसका स्कोर भी 0.676 से बढ़कर 0.685 हो गया है। यह बदलाव भले ही सतही रूप से मामूली लगे, लेकिन इसके पीछे गहरी नीतिगत पहलें, सामाजिक कार्यक्रम और आर्थिक स्थिरता की भूमिका रही है।
1. स्वास्थ्य में सुधार: जीवन प्रत्याशा में बढ़ोतरी
भारत में 2025 में जीवन प्रत्याशा 72 वर्ष तक पहुंची, जो पिछले वर्षों की तुलना में बेहतर है। यह उपलब्धि विशेषकर कोविड-19 के बाद की दुनिया में और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।
आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना और मिशन इन्द्रधनुष जैसे कार्यक्रमों ने देश के ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को बढ़ाया है। बच्चों का टीकाकरण, मातृत्व स्वास्थ्य, पोषण और मानसिक स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में काम करने से जीवन प्रत्याशा में वृद्धि देखी गई।
2. शिक्षा में प्रगति: जड़ से जुड़ा बदलाव
शिक्षा के क्षेत्र में भारत ने दोहरी दिशा में काम किया है – पहला, प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा की पहुंच में विस्तार, और दूसरा, उच्च शिक्षा और कौशल विकास की दिशा में निवेश।
वर्ष 2025 में स्कूली शिक्षा के औसतन वर्षों में वृद्धि देखने को मिली। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रभाव अब ज़मीनी स्तर पर दिखने लगे हैं – जहां बच्चों को व्यावहारिक, भाषायी और समावेशी शिक्षा मिल रही है।
डिजिटल इंडिया अभियान ने ऑनलाइन शिक्षा को भी आगे बढ़ाया है, जिससे दूरदराज के इलाकों में शिक्षा की पहुंच आसान हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों में बेटियों के स्कूल ड्रॉपआउट में भी कमी आई है।
3. आर्थिक उन्नति: आय में वृद्धि और नए अवसर
भारत की प्रति व्यक्ति आय में भी 2025 में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। ग्रामीण क्षेत्र में स्वरोज़गार, स्टार्टअप कल्चर, कृषि आधारित उद्योग, और मनरेगा जैसे कार्यक्रमों ने गरीब वर्ग के लिए रोजगार के अवसर पैदा किए।
शहरी क्षेत्र में MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग) को बढ़ावा, स्टार्टअप इंडिया, और डिजिटल इकोनॉमी ने नई नौकरियों की सृजना की।
साथ ही, डिजिटल भुगतान, UPI और बैंकिंग सुविधा ने आम नागरिक की आर्थिक भागीदारी बढ़ाई, जिससे जीवन स्तर में सुधार हुआ। जब लोगों की आय में वृद्धि होती है तो वे बेहतर पोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं खरीद सकते हैं – यही HDI की बुनियादी आत्मा है।
4. महिलाओं की भागीदारी और लैंगिक समानता
HDI रिपोर्ट में भारत की एक और उपलब्धि यह रही कि लैंगिक असमानता सूचकांक (Gender Inequality Index – GII) में सुधार हुआ है। महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य और कामकाज में भागीदारी के आंकड़े बेहतर हुए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में भी महिलाओं की पंचायतों में भागीदारी बढ़ी है।
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, और महिला सुरक्षा के लिए बनाए गए कानूनों ने सकारात्मक प्रभाव डाला है। अब महिलाएं बैंक खातों की मालिक हैं, डिजिटल पेमेंट की प्रयोगकर्ता हैं, और स्वरोज़गार की प्रेरणा बन रही हैं।
5. तकनीक और नवाचार की भूमिका
भारत की तकनीकी तरक्की ने भी HDI स्कोर को प्रभावित किया है। खासकर स्वास्थ्य, शिक्षा और वित्तीय सेवाओं में डिजिटल टेक्नोलॉजी ने क्रांति ला दी है।
टेलीमेडिसिन, डिजिटल क्लासरूम, ऑनलाइन स्किलिंग, और डिजिटल भुगतान प्रणाली ने सेवा वितरण को आसान, पारदर्शी और सस्ता बनाया है।
सरकार के डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर ने नागरिकों को अधिकार दिए हैं – डिजिटल आईडी, जनधन खाते, मोबाइल और आधार के त्रिमूर्ति के रूप में। यह “जनता तक सुविधा” मॉडल अब विश्वभर में सराहा जा रहा है।
दक्षिण एशिया में भारत की स्थिति: क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धा में सुधार
2023 की HDI रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग में सुधार ने एक और पहलू उजागर किया है — दक्षिण एशिया में भारत की स्थिति। इस क्षेत्र में भारत ने बांग्लादेश, नेपाल और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है।
जहाँ पाकिस्तान की रैंकिंग 164वें स्थान पर रही और बांग्लादेश की 129वें पर, वहीं भारत ने 130वें स्थान पर पहुँचकर संतुलित प्रगति का परिचय दिया है।
हालांकि श्रीलंका अब भी क्षेत्र में सबसे ऊपर है, लेकिन भारत की तेजी से उभरती आर्थिक शक्ति, तकनीकी नवाचार और सामाजिक सुधार इसे आने वाले वर्षों में श्रीलंका से आगे ले जा सकते हैं।
असमानता और HDI: भारत की अंदरूनी चुनौती
भारत में HDI का औसत भले ही सुधर रहा हो, लेकिन देश के भीतर असमानता एक बड़ी चुनौती है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच, राज्यों के बीच, और जातीय-लैंगिक स्तर पर अभी भी भारी अंतर मौजूद है। उदाहरण के तौर पर:
केरल जैसे राज्य का HDI स्कोर 0.782 के आसपास है, जबकि बिहार का HDI स्कोर 0.574 के करीब है।
शहरी भारत में शिक्षा और स्वास्थ्य की पहुंच बेहतर है, लेकिन ग्रामीण भारत में अभी भी मूलभूत सेवाओं की कमी है।
अनुसूचित जातियों और जनजातियों को अभी भी मुख्यधारा में लाने के लिए सघन प्रयास की आवश्यकता है।
HDI की यह गहराई यह दिखाती है कि भारत को केवल औसत सुधार नहीं, बल्कि “संतुलित सुधार” की ओर बढ़ना होगा।
भारत के सामने मौजूदा चुनौतियाँ: क्यों अभी भी संघर्ष बाकी है?
भारत की HDI रैंकिंग में सुधार निश्चित रूप से सराहनीय है, लेकिन कई ऐसी चुनौतियाँ हैं जो इस प्रगति की रफ्तार को धीमा कर सकती हैं:
a) जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय संकट
सूखा, बाढ़, प्रदूषण और ग्लेशियरों का पिघलना भारत के कई हिस्सों में जीवन और आजीविका को प्रभावित कर रहे हैं। इससे कृषि, स्वास्थ्य और रोजगार तीनों प्रभावित हो रहे हैं — जो अंततः HDI को नुकसान पहुँचाते हैं।
b) स्वास्थ्य सेवा में गुणवत्ता की कमी
हालांकि पहुंच बढ़ी है, लेकिन सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता, डॉक्टरों की कमी, और ग्रामीण स्वास्थ्य ढाँचे की कमजोरियाँ अब भी चिंता का विषय हैं।
c) शिक्षा में डिजिटल डिवाइड
ऑनलाइन शिक्षा ने बहुतों को सशक्त बनाया, परंतु गरीब और दूरस्थ क्षेत्रों में डिजिटल संसाधनों की कमी बच्चों को पीछे कर रही है।
2030 की ओर भारत की HDI दृष्टि: संभावनाएँ और संकल्प
भारत ने SDGs (Sustainable Development Goals) 2030 के अंतर्गत शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक समावेशन को लेकर कई लक्ष्य तय किए हैं। इन्हीं लक्ष्यों के सहारे भारत 2030 तक 0.750 के आसपास HDI स्कोर प्राप्त कर सकता है। इसके लिए जरूरी उपाय निम्नलिखित हैं:
शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार — केवल स्कूल भेजना काफी नहीं, बल्कि क्रिटिकल थिंकिंग, स्किलिंग और लाइफ-स्किल्स पर ज़ोर देना होगा।
स्वास्थ्य में निवेश — प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को मज़बूत करना, डॉक्टर-जनसंख्या अनुपात सुधारना और मानसिक स्वास्थ्य को मुख्यधारा में लाना।
महिलाओं और युवाओं का सशक्तिकरण — उन्हें निर्णय लेने, नेतृत्व और उद्यमिता के अवसर देना।
डिजिटल इन्क्लूजन — इंटरनेट को सभी के लिए सुलभ बनाना, ताकि डिजिटल भारत का लाभ हर गांव तक पहुँचे।
सरकार की योजनाओं जैसे PM-Poshan, Atmanirbhar Bharat, Digital India 2.0, Skill India 2.0 जैसे कार्यक्रम इस दिशा में नींव बन सकते हैं — बशर्ते उनकी निष्पादन क्षमता बेहतर हो।
आम नागरिक के लिए HDI का महत्व: ये आंकड़ा आपके जीवन से कैसे जुड़ता है?
HDI की रिपोर्ट केवल नीति निर्माताओं के लिए नहीं होती — यह हर आम आदमी के जीवन की तस्वीर दिखाती है। जब रिपोर्ट कहती है कि भारत में औसत जीवन प्रत्याशा बढ़ गई है, तो इसका मतलब है कि स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार हुआ है, जिससे एक किसान, मज़दूर या शिक्षक की ज़िंदगी बेहतर हो सकती है।
जब शिक्षा सूचकांक में सुधार होता है, तो ये दर्शाता है कि बच्चों को स्कूल भेजने की संभावनाएं बढ़ी हैं, और युवाओं को भविष्य में बेहतर नौकरी मिल सकती है।
HDI सिर्फ एक रैंकिंग नहीं — ये बताता है कि सरकार के प्रयास ज़मीन तक पहुँच रहे हैं या नहीं, और अगर नहीं, तो सुधार कहाँ ज़रूरी है।
नीति-निर्माताओं के लिए सुझाव: HDI में शीर्ष 100 तक पहुँचने का रोडमैप
भारत अगर HDI में विश्व के शीर्ष 100 देशों में स्थान पाना चाहता है, तो इसे निम्नलिखित रणनीतिक सुधार अपनाने होंगे:
1. स्वास्थ्य पर GDP का न्यूनतम 2.5% खर्च
आज भी भारत अपने स्वास्थ्य बजट को बढ़ाने में पीछे है। स्वास्थ्य सेवाओं में समावेशी सुधार, जनसंख्या नियंत्रण और पोषण योजनाओं की कार्यकुशलता जरूरी है।
2. शिक्षा में स्किल और इनोवेशन पर फोकस
क्लासिकल शिक्षा के साथ-साथ डिजिटल लर्निंग, वोकेशनल ट्रेनिंग, और AI-जैसी आधुनिक तकनीकों पर आधारित शिक्षा को बढ़ावा देना होगा।
3. महिलाओं के लिए सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन
महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सुरक्षा सुनिश्चित करना HDI सुधार में सबसे बड़ा योगदान देगा।
4. ग्रीन डेवलपमेंट और जलवायु न्याय
पर्यावरणीय संतुलन बनाए बिना कोई भी मानव विकास स्थायी नहीं हो सकता। नवीकरणीय ऊर्जा, स्वच्छ परिवहन और सतत कृषि जैसे क्षेत्रों में निवेश अनिवार्य है।

भारत की वैश्विक छवि पर प्रभाव: क्यों ये रिपोर्ट दुनियाभर के निवेशकों के लिए अहम है?
HDI की रिपोर्ट दुनिया भर के अर्थशास्त्री, निवेशक, NGO, और थिंक टैंक पढ़ते हैं। जब भारत की रैंकिंग सुधरती है, तो यह संकेत जाता है कि:
यहाँ मानव संसाधन का स्तर बेहतर हो रहा है, यानी कुशल श्रम बल तैयार है।
स्वास्थ्य और शिक्षा में निवेश करने लायक माहौल बन रहा है।
सामाजिक स्थायित्व और आर्थिक समावेशन बेहतर हो रहा है।
इसका सीधा असर FDI (Foreign Direct Investment) पर भी पड़ता है। निवेशक उन्हीं देशों में निवेश करना पसंद करते हैं जहाँ विकास के संकेत स्थिर और सकारात्मक हों।
भारत के युवा: HDI सुधार की असली ताक़त
भारत की 65% से अधिक जनसंख्या 35 वर्ष से कम की है। यही युवा वर्ग यदि सही दिशा में प्रशिक्षित और सशक्त हो, तो भारत सिर्फ HDI रैंकिंग में नहीं बल्कि संपूर्ण विकास की राह पर विश्व नेता बन सकता है।
युवाओं को इस दिशा में खुद से कुछ कदम उठाने चाहिए:
डिजिटल साक्षरता और जीवन कौशल सीखें
सामाजिक समस्याओं पर संवाद करें, समाधान खोजें
सिविक ड्यूटी को समझें — मतदान, जागरूकता और समावेश को बढ़ावा दें
निष्कर्ष: भारत की HDI रैंकिंग में सुधार — एक नई दिशा की ओर मजबूत क़दम
भारत की 2025 की मानव विकास सूचकांक (HDI) रिपोर्ट केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि देश के सतत प्रयासों, सामाजिक परिवर्तन और विकास की नई सोच का प्रतिबिंब है।
जीवन प्रत्याशा, शिक्षा और जीवन स्तर जैसे क्षेत्रों में हुए सुधार यह दर्शाते हैं कि भारत अब केवल आर्थिक विकास ही नहीं, बल्कि मानव विकास को भी प्राथमिकता दे रहा है।
हालांकि चुनौतियां अभी भी मौजूद हैं — जैसे असमानता, बेरोजगारी, लैंगिक भेदभाव और क्षेत्रीय विकास में असंतुलन — लेकिन भारत ने यह साबित कर दिया है कि सहयोग, नीति और संकल्प के ज़रिए इन बाधाओं को पार किया जा सकता है।
इस सुधार से भारत की वैश्विक छवि सशक्त हुई है और दुनिया को यह संदेश गया है कि भारत न केवल एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था है, बल्कि एक ऐसा देश है जो अपने नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
आगे बढ़ने के लिए ज़रूरी है कि केंद्र और राज्य सरकारें, निजी क्षेत्र, सिविल सोसायटी और आम नागरिक मिलकर एक समावेशी, न्यायसंगत और टिकाऊ विकास मॉडल को अपनाएं। तभी भारत न केवल HDI रैंकिंग में शीर्ष 100 में, बल्कि मानवता की सच्ची सेवा में भी शीर्ष पर होगा।
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