INDRA-2025: भारत-रूस नौसैनिक अभ्यास की पूरी जानकारी, रणनीति और महत्व
भारत और रूस के बीच मजबूत रणनीतिक और रक्षा साझेदारी का प्रतीक INDRA-2025 का 14वां संस्करण 28 मार्च से 02 अप्रैल 2025 तक चेन्नई में आयोजित किया जा रहा है।
Table of the Post Contents
Toggleयह बहुप्रतीक्षित नौसैनिक अभ्यास दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच परिचालन समन्वय को मजबूत करने और रणनीतिक समझ को विकसित करने का एक महत्वपूर्ण मंच है।
इस अभ्यास के दौरान बंदरगाह और समुद्री दोनों चरणों में कई गतिविधियाँ आयोजित की जा रही हैं, जिनमें युद्धाभ्यास, सामरिक योजना और संयुक्त अभियानों की तैयारी शामिल हैं।
INDRA-2025 का महत्व और उद्देश्य
1. भारत-रूस रक्षा संबंधों का प्रतीक
भारत और रूस दशकों से रक्षा साझेदार रहे हैं। दोनों देशों ने सैन्य तकनीक, हथियारों के विकास, और सामरिक अभ्यासों में सहयोग किया है।
INDRA-2025 इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए नौसेनाओं के बीच इंटरऑपरेबिलिटी (आपसी संचालन क्षमता) को मजबूत करता है और रक्षा संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाता है।
2. समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा
हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में बढ़ते भू-राजनीतिक तनावों के बीच भारत और रूस का यह अभ्यास समुद्री सुरक्षा को सुदृढ़ करने और क्षेत्रीय स्थिरता को बनाए रखने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
यह अभ्यास समुद्री डकैती, आतंकवाद, और अन्य सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए नौसेनाओं को तैयार करता है।
3. संयुक्त अभियान क्षमता में सुधार
इस अभ्यास का एक प्रमुख उद्देश्य दोनों नौसेनाओं के बीच संयुक्त अभियान क्षमता को विकसित करना है। इसमें संयुक्त युद्धाभ्यास, जटिल नौसैनिक रणनीतियाँ, और वास्तविक समय में सूचना साझाकरण पर जोर दिया जाता है।
INDRA-2025 का आयोजन: स्थान और भाग लेने वाली इकाइयाँ
INDRA-2025 का आयोजन भारतीय तट के प्रमुख नौसैनिक अड्डे चेन्नई में किया जा रहा है। यह स्थान रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की नौसैनिक उपस्थिति को दर्शाता है।
भाग लेने वाली इकाइयाँ
इस अभ्यास में भारतीय और रूसी नौसेनाओं की कई महत्वपूर्ण इकाइयाँ भाग ले रही हैं:
भारतीय नौसेना:
स्वदेशी युद्धपोत
पनडुब्बियाँ
गश्ती जहाज
हेलीकॉप्टर और ड्रोन
रूसी नौसेना:
प्रमुख युद्धपोत
विध्वंसक जहाज
आधुनिक समुद्री टोही विमान
स्पेशल ऑपरेशन फोर्सेस
दोनों देशों की नौसेनाएँ मिलकर एक समन्वित अभ्यास कर रही हैं, जिसमें युद्धक्षमता को परखने और सुधारने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
INDRA-2025: एक रणनीतिक दृष्टिकोण
भारत और रूस के बीच INDRA-2025 केवल एक सैन्य अभ्यास भर नहीं है, बल्कि यह एक रणनीतिक योजना का हिस्सा है, जो दोनों देशों को समुद्री सुरक्षा, युद्ध रणनीतियों और आपसी सहयोग को गहराई से समझने का अवसर देता है।
यह अभ्यास नई तकनीकों, आधुनिक युद्ध कौशल और आपसी तालमेल को बेहतर बनाने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
1. हिंद महासागर क्षेत्र में भारत-रूस की भूमिका
हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) वैश्विक व्यापार और रणनीतिक संतुलन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह क्षेत्र तेल व्यापार, माल परिवहन और सामरिक नियंत्रण के लिहाज से अहम है।
पिछले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में चीनी नौसेना की बढ़ती उपस्थिति और समुद्री डकैती जैसी सुरक्षा चुनौतियाँ सामने आई हैं।
i. चीन की बढ़ती गतिविधियाँ और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा
चीन अपने Belt and Road Initiative (BRI) और नौसैनिक विस्तार के तहत हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है। उसने श्रीलंका (हंबनटोटा), पाकिस्तान (ग्वादर), और अफ्रीका में कई नौसैनिक अड्डे विकसित किए हैं।
भारत और रूस का INDRA-2025 अभ्यास इस क्षेत्र में भारतीय नौसेना की उपस्थिति और सामरिक शक्ति को प्रदर्शित करता है, जिससे चीन की बढ़ती गतिविधियों पर संतुलन बनाने में मदद मिलेगी।
ii. भारत-रूस: एक मजबूत नौसैनिक साझेदारी
रूस पहले से ही भारत के लिए सबसे बड़े रक्षा आपूर्तिकर्ताओं में से एक रहा है। भारत की कई प्रमुख नौसैनिक प्रणालियाँ रूसी तकनीक से प्रेरित हैं, जैसे:
INS Vikramaditya (रूसी विमान वाहक से संशोधित)
INS Chakra (Akula-class परमाणु पनडुब्बी)
BrahMos सुपरसोनिक मिसाइल (भारत-रूस संयुक्त परियोजना)
INDRA-2025 इस नौसैनिक सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का प्रयास है।

2. समुद्री क्षेत्र में आधुनिक युद्ध रणनीतियाँ
INDRA-2025 केवल पारंपरिक युद्धाभ्यास तक सीमित नहीं है। इसमें कई आधुनिक युद्ध तकनीकों को शामिल किया गया है, जैसे:
i. साइबर और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (Cyber & Electronic Warfare)
आधुनिक नौसेना युद्ध में साइबर हमले और इलेक्ट्रॉनिक जामिंग बेहद महत्वपूर्ण हो गए हैं। इस अभ्यास में:
साइबर हमलों से निपटने की तकनीक
ड्रोन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित निगरानी प्रणालियाँ
रडार और संचार प्रणालियों को इलेक्ट्रॉनिक हमलों से बचाने की रणनीति पर विशेष ध्यान दिया गया है।
ii. संयुक्त निगरानी और खुफिया साझा करना
भारत और रूस इस अभ्यास के माध्यम से रीयल-टाइम इंटेलिजेंस साझा करने की प्रक्रिया को मजबूत कर रहे हैं। इसमें ड्रोन, उपग्रह डेटा और रडार ट्रैकिंग सिस्टम का उपयोग किया जा रहा है।
iii. पनडुब्बी-रोधी युद्ध (Anti-Submarine Warfare – ASW)
पनडुब्बियाँ किसी भी नौसैनिक युद्ध में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इस अभ्यास में:
पनडुब्बियों की खोज और ट्रैकिंग
सोनेट सिस्टम्स (SONAR Systems) का प्रभावी उपयोग
गहराई से हमला (Depth Charge Attacks)
जैसी तकनीकों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
3. भारत के लिए रणनीतिक लाभ
INDRA-2025 से भारत को कई रणनीतिक लाभ मिलेंगे:
i. रक्षा स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भरता
भारत मेक इन इंडिया पहल के तहत स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा दे रहा है। यह अभ्यास भारतीय नौसेना को यह समझने में मदद करेगा कि कैसे स्वदेशी तकनीक और विदेशी सहयोग को संतुलित किया जाए।
ii. हिंद महासागर में प्रभावी उपस्थिति
यह अभ्यास भारत को हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी सुरक्षा रणनीतियों को मजबूत करने और अन्य मित्र देशों को यह दिखाने का अवसर देगा कि भारतीय नौसेना किसी भी चुनौती से निपटने में सक्षम है।
iii. भारतीय नौसेना की युद्धक्षमता में वृद्धि
इस अभ्यास के दौरान भारतीय नौसेना को नए युद्ध कौशल, रणनीतियों और रूस की उन्नत युद्ध तकनीकों से सीखने का अवसर मिलेगा, जिससे युद्धकालीन निर्णय लेने की क्षमता बढ़ेगी।
4. रूस के लिए रणनीतिक लाभ
i. हिंद महासागर में पहुंच
रूस की नौसैनिक उपस्थिति मुख्य रूप से आर्कटिक, प्रशांत और काला सागर तक सीमित रही है। INDRA-2025 उसे हिंद महासागर क्षेत्र में प्रभाव बढ़ाने का अवसर देगा।
ii. भारत के साथ रक्षा सहयोग को बढ़ावा
रूस भारत को S-400 वायु रक्षा प्रणाली, सुखोई लड़ाकू विमान, और पनडुब्बी तकनीक जैसे क्षेत्रों में सहयोग प्रदान कर रहा है। इस अभ्यास से यह संबंध और गहरा होगा।
iii. एशिया-प्रशांत में संतुलन
चीन और रूस के संबंध मजबूत हैं, लेकिन रूस यह भी चाहता है कि भारत जैसे देशों के साथ उसकी स्वतंत्र रक्षा साझेदारी बनी रहे। INDRA-2025 से रूस यह सुनिश्चित कर सकता है कि भारत केवल पश्चिमी देशों (अमेरिका, फ्रांस) पर निर्भर न रहे।
5. भविष्य की संभावनाएँ और चुनौतियाँ
INDRA-2025 भविष्य में भारत-रूस रक्षा साझेदारी को एक नए स्तर पर ले जाने की क्षमता रखता है, लेकिन इसके साथ कुछ चुनौतियाँ भी जुड़ी हुई हैं।
संभावनाएँ
भारत-रूस के बीच संयुक्त रक्षा उत्पादन को बढ़ावा मिल सकता है।
रूस भारत को आधुनिक पनडुब्बियाँ और रक्षा प्रणालियाँ प्रदान कर सकता है।
दोनों देशों के बीच अधिक व्यापक सैन्य अभ्यास आयोजित हो सकते हैं।
चुनौतियाँ
भारत का अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के साथ बढ़ता रक्षा सहयोग रूस के लिए एक चुनौती हो सकता है।
रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते रूस की नौसैनिक क्षमताएँ सीमित हो सकती हैं।
हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति एक नया संतुलन बनाने की चुनौती पेश कर सकती है।

निष्कर्ष: भारत-रूस मैत्री का नया अध्याय
INDRA-2025 भारत और रूस के बीच एक मजबूत रणनीतिक साझेदारी की ओर एक और बड़ा कदम है। यह अभ्यास दोनों देशों को नौसैनिक युद्ध कौशल, परिचालन रणनीति और रक्षा तकनीकों को साझा करने का अवसर देता है।
इस अभ्यास से न केवल हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा मजबूत होगी, बल्कि यह भारत को वैश्विक समुद्री शक्ति के रूप में स्थापित करने में भी मदद करेगा।
भारत और रूस के बीच यह नौसैनिक अभ्यास केवल एक सैन्य सहयोग नहीं, बल्कि एक मित्रता का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि दोनों देश भविष्य में भी एक-दूसरे के साथ खड़े रहने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
INDRA-2025 का प्रारूप: प्रमुख चरण
INDRA-2025 को दो प्रमुख चरणों में विभाजित किया गया है:
1. बंदरगाह चरण (Harbour Phase)
बंदरगाह चरण में 28 मार्च से 30 मार्च के बीच विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित की गईं, जिनमें शामिल हैं:
(i) उद्घाटन समारोह
INDRA-2025 का उद्घाटन एक भव्य समारोह के साथ हुआ, जिसमें दोनों देशों के नौसेना अधिकारियों, रक्षा विशेषज्ञों और राजनयिकों ने भाग लिया। इस दौरान द्विपक्षीय रक्षा सहयोग पर चर्चा की गई।
(ii) विषय वस्तु विशेषज्ञों का आदान-प्रदान (SMEE – Subject Matter Expert Exchange)
इस चरण में भारत और रूस के नौसैनिक विशेषज्ञों ने आधुनिक युद्ध रणनीतियों, साइबर सुरक्षा, और तकनीकी नवाचारों पर विचार-विमर्श किया। इसमें नई समुद्री चुनौतियों का समाधान खोजने पर बल दिया गया।
(iii) पारस्परिक जहाज यात्राएँ
रूसी नौसेना के अधिकारी भारतीय युद्धपोतों का दौरा कर उनकी क्षमताओं को समझ रहे हैं, जबकि भारतीय अधिकारी रूसी जहाजों पर जाकर उनके तकनीकी पहलुओं का अध्ययन कर रहे हैं।
(iv) खेल प्रतियोगिताएँ और सांस्कृतिक कार्यक्रम
अभ्यास के दौरान मैत्रीपूर्ण खेल प्रतियोगिताएँ (फुटबॉल, वॉलीबॉल आदि) और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिससे दोनों नौसेनाओं के जवानों के बीच आपसी सहयोग और समझ को बढ़ावा मिला।
2. समुद्री चरण (Sea Phase)
समुद्री चरण 31 मार्च से 02 अप्रैल तक जारी रहेगा, जिसमें वास्तविक युद्ध अभ्यास होंगे।
(i) सामरिक युद्धाभ्यास
इसमें नौसेना के जहाज संयुक्त युद्धाभ्यास करेंगे, जिसमें रक्षा और आक्रमण रणनीतियों का परीक्षण किया जाएगा।
(ii) समुद्री गश्त और टोही अभियान
दोनों नौसेनाएँ मिलकर समुद्री गश्त करेंगी और खुफिया जानकारी साझा करेंगी, जिससे आतंकवाद और समुद्री डकैती जैसी चुनौतियों से निपटने की क्षमता विकसित होगी।
(iii) मिसाइल और तोपखाने अभ्यास
इस अभ्यास में वास्तविक मिसाइल दागने और तोपखाने से लक्ष्य भेदन का परीक्षण किया जाएगा, जिससे दोनों नौसेनाओं की युद्ध क्षमता को परखा जाएगा।
(iv) पनडुब्बी रोधी युद्धाभ्यास
इसमें पनडुब्बियों की खोज, पहचान, और नष्ट करने के तकनीकों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिससे जलमग्न खतरों से निपटने की क्षमता बढ़ेगी।
INDRA-2025 के प्रमुख लाभ
1. भारत-रूस रक्षा सहयोग को मजबूती
यह अभ्यास भारत और रूस के रक्षा सहयोग को और सशक्त बनाएगा, जिससे भविष्य में सैन्य उपकरणों और रणनीतियों का समन्वय आसान होगा।
2. अंतरराष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा में योगदान
यह अभ्यास हिंद महासागर क्षेत्र में सामुद्रिक सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
3. आतंकवाद और समुद्री डकैती के खिलाफ सहयोग
समुद्री क्षेत्र में बढ़ते आतंकवादी हमलों और डकैती के मामलों को देखते हुए, यह अभ्यास आपसी सहयोग को बढ़ावा देगा।
4. नौसेना की युद्धक क्षमता में वृद्धि
संयुक्त अभ्यास से भारतीय नौसेना को नए युद्ध कौशल, तकनीकों और रणनीतियों को अपनाने का अवसर मिलेगा।
Related
Discover more from Aajvani
Subscribe to get the latest posts sent to your email.