Insensitive Munitions (IM): आयुध अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (ARDE) और आयुध अनुसंधान बोर्ड द्वारा महाराष्ट्र के पुणे में एक दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।
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Toggleइस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य असंवेदनशील आयुध (Insensitive Munitions – IM) अनुपालन प्रणाली की वर्तमान स्थिति और इसके सामने आने वाली चुनौतियाँ और भविष्य की संभावनाओं पर विचार-विमर्श करना जरूरी हो गया है।
यह कार्यशाला रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के साथ अकादमिक संस्थानों के सहयोग से आयोजित की जा रही है।
“Insensitive Munitions (IM) प्रणाली: चुनौतियाँ और भविष्य की राह | DRDO द्वारा ARDE पुणे मे कार्यशाला”
असंवेदनशील आयुध ( Insensitive Munitions-IM) क्या है?
असंवेदनशील आयुध (Insensitive Munitions – IM) वे हथियार या विस्फोटक प्रणालियाँ होती हैं जो बाहरी इफ़ेक्ट जैसे कि ऊष्मा, झटके या गोलाबारी के कारण आकस्मिक रूप से विस्फोट नहीं करतीं।
ये अत्यधिक सुरक्षित और टिकाऊ होती हैं, जिससे सैनिकों और अन्य रक्षा उपकरणों की सुरक्षा बढ़ती है। IM तकनीक का मुख्य उद्देश्य हथियार प्रणालियों की प्रभावशीलता बनाए रखते हुए उनकी सुरक्षा को और बढ़ाकर मज़बूत करना है।
कार्यशाला के उद्देश्य
1.Insensitive Munitions (IM) तकनीक की वर्तमान स्थिति का मूल्यांकन: इसके लिए यह जानना आवश्यक हैं कि भारत में असंवेदनशील आयुध प्रणाली पर अभी तक कितना कार्य हुआ है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी तुलना कैसे की जा सकती है।
2. चुनौतियों की पहचान: IM प्रणाली के विकास में तकनीकी, वित्तीय और विनियामक बाधाओं की समीक्षा पर ध्यान केंद्रित करने की सख्त आवश्यकता हैं |
3. नई तकनीकों की खोज: Insensitive Munitions (IM) अनुपालन प्रणाली के लिए नई सामग्रियों और डिज़ाइन की संभावनाओं की चर्चा पर जोर देने की आवश्यकता हैं |
4. सहयोग बढ़ाना: रक्षा अनुसंधान संगठन (DRDO), रक्षा उद्योगों, और शिक्षाविदों के बीच तालमेल स्थापित करने की आवश्यकता हैं |
5. भविष्य की रणनीति: IM प्रणाली के अनुसंधान और विकास के लिए एक स्पष्ट कार्य योजना बनानी चाहिए | Read more…

असंवेदनशील आयुध की आवश्यकताएँ और लाभ
IM प्रणाली की आवश्यकता रक्षा क्षेत्र में बढ़ती सुरक्षा चिंताओं और वैश्विक मानकों के अनुपालन को देखते हुए अत्यधिक महत्वपूर्ण हो गई है। IM प्रणाली के प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:
1. सुरक्षा में वृद्धि: IM तकनीक आकस्मिक विस्फोट को रोकने में बहुत सहायक होती है, जिससे सैनिकों और सैन्य उपकरणों की सुरक्षा बढ़ती है।
2. भंडारण और परिवहन में आसानी: पारंपरिक हथियारों की तुलना में IM हथियारों को अधिक सुरक्षित रूप से संग्रहीत करके एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जा सकता है।
3. लड़ाकू क्षमता में सुधार: IM हथियार कम जोखिम के साथ उच्च प्रभावशीलता प्रदान करते हैं।
4. पर्यावरणीय प्रभाव में कमी: कम विस्फोटक प्रतिक्रियाएँ होने के कारण पर्यावरणीय क्षति को कम किया जा सकता है।
5. निरंतरता और स्थायित्व: IM प्रणाली अधिक दीर्घकालिक उपयोग के लिए बनाई जाती हैं, जिससे इनके रखरखाव और उपयोग की लागत कम हो जाती है।
कार्यशाला के प्रमुख विषय
1. IM अनुपालन प्रणाली के लिए नवीन सामग्रियाँ: IM अनुपालन प्रणाली के लिए नवीन सामग्रियाँ जैसे : विस्फोटक सामग्री, कोटिंग्स, और संरचनात्मक सामग्रियों पर शोध किया गया हैं।
2. IM मानकों और परीक्षण पद्धतियाँ: अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर IM के लिए अपनाए गए परीक्षण मानक और उनके अनुपालन के तरीके अपनाने पर जोर दिया जा रहा हैं |
3. IM के लिए उन्नत डिज़ाइन रणनीतियाँ: हथियार प्रणालियों के नए उन्नत डिज़ाइन किये जा रहे हैं जो आकस्मिक विस्फोट को रोक सकने मे सक्षम होंगे |
4. IM और स्मार्ट आयुध प्रणाली का एकीकरण: आधुनिक युद्ध रणनीतियों में IM तकनीक का समावेश किया गया हैं |
5. रक्षा उद्योगों और अकादमिक संस्थानों के बीच सहयोग: रक्षा अनुसंधान और विकास में शिक्षाविदों की भूमिका पर जोर दिया गया हैं |
6. IM प्रणाली के दीर्घकालिक प्रभाव: IM हथियारों की दीर्घकालिक उपयोगिता और उनकी प्रभावशीलता का विश्लेषण करने की आवश्यकता हैं जिससे इसको दीर्घकालिक प्रणाली के रूप विकसित किया जा सके |
IM प्रणाली में चुनौतियाँ
1. तकनीकी जटिलता: पारंपरिक हथियार प्रणालियों की तुलना में IM प्रणाली के लिए उन्नत अनुसंधान और परिष्कृत प्रौद्योगिकी की आवश्यकता होती है। जिससे इसको और उन्नत बनाया जा सके |
2. उच्च लागत: IM प्रणाली के अनुसंधान और विकास में अधिक वित्तीय संसाधन लगते हैं।
जिस कारण इसकी लागत और उच्च हो गयी हैं |
3. परीक्षण और प्रमाणन प्रक्रिया: IM प्रणालियों की परीक्षण प्रक्रिया अत्यधिक कठोर होती है, जिससे विकास प्रक्रिया लंबी हो जाती है यही कारण हैं कि इस प्रणाली को सुचारु रूप से विकसित होने मे काफ़ी समय लगता हैं |
4. उद्योग और सरकार के बीच समन्वय: IM प्रणाली के सफल विकास के लिए रक्षा उद्योगों, अनुसंधान संस्थानों और सरकारी एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल आवश्यकता हैं जिससे यह प्रणाली बेहतर तरिके से चलाई जा सके |
5. सुरक्षा और प्रभावशीलता का संतुलन: IM प्रणालियों की सुरक्षा बढ़ाने के साथ-साथ उनकी युद्धक्षमता को भी बनाए रखना एक चुनौती है।

भविष्य की रणनीतियाँ और समाधान
1. अनुसंधान और विकास में निवेश: IM तकनीक के अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए अधिक वित्तीय सहायता प्रदान की जानी चाहिए।
2. नवाचार को बढ़ावा देना: IM हथियार प्रणालियों के डिज़ाइन और निर्माण में नई तकनीकों को अपनाए जाने की आवश्यकता है।
3. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सहयोग: IM प्रणाली के क्षेत्र में अन्य देशों के साथ तकनीकी साझेदारी और ज्ञान-विनिमय कार्यक्रमों को बढ़ावा देने की आवश्यकता हैं |
4. स्थानीय निर्माण को प्रोत्साहन: IM हथियार प्रणालियों के लिए स्वदेशी उत्पादन क्षमताओं को विकसित करने पर जोर देना चाहिए जिससे यह आयुध प्रणाली स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा दे सके।
5. नीतिगत सुधार: रक्षा उत्पादन और अनुसंधान से जुड़े नीतिगत सुधारों के माध्यम से IM प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाना।
6. स्वदेशी तकनीकों को अपनाना: आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए घरेलू अनुसंधान को बढ़ावा देने की आवश्यकता हैं |
7. IM हथियार प्रणालियों का एकीकरण: आधुनिक युद्धक्षेत्र में IM हथियार प्रणालियों को अन्य स्मार्ट और स्वायत्त प्रणालियों के साथ समन्वित करना एक अच्छा कदम हैं | Click here..
निष्कर्ष
असंवेदनशील आयुध (IM) अनुपालन प्रणाली रक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण नवाचार है जो सुरक्षा और दक्षता को बढ़ाने में सहायक है। ARDE और आयुध अनुसंधान बोर्ड द्वारा आयोजित यह कार्यशाला IM प्रणाली की संभावनाओं,
चुनौतियों और समाधान पर विचार-विमर्श के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करेगी। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के साथ मिलकर इस क्षेत्र में और अधिक उन्नति करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
IM प्रणाली की सफलता भारतीय रक्षा क्षमताओं को आधुनिक बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और वैश्विक स्तर पर भारत को एक प्रमुख रक्षा नवाचार केंद्र के रूप में स्थापित करने में सहायक होगी।
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