INSV Tarini का मिशन पूरा: जानिए महिला नौसेना अधिकारियों की समंदर से संघर्षगाथा
प्रस्तावना: समंदर की लहरों पर भारत की बेटियाँ
Table of the Post Contents
Toggle29 मई 2025 की सुबह एक ऐतिहासिक क्षण लेकर आई, जब INSV Tarini (Indian Naval Sailing Vessel Tarini) गोवा के मुरमुगाओ तट पर अपने साहसिक सफर को पूरा कर वापस लौटी।
यह कोई साधारण वापसी नहीं थी — यह एक ऐसी गाथा थी जो साहस, समर्पण और नारी शक्ति की जीती-जागती मिसाल बन गई।
जहाँ समुद्र की विशालता बहुतों को डराती है, वहीं दो बहादुर महिला नौसेना अधिकारी — लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा अलागिरीसामी — ने उस विशालता को जीत कर यह साबित किया कि भारत की बेटियाँ किसी से कम नहीं
INSV Tarini क्या है?
INSV Tarini भारतीय नौसेना की एक प्रतिष्ठित सेलिंग नौका (sailing vessel) है, जिसका नाम ओडिशा की देवी तारिणी के नाम पर रखा गया है।
यह वही जहाज़ है जिसने वर्ष 2017-18 में पूरी तरह महिला चालक दल के साथ ‘Navika Sagar Parikrama’ जैसे ऐतिहासिक सफर को भी अंजाम दिया था।
इस नौका की लंबाई 55 फीट है, और इसे पूरी तरह हवा की मदद से चलाया जाता है। इसमें किसी भी प्रकार का इंजन सपोर्ट बहुत सीमित होता है।
इस यात्रा की रूपरेखा
कुल अवधि: 8 महीने (238 दिन)
कुल दूरी: लगभग 25,400 समुद्री मील (46,000 किमी)
प्रमुख स्थल: केप लुइन (ऑस्ट्रेलिया), केप हॉर्न (चिली), केप ऑफ गुड होप (दक्षिण अफ्रीका)
प्रमुख बंदरगाह स्टॉप्स: केप टाउन, पोर्ट स्टेनली, लिटिलटन (न्यूज़ीलैंड), रियो डी जनेरियो
विशेष स्थान: पॉइंट नीमो – धरती का सबसे अलग-थलग समुद्री बिंदु
जिन चुनौतियों को पार किया
INSV Tarini की यह यात्रा किसी साहसिक खेल से कम नहीं थी। दोनों अधिकारी नेवी के कड़े प्रशिक्षण के बाद इस यात्रा पर निकली थीं, और इस दौरान उन्होंने अनेक दुर्गम परिस्थितियों का सामना किया:
1. चक्रवातों की मार
तीन अलग-अलग समुद्री चक्रवातों से इन दोनों बहादुर महिलाओं को जूझना पड़ा। समुद्र में 60 नॉट्स से भी तेज हवाएं चलीं। ये हवाएं नौका को पलट सकती थीं।
2. सेल (पाल) की टूट-फूट
इस यात्रा के दौरान मुख्य पाल में क्षति हो गई थी, लेकिन उन्होंने स्वयं ही इसकी मरम्मत की। यही नहीं, इन महिला अधिकारियों ने सागर के बीचोंबीच यंत्रों की मरम्मत भी की।
3. मनोवैज्ञानिक दबाव
चारों ओर सिर्फ पानी, 60 फुट ऊंची लहरें, अंधकार और रेडियो सिग्नल की अनुपस्थिति — इन सबके बावजूद उन्होंने आत्मविश्वास नहीं खोया।
कौन हैं ये दो वीरांगनाएँ?
लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के
मूल रूप से केरल के कोझिकोड से ताल्लुक रखती हैं।
बचपन में ऊँचाई से डरती थीं, लेकिन अब 25 मीटर ऊँचे मस्त (mast) पर चढ़ना उनके लिए सामान्य बात है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और नेविगेशन में पारंगत हैं।
लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा अलागिरिसामी
पुडुचेरी की निवासी हैं।
विज्ञान में रुचि रखने वाली रूपा को खगोल नेविगेशन (celestial navigation) का शौक था।
कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में स्नातक।
दोनों महिलाएं सालों से नौसेना की ट्रेनिंग, वेदर मॉडलिंग, सेलिंग रूट्स, और स्ट्रेस मैनेजमेंट की ट्रेनिंग में शामिल रही हैं।
गोवा में हुआ भव्य स्वागत
29 मई 2025 को गोवा के मुरमुगाओ हार्बर पर जब INSV Tarini पहुंची, तो पूरा माहौल जश्न में डूबा था। इस ऐतिहासिक अवसर पर कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे:
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह
मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत (गोवा)
महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी
नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार

फ्लाईपास्ट और नौसेना संगीत
कार्यक्रम के दौरान नौसेना के विमान का फ्लाईपास्ट हुआ और नौसेना बैंड ने राष्ट्रगान और सम्मान गीतों की धुन बजाई।
पॉइंट नीमो: जहां सबसे ज्यादा अकेलापन है
इस यात्रा के दौरान INSV Tarini ने एक विशेष बिंदु को पार किया जिसे ‘Point Nemo’ कहा जाता है — यह पृथ्वी का ऐसा स्थान है जो किसी भी भूमि से सबसे दूर है। वहां से अंतरिक्ष यात्री भी ज़्यादा नज़दीक होते हैं!
इस बिंदु को पार करना एक मील का पत्थर माना जाता है क्योंकि यह दर्शाता है कि आपकी नौका पूरी तरह आत्मनिर्भर है।
समुंदर से सितारों तक: खगोल विज्ञान और नेविगेशन
लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ने अपने खगोल विज्ञान के ज्ञान का उपयोग करते हुए सेक्स्टैंट और स्टार पॉइंट्स से दिशा निर्धारण किया। उन्होंने सौर और चंद्रमास का भी उपयोग करके समय और पोजिशन का अनुमान लगाया — जैसे पुराने जमाने के खोजी करते थे।
INSV Tarini की पूर्ववर्ती ऐतिहासिक यात्राएँ: पृष्ठभूमि को समझना ज़रूरी
INSV Tarini केवल एक नौका नहीं है, यह भारतीय नारी शक्ति और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन चुकी है।
इससे पहले 2017-2018 में एक और ऐतिहासिक यात्रा हुई थी — जिसे “Navika Sagar Parikrama” कहा गया। यह यात्रा भी केवल महिला नाविकों द्वारा पूरी की गई थी।
उस समय की महिला चालक दल में शामिल थीं:
कमांडर वर्तिका जोशी (टीम लीडर)
लेफ्टिनेंट कमांडर प्रतिभा जमवाल
लेफ्टिनेंट कमांडर पी स्वाति
लेफ्टिनेंट कमांडर एश्वर्या बोड्डापति
लेफ्टिनेंट श्वेता शर्मा
लेफ्टिनेंट विजया देवी
यह यात्रा 254 दिनों में पूरी हुई थी और इसने भारत को समुद्री इतिहास में ऊँचाइयों पर पहुँचा दिया।
इस यात्रा का वैश्विक महत्व
INSV Tarini की वापसी केवल भारत के लिए नहीं, बल्कि विश्व समुदाय के लिए भी एक प्रेरणास्पद घटना रही। इसने यह दिखा दिया कि:
- महिलाएँ किसी भी कठिन क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकती हैं।
समुद्री क्षेत्र में जेंडर न्यूट्रल पॉलिसी का भविष्य उज्जवल है।
भारत समुद्री अन्वेषण और विज्ञान में अग्रणी बन रहा है।
किस प्रकार की तकनीकी चुनौतियाँ सामने आईं?
यात्रा के दौरान मौसम की मार, पाल का क्षतिग्रस्त होना और लगातार 3-4 दिन तक सूरज ना दिखना, जैसी चुनौतियाँ लगातार सामने आईं। ऐसे में उन्होंने किया:
सौर ऊर्जा प्रणाली की मरम्मत
ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) के अलावा पारंपरिक सेक्स्टैंट से दिशा निर्धारण
भोजन और पानी का प्रबंधन – रेन वॉटर हार्वेस्टिंग से पानी इकट्ठा किया गया।
इनाम और सम्मान: नारी शक्ति को मिला राज्य सम्मान
इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर भारत सरकार ने दोनों महिला अधिकारियों को सम्मानित करने की घोषणा की है:
नौसेना पदक (विशिष्ट सेवा)
‘नारी शक्ति पुरस्कार’ के लिए नामांकन
भारत सरकार उनके अनुभव को स्कूलों और विश्वविद्यालयों में प्रेरणा के रूप में पहुँचाएगी।
शिक्षा और जागरूकता के लिए सरकार की पहल
INSV Tarini की वापसी को केंद्र में रखते हुए सरकार ने कई घोषणाएँ की हैं:
स्कूलों में “सागर की बेटियाँ” अभियान
CBSE और NCERT मिलकर “INSV Tarini” पर आधारित इंस्पिरेशनल चैप्टर कक्षा 6-10 के लिए लाएंगे।
नौसेना अधिकारियों के साथ इंटरैक्टिव सेशन और वर्चुअल टूर होंगे।
विश्वविद्यालयों में गेस्ट लेक्चर
IIM, IIT और DU जैसे संस्थानों में लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना और रूपा को गेस्ट लेक्चरर के रूप में आमंत्रित किया गया है।
मनोवैज्ञानिक पहलू: समुद्र में मानसिक मजबूती का सफर
किसी भी लम्बी समुद्री यात्रा में मानसिक स्थिति बहुत मायने रखती है। तारिणी की टीम ने अपने अनुभव में यह बताया:
हर सप्ताह मानसिक व्यायाम और ध्यान (meditation) अनिवार्य था।
मनोवैज्ञानिक थकान से निपटने के लिए डिजिटल डिटॉक्स, नाइट स्टार गेजिंग और डायरी लेखन किया गया।
मन की स्थिति स्थिर रखने के लिए संगीत और योग भी किया जाता था।
विज्ञान और डेटा संग्रह: क्यों थी यह यात्रा वैज्ञानिक रूप से भी महत्त्वपूर्ण?
IINSV Tarini केवल एक यात्रा नहीं थी — यह एक वैज्ञानिक मिशन भी थी। इस दौरान उन्होंने:
महासागर की सतह के तापमान (SST) को रिकॉर्ड किया
प्लास्टिक प्रदूषण के सैंपल्स इकट्ठा किए
समुद्री जैव विविधता पर डेटा संग्रह किया
सौर और सागरीय ऊर्जा के इस्तेमाल को मापा
इन आंकड़ों को भारतीय मौसम विभाग (IMD), DRDO और ISRO के साथ साझा किया गया।

इस प्रेरक कहानी पर जल्द ही किताब और फिल्म
भारत सरकार और एक प्रमुख प्रकाशक मिलकर इस पर एक किताब प्रकाशित करेंगे — “Tarini: The Soul of the Sea”।
साथ ही, एक प्रमुख फिल्म निर्माता INSV Tarini की साहसिक यात्रा पर आधारित बायोपिक पर भी काम कर रहा है। इसमें दिखाया जाएगा:
प्रशिक्षण से लेकर वापसी तक का सफर
समुद्र के बीच मानव मन की लड़ाई
भारत की बेटियाँ कैसे देश को गौरवान्वित कर रही हैं
भविष्य का लक्ष्य: अंटार्कटिका और आर्कटिक सर्कल की यात्रा?
INSV Tarini की सफलता के बाद अब नौसेना की नज़र और बड़ी चुनौतियों पर है:
2026-27 में अंटार्कटिका रूट
2027 में महिला अधिकारी द्वारा आर्कटिक सोलो सर्कंनैविगेशन
यह योजनाएँ अभी शुरुआती चरण में हैं, लेकिन भारत अपने नौसैनिक महिला अभियानों से विश्व में मिसाल बनता जा रहा है।
INSV Tarini की प्रेरणा से भारतीय नौसेना में आने वाली नई पीढ़ी
INSV Tarini की इस साहसी यात्रा ने भारत की युवा पीढ़ी को प्रेरित किया है, विशेषकर:
नवोदय विद्यालय और केंद्रीय विद्यालय की छात्राएँ अब नौसेना को करियर के रूप में देख रही हैं।
UPSC और SSB के लिए विशेष मोटिवेशनल सेशन्स का आयोजन हुआ, जहाँ INSV Tarini की कहानी को बताया गया।
‘भारतीय नारी समुद्री मिशन 2030’ के तहत सरकार ने योजना बनाई है कि हर राज्य से कम से कम एक महिला अफसर अगले दशक तक नौसेना में सक्रिय हो।
इस यात्रा के भारत की छवि पर पड़े प्रभाव
अंतरराष्ट्रीय मान्यता
संयुक्त राष्ट्र महासागर आयोग (UN Oceanic Commission) ने इस अभियान को “A Symbol of Women-Led Sustainability Voyage” की उपाधि दी है।
ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस और अमेरिका की नौसेनाओं ने इस अभियान से सीख लेने की इच्छा जताई।
🇮🇳 भारत की सॉफ्ट पावर में वृद्धि
INSV Tarini की यह यात्रा भारत के “Act East Policy” और “Ocean Diplomacy” का हिस्सा बनी।
भारत को “Emerging Maritime Power with Humanitarian Strength” के रूप में मान्यता मिली।
यात्रा की झलकियाँ: एक भावनात्मक वापसी
INSV Tarini जब गोवा बंदरगाह पहुँची, तब दृश्य कुछ ऐसा था जिसे शब्दों में बांधना मुश्किल है:
तिरंगा लहराते हुए जहाज़ जैसे भारत माँ की गोद में लौट रहा हो।
महिला अफसरों के चेहरे पर थकान नहीं, बल्कि विजय का तेज था।
परिवार, मीडिया, नौसेना अफसर और स्थानीय लोग मिलकर ‘भारत माता की जय’ के नारे लगा रहे थे।
यह कोई आम वापसी नहीं थी, यह उस भारत की वापसी थी जो अब बेटियों को आगे चलने देता है।
शिक्षा के क्षेत्र में प्रभाव
INSV Tarini की सफलता के बाद कई शिक्षा बोर्ड्स और NGOs ने मिलकर लड़कियों को STEM (Science, Technology, Engineering, Mathematics) क्षेत्र में लाने के लिए विशेष पहल शुरू की:
1000+ छात्राओं को नेवी बेस पर विजिट करवाया गया।
‘Girls in Sea Science’ Fellowship लॉन्च हुई।
INS Tiranga नाम की एक मॉडल नौका प्रोजेक्ट CBSE के स्कूली पाठ्यक्रम में जोड़ी गई।
यात्रा की कुछ दिल छूने वाली बातें
1. समुद्र में दिवाली: दोनों महिला अधिकारियों ने दीपक जलाकर समुद्र के बीच दिवाली मनाई।
2. माँ से वीडियो कॉल: जब सैटेलाइट लिंक मिला तो एक दिन उन्होंने अपने घर वीडियो कॉल की।
3. खुद बनाई खाद्य सामग्री: उन्होंने अपनी पसंदीदा ‘सूजी का हलवा’ और ‘चना मसाला’ को तैयार किया — जहाज़ पर सीमित संसाधनों के बावजूद।
INS Tarini की यात्रा से 5 जीवन पाठ
1. धैर्य (Patience) – आठ महीने तक समुद्र में रहने के लिए मानसिक संतुलन चाहिए।
2. टीमवर्क (Teamwork) – दो लोगों ने साथ रहकर इतने दिन बिताए, यह आपसी समझ की मिसाल है।
3. नेतृत्व (Leadership) – कम संसाधनों में सही निर्णय लेने की क्षमता ही सच्चा नेतृत्व है।
4. नारीशक्ति (Women Empowerment) – यह दिखाती है कि अवसर मिलने पर महिलाएँ क्या कर सकती हैं।
5. देशभक्ति (Patriotism) – हर लहर पर तिरंगे की शान बनी रही।
निष्कर्ष (Conclusion):
INSV Tarini की यह 8 महीने लंबी साहसिक समुद्री यात्रा न केवल भारत की समुद्री शक्ति की प्रतीक है, बल्कि यह नारीशक्ति, साहस, आत्मनिर्भरता और देशभक्ति की अद्वितीय मिसाल भी है।
दो महिला नौसेना अधिकारियों ने अपने कौशल, धैर्य और नेतृत्व से यह साबित कर दिया कि महिलाएं केवल सीमाओं तक ही सीमित नहीं हैं — वे अब महासागरों को भी जीत रही हैं।
यह मिशन भारत के उस नए युग की ओर संकेत करता है जहाँ बेटियाँ केवल घर की जिम्मेदारी नहीं उठातीं, बल्कि वे राष्ट्र निर्माण की अग्रिम पंक्ति में खड़ी हैं।
यह एक ऐतिहासिक यात्रा है, जिसने समाज को यह सोचने पर मजबूर किया है कि जब अवसर और विश्वास मिलते हैं, तो महिलाएं क्या कुछ नहीं कर सकतीं।
INSV Tarini की वापसी केवल एक नौका की घर वापसी नहीं है — यह एक पूरे राष्ट्र की सोच की वापसी है, जो अब महिलाओं को आगे बढ़ते देखने को गर्व और गर्विता का विषय मानता है।
> “यह सिर्फ एक यात्रा नहीं थी, यह भविष्य की दिशा थी – जहाँ बेटियाँ समंदर पार करेंगी और भारत विश्वगुरु बनेगा।”
Related
Discover more from Aajvani
Subscribe to get the latest posts sent to your email.