Integrated AYUSH Colleges: योगी सरकार का धमाकेदार कदम, अब हर मंडल बनेगा आयुर्वेद का हब!
भूमिका:
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Toggleभारत की धरती सदियों से आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा की जननी रही है। जहाँ आधुनिक चिकित्सा पद्धति ने तेजी से विकास किया, वहीं हमारी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियाँ भी लगातार जनविश्वास प्राप्त करती रही हैं।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार अब इस विश्वास को एक नया विस्तार देने जा रही है। मुख्यमंत्री योगी ने हाल ही में यह ऐलान किया कि प्रदेश के हर मंडल में ‘Integrated AYUSH Colleges’ की स्थापना की जाएगी, जिसमें आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी और योग चिकित्सा एक ही छत के नीचे उपलब्ध होंगे।
योगी सरकार की सोच: क्यों ज़रूरी थे Integrated AYUSH Colleges?
उत्तर प्रदेश जैसे बड़े और जनसंख्या बहुल राज्य में जहाँ आधुनिक चिकित्सा सुविधाएँ भी कभी-कभी पिछड़ जाती हैं, वहाँ आयुष प्रणाली को सशक्त बनाना एक दूरदर्शी कदम है। इस योजना के पीछे मुख्यमंत्री की यह सोच है कि:
आमजन को कम लागत में भरोसेमंद इलाज मिल सके
पारंपरिक चिकित्सा को आधुनिक चिकित्सा के समकक्ष खड़ा किया जाए
युवाओं को शिक्षा और रोजगार के नए अवसर दिए जाएं
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में स्थानीय समाधान उपलब्ध हों
इन Integrated AYUSH Colleges में क्या-क्या होगा?
हर मंडल में जो Integrated AYUSH Colleges बनेंगे, वहाँ निम्नलिखित प्रमुख विभाग और सुविधाएँ होंगी:
1. आयुर्वेद विभाग: पंचकर्म, कायचिकित्सा, रसशास्त्र आदि की पढ़ाई और प्रैक्टिस।
2. होम्योपैथी विभाग: ओर्गेनन ऑफ मेडिसिन, मैटरिया मेडिका, क्लिनिकल प्रैक्टिस।
3. यूनानी विभाग: इलाज-बिल-गिजा, तिब्बी फार्मेसी, रोग निदान।
4. योग और प्राकृतिक चिकित्सा: ध्यान, आसन, प्राणायाम और प्राकृतिक उपचार आधारित केंद्र।
5. औषधीय पौधों का अनुसंधान केंद्र: स्थानीय जड़ी-बूटियों पर आधारित चिकित्सा।
6. प्रशिक्षण और रोजगार केंद्र: जहां स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षित कर रोजगार से जोड़ा जाएगा।
Integrated AYUSH Colleges योजना की शुरुआत कहाँ से होगी?
योगी सरकार के अनुसार, गोरखपुर में पहले से निर्माणाधीन ‘महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय‘ इस योजना का केन्द्रीय धुरी बनेगा।
यहीं से पॉलिसी, पाठ्यक्रम और ट्रेनिंग की दिशा तय होगी। फिर अन्य मंडलों में कॉलेजों की स्थापना इसी मॉडल पर की जाएगी।
घोषणा का मूल भाव: क्यों ज़रूरत पड़ी इस पहल की?
योगी आदित्यनाथ का स्पष्ट कहना है कि,
> “भारतीय चिकित्सा पद्धतियाँ हमारे सांस्कृतिक गौरव की प्रतीक हैं। इन्हें सिर्फ विकल्प नहीं, बल्कि मुख्यधारा बनाना होगा।”
इस बयान के पीछे कई व्यवहारिक और सामाजिक कारण हैं:
ग्रामीण क्षेत्रों में सुलभ इलाज की जरूरत
महंगी एलोपैथिक चिकित्सा का विकल्प
जड़ी-बूटियों और प्राकृतिक चिकित्सा की वैज्ञानिक पुनर्पुष्टि
स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना
आयुष शिक्षा से रोजगार और स्टार्टअप की संभावना
Integrated AYUSH Colleges की विशेषताएँ?
इन Integrated AYUSH Colleges की परिकल्पना सिर्फ एक शिक्षण संस्थान के रूप में नहीं की गई है, बल्कि ये एक “होलिस्टिक हेल्थ हब” होंगे। इसमें शामिल होंगे:
शिक्षा क्षेत्र:
BAMS, BHMS, BUMS, BNYS जैसे स्नातक पाठ्यक्रम
PG स्तर पर आयुर्वेद व योग चिकित्सा में विशेष कोर्स
मेडिकल लैब्स, रिसर्च विंग और इंटरडिसिप्लिनरी फैकल्टीज़
चिकित्सा सेवा क्षेत्र:
ओपीडी और IPD की सुविधा
पंचकर्म केंद्र और योग थेरेपी यूनिट्स
निःशुल्क यूनानी, होम्योपैथिक और प्राकृतिक चिकित्सा शिविर
रिसर्च एंड इनोवेशन:
देशी औषधीय पौधों पर अनुसंधान
योग एवं ध्यान आधारित मानसिक रोग उपचार केंद्र
आधुनिक तकनीक से पारंपरिक पद्धतियों का संयोजन
रोजगार और स्थानीय भागीदारी:
प्रशिक्षित वैद्य, योग प्रशिक्षक, थेरेपिस्ट्स की माँग में वृद्धि
ग्रामीण युवाओं को कोर्स व स्किल ट्रेनिंग
Women Empowerment: महिलाओं को घरेलू औषधि निर्माण का प्रशिक्षण

Integrated AYUSH Colleges योजना की कार्यान्वयन प्रक्रिया और चरण
चरण 1:
गोरखपुर से शुरुआत
‘महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय’ की भूमिका केंद्रीय
पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तकें और मॉडल इनफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण
चरण 2:
प्रदेश के 18 मंडलों में चरणबद्ध निर्माण
प्रत्येक कॉलेज के लिए कम से कम 10 एकड़ भूमि
केंद्र सरकार की सह-भागीदारी से बजट उपलब्ध
चरण 3:
फ़ैकल्टी नियुक्ति, छात्रों का प्रवेश
ओपीडी चालू कर के स्थानीय सेवाएँ देना
रिसर्च और औषध निर्माण केंद्र आरंभ करना
अब तक की प्रगति: लेटेस्ट अपडेट
गोरखपुर विश्वविद्यालय में 2024-25 सत्र से आयुष कोर्स शुरू हो चुके हैं।
आगरा, वाराणसी, लखनऊ और मेरठ में भूमि चिन्हित कर निर्माण की प्रक्रिया जारी है।
NEET के ज़रिए दाखिला संभव किया गया है ताकि योग्य छात्रों को प्रवेश मिले।
राज्य आयुष मिशन (UPAM) के तहत करीब 800 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित है।
2025 तक सभी 18 मंडलों में कॉलेज कार्यशील होने का लक्ष्य।
केंद्र और राज्यों की संयुक्त भागीदारी
Integrated AYUSH Colleges योजना पूरी तरह राज्य सरकार की सोच जरूर है, लेकिन इसमें केंद्र सरकार का सहयोग भी अहम है।
आयुष मंत्रालय (MoAYUSH) के तहत:
बजट का आंशिक योगदान
गाइडलाइन्स और मान्यता
रिसर्च फंडिंग
राष्ट्रीय आयुष मिशन (NAM) का तकनीकी सहयोग
युवाओं के लिए अवसरों की नई राह
इन Integrated AYUSH Colleges के माध्यम से उत्तर प्रदेश के युवाओं को निम्नलिखित क्षेत्रों में रोजगार और उद्यमिता के मौके मिलेंगे:
शैक्षणिक क्षेत्र: लेक्चरर, शोधकर्ता, रिसर्च फेलो
चिकित्सा क्षेत्र: सरकारी अस्पतालों में नियुक्तियाँ, निजी क्लीनिक
स्टार्टअप: हर्बल प्रोडक्ट्स, आयुर्वेदिक फार्मेसी, वेलनेस सेंटर
विदेशों में अवसर: खाड़ी देशों, यूरोप और अमेरिका में योग व आयुर्वेद की भारी माँग
जनसामान्य पर प्रभाव: एक बड़ा परिवर्तन
स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच में सुधार
बीमारियों का रोकथाम आधारित इलाज
कम खर्च में अधिक प्रभावी इलाज विकल्प
लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता में वृद्धि
लोकल टू ग्लोबल का सही उदाहरण
ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य क्रांति का नया अध्याय
उत्तर प्रदेश के एक बड़े हिस्से में ग्रामीण आबादी रहती है, जहाँ आधुनिक चिकित्सा सेवाएँ अक्सर या तो सुलभ नहीं होतीं या अत्यधिक महंगी साबित होती हैं। ऐसे में आयुष कॉलेजों की स्थापना से निम्नलिखित लाभ होंगे:
स्थानीय उपचार, स्थानीय लोग: गाँवों के वैद्य, हकीम, योग प्रशिक्षक जैसे पारंपरिक जानकारों को प्रोफेशनल प्रशिक्षण और मान्यता मिलेगी।
हर ग्राम पंचायत तक सेवाएँ: भविष्य में इन कॉलेजों से प्रशिक्षित लोग गांव-गांव जाकर चिकित्सा सेवा दे सकेंगे।
घरेलू औषधि ज्ञान का दोहन: गाँवों में पारंपरिक औषधीय पौधों और नुस्खों का वैज्ञानिक डॉक्यूमेंटेशन संभव होगा।
महिला सशक्तिकरण में ऐतिहासिक अवसर
आयुष प्रणाली में महिलाओं की भागीदारी प्राकृतिक रूप से सशक्त होती है, और इस योजना में विशेष प्रावधान किए गए हैं:
महिलाओं के लिए विशेष सीट आरक्षण
योगा थेरेपिस्ट, पंचकर्म सहायक जैसे रोजगार
स्वयं सहायता समूहों को हर्बल उत्पादों के निर्माण में प्रशिक्षण
गर्भवती और नवजात महिलाओं के लिए प्राकृतिक देखभाल केंद्र
Women Health and Ayurveda नामक विशिष्ट रिसर्च विंग की योजना
आत्मनिर्भर भारत और लोकल-टू-ग्लोबल की दिशा में
भारत सरकार के “वोकल फॉर लोकल” और “आत्मनिर्भर भारत” अभियान को यह योजना इन क्षेत्रों में मजबूती देती है:
देशी औषधियों का उत्पादन और निर्यात
जैविक खेती और औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा
आयुर्वेदिक फार्मास्युटिकल उद्योग को नई उड़ान
हर्बल टूरिज्म और योग पर्यटन को बढ़ावा
अंतरराष्ट्रीय पहचान और वैश्विक स्वास्थ्य साझेदारी
आज दुनिया आयुर्वेद और योग की शक्ति को पहचान रही है:
WHO ने 2022 में Global Centre for Traditional Medicine की स्थापना भारत में की थी।
अमेरिका, यूरोप और जापान में भारतीय आयुष डॉक्टरों की भारी माँग है।
उत्तर प्रदेश सरकार इस योजना के जरिए अंतरराष्ट्रीय MoU और सहयोग की दिशा में भी काम कर रही है।
भविष्य में इन कॉलेजों से विदेशी छात्रों को भी प्रवेश देकर भारत को वैश्विक आयुष शिक्षा केंद्र बनाने की योजना है।
डिजिटल आयुष: तकनीक के साथ परंपरा का संगम
Integrated AYUSH Colleges योजना में डिजिटल तकनीकों का समावेश सुनिश्चित किया जा रहा है:
E-Health Cards द्वारा मरीजों का डिजिटल रिकॉर्ड
AI आधारित निदान प्रणाली
टेली-आयुष सेवाएँ — जिससे दूर-दराज के मरीज भी विशेषज्ञों से ऑनलाइन सलाह ले सकेंगे
Mobile App Portals — योग, आयुर्वेदिक सलाह, पौधों की जानकारी और घरेलू उपचार के लिए
डिजिटल लाइब्रेरी — ग्रंथ, रिसर्च पेपर और प्राचीन चिकित्सा ग्रंथों की ऑनलाइन उपलब्धता
सामाजिक और सांस्कृतिक जागरूकता की लहर
इन Integrated AYUSH Colleges का उद्देश्य केवल शिक्षा या इलाज तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह लोगों में निम्नलिखित सोच पैदा करेगा:
स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की संस्कृति
प्राकृतिक चिकित्सा के प्रति विश्वास
योग और ध्यान को जीवन का हिस्सा बनाना
किशोरों और युवाओं में तनाव, अवसाद, नशा से मुक्ति के लिए विकल्प
प्राचीन भारतीय ज्ञान की पुनर्स्थापना
मीडिया, जनसंचार और जागरूकता अभियान
सरकार की योजना में जनजागरूकता एक अहम पहलू है:
‘घर-घर आयुष’ अभियान के ज़रिए गाँवों तक संदेश
स्कूलों और कॉलेजों में योग व आयुर्वेद दिवस
TV, रेडियो और सोशल मीडिया पर ज्ञानवर्धक कार्यक्रम
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर इन कॉलेजों की प्रमुख भूमिका
स्थानीय भाषाओं में चिकित्सा जागरूकता साहित्य का प्रकाशन

भविष्य की संभावनाएँ: उत्तर प्रदेश से पूरे देश तक
उत्तर प्रदेश में यह Integrated AYUSH Colleges योजना सफल होती है तो ये संभावनाएँ और बढ़ेंगी:
हर जिले में एक आयुष केंद्र की स्थापना
R&D से अंतरराष्ट्रीय पेटेंट और नई दवाओं का विकास
संयुक्त आयुष और एलोपैथ रिसर्च — कैंसर, डायबिटीज, हृदय रोग जैसे गंभीर बीमारियों के समाधान
आयुष आधारित हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम
पंचायत स्तर पर हर्बल गार्डन का विकास
Integrated AYUSH Colleges योजना के सामने संभावित चुनौतियाँ और समाधान
हर बड़ी योजना की तरह, आयुष कॉलेजों की यह योजना भी कुछ चुनौतियों से अछूती नहीं है। इन्हें समझना और समय रहते हल करना ही सफलता की कुंजी है:
1. योग्य शिक्षकों की कमी
चुनौती: ग्रामीण और छोटे शहरों में अनुभवी आयुष प्रोफेसरों की उपलब्धता सीमित हो सकती है।
समाधान: पेंशन पर रिटायर्ड विशेषज्ञों की नियुक्ति, ऑनलाइन गेस्ट लेक्चर सिस्टम, फेलोशिप स्कीम।
2. इन्फ्रास्ट्रक्चर और समय पर निर्माण
चुनौती: सभी 18 मंडलों में कॉलेजों का एक साथ निर्माण करना समय और संसाधनों की दृष्टि से चुनौतीपूर्ण होगा।
समाधान: फेजवाइज निर्माण, पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप, और तकनीकी निगरानी प्रणाली।
3. छात्रवृत्ति और रोजगार सुनिश्चित करना
चुनौती: ग्रामीण छात्रों को उच्च शिक्षा तक पहुंचने में आर्थिक बाधाएँ आ सकती हैं।
समाधान: विशेष छात्रवृत्ति योजनाएँ, कैंपस प्लेसमेंट से जुड़ी कंपनियाँ, इनक्यूबेशन सेंटर।
4. आधुनिक चिकित्सा प्रणाली से सामंजस्य
चुनौती: एलोपैथी और आयुष के बीच विचारधारात्मक टकराव।
समाधान: संयुक्त सेमिनार, रिसर्च कोलैबोरेशन, कॉमन ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल।
सुझाव: Integrated AYUSH Colleges पहल को और प्रभावी कैसे बनाएं?
आयुष ग्राम योजना: हर जिले के चुनिंदा गांवों को आयुष मॉडल ग्राम के रूप में विकसित किया जाए।
ड्रग स्टैंडर्डाइजेशन: हर्बल दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु फार्माकोपिया यूनिट की स्थापना।
जनपद आयुष हेल्पलाइन: ग्रामीण क्षेत्रों के लिए टोल-फ्री नंबर और WhatsApp हेल्प सुविधा।
इंटर्नशिप और ऑन-ग्राउंड ट्रेनिंग: छात्रों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में वास्तविक परिस्थितियों में प्रशिक्षण देना।
ग्लोबल एम्बेसडर: विदेशों में पढ़े भारतीय डॉक्टरों को ब्रांड एम्बेसडर बनाकर प्रचार किया जाए।
Integrated AYUSH Colleges in UP – FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1. उत्तर प्रदेश में ‘Integrated AYUSH Colleges’ योजना क्या है?
उत्तर: यह योजना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा शुरू की गई है, जिसके अंतर्गत राज्य के प्रत्येक मंडल (total 18) में एक Integrated AYUSH Colleges की स्थापना की जाएगी। इसका उद्देश्य आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी की पढ़ाई को एक छत के नीचे लाना है।
Q2. Integrated AYUSH Colleges योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देना
युवाओं को आयुष क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना
ग्रामीण क्षेत्रों में सस्ती और प्रभावी चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराना
भारत की सांस्कृतिक चिकित्सा विरासत को पुनर्जीवित करना
Q3. Integrated AYUSH Colleges योजना का क्रियान्वयन किस विभाग द्वारा किया जाएगा?
उत्तर: Integrated AYUSH Colleges योजना का क्रियान्वयन राज्य आयुष मंत्रालय और उत्तर प्रदेश सरकार के चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा।
Q4. Integrated AYUSH Colleges में कौन-कौन से पाठ्यक्रम होंगे?
उत्तर:
BAMS – बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी
BHMS – बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी
BUMS – बैचलर ऑफ यूनानी मेडिसिन एंड सर्जरी
BNYS – बैचलर ऑफ नैचुरोपैथी एंड योगिक साइंसेज़
Diploma/Certificate Courses – पंचकर्म, योग थैरेपी आदि में
Q5. इन Integrated AYUSH Colleges की स्थापना किन स्थानों पर होगी?
उत्तर: राज्य के हर एक मंडल मुख्यालय में एक कॉलेज स्थापित किया जाएगा, जिससे कुल 18 कॉलेज स्थापित किए जाएंगे। जैसे: लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, गोरखपुर, मेरठ, झांसी, आदि।
Q6. इन Integrated AYUSH Colleges की स्थापना पर अनुमानित खर्च कितना है?
उत्तर: प्रति कॉलेज लगभग Rs. 70–100 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है, जिसमें भवन निर्माण, उपकरण, प्रयोगशालाएं और फैकल्टी शामिल हैं।
Q7. Integrated AYUSH Colleges में भर्ती प्रक्रिया कैसे होगी?
उत्तर:
फैकल्टी और कर्मचारियों की भर्ती UPPSC/विशेष चयन आयोग द्वारा की जाएगी।
छात्रों का प्रवेश NEET/State Level Entrance Test के माध्यम से होगा।
Q8. इस योजना से ग्रामीण भारत को क्या लाभ मिलेगा?
उत्तर:
ग्रामीण क्षेत्रों में आयुष आधारित चिकित्सा उपलब्ध होगी।
स्थानीय युवाओं को पढ़ाई और नौकरी के अवसर मिलेंगे।
ग्रामीण जनसंख्या में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ेगी।
Q9. क्या Integrated AYUSH Colleges में आधुनिक चिकित्सा की पढ़ाई भी होगी?
उत्तर: हां, बेसिक एलोपैथिक विषयों जैसे एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, पैथोलॉजी आदि को भी शामिल किया जाएगा, ताकि छात्रों को समग्र चिकित्सा दृष्टिकोण मिल सके।
Q10. क्या विदेशी छात्र भी इन कॉलेजों में प्रवेश ले सकेंगे?
उत्तर: भविष्य में विदेशी छात्रों के लिए भी सीटें आरक्षित की जा सकती हैं, जिससे Medical Tourism और भारत की चिकित्सा विरासत को वैश्विक पहचान मिल सके।
Q11. क्या ये कॉलेज रिसर्च और नवाचार को बढ़ावा देंगे?
उत्तर: बिल्कुल, हर कॉलेज में एक Dedicated Research Wing होगा जो पारंपरिक औषधियों, योग, और आधुनिक बीमारियों पर रिसर्च को प्रोत्साहित करेगा।
Q12. Integrated AYUSH Colleges कब तक शुरू हो जाएंगे?
उत्तर: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अनुसार, 2025 तक पहले चरण में 6 कॉलेज शुरू हो जाएंगे और अगले दो वर्षों में बाकी कॉलेजों को पूरा करने का लक्ष्य है।
Q13. योजना में तकनीक की क्या भूमिका होगी?
उत्तर: डिजिटल क्लासरूम, वर्चुअल डिसेक्शन टेबल, ई-लाइब्रेरी, टेली-मेडिसिन आदि आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाएगा।
Q14. यह योजना भारत की स्वास्थ्य नीति के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: यह योजना आयुष पद्धतियों को मुख्यधारा की चिकित्सा व्यवस्था में लाकर भारत की National Health Policy 2017 के “Integrative Healthcare” दृष्टिकोण को साकार करती है।
निष्कर्ष: आत्मनिर्भर स्वास्थ्य की ओर उत्तर प्रदेश का सार्थक कदम
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हर मंडल में ‘Integrated AYUSH Colleges‘ की स्थापना की योजना न केवल चिकित्सा शिक्षा की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है,
बल्कि यह भारत की पारंपरिक चिकित्सा विधाओं को सम्मान, वैज्ञानिकता और समकालीन मान्यता प्रदान करने की एक क्रांतिकारी कोशिश भी है।
जब हम स्वास्थ्य क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की बात करते हैं, तो यह पहल हमें हमारे अपने ज्ञान-विज्ञान, जड़ी-बूटियों, जीवनशैली और दर्शन की ओर लौटने का अवसर देती है।
आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी – ये सब केवल उपचार की विधियाँ नहीं हैं, बल्कि जीवन जीने की एक समग्र दृष्टि हैं। आज जब पूरी दुनिया वैकल्पिक चिकित्सा और होलिस्टिक हेल्थ के प्रति आकर्षित हो रही है, तब उत्तर प्रदेश की यह योजना भारत को वैश्विक आयुष हब बना सकती है।
यह केवल नई इमारतें खड़ी करने की बात नहीं है, बल्कि नई सोच, नई पीढ़ी और नए स्वास्थ्य मानकों की नींव रखने की प्रक्रिया है। अगर इस योजना को सही तरीके से क्रियान्वित किया गया,
तो यह आने वाले वर्षों में लाखों युवाओं के लिए न केवल रोजगार का माध्यम बनेगी, बल्कि करोड़ों लोगों के लिए सस्ती, प्रभावी और सुरक्षित चिकित्सा सुविधा का द्वार भी खोलेगी।
इसलिए कहा जा सकता है कि यह योजना केवल वर्तमान की नहीं, बल्कि भविष्य की चिकित्सा व्यवस्था का बीजारोपण है – जो विज्ञान, परंपरा और जन-स्वास्थ्य को एक सूत्र में पिरोती है।
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