CSIR–IIIM Jammu Lavender Festival 2025 Bhaderwah: जम्मू-कश्मीर में खुशबू से समृद्धि की क्रांति
प्रस्तावना:
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Toggleभारत की विविधतापूर्ण जलवायु और भूगोल ने इसे कृषि नवाचारों का गढ़ बना दिया है। लेकिन जब बात उत्तर भारत के पर्वतीय क्षेत्रों की आती है, तो आमतौर पर मक्के, गेहूं या सेब की खेती ही चर्चा में रहती है।
परंतु अब, जम्मू-कश्मीर का एक छोटा-सा कस्बा भदरवाह इस छवि को बदल रहा है। साल 2025 में आयोजित Lavender Festival ने भारत की कृषि दिशा को ही नहीं, बल्कि किसानों के भविष्य को भी एक नई ऊर्जा दी है।
Lavender Festival 2025: आयोजन की झलक
स्थान: भदरवाह, जिला डोडा, जम्मू-कश्मीर
आयोजक: CSIR – IIIM (Indian Institute of Integrative Medicine), जम्मू
शुभारंभ: केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह द्वारा
अभियान: One Week One Lab
उद्देश्य: लैवेंडर की खेती को राष्ट्रीय स्तर पर प्रोत्साहन देना और स्थानीय किसानों को सशक्त बनाना
CSIR–IIIM की भूमिका: विज्ञान से खेत तक
CSIR–IIIM Jammu का लक्ष्य पारंपरिक कृषि को सुगंधित पौधों और औषधीय फसलों के जरिए आर्थिक दृष्टि से सशक्त बनाना है।
IIIM ने Aroma Mission के तहत भदरवाह, किश्तवाड़, उधमपुर, रियासी, पुंछ और अनंतनाग जिलों में लैवेंडर की खेती को वैज्ञानिक प्रशिक्षण, फ्री पौधे और डिस्टिलेशन यूनिट्स के जरिए मजबूत किया।
> यह केवल प्रयोगशाला की खोज नहीं, बल्कि खेत में बदलाव लाने वाली तकनीक है।
Lavender Festival 2025 भदरवाह: भारत की ‘लैवेंडर घाटी’
भदरवाह को अब भारत की “लैवेंडर कैपिटल” कहा जा रहा है। इसका मौसम, ऊंचाई और मिट्टी की संरचना लैवेंडर के लिए बिलकुल आदर्श है।
कारण:
ऊंचाई: लगभग 5000 फीट से अधिक
मौसम: समशीतोष्ण, कम वर्षा
मिट्टी: बलुई और जल निकासी युक्त
ग्रामीण जनसंख्या: कृषि पर निर्भर
अब यहां के किसान सिर्फ पारंपरिक फसलों पर निर्भर नहीं हैं, बल्कि लैवेंडर की खुशबू से उनकी जिंदगी भी महक रही है।
किसानों की आमदनी में जबरदस्त उछाल
पहले:
मक्के, सेब या गेहूं से सालाना ₹40,000–₹60,000 प्रति हेक्टेयर की आमदनी
अब:
लैवेंडर की खेती से ₹3,50,000–₹6,00,000 प्रति हेक्टेयर तक लाभ
उदाहरण:
किसान शब्बीर अहमद ने कहा: “पहले साल तो संशय था, लेकिन अब हर साल मैं लैवेंडर से ज्यादा कमाता हूँ और मार्केट खुद मेरे दरवाज़े तक आती है।”
> यही बदलाव ‘पर्पल क्रांति’ कहलाता है — जब रंग बदलता है, तो किस्मत भी।
महिलाओं और युवाओं के लिए नए अवसर
महिलाएं:
फूलों की कटाई, सूखाना, तेल निकालना और साबुन/परफ्यूम बनाना
स्व-सहायता समूहों के माध्यम से उत्पादों की बिक्री
युवा:
लैवेंडर आधारित स्टार्टअप्स: लैवेंडर तेल, साबुन, अगरबत्ती, परफ्यूम
स्थानीय डिस्टिलेशन यूनिट्स के संचालन में सहभागिता
E-commerce के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंच
> अब भदरवाह की बेटियां भी लैवेंडर से आत्मनिर्भरता की खुशबू फैला रही हैं।
Lavender Festival 2025 पर्पल क्रांति: भारत का सुगंधित भविष्य
Lavender Festival 2025 पर्पल क्रांति का उद्देश्य केवल लैवेंडर तक सीमित नहीं है, यह एक आर्थिक और सामाजिक आंदोलन है।

Lavender Festival 2025 के प्रमुख घटक:
1. Aroma Mission: सुगंधित पौधों की वैज्ञानिक खेती
2. स्वदेशी उत्पादों का संवर्धन: विदेशी परफ्यूम पर निर्भरता घटाना
3. रोजगार सृजन: विशेषकर सीमांत और महिला किसानों के लिए
4. जलवायु अनुकूल फसलें: कम सिंचाई में उच्च उत्पादन
वैश्विक मान्यता और विस्तार
अंतरराष्ट्रीय विमानन सम्मेलन (2025)
Lavender Festival 2025 के समानांतर 1700 से अधिक वैश्विक प्रतिनिधियों ने भारत की लैवेंडर नीति में दिलचस्पी दिखाई। इसका कारण यह है कि लैवेंडर का उपयोग—
हवाई जहाजों की खुशबू में
एयरपोर्ट वॉशरूम उत्पादों में
हर्बल रिफ्रेशर्स में होता है।
> भारत की पहाड़ियों में उगी खुशबू अब दुनिया भर के विमानों में पहुंच रही है।
लैवेंडर डिस्टिलेशन तकनीक: खेती से मार्केट तक
CSIR-IIIM ने विशेष मोबाइल और स्थायी डिस्टिलेशन यूनिट्स उपलब्ध कराए हैं:
मोबाइल यूनिट:
दूरदराज़ क्षेत्रों में ताज़े फूलों को वहीं पर तेल में परिवर्तित करने की सुविधा
स्थायी यूनिट:
बड़े पैमाने पर लैवेंडर ऑयल निष्कर्षण
> वैज्ञानिक तकनीक ने किसानों को बिचौलियों पर निर्भर होने से बचाया।
स्थानीय से वैश्विक बाज़ार तक
मार्केटिंग नेटवर्क:
Amazon, Flipkart, GeM, Khadi India
फ्रांस, अमेरिका, UAE में एक्सपोर्ट की शुरुआत
उत्पाद:
लैवेंडर ऑयल, हैंड वॉश, मोमबत्तियाँ, परफ्यूम, फेस मिस्ट, स्किन केयर क्रीम
Lavender Festival 2025: भविष्य की योजनाएं और विस्तार
लक्ष्य:
2026 तक 5,000 हेक्टेयर भूमि पर लैवेंडर की खेती
हर जिले में डिस्टिलेशन यूनिट
लैवेंडर पर आधारित रिसर्च सेंटर की स्थापना
स्कूलों/कॉलेजों में लैवेंडर प्रोजेक्ट आधारित एजुकेशन
Lavender Festival 2025: प्रधानमंत्री और नीति-निर्माताओं की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ में भदरवाह की लैवेंडर क्रांति की विशेष रूप से प्रशंसा की। उन्होंने इसे “स्थानीय से वैश्विक” का सर्वोत्तम उदाहरण बताया।
सम्मान:
CSIR-IIIM को Aroma Mission के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार
महिलाओं के समूहों को महिला सशक्तिकरण पुरस्कार
Lavender Festival 2025 का अनुभव: रंग, सुगंध और आत्मनिर्भरता का संगम
Lavender Festival 2025 केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं था — यह एक सांस्कृतिक, वैज्ञानिक और आर्थिक उत्सव था।
प्रमुख आकर्षण:
लैवेंडर उत्पादों की प्रदर्शनी
लाइव डिस्टिलेशन डेमो
फूड स्टॉल्स: लैवेंडर आधारित मिठाइयाँ और पेय
सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ: कश्मीरी लोकनृत्य
नवाचार की खेती: लैवेंडर में विज्ञान का योगदान
CSIR–IIIM और अन्य संस्थानों द्वारा लैवेंडर की खेती को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विकसित किया गया है।
शोध और नवाचार:
जैविक खेती तकनीकें: बिना रासायनिक उर्वरकों के लैवेंडर उत्पादन
कीट नियंत्रण विधियाँ: प्राकृतिक रिपेलेंट्स द्वारा रोग नियंत्रण
पुनरुत्पादक तकनीक: ऊतक संवर्धन से बेहतर किस्मों का विकास
मृदा परीक्षण: उपयुक्त मिट्टी की पहचान के लिए मुफ्त सेवाएं
यह साबित करता है कि आधुनिक विज्ञान और पारंपरिक खेती साथ मिलकर भविष्य बना सकते हैं।

निवेश की नई राह: स्टार्टअप और उद्यमिता की उड़ान
लैवेंडर केवल एक फसल नहीं है, यह एक ब्रांड बन चुका है। युवा किसानों और उद्यमियों ने इसे एक बिज़नेस मॉडल में बदल दिया है।
प्रसिद्ध लैवेंडर आधारित स्टार्टअप्स:
1. “Purple Hills Naturals” (किश्तवाड़) – हर्बल परफ्यूम और तेल
2. “Bhaderwah Bloom” (भदरवाह) – हाथ से बने लैवेंडर साबुन, केंडल्स
3. “Lavender Essence Co.” (उधमपुर) – लैवेंडर स्किन-केयर रेंज
मार्केट एक्सेस:
GeM (Government e-Marketplace)
Flipkart Samarth Program
Amazon Karigar
>अब किसान सिर्फ उत्पादक नहीं, उद्यमी बन चुके हैं।
Lavender Festival 2025: छात्रों और रिसर्चर्स के लिए सुनहरा अवसर
लैवेंडर आधारित रिसर्च के क्षेत्र:
Essential oil extraction technology
Medicinal properties of lavender: तनाव मुक्ति, नींद सुधार
Organic preservation techniques
Sustainable farming in hilly terrains
CSIR–IIIM और ICMR जैसे संस्थानों में रिसर्च फैलोशिप भी मिल रही है।
> लैवेंडर अब पीएचडी स्कॉलर्स के रिसर्च थीसिस का भी विषय बन रहा है।
नीति-निर्माताओं की भूमिका: स्थानीय को वैश्विक बनाने का विज़न
सरकार की पहल:
Aroma Mission (फेज-II): 1 लाख किसानों को जोड़ना
Self-Employment Schemes: लैवेंडर पर आधारित MSMEs को फंडिंग
Skill India Link: लैवेंडर उत्पाद निर्माण में प्रशिक्षण
Export Promotion Council से विदेशी बाजार तक पहुंच
योजना:
National Lavender Development Board के गठन का प्रस्ताव
Lavender Farmers’ Insurance Scheme की तैयारी
> यह सब दिखाता है कि सरकार ‘पर्पल क्रांति’ को स्थायी बनाना चाहती है।
Lavender Festival 2025: ग्लोबल लेवल पर भारत की पहचान
वैश्विक स्तर पर मांग:
अमेरिका, फ्रांस, जापान और दुबई के परफ्यूम ब्रांड लैवेंडर ऑयल भारत से मंगवा रहे हैं।
Therapeutic स्पा और वेलनेस इंडस्ट्री में लैवेंडर का उपयोग बढ़ रहा है।
अंतरराष्ट्रीय समझौते:
Lavender Export MoU साइन किया गया है फ्रांस के दो प्रमुख खुशबू उत्पादक ब्रांड्स के साथ।
> अब भारत “Lavender Exporting Nation” बनने की ओर अग्रसर है।
Lavender Festival 2025: जागरूकता और शिक्षा अभियान
Lavender Festival 2025 का उद्देश्य केवल उत्सव नहीं था, बल्कि एक शिक्षा अभियान भी था।
मुख्य गतिविधियाँ:
स्कूल/कॉलेजों में लैवेंडर गार्डन स्थापित करना
लैवेंडर आधारित प्रोजेक्ट फेयर
ग्रामीण युवा विज्ञान मेले में भागीदारी
लैवेंडर डे पर निबंध, चित्रकला, स्लोगन प्रतियोगिताएं
> “हर बच्चा लैवेंडर को फूल से व्यवसाय तक समझे” – यही है सच्ची शिक्षा।
Lavender Festival 2025: पर्यावरण संरक्षण और स्थिरता
लैवेंडर खेती जल संरक्षण और जैव विविधता के लिए भी लाभकारी है।
पर्यावरणीय लाभ:
कम जल खपत – सूखा प्रतिरोधी फसल
कीटनाशक-मुक्त खेती – मधुमक्खियों के लिए सुरक्षित
मिट्टी का क्षरण रोकना – पर्वतीय ढलानों पर रोपण से
> लैवेंडर खेती का मतलब है – “हरियाली के साथ सुगंध”
अर्थव्यवस्था और पर्यटन को बढ़ावा
पर्यटन और लोकल बिज़नेस:
लैवेंडर पर्यटन सर्किट की योजना
भदरवाह और किश्तवाड़ में Lavender Cafés
लैवेंडर थीम वाले होमस्टे और फोटो शूट लोकेशन
बॉलीवुड और मीडिया:
3 वेब सीरीज़ और 2 फिल्मों की शूटिंग प्रस्तावित – Lavender Trail नाम से
इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर्स और यूट्यूबर की यात्राएं
> अब यह घाटी सिर्फ ‘जन्नत’ नहीं, एक ब्रांड है।
लैवेंडर क्रांति: भारत के अन्य राज्यों तक विस्तार
अब यह आंदोलन सिर्फ जम्मू-कश्मीर तक सीमित नहीं रहा।
संभावित राज्य:
हिमाचल प्रदेश (चंबा, किन्नौर)
उत्तराखंड (पिथौरागढ़, अल्मोड़ा)
सिक्किम और नागालैंड
अरुणाचल और मेघालय के कुछ भाग
इन क्षेत्रों में भी CSIR लैवेंडर मिशन के तहत ट्रायल प्लांटेशन शुरू हो गया है।
निष्कर्ष: Lavender Festival 2025 – सुगंध से समृद्धि की ओर
भदरवाह में आयोजित CSIR–IIIM जम्मू द्वारा लैवेंडर फेस्टिवल केवल एक कृषि उत्सव नहीं था, बल्कि यह भारत की नई विकासगाथा का प्रतीक बन चुका है।
यह आयोजन इस बात का प्रमाण है कि कैसे एक छोटे से फूल की सुगंध, विज्ञान, तकनीक और नीति के सहयोग से रोज़गार, उद्यमिता, पर्यावरणीय स्थिरता और वैश्विक पहचान का माध्यम बन सकती है।
जहाँ पहले युवा पहाड़ों से पलायन करते थे, आज वहीं युवा लैवेंडर की खेती से स्टार्टअप चला रहे हैं, ब्रांड बना रहे हैं, और दुनिया भर में उत्पाद बेच रहे हैं। यह फेस्टिवल सिर्फ एक महोत्सव नहीं, बल्कि “पर्पल क्रांति” का सार्वजनिक उद्घोष है।
सरकार की योजनाएं, वैज्ञानिकों की मेहनत, किसानों की लगन, और युवाओं की सोच – इन सभी ने मिलकर भविष्य का बीज बोया है, जो आने वाले वर्षों में एक सुगंधित और आत्मनिर्भर भारत के रूप में विकसित होगा।
लैवेंडर अब सिर्फ फूल नहीं, भारत की नई पहचान बन चुका है।
“जहाँ खुशबू है, वहाँ भविष्य है।
जहाँ लैवेंडर है, वहाँ समृद्धि है।”
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