Navegaon-Nagzira Tiger Reserve: महाराष्ट्र के टॉप टाइगर रिज़र्व में सफारी और पर्यटन अनुभव
परिचय (Introduction)
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Toggleभारत अपने समृद्ध वन्य जीवन और जैव विविधता के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। देश के अलग-अलग हिस्सों में बने टाइगर रिज़र्व न केवल बाघों और अन्य वन्यजीवों के संरक्षण का केंद्र हैं, बल्कि वे इको-टूरिज्म और पर्यावरण शिक्षा के भी प्रमुख स्थल हैं।
इन्हीं महत्वपूर्ण संरक्षण स्थलों में से एक है नवेगांव-नागझिरा टाइगर रिज़र्व (Navegaon-Nagzira Tiger Reserve), जो महाराष्ट्र के पूर्वी हिस्से में स्थित है।
यह रिज़र्व वर्ष 2013 में स्थापित किया गया और इसमें दो प्रमुख संरक्षित क्षेत्र शामिल हैं – नवेगांव राष्ट्रीय उद्यान और नागझिरा वन्यजीव अभयारण्य। आज यह न केवल बाघों की सुरक्षित शरणस्थली है बल्कि यहाँ की झीलें, घने जंगल, पहाड़ियाँ और अद्भुत जैव विविधता पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देती हैं।
Navegaon-Nagzira Tiger Reserve: इतिहास और स्थापना
नवेगांव-नागझिरा क्षेत्र का इतिहास बहुत पुराना है।
नागझिरा वन्यजीव अभयारण्य की स्थापना वर्ष 1970 में की गई थी।
वहीं नवेगांव राष्ट्रीय उद्यान वर्ष 1975 में घोषित हुआ।
इन दोनों क्षेत्रों को मिलाकर 12 दिसंबर 2013 को इसे आधिकारिक रूप से टाइगर रिज़र्व का दर्जा दिया गया।
Navegaon-Nagzira Tiger Reserve की स्थापना का मुख्य उद्देश्य था –
बाघों और अन्य दुर्लभ प्रजातियों का संरक्षण
पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखना
स्थानीय समुदाय को इको-टूरिज्म और वन आधारित रोजगार से जोड़ना
आज यह महाराष्ट्र के प्रमुख पाँच टाइगर रिज़र्वों में से एक है और NTCA (National Tiger Conservation Authority) के अधीन प्रबंधित होता है।

Navegaon-Nagzira Tiger Reserve: भौगोलिक स्थिति और क्षेत्रफल
Navegaon-Nagzira Tiger Reserve महाराष्ट्र के गोंदिया और भंडारा जिलों में फैला हुआ है।
कुल क्षेत्रफल: लगभग 656.79 वर्ग किलोमीटर
कोर एरिया: लगभग 359.55 वर्ग किलोमीटर
बफर एरिया: लगभग 297.24 वर्ग किलोमीटर
यह Navegaon-Nagzira Tiger Reserve विदर्भ क्षेत्र के अन्य प्रसिद्ध वनों जैसे ताडोबा-अंधारी टाइगर रिज़र्व और पेंच टाइगर रिज़र्व के नज़दीक स्थित है, जिससे यह क्षेत्र “ईस्टर्न विदर्भ टाइगर कॉरिडोर” का हिस्सा बनता है।
Navegaon-Nagzira Tiger Reserve: स्थलाकृति और भौगोलिक संरचना
Navegaon-Nagzira Tiger Reserve की स्थलाकृति विविध है।
यहाँ पहाड़ियाँ, घाटियाँ, घने जंगल और मैदान सब मिलते हैं।
औसतन ऊँचाई 250 से 350 मीटर तक है।
क्षेत्र में कई छोटी नदियाँ और नाले बहते हैं।
प्रमुख जल निकाय
नवेगांव झील – पर्यटकों के बीच सबसे लोकप्रिय स्थल
नागझिरा झील
कई छोटी-बड़ी कृत्रिम व प्राकृतिक जलाशय
ये जलस्रोत न केवल वन्यजीवों के लिए जीवनरेखा हैं, बल्कि पक्षी प्रेमियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र हैं।
जलवायु और मौसम
नवेगांव-नागझिरा क्षेत्र का मौसम उष्णकटिबंधीय है।
गर्मी (मार्च – जून): तापमान 45°C तक पहुँच सकता है।
मानसून (जुलाई – सितंबर): औसतन 1200–1500 मिमी बारिश होती है।
सर्दी (अक्टूबर – फरवरी): सबसे सुहावना मौसम, तापमान 8°C तक गिर जाता है।
पर्यटन के लिए सबसे उपयुक्त समय अक्टूबर से मार्च माना जाता है।
जैव विविधता (Biodiversity)
वनस्पति (Flora)
यह Navegaon-Nagzira Tiger Reserve उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वनों से भरा हुआ है।
प्रमुख पेड़: सागौन (Teak), साल, साजा, धावड़ा, तेंदू, बाँस
औषधीय पौधे: हर्रा, बेहड़ा, आंवला आदि
घास के मैदान और झाड़ियाँ भी बड़ी मात्रा में पाई जाती हैं
जीव-जंतु (Fauna)
मांसाहारी प्राणी
बाघ (Tiger) – यहाँ का मुख्य आकर्षण
तेंदुआ
जंगली कुत्ते (Dhole)
भालू
लकड़बग्घा
शाकाहारी प्राणी
सांभर
चीतल
नीलगाय
गौर (भारतीय बाइसन)
भैंसा
पक्षी
नवेगांव-नागझिरा पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग है।
यहाँ लगभग 300 से अधिक पक्षियों की प्रजातियाँ मिलती हैं।
पेंटेड स्टॉर्क, पाइड हॉर्नबिल, ईगल, मोर, बगुले और प्रवासी पक्षी यहाँ देखे जा सकते हैं।
बाघ संरक्षण और प्रबंधन
Navegaon-Nagzira Tiger Reserve बाघों के लिए एक सुरक्षित निवास है।
नवीनतम अनुमान के अनुसार यहाँ लगभग 25–30 बाघ पाए जाते हैं।
बाघों के संरक्षण के लिए कैमरा ट्रैप मॉनिटरिंग की जाती है।
NTCA और महाराष्ट्र वन विभाग मिलकर एंटी-पोचिंग स्क्वॉड, फायर प्रोटेक्शन और इको-डेवलपमेंट पर काम करते हैं।
पर्यटन (Tourism)
प्रमुख गेट और एंट्री पॉइंट
चोरगांव गेट
नवेगांव गेट
पिटेझरी गेट
अन्य छोटे गेट
सफारी अनुभव
जीप सफारी: 3–4 घंटे का सफर, बाघ और अन्य वन्यजीव देखने का मौका
कैन्टर सफारी: समूह पर्यटकों के लिए
बर्ड वॉचिंग ट्रेल्स: विशेष रूप से नवेगांव झील के आसपास
नवेगांव झील और बोटिंग
यह झील यहाँ का सबसे बड़ा आकर्षण है।
यहाँ बोटिंग की सुविधा उपलब्ध है
प्रवासी पक्षियों को देखने का बेहतरीन स्थान
आस-पास के दर्शनीय स्थल
नवेगांव राष्ट्रीय उद्यान
ड्रैगन पैलेस मंदिर (कम्प्लीमेंटरी आकर्षण)
देवधानी झरना
स्थानीय जनजातीय संस्कृति (गोंड और अन्य आदिवासी समुदाय)
कैसे पहुँचे? (How to Reach)
हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा – नागपुर (लगभग 140 किमी)
रेल मार्ग: गोंदिया रेलवे स्टेशन (लगभग 50 किमी)
सड़क मार्ग: नागपुर, भंडारा, गोंदिया से बस और टैक्सी उपलब्ध

ठहरने की व्यवस्था (Accommodation)
MTDC रिज़ॉर्ट्स
फॉरेस्ट रेस्ट हाउस (नवेगांव और नागझिरा दोनों में)
निजी होटल और लॉज (गोंदिया, सकोली और तिरोड़ा के आसपास)
इको-टूरिज्म और स्थानीय समुदाय
नवेगांव-नागझिरा क्षेत्र में इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए इको-डेवलपमेंट कमेटी (EDC) बनाई गई है।
स्थानीय आदिवासी समुदाय को गाइड, होटल स्टाफ और सफारी ड्राइवर के रूप में रोजगार मिलता है।
इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिलता है और संरक्षण प्रयासों में लोगों की भागीदारी बढ़ती है।
चुनौतियाँ और संरक्षण से जुड़ी समस्याएँ
1. मानव-वन्यजीव संघर्ष – खेतों में जंगली जानवरों का प्रवेश
2. अवैध शिकार – बाघ और हिरण की प्रजातियाँ खतरे में
3. जंगल की आग –गर्मियों में सबसे बड़ी चुनौती
4. पर्यटन का दबाव – अति-पर्यटन से पारिस्थितिकी पर असर
भविष्य की संभावनाएँ
नवेगांव-नागझिरा टाइगर रिज़र्व न केवल महाराष्ट्र बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व की धरोहर है।
यह बाघ संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
यहाँ इको-टूरिज्म से रोजगार और शिक्षा दोनों को बढ़ावा मिलता है।
यदि आने वाले समय में स्थानीय समुदाय, सरकार और पर्यटक मिलकर जिम्मेदारी निभाएँ, तो यह रिज़र्व भविष्य में वैश्विक स्तर पर और भी प्रसिद्ध हो सकता है।
कुल मिलाकर, नवेगांव-नागझिरा टाइगर रिज़र्व प्रकृति प्रेमियों, पर्यटकों और शोधकर्ताओं के लिए एक आदर्श गंतव्य है।
निष्कर्ष
नवेगांव-नागझिरा टाइगर रिज़र्व केवल एक संरक्षित क्षेत्र नहीं है, बल्कि यह प्रकृति और मानव के सहअस्तित्व का जीवंत उदाहरण है। यहाँ के घने जंगल, शांत झीलें, दुर्लभ वनस्पतियाँ और बाघों की दहाड़ इसे अद्वितीय बनाते हैं। यह रिज़र्व न केवल भारत के बाघ संरक्षण अभियान (Project Tiger) को मजबूती प्रदान करता है, बल्कि यह स्थानीय समुदायों को रोजगार, पर्यटन और पर्यावरण शिक्षा के अवसर भी देता है।
आज जब तेजी से शहरीकरण और वनों का क्षरण एक बड़ी चुनौती बन चुके हैं, तब ऐसे रिज़र्व हमारे लिए एक जीवनरेखा की तरह हैं। नवेगांव-नागझिरा हमें यह सिखाता है कि यदि सही प्रबंधन, स्थानीय भागीदारी और सतत् पर्यटन को अपनाया जाए, तो वन्यजीव संरक्षण और मानव विकास दोनों साथ-साथ चल सकते हैं।
कुल मिलाकर, नवेगांव-नागझिरा टाइगर रिज़र्व भारत की प्राकृतिक धरोहर का रत्न है, जिसे सुरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी और आने वाली पीढ़ियों के लिए सबसे बड़ा उपहार है।
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