ISRO का NGLV सूर्या : भारत के अंतरिक्ष सपनों की एक नई उड़ान
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Toggleअंतरिक्ष क्षेत्र में भारत लगातार प्रगति कर रहा है तथा इस दिशा में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( ISRO ) इसरो ने अपने जेनरेशन लॉन्च व्हीकल NGLV सूर्य के लिए स्पेसिफिकेशन कि आज घोषणा की है|

यह भारत की अंतरिक्ष अक्षमताओं को उसे अगले स्तर पर ले जाने की नई योजना है आई विस्तार से इसके बारे में जाने | Read more…
NGLV सूर्या: क्या है यह?
NGLV सूर्य भारत अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( ISRO ) का यह एक नवीनतम रॉकेट सिस्टम है | जो भारत के अगले दशक की अंतरिक्ष परियोजनाओं को ध्यान में रखते हुए इस डिजाइन को तैयार किया है |
इसरो ने इस रॉकेट को पर्यावरण के अनुकूल तकनीकी आर्थिकता और उच्च वहन क्षमता के लिए बनाया है | जीएसएलवी और पीएसएलवी जैसे पुराने लॉन्च व्हीकल को रिप्लेस करने के उद्देश्य से विकसित हो रहा है |
NGLV सूर्या की प्रमुख विशेषताएं
इसरो के अद्यतन स्पेसिफिकेशन के अनुसार NGLV सूर्य इसमें निम्नलिखित खासियत होगी,
• पुन:उपयोग योग्य तकनीकी : एनजीएलवी को एक बार फिर से उपयोग योग्य बनाने हेतु इसको डिजाइन किया गया है जिसमें अंतरिक्ष मिशनो की लागत में भारी कमी आएगी तथा यह इस स्पेस एक्स के फाल्कन 9 जैसे रॉकेट को सक्षम खड़ा रखता है |
• ईंधन की नवीन तकनीकी: NGLV सूर्या ने पर्यावरण अनुकूल और कम लागत वाले इस ईंधन का उपयोग किया गया है जैसे की ऑक्सीजन और मीथेन यह न केवल पर्यावरण को सुरक्षित रखेगा बल्कि यह अंतरिक्ष में बड़े और लंबे मिशनों के लिए अनुकूल रहेगा |
• वजन उठाने की क्षमता : यह एनजीएलवी सूर्या 10 तन से 20 टन तक के पोलेड ( सैटेलाइट) को लो अर्थ आर्बिट ( LEO ) को जिओ सिंक्रोनस ट्रांसफर आर्बिट ( GTO ) में आदि को भेजने में अधिक सक्षम होगा |
• बहु मिशन अनुकूलता : ये व्हीकल सैटेलाइट लॉन्च ओर अंतरिक्ष पर्यटन तथा गहरे अंतरिक्ष अनुसंधान और मानवयुक्त मिशन के लिए भी अधिक उपयुक्त होगा।
NGLV सूर्या और PSLV/GSLV में अंतर
• पुन: उपयोग: GSLV और PSLV इन दोनों को केवल एक बार उपयोग किए जा सकते है , ओर अब NGLV को भी पुन: उपयोग किया जा सकेगा।
• किफायती: NGLV सूर्या के प्रति लॉन्च में लगी को लागत को 30-40% तक कम करेगा।
* तकनीकी उन्नति: इस रॉकेट में उन्नत प्रणोदन तकनीक का भी उपयोग किया गया है।
पर्यावरण-अनुकूल तकनीक का उपयोग

भारत अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इस रॉकेट का संचालन और डिज़ाइन पहले से ही पर्यावरण के अनुकूल हो।
इस रॉकेट के लिए ईंधन और लॉन्च प्रक्रिया को इस प्रकार से डिज़ाइन किया गया है कि ये ग्रीनहाउस जैसी गैस उत्सर्जन को भी कम कर सकेगा ।
NGLV का महत्व भारत की अंतरिक्ष योजनाओं में
• मिशन गगनयान: इस मानवयुक्त मिशन में NGLV सूर्या रॉकेट की बहुत बड़ी भूमिका हो सकती है।
• मंगल और चंद्रमा मिशन: भविष्य के गहरे अंतरिक्ष मिशनों के लिए यह आपके लिए एक उपयुक्त विकल्प हो सकता है ।
• स्पेस टूरिज्म: भारत अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( ISRO ) द्वारा स्पेस टूरिज्म के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम रखने के लिए इस रॉकेट को बहुत अहम माना जा रहा है।
• निजी कंपनियों की भागीदारी: इस रॉकेट का संचालन और निर्माण निजी कंपनियों के साथ मिलकर किया जा सकता है, जो हमारे भारत के अंतरिक्ष उद्योग को भी अधिक मजबूती देगा।
NGLV सूर्या का वैश्विक महत्व
भारत इस रॉकेट को अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा में भी खड़ा करेगा। इस सूर्या रॉकेट में उच्च विश्वसनीयता तथा कम लागत इसे वैश्विक सैटेलाइट लॉन्च सेवाओं में भी एक प्रमुख खिलाड़ी बना सकती है।
कब तक होगा लॉन्च ?
भारत अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( ISRO ) की यह योजना है कि सूर्या रॉकेट का सबसे पहला परीक्षण 2030 तक किया जाएगा । अर्थात इसके बाद, इसे वैज्ञानिक मिशनो और वाणिज्यिक में भी उपयोग किया जाएगा।
सूर्या: एक नया मील का पत्थर
NGLV सूर्या ये केवल एक रॉकेट नहीं है, बल्कि भारत की उन्नत तकनीक और आत्मनिर्भरता के प्रतीक के रूप में उभर कर दिखाएगा | यह रॉकेट अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा आने वाले समय में भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में इतिहास रचने वाला है |
निष्कर्ष
यह रॉकेट भारत की अंतरिक्ष महत्वकांक्षाओ को सपने साकार करने का एक महत्वपूर्ण कदम है यह भारत के लिए नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए एक प्रेरणा साबित होगी | Click here…
इसरो की इस नई पहल निश्चित रूप से भारत को प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन आग्रणी बनाएगी इस रॉकेट से भारत को एक नई पहल मिलेगी |