NHAI ने द्वारका एक्सप्रेसवे से IGI एयरपोर्ट और NH-48 को जोड़ने वाली नई सुरंग की ट्रायल शुरू की
परिचय:
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Toggleदिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में ट्रैफिक जाम और लंबा सफर यात्रियों की सबसे बड़ी समस्या रही है। खासकर द्वारका एक्सप्रेसवे से इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (IGI एयरपोर्ट) और NH-48 के बीच सफर अक्सर घंटों तक लग जाता था। \
ऐसे में NHAI की ओर से शुरू की गई नई सुरंग का प्रोजेक्ट ट्रैफिक समस्या का हल साबित होने वाला है।
यहाँ हम आपको इस सुरंग की पूरी जानकारी, तकनीकी खासियतें, ट्रायल रन का विवरण, इसका यातायात और पर्यावरण पर असर, साथ ही आने वाले भविष्य में इससे जुड़े बदलावों पर विस्तार से बताएंगे।
परियोजना की पृष्ठभूमि: क्यों थी जरूरत?
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में बढ़ती जनसंख्या और वाहनों की संख्या के कारण सड़कों पर ट्रैफिक जाम आम बात हो गई है।
द्वारका एक्सप्रेसवे से IGI एयरपोर्ट जाने वाले यात्रियों को भारी देरी का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, NH-48 पर दिन-रात ट्रैफिक का दबाव बना रहता है।
NHAI ने इस समस्या के समाधान के लिए द्वारका एक्सप्रेसवे से सीधे IGI एयरपोर्ट और NH-48 को जोड़ने वाली सुरंग बनाने का निर्णय लिया। इससे न केवल यातायात की गति बढ़ेगी बल्कि दुर्घटनाओं और प्रदूषण में भी कमी आएगी।—
सुरंग का तकनीकी विवरण
लंबाई और चौड़ाई
नई सुरंग लगभग 3.6 किलोमीटर लंबी है और 8 लेन चौड़ी बनाई गई है, जिससे यह भारत की शहरी सुरंगों में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। इसकी चौड़ाई और लंबाई का उद्देश्य भारी ट्रैफिक को बिना रुके सुचारू रूप से गुजारना है।
डिज़ाइन
शैलो टनल (Shallow Tunnel): सुरंग को सतह के नजदीक बनाया गया है ताकि एयरपोर्ट के रेडार सिस्टम या अन्य सुरक्षा उपकरणों पर कोई प्रभाव न पड़े।
ब्लास्ट-प्रूफ सेक्शन: एयरपोर्ट के नजदीक 500 मीटर का हिस्सा ब्लास्ट-प्रूफ डिजाइन किया गया है, जिससे सुरक्षा को और अधिक मजबूती मिलती है।
सुरक्षा व्यवस्था
सुरंग में अत्याधुनिक सुरक्षा तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है:
24×7 CCTV निगरानी
आपातकालीन निकास द्वार हर 300 मीटर पर
ऑटोमेटिक फायर डिटेक्शन और वेंटिलेशन सिस्टम
वॉयस असिस्टेड ड्राइवर गाइडेंस सिस्टम
निर्माण प्रक्रिया और चुनौतियाँ
इस परियोजना को सफलतापूर्वक पूरा करना आसान नहीं था। एयरपोर्ट के पास होने के कारण सुरंग की खुदाई सीमित गहराई तक ही हो सकी, जिससे निर्माण में विशेष सावधानी बरती गई।
रात में ही काम करने की अनुमति मिलने से काम की गति प्रभावित हुई, लेकिन टीम ने मजबूती से काम किया। साथ ही, पर्यावरण संरक्षण की प्रतिबद्धता के तहत पेड़-पौधों की कटाई को न्यूनतम रखा गया और हर संभव हरित उपाय किए गए।
ट्रायल रन: कब और कैसे?
NHAI ने 30 मई 2025 से सुरंग के ट्रायल रन की शुरुआत की है। इस ट्रायल रन का उद्देश्य सुरंग की सुरक्षा, ट्रैफिक प्रबंधन और तकनीकी प्रणालियों का परीक्षण करना है।
ट्रायल रन के दौरान निम्न बातों पर ध्यान दिया जा रहा है:
वाहन सुरक्षा का मूल्यांकन
ट्रैफिक फ्लो और वेंटिलेशन सिस्टम का परीक्षण
आपातकालीन व्यवस्थाओं का निरीक्षण
इस दौरान सुरंग का उपयोग हर दिन दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक सीमित समय के लिए सार्वजनिक वाहनों को दिया जा रहा है।
ट्रैफिक सुधार और समय की बचत
इस सुरंग के बनने से द्वारका से IGI एयरपोर्ट तक का सफर अब लगभग 20 मिनट की बजाय 5 से 7 मिनट में पूरा होगा। यह यात्रियों के समय की भारी बचत है।
NH-48 पर ट्रैफिक दबाव में भी उल्लेखनीय कमी आएगी क्योंकि अब वाहन सुरंग के माध्यम से सीधे मार्ग ले सकेंगे, जिससे मुख्य राजमार्ग पर वाहनों की संख्या कम होगी।
पर्यावरणीय प्रभाव
NHAI ने पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी का ध्यान रखते हुए NH-48 के आसपास मियावाकी तकनीक से हरे-भरे जंगलों का निर्माण किया है। यह ग्रीन कॉरिडोर न केवल प्रदूषण कम करेगा, बल्कि इलाके की जैव विविधता को भी बढ़ावा देगा।
भविष्य की संभावनाएँ
इस सुरंग की सफलता के बाद NHAI ने दिल्ली-एनसीआर में ऐसी और परियोजनाएं शुरू करने का विचार किया है। यह मॉडल देश के अन्य बड़े शहरों में भी लागू किया जाएगा ताकि ट्रैफिक जाम और प्रदूषण की समस्या कम हो सके।
सुरंग निर्माण के पीछे की कहानी और चुनौतियां
सुरंग का लोकेशन चयन और योजना
द्वारका एक्सप्रेसवे से IGI एयरपोर्ट और NH-48 को जोड़ने वाली इस सुरंग का स्थान चुनना एक बहुत बड़ी चुनौती थी। क्योंकि यह सुरंग सीधे हवाई अड्डे के पास बन रही है, इसलिए सुरक्षा कारणों से सुरंग का डिज़ाइन और निर्माण बेहद सावधानी से करना पड़ा।
NHAI ने विशेषज्ञ इंजीनियरों की टीम बनाई जो हवाई अड्डे के सुरक्षा नियमों के अनुसार सुरंग को शैलो टनल के रूप में डिजाइन करने में जुटी। इसका मतलब है कि सुरंग जमीन के सतह के बहुत नजदीक बनेगी ताकि हवाई अड्डे के रडार सिस्टम पर कोई प्रभाव न पड़े।

तकनीकी बाधाएं और उनका समाधान
ग्राउंड वॉटर टेबल: इस क्षेत्र में जमीन के नीचे जलस्तर (groundwater table) का स्तर भी सतर्कता से जांचा गया क्योंकि सुरंग के निर्माण से जल स्तर प्रभावित हो सकता था। जल निकासी के लिए विशेष ड्रेनेज सिस्टम लगाया गया।
सुरक्षा ज़ोन: एयरपोर्ट के ब्लास्ट ज़ोन को ध्यान में रखते हुए सुरंग का ब्लास्ट-प्रूफ हिस्सा डिजाइन किया गया, जिससे किसी भी प्रकार की दुर्घटना की संभावना को कम किया जा सके।
रात के समय निर्माण: सुरंग का निर्माण ज्यादातर रात के समय किया गया ताकि दिन के समय यातायात प्रभावित न हो। इससे काम की गति धीमी रही, लेकिन यह सुरक्षा के लिहाज से जरूरी था।
सुरंग का निर्माण: चरण दर चरण
प्रारंभिक सर्वेक्षण
सुरंग निर्माण से पहले पूरे क्षेत्र का भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण किया गया, जिसमें मिट्टी के प्रकार, चट्टानों की मजबूती और आसपास की संरचनाओं का परीक्षण शामिल था।
खुदाई और संरचना
3.6 किलोमीटर की सुरंग को बनाने के लिए ब्लास्टिंग तकनीक का इस्तेमाल नहीं किया गया क्योंकि एयरपोर्ट के पास ब्लास्टिंग से खतरा हो सकता था। इसके बजाय, विशेष शील्ड मशीनों से खुदाई की गई।
सुरक्षात्मक परतें
सुरंग के अंदर सुरक्षा के लिए फायर रिटार्डेंट मैटेरियल्स का इस्तेमाल हुआ है। इसके साथ ही, वेंटिलेशन सिस्टम के लिए हाई पावर वेंटिलेटर लगाए गए हैं ताकि सुरंग के अंदर हवा साफ़ बनी रहे।
ट्रायल रन और परीक्षण का महत्व
NHAI ने सुरंग की सभी प्रणालियों का परीक्षण करने के लिए ट्रायल रन शुरू किया है। ट्रायल रन केवल सुरंग की क्षमता और सुरक्षा को आंकने के लिए नहीं, बल्कि ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम, आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम, और तकनीकी नियंत्रण प्रणाली की दक्षता जाँचने के लिए है।
परीक्षण के दौरान किए गए उपाय
सुरंग में ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए ट्रैफिक पुलिस और सुरक्षा कर्मी तैनात हैं।
विभिन्न प्रकार के वाहनों से सुरंग की क्षमता का आकलन किया जा रहा है।
आपातकालीन निकास, फायर अलार्म और वेंटिलेशन सिस्टम की परफॉर्मेंस का परीक्षण किया जा रहा है।
ड्राइवरों को सुरंग के अंदर दिशा-निर्देश व वॉयस गाइडेंस प्रदान किए जा रहे हैं।
यातायात सुधार और आर्थिक प्रभाव
यात्रा समय की बचत
दिल्ली-एनसीआर में समय की बचत आर्थिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। यात्रा में लगने वाले समय की कमी से व्यवसायिक यात्रियों को लाभ होगा। अनुमान है कि द्वारका से IGI एयरपोर्ट का सफर 15 मिनट से घटकर सिर्फ 5-7 मिनट का हो जाएगा।
ट्रैफिक जाम में कमी
NH-48 और द्वारका एक्सप्रेसवे पर भारी वाहनों और रोजाना आवागमन वाले लोगों की भीड़ को देखते हुए यह सुरंग ट्रैफिक की भीड़ को कम करने में सहायक होगी। इससे परिवहन लागत भी कम होगी।
स्थानीय व्यवसायों को बढ़ावा
बेहतर कनेक्टिविटी के कारण आसपास के छोटे-बड़े व्यवसायों को भी फायदा होगा। लोग और माल तेजी से पहुंच पाएंगे जिससे आर्थिक गतिविधियां तेज़ होंगी।
पर्यावरणीय पहल और स्थिरता
NHAI ने इस परियोजना में पर्यावरण संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। सुरंग के आसपास मियावाकी तकनीक के माध्यम से हरे-भरे जंगल विकसित किए जा रहे हैं, जो प्रदूषण को कम करने में मदद करेंगे।
मियावाकी तकनीक क्या है?
यह एक जापानी वृक्षारोपण पद्धति है जिसमें छोटे-छोटे पौधों को घने समूह में लगाया जाता है ताकि वे जल्दी से बढ़ें और एक मजबूत, प्राकृतिक जंगल का निर्माण करें। इस तकनीक से पर्यावरण में सुधार होता है और स्थानीय जलवायु बेहतर होती है।
ऊर्जा दक्षता
सुरंग में LED लाइटिंग और ऊर्जा-कुशल वेंटिलेशन सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है, जिससे ऊर्जा की बचत होती है और कार्बन उत्सर्जन कम होता है।
आने वाले समय में संभावनाएं
NHAI के अधिकारियों का कहना है कि इस परियोजना की सफलता के बाद देश के अन्य महानगरों में भी ऐसी सुरंगों का निर्माण किया जाएगा ताकि ट्रैफिक और कनेक्टिविटी की समस्याओं को दूर किया जा सके।
स्मार्ट सड़क नेटवर्क
आने वाले वर्षों में, इस सुरंग को स्मार्ट तकनीकों से लैस किया जाएगा, जैसे कि ट्रैफिक सेंसर्स, स्मार्ट कैमरे और डिजिटल ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम, जो यातायात को और भी बेहतर बनाएंगे।

सार्वजनिक परिवहन और इलेक्ट्रिक वाहन
सुरंग का डिज़ाइन भविष्य में सार्वजनिक परिवहन और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए अनुकूलित किया जाएगा, जिससे पर्यावरण के प्रति यह और अधिक संवेदनशील बनेगी।
आम जनता और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
सड़क उपयोगकर्ता और स्थानीय लोग इस सुरंग की शुरुआत से बेहद खुश हैं। यात्रियों को उम्मीद है कि अब एयरपोर्ट पहुंचना और गुरुग्राम-दिल्ली के बीच सफर करना आसान हो जाएगा।
विशेषज्ञों की राय
ट्रैफिक इंजीनियर और शहरी योजना विशेषज्ञ मानते हैं कि यह सुरंग दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के ट्रैफिक सिस्टम में बदलाव लाने वाली है और भविष्य में इससे शहरों की योजना बनाने में मदद मिलेगी।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
Q1: NHAI ने कौन सी नई सुरंग बनाई है?
उत्तर: NHAI ने द्वारका एक्सप्रेसवे को IGI एयरपोर्ट और NH-48 से जोड़ने के लिए लगभग 3.6 किलोमीटर लंबी नई सुरंग का निर्माण किया है, जिससे दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र की कनेक्टिविटी बेहतर होगी।
Q2: NHAI सुरंग सुरंग की लंबाई कितनी है?
उत्तर: यह सुरंग लगभग 3.6 किलोमीटर लंबी है, जो यातायात को तेज़ और सुरक्षित बनाने के लिए बनाई गई है।
Q3: NHAI की नई सुरंग का निर्माण कब पूरा हुआ?
उत्तर: सुरंग का निर्माण 2024 के अंत तक पूरा हुआ और 2025 की मई में ट्रायल रन शुरू किया गया।
Q4: NHAI सुरंग की खासियत क्या है?
उत्तर: यह सुरंग एयरपोर्ट के करीब होने के कारण विशेष सुरक्षा मानकों के साथ बनाई गई है, जिसमें फायर प्रोटेक्शन, उन्नत वेंटिलेशन, LED लाइटिंग और ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम शामिल हैं।
Q5: क्या सुरंग में सभी प्रकार के वाहन गुजर सकते हैं?
उत्तर: हाँ, सुरंग में कार, बाइक, टैक्सी, और अन्य छोटे-मध्यम वाहन जा सकते हैं, लेकिन भारी ट्रक और बड़े वाहन के लिए कुछ सीमाएं हो सकती हैं।
Q6: सुरंग के बनने से ट्रैफिक में क्या बदलाव आएगा?
उत्तर: सुरंग के बनने से द्वारका एक्सप्रेसवे, IGI एयरपोर्ट और NH-48 के बीच ट्रैफिक जाम काफी हद तक कम होगा और यात्रियों का समय लगभग 10-15 मिनट तक बचेगा।
Q7: सुरंग का उपयोग करने पर कोई टोल शुल्क लगेगा?
उत्तर: फिलहाल टोल शुल्क पर अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है, जल्द ही इसका विवरण NHAI द्वारा जारी किया जाएगा।
Q8: सुरंग में सुरक्षा के कौन-कौन से इंतजाम किए गए हैं?
उत्तर: सुरंग में फायर अलार्म, आपातकालीन निकास, वेंटिलेशन सिस्टम, और 24×7 निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं ताकि यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
Q9: सुरंग का ट्रायल रन कब शुरू हुआ?
उत्तर: सुरंग का ट्रायल रन मई 2025 में शुरू हुआ है, जिसमें सुरक्षा और तकनीकी सभी पहलुओं की जांच की जा रही है।
Q10: क्या यह सुरंग पर्यावरण के अनुकूल है?
उत्तर: हाँ, सुरंग के निर्माण में ऊर्जा-कुशल तकनीकों का उपयोग किया गया है, और आसपास के क्षेत्र में मियावाकी तकनीक से वृक्षारोपण किया जा रहा है जिससे पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी।
Q11: भविष्य में इस सुरंग से जुड़े कौन-कौन से प्रोजेक्ट्स हो सकते हैं?
उत्तर: NHAI ने भविष्य में इस सुरंग के स्मार्ट टेक्नोलॉजी से लैस करने और सार्वजनिक परिवहन तथा इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए अनुकूल बनाने की योजना बनाई है।
Q12: क्या सुरंग में कोई आपातकालीन व्यवस्था है?
उत्तर: हाँ, सुरंग में आपातकालीन निकास, फायर फाइटिंग सिस्टम और आपातकालीन संपर्क उपकरण लगाए गए हैं, ताकि किसी भी स्थिति में त्वरित मदद मिल सके।
Q13: NHAI की नई सुरंग का निर्माण किन चुनौतियों से भरा था?
उत्तर: एयरपोर्ट के नजदीक होने के कारण सुरक्षा, ब्लास्ट-प्रूफ डिजाइन, groundwater management और ट्रैफिक बाधा जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
Q14: NHAI की नई सुरंग के बनने से यात्रियों को क्या फायदा होगा?
उत्तर: यात्रियों को कम ट्रैफिक जाम, तेज़ सफर, बेहतर सुरक्षा और आसान पहुंच का फायदा मिलेगा।
निष्कर्ष
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा द्वारका एक्सप्रेसवे से IGI एयरपोर्ट और NH-48 को जोड़ने वाली नई सुरंग का निर्माण दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में ट्रैफिक और कनेक्टिविटी की समस्याओं का एक सफल और प्रभावी समाधान है।
इस सुरंग के माध्यम से न केवल यात्रियों का समय बचेगा, बल्कि ट्रैफिक जाम में भी काफी कमी आएगी, जिससे रोज़ाना लाखों लोगों की यात्रा सहज और तेज़ होगी।
इस परियोजना की खासियत इसकी उन्नत तकनीकी विशेषताएँ, सुरक्षा प्रोटोकॉल, और पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता है।
सुरंग निर्माण में इस्तेमाल की गई आधुनिक तकनीकें और स्मार्ट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम आने वाले समय में भारत के अन्य महानगरों के लिए भी एक मिसाल स्थापित करेंगे।
सुरंग के निर्माण के दौरान आने वाली चुनौतियों का सफलतापूर्वक समाधान करने से यह साबित होता है कि भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में निरंतर सुधार और नवाचार हो रहे हैं।
NHAI सुरंग की ट्रायल रन प्रक्रिया पूरी होने के बाद जब इसे जनता के लिए खोला जाएगा, तब यह दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के यातायात और आर्थिक गतिविधियों में नई गति प्रदान करेगा। बेहतर कनेक्टिविटी से न केवल लोगों का समय बचेगा, बल्कि व्यवसाय और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।
अंततः, NHAI की नई सुरंग आधुनिक भारत के विकास और स्मार्ट शहरों के निर्माण की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो तकनीक, सुरक्षा और पर्यावरण के संतुलन को ध्यान में रखते हुए हमारे देश की समृद्धि में योगदान देगी।
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