NHAI GHG Emissions down – Eco-friendly highways का सच!
भूमिका
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Toggleभारत की तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के साथ राष्ट्रीय राजमार्गों का विस्तार भी उसी गति से हुआ है। जहां एक ओर निर्माण गतिविधियाँ पर्यावरण पर भारी दबाव डालती हैं, वहीं दूसरी ओर NHAI GHG Emissions down in 2023-24 despite increase in highway construction एक ऐसा तथ्य है जो सभी को चौंकाता है – लेकिन सकारात्मक रूप में।
NHAI यानी नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने 2023-24 में बड़ी मात्रा में सड़कों का निर्माण किया, फिर भी ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन में गिरावट दर्ज की।
राजमार्ग निर्माण और पर्यावरण की पारंपरिक टकराव
राजमार्ग निर्माण में सामान्यतः भारी मशीनरी, बड़ी मात्रा में डीज़ल, सीमेंट, बिटुमिनस और अन्य संसाधनों का उपयोग होता है। इसका परिणाम होता है अधिक:
कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन
वन क्षेत्र में कटौती
जल और मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट
लेकिन NHAI GHG Emissions down in 2023-24 despite increase in highway construction इस धारणा को चुनौती देता है।

यह कैसे संभव हुआ? रणनीति और सोच
यह गिरावट सिर्फ संयोग नहीं है। इसके पीछे है एक ठोस रणनीति:
रिसाइक्लिंग तकनीकों का उपयोग
पुराने राजमार्गों को उखाड़कर उसी सामग्री को दोबारा उपयोग में लाना
कोल्ड इन-प्लेस रीसायक्लिंग से डीज़ल और ऊर्जा की खपत कम हुई
प्लास्टिक वेस्ट का रोड बेस में प्रयोग
पर्यावरणीय मूल्यांकन का समावेश
हर नई परियोजना से पहले Carbon Footprint का मूल्यांकन
Life Cycle Assessment तकनीक का उपयोग
ग्रीन कोरिडोर विकास
राजमार्ग के किनारे लाखों पौधे लगाए गए
कुछ जगहों पर Green Wall के प्रयोग से ध्वनि प्रदूषण और धूल कम हुई
GHG Emission क्या होता है और ये कैसे घटाया गया?
GHG क्या है?
GHG यानी ग्रीनहाउस गैसें—जैसे CO₂, CH₄ और N₂O—वो गैसें होती हैं जो वातावरण में गर्मी को फँसा लेती हैं। इनका अत्यधिक उत्सर्जन ग्लोबल वार्मिंग को जन्म देता है।
NHAI ने इन्हें कैसे घटाया?
ठोस अपशिष्ट का निस्तारण
सौर ऊर्जा से संचालित टोल प्लाजा
CNG या EV आधारित वाहन उपयोग में बढ़ावा
ड्रोन मॉनिटरिंग से निरीक्षण में तेजी
NHAI GHG Emissions down in 2023-24 despite increase in highway construction का अर्थ यही है कि तकनीक, नियोजन और जागरूकता के मेल से असंभव को संभव बनाया गया।
आँकड़ों की दृष्टि से उपलब्धि
तत्व 2022-23 2023-24
कुल निर्माण (किमी) 10,200 किमी 12,500 किमी
GHG उत्सर्जन 1.1 MTCO₂e/km 0.8 MTCO₂e/km
वृक्षारोपण 3.5 करोड़ पौधे 4.7 करोड़ पौधे
रिसाइक्लिंग सामग्री 400 लाख टन 631 लाख टन
इन आँकड़ों से स्पष्ट होता है कि NHAI GHG Emissions down in 2023-24 despite increase in highway construction कोई दावा नहीं बल्कि एक सिद्ध उपलब्धि है।
जल संरक्षण और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन
जल संचयन के लिए तालाबों और अमृत सरोवरों का निर्माण
निर्माण स्थल पर पानी की पुनरावृत्ति प्रणाली
धूल नियंत्रण के लिए फॉग कैनन और पानी छिड़काव
तकनीक से पारदर्शिता और प्रभावशीलता
FASTag से ट्रैफिक सुगमता
वाहनों के स्टॉप-टाइम में कमी
उत्सर्जन में कमी
फ्यूल की बचत
AI और IoT से निगरानी
निर्माण गतिविधियों की निगरानी
उत्सर्जन स्तरों का रियल-टाइम डेटा
इन प्रयासों के चलते NHAI GHG Emissions down in 2023-24 despite increase in highway construction न केवल तकनीकी सफलता है बल्कि नीति का उत्कृष्ट उदाहरण भी।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
स्थानीय लोगों को निर्माण में रोजगार
पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्रों में EV चार्जिंग स्टेशन
स्वास्थ्य सुरक्षा नियमों का पालन
आलोचनाएं और चुनौतियाँ
कुछ रिपोर्टों में कहा गया कि कई पेड़ लगाए जरूर गए, लेकिन उनकी देखरेख नहीं हुई
ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ परियोजनाओं में सामाजिक स्वीकृति की कमी रही
भूमि अधिग्रहण में पारदर्शिता एक मुद्दा रहा
अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में तुलना
दुनिया के कई विकसित देश जैसे जर्मनी, जापान और अमेरिका ने पहले ही ग्रीन रोड टेक्नोलॉजी को अपनाया है। लेकिन NHAI GHG Emissions down in 2023-24 despite increase in highway construction इस दिशा में भारत की मजबूत शुरुआत को दर्शाता है।
भविष्य की रणनीति
“नेट ज़ीरो रोड” पहल की शुरुआत
सभी राजमार्गों के किनारे ग्रीन बेल्ट अनिवार्य
डिज़िटल GHG ट्रैकिंग पोर्टल की योजना
पर्यावरणीय शिक्षा और सामुदायिक भागीदारी
ग्रीन हाइवे नीति और उसका प्रभाव
भारत सरकार की ग्रीन हाइवे (पॉलिसी) 2015 का मकसद केवल सड़क बनाना नहीं, बल्कि “हरित अवसंरचना” तैयार करना है। इस नीति के अंतर्गत:
हर 500 मीटर पर वृक्षारोपण अनिवार्य
स्थायी प्रजातियों का चयन (स्थानीय जलवायु के अनुसार)
रोड किनारे वॉटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर
NHAI GHG Emissions down in 2023-24 despite increase in highway construction इस नीति की प्रगति को जमीनी स्तर पर दिखाता है।
निर्माण प्रक्रियाओं में पर्यावरणीय प्रबंधन
धूल और प्रदूषण नियंत्रण
निर्माण स्थलों पर पानी का छिड़काव
मलबा हटाने के लिए स्वचालित मशीनें
पर्यावरण मित्र परिवहन सामग्री (CNG लॉरीज)
मलबा प्रबंधन
कचरे को सीधे रीसाइक्लिंग यूनिट्स तक भेजना
C&D (Construction and Demolition) Waste प्लांट से सामग्री प्राप्त करना
इन सभी के योगदान से NHAI GHG Emissions down in 2023-24 despite increase in highway construction की सफलता संभव हुई।

कार्बन क्रेडिट और राजस्व मॉडल
Carbon Credit Mechanism का फायदा उठाकर NHAI भविष्य में अपनी हरित पहल से राजस्व भी कमा सकता है:
वृक्षारोपण और GHG कटौती के प्रमाणपत्र बेचकर
इंटरनेशनल कार्बन मार्केट से भागीदारी
ये पहलें आगे चलकर NHAI के लिए आर्थिक रूप से भी लाभदायक होंगी।
अनुसंधान और नवाचार
NHAI ने रिसर्च यूनिवर्सिटीज़ और टेक्निकल इंस्टीट्यूट्स के साथ मिलकर:
Bio-Enzyme आधारित रोड निर्माण
बायो-कॉनक्रीट की टेस्टिंग
रीसायक्लिंग रेट मापन प्रणाली विकसित की
NHAI GHG Emissions down in 2023-24 despite increase in highway construction जैसी रिपोर्ट तभी संभव होती है जब नवाचार निरंतर जारी रहे।
सामुदायिक भागीदारी
सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम
राजमार्ग किनारे रहने वाले लोगों को वृक्षारोपण में भागीदार बनाना
युवाओं को “ग्रीन एंबेसडर” के रूप में जोड़ना
ग्रामीण क्षेत्रों में EV अपनाने के लिए प्रोत्साहन
CSR पहल
गांवों में जल संरक्षण, सोलर लाइटिंग और पौधरोपण
राजमार्ग के पास सरकारी स्कूलों में पर्यावरणीय शिक्षा
इसका नतीजा है – NHAI GHG Emissions down in 2023-24 despite increase in highway construction सिर्फ सरकारी नहीं, सामाजिक आंदोलन बन गया है।
भविष्य की तकनीकें जो NHAI को और ग्रीन बनाएंगी
सोलर पैनल से युक्त रोड्स
सड़क की सतह पर energy-generating cells
टोल बूथ, स्ट्रीट लाइट व टनल को पावर देना
बायो-अस्फाल्ट
शैवाल, चावल के भूसे, गन्ने के अवशेष से रोड निर्माण
पूरी तरह से बायोडिग्रेडेबल और ग्रीनहाउस-न्यूट्रल
CO₂ निगलने वाले पेवर ब्लॉक्स
जो वातावरण से कार्बन को सोख लेते हैं
सड़क किनारे फुटपाथों में इस्तेमाल संभव
NHAI GHG Emissions down in 2023-24 despite increase in highway construction एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है जो इन सभी नवाचारों को अपनाने की नींव बनाता है।
निष्कर्ष: सतत विकास की ओर भारत का दृढ़ कदम
NHAI GHG Emissions down in 2023-24 despite increase in highway construction केवल एक आंकड़ा या सरकारी दावा नहीं है, बल्कि यह भारत के बुनियादी ढांचे और पर्यावरणीय संवेदनशीलता के बीच संतुलन का एक प्रेरणादायक उदाहरण है।
जहां एक ओर देश में राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण अभूतपूर्व गति से हो रहा है, वहीं दूसरी ओर NHAI ने पर्यावरण संरक्षण को भी बराबर प्राथमिकता दी है।
रिसाइक्लिंग तकनीक, वृक्षारोपण, जल संरक्षण, FASTag जैसे तकनीकी नवाचार, और AI आधारित निगरानी प्रणालियों ने यह सिद्ध कर दिया कि अगर सही नीति और दृढ़ इच्छाशक्ति हो, तो आर्थिक विकास और हरित पहल एक साथ आगे बढ़ सकते हैं।
यह रिपोर्ट न केवल भारत के लिए, बल्कि अन्य विकासशील देशों के लिए भी एक रोल मॉडल है कि कैसे सस्टेनेबल इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया जा सकता है।
इसकी सबसे बड़ी उपलब्धि यही है कि “NHAI GHG Emissions down in 2023-24 despite increase in highway construction” जैसी सफलता से यह संदेश जाता है:
> विकास का रास्ता पेड़ों को काटकर नहीं, उन्हें साथ लेकर तय किया जा सकता है।
अब समय आ गया है कि NHAI की इस ग्रीन पहल को और अधिक संस्थागत रूप दिया जाए, ताकि आने वाली पीढ़ियों को एक सुरक्षित, समृद्ध और स्वच्छ भारत मिल सके।
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