Operation Olivia: जब भारतीय कोस्ट गार्ड बने समुद्री कछुओं के संरक्षक – जानिए पूरी कहानी!
भूमिका: समुद्र का मौन संदेश
Table of the Post Contents
Toggleसमुद्र सिर्फ लहरों की आवाज़ नहीं है, उसमें जीवन की हजारों कहानियाँ छिपी होती हैं। इन्हीं कहानियों में से एक है ओडिशा के समुद्र तटों पर हर साल आने वाले लाखों ओलिव रिडले समुद्री कछुओं की कहानी।
ये छोटे मगर अत्यंत खास कछुए हर साल हजारों किलोमीटर की यात्रा कर भारत के पूर्वी तट पर आते हैं—सिर्फ एक उद्देश्य के साथ: अंडे देने के लिए सुरक्षित जमीन तलाशने।
इन कछुओं की इस पवित्र यात्रा को सफल बनाने के लिए भारतीय तटरक्षक बल हर साल एक बेहद खास अभियान चलाता है—ऑपरेशन ओलिविया (Operation Olivia)।
यह सिर्फ एक ऑपरेशन नहीं, बल्कि एक ज़िम्मेदारी है, एक प्रण है जिसे देश की समुद्री सीमाओं की रखवाली करने वाले सैनिक निभा रहे हैं—प्रकृति के प्रहरी बनकर।
ओलिव रिडले कछुए कौन हैं?
1. प्रकृति के नन्हें सिपाही
ओलिव रिडले कछुए (Lepidochelys olivacea) का नाम उनके जैतूनी हरे रंग के खोल से पड़ा है। ये आकार में छोटे होते हैं—लगभग 2.5 फीट तक लम्बे और 45 किलो तक वज़न रखते हैं।
लेकिन इनका महत्व समुद्री पारिस्थितिकी में अत्यंत गहरा है। ये कछुए प्लवक, जेलीफिश और समुद्री खरपतवार खाकर समुद्र को संतुलित रखते हैं।
2. अरिबादा: जब कछुए लौटते हैं घर
ओलिव रिडले कछुओं की सबसे अनोखी विशेषता है इनका सामूहिक अंडे देना, जिसे “अरिबादा” कहा जाता है। हजारों मादा कछुए एक ही समय में एक ही तट पर अंडे देने के लिए एकत्र होते हैं।
यह दृश्य इतना अद्भुत होता है कि वैज्ञानिक इसे प्राकृतिक चमत्कार मानते हैं।
ऑपरेशन ओलिविया: शुरुआत और विस्तार
1. कब और क्यों शुरू हुआ?
1980 के दशक के प्रारंभ में जब ओडिशा के तटों पर कछुओं की संख्या में गिरावट देखी गई, तब भारतीय तटरक्षक बल ने पहली बार समुद्री कछुओं की सुरक्षा के लिए विशेष निगरानी अभियान शुरू किया।
यही अभियान धीरे-धीरे ‘ऑपरेशन ओलिविया’ के नाम से स्थापित हुआ।
2. अभियान का उद्देश्य
ओलिव रिडले कछुओं के प्रजनन स्थल की रक्षा करना
अवैध मछली पकड़ने की गतिविधियों पर नजर रखना
पर्यावरणीय संरक्षण के नियमों को लागू कराना
स्थानीय मछुआरा समुदाय को जागरूक बनाना
2025 की ताज़ा उपलब्धियाँ: जब रिकॉर्ड बना
1. 6.98 लाख से ज्यादा कछुओं का सफल आगमन
मार्च 2025 में, भारतीय तटरक्षक बल ने बताया कि ओडिशा के रुशिकुल्या नदी मुख पर 6.98 लाख से अधिक ओलिव रिडले कछुए सुरक्षित रूप से अंडे देने में सफल रहे। यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, जो दर्शाता है कि संरक्षण के प्रयास कितने कारगर रहे हैं।
2. समुद्र, हवा और ज़मीन—तीनों पर निगरानी
2024-25 के सीज़न में:
5,387 समुद्री पेट्रोलिंग ऑपरेशन
1,768 हवाई निगरानी उड़ानें
366 से ज्यादा अवैध नौकाएँ जब्त
200+ TED (Turtle Excluder Devices) के इस्तेमाल की निगरानी
इन आँकड़ों से स्पष्ट है कि ऑपरेशन सिर्फ दिखावा नहीं है, बल्कि धरातल पर परिणाम देने वाली कार्रवाई है।
ऑपरेशन कैसे चलता है?
1. तकनीक और निगरानी
तटरक्षक बल समुद्र में गश्त लगाने वाली फास्ट पेट्रोल वेसल्स (FPVs), एयरक्राफ्ट, और रडार निगरानी प्रणाली का इस्तेमाल करता है। इससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि कोई भी मछुआरा प्रतिबंधित क्षेत्र में मछली पकड़ने की कोशिश न करे।
2. सहयोग और तालमेल
ऑपरेशन में भारतीय वन विभाग, स्थानीय NGOs, और मछुआरा समुदाय की भागीदारी अत्यंत अहम होती है। सबका मिलकर काम करना ही इसका मूल मंत्र है।
स्थानीय समुदाय: एक मजबूत कड़ी
1. मछुआरों को दिया गया प्रशिक्षण
ऑपरेशन ओलिविया का एक मुख्य उद्देश्य मछुआरों को प्रशिक्षित करना भी है। उन्हें बताया जाता है कि किस समय, किन क्षेत्रों में मछली पकड़ने से बचना चाहिए। इसके साथ-साथ TEDs का उपयोग उन्हें सिखाया जाता है।
2. स्कूल और गाँवों में जागरूकता
तटरक्षक बल और वन विभाग के सहयोग से हर साल ओडिशा के तटीय गाँवों और स्कूलों में विशेष सत्र आयोजित किए जाते हैं—जहाँ बच्चों, युवाओं और ग्रामीणों को कछुओं के महत्व और उनकी रक्षा के तरीकों पर शिक्षित किया जाता है।
क्या है टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइस (TED)?
यह एक खास प्रकार का उपकरण होता है जो मछली पकड़ने के जाल में लगाया जाता है। जब कोई कछुआ गलती से जाल में फंसता है, तो यह डिवाइस उसे बाहर निकलने का रास्ता देता है—बिना मछलियों को छोड़े।
भारत सरकार ने इसे अनिवार्य किया है लेकिन अनुपालन की सख्त निगरानी ऑपरेशन ओलिविया के तहत होती है।
ऑपरेशन ओलिविया की चुनौतियाँ
1. अवैध मछली पकड़ने की गतिविधियाँ
अब भी कई मछुआरे बिना परमिट या TEDs के समुद्र में प्रवेश करते हैं, जिससे कछुओं को चोट लगने या मौत की संभावना बढ़ जाती है।
2. समुद्री प्रदूषण
प्लास्टिक, तेल और कचरे के कारण समुद्र का पारिस्थितिक तंत्र कमजोर हो रहा है, जिससे कछुओं के लिए खतरे बढ़ते जा रहे हैं।
3. जलवायु परिवर्तन
बढ़ता तापमान, समुद्र स्तर में वृद्धि और मौसम का अनिश्चित व्यवहार अंडों के परिपक्व होने की दर को प्रभावित करता है।
अंतरराष्ट्रीय महत्व और मान्यता
1. IUCN रेड लिस्ट में स्थान
ओलिव रिडले कछुए को IUCN द्वारा “Vulnerable” श्रेणी में रखा गया है, जिसका अर्थ है कि यह विलुप्ति की कगार पर है। भारत का Operation Olivia इस संकट को कम करने की दिशा में एक बड़ा योगदान दे रहा है।
2. संयुक्त राष्ट्र और WWF की सराहना
Operation Olivia को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर “सस्टेनेबल कंजरवेशन मॉडल” माना जा रहा है। WWF और UNEP जैसे संगठन इसे एक बेहतरीन समुद्री संरक्षण प्रयास मानते हैं।

भविष्य की राह: और भी सुधार की संभावनाएँ
1. अधिक तकनीकी हस्तक्षेप
Drones, satellite tracking और GPS-enabled buoys जैसे आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल ऑपरेशन को और भी प्रभावशाली बना सकता है।
2. सामुदायिक स्वामित्व बढ़ाना
यदि स्थानीय गाँवों को “टर्टल गार्डियन” के रूप में प्रशिक्षित कर उन्हें अधिकार दिए जाएं, तो वे खुद अपने समुद्री मित्रों की रक्षा करेंगे।
Operation Olivia और विज्ञान का संगम
1. जैव विविधता की रक्षा में भूमिका
ओलिव रिडले कछुए सिर्फ एक प्रजाति नहीं, बल्कि समुद्री जैव विविधता की एक सेंसर प्रजाति माने जाते हैं। इनके संरक्षण से:
समुद्री खाद्य श्रृंखला संतुलित रहती है
प्राकृतिक समुद्री घास और प्रवाल भित्तियों की रक्षा होती है
पर्यावरणीय असंतुलन की आशंका कम होती है
Operation Olivia इस पूरे तंत्र की रक्षा में एक कवच बनकर खड़ा है।
2. रिसर्च और डेटा संग्रहण
भारतीय तटरक्षक बल अपने अभियानों के दौरान हर वर्ष लाखों कछुओं के आगमन, घोंसले, अंडों की संख्या और उनके सफल हैचिंग डेटा को विज्ञानिक संस्थाओं के साथ साझा करता है। ये आंकड़े वैश्विक जलवायु परिवर्तन पर भी प्रकाश डालते हैं।
पर्यावरणीय शिक्षा और जन-जागरूकता
1. स्कूल कार्यक्रम और युवाओं की भागीदारी
Operation Olivia के साथ-साथ वन विभाग और NGOs द्वारा “Marine Conservation Clubs” की शुरुआत की गई है, जिनमें स्कूलों के विद्यार्थी समुद्र और जैवविविधता के बारे में सीखते हैं और स्वयंसेवक बनते हैं।
2. टर्टल फेस्टिवल्स और इको-टूरिज़्म
ओडिशा सरकार और स्थानीय पंचायतों द्वारा हर साल “टर्टल फेस्ट” आयोजित किया जाता है जहाँ पर्यटक कछुओं के अंडे देने की प्रक्रिया को देख सकते हैं।
यह इको-टूरिज़्म स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देता है।
कुछ असली जीवन की कहानियाँ: जब ऑपरेशन ने जीवन बचाया
1. मछुआरे बना कछुओं के रक्षक
बालासोर के एक स्थानीय मछुआरे रमेश बाउरी, जो पहले अवैध रूप से मछली पकड़ते थे, अब Operation Olivia से जुड़कर गाँव में “टर्टल संरक्षक” कहलाते हैं। वे TEDs के उपयोग को सिखाते हैं और समुद्री निगरानी में मदद करते हैं।
2. महिला स्वयंसेवी समूहों की भूमिका
गंजम जिले की महिलाओं ने मिलकर एक स्वयंसेवी समूह बनाया है जो हर रात तट पर गश्त करती हैं ताकि कोई शिकार या अतिक्रमण न हो। इन महिलाओं को ऑपरेशन ओलिविया ने प्रशिक्षण और पहचान दोनों दी।
भारत और विश्व में तुलना: क्या हम आगे हैं?
1. कोस्टल कंजरवेशन का रोल मॉडल
जहाँ कई देश सिर्फ NGO या सरकार के भरोसे समुद्री संरक्षण करते हैं, भारत में Coast Guard जैसी सुरक्षा एजेंसी का ऐसा संवेदनशील ऑपरेशन एक वर्ल्ड मॉडल बन चुका है।
2. अन्य देशों में क्या होता है?
कोस्टा रिका में समुद्री कछुओं की रक्षा सिर्फ सीज़नल है
ऑस्ट्रेलिया में संरक्षण तकनीकी तो है लेकिन सामुदायिक भागीदारी कम
भारत में Operation Olivia एक सामूहिक नैतिक जिम्मेदारी की तरह कार्य करता है
सरकारी नीतियाँ और कानूनी समर्थन
1. वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972
इस अधिनियम के तहत ओलिव रिडले कछुए Schedule I में आते हैं, जिससे इनका शिकार या अंडों का संग्रह पूरी तरह गैरकानूनी है।
2. पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986
इस कानून के तहत प्रतिबंधित तटीय क्षेत्रों में किसी भी तरह की गतिविधि पर सख्त नियंत्रण है, जिसे Coast Guard और वन विभाग मिलकर लागू करते हैं।
Operation Olivia: एक राष्ट्रीय चेतना की ओर
1. राष्ट्र निर्माण में जैव संरक्षण का योगदान
आज भारत सिर्फ सीमाओं पर ही नहीं, प्राकृतिक धरोहरों की रक्षा में भी आगे बढ़ रहा है। ऑपरेशन ओलिविया इसी सोच का उदाहरण है। यह बताता है कि:
एक संगठित सुरक्षा बल कैसे संवेदनशील पर्यावरणीय कार्य कर सकता है
एक मिशन कैसे सामूहिक चेतना में बदल सकता है
पर्यावरणीय मुद्दे सिर्फ NGO की नहीं, हर नागरिक की जिम्मेदारी हैं
2. ओलिव रिडले कछुए: भारत की समुद्री विरासत के प्रहरी
भारत की 7516.6 किमी लंबी तटीय रेखा की सुंदरता और जीवन शक्ति का एक अहम हिस्सा हैं ये कछुए। इनकी सालाना वापसी:
समुद्र और धरती के प्राकृतिक तालमेल की गवाही है
एक पारंपरिक-आध्यात्मिक आस्था भी है – ओडिशा में इन्हें “समुद्र की देवी के दूत” माना जाता है

भविष्य की चुनौतियाँ और समाधान
1. बढ़ती जलवायु चुनौती
समुद्र का तापमान बढ़ रहा है
चक्रवातों की संख्या और तीव्रता में वृद्धि हो रही है
तटीय क्षरण और अतिक्रमण से घोंसलों की संख्या प्रभावित हो रही है
समाधान:
और अधिक उन्नत सैटेलाइट आधारित निगरानी प्रणाली
समुद्री प्लास्टिक नियंत्रण के लिए सख्त कानून और जन सहयोग
पर्यावरणीय शिक्षा को स्कूली पाठ्यक्रमों में मजबूती से शामिल करना
2. सामुदायिक सहभागिता का और विस्तार
आज भी कई तटीय क्षेत्रों में कम जानकारी और संसाधनों की कमी है। इसके लिए ज़रूरी है:
प्रत्येक मछुआरे को TEDs (Turtle Excluder Devices) का प्रशिक्षण और अनुदान
महिलाओं और बच्चों को पर्यावरण रक्षक बनाने की मुहिम
स्थानीय पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का मेल
Operation Olivia – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
Q1. ऑपरेशन ओलिविया (Operation Olivia) क्या है?
उत्तर: Operation Olivia भारतीय तटरक्षक बल (Indian Coast Guard) द्वारा चलाया जाने वाला एक वार्षिक अभियान है, जिसका उद्देश्य ओडिशा के तटों पर आने वाले ओलिव रिडले समुद्री कछुओं (Olive Ridley Sea Turtles) की सुरक्षा करना है, खासकर जब वे अंडे देने के लिए समुद्र तट पर आते हैं।
Q2. यह ऑपरेशन कब शुरू हुआ था?
उत्तर: Operation Olivia की शुरुआत 1980 के दशक के अंत में हुई थी और यह अब हर साल दिसंबर से मई के बीच सक्रिय रहता है, जब कछुए अंडे देने आते हैं।
Q3. Operation Olivia किन तटों पर संचालित होता है?
उत्तर: मुख्य रूप से यह ऑपरेशन ओडिशा के तीन प्रमुख तटीय क्षेत्रों में होता है:
गाहिरमाथा (Gahirmatha)
रशिकुल्या (Rushikulya)
देवी नदी मुहाना (Devi River Mouth)
Q4. भारतीय तटरक्षक बल इस ऑपरेशन में क्या करता है?
उत्तर:
तटरक्षक बल:
गश्त करता है ताकि अवैध मछली पकड़ने वाली नौकाओं को रोका जा सके
रडार, एयरक्राफ्ट और जहाजों से निगरानी करता है
कछुओं की सुरक्षा के लिए मछुआरों को जागरूक करता है
टर्टल एग्ज़क्लूडर डिवाइसेज़ (TEDs) के उपयोग को सुनिश्चित करता है
Q5. ओलिव रिडले कछुए क्यों महत्वपूर्ण हैं?
उत्तर: ओलिव रिडले कछुए विश्व के सबसे छोटे और संवेदनशील समुद्री कछुओं में से एक हैं। ये हर साल हजारों की संख्या में ओडिशा तट पर अंडे देने आते हैं और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है।
Q6. यह ऑपरेशन कितने कछुओं की रक्षा करता है?
उत्तर: साल 2024 में जारी रिपोर्ट के अनुसार, 6.98 लाख (698,000) से अधिक ओलिव रिडले कछुए इस अभियान के तहत सुरक्षित रूप से अंडे देने में सफल रहे।
Q7. Operation Olivia में कौन-कौन सी तकनीकें उपयोग होती हैं?
उत्तर:
राडार आधारित तटीय निगरानी प्रणाली (Coastal Surveillance Radar Stations)
Dornier surveillance aircraft
Fast Patrol Vessels और Interceptor Boats
सैटेलाइट से मौसम और समुद्री हलचलों की जानकारी
Q8. क्या मछुआरे इस Operation Olivia का विरोध करते हैं?
उत्तर: नहीं, भारतीय तटरक्षक बल स्थानीय मछुआरा समुदायों के साथ सहयोग करता है, उन्हें जागरूक करता है और वैकल्पिक आजीविका की जानकारी देता है। अब कई मछुआरे स्वयं इस अभियान में भाग लेते हैं।
Q9. टर्टल एग्ज़क्लूडर डिवाइस (TED) क्या होता है?
उत्तर: TED एक विशेष प्रकार का जाल है जो मछलियों को पकड़ने की अनुमति देता है लेकिन कछुओं को सुरक्षित रूप से बाहर निकाल देता है, जिससे कछुओं की अनजाने में मौत रोकी जाती है।
Q10. क्या यह Operation Olivia अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है?
उत्तर: हाँ, संयुक्त राष्ट्र, IUCN (International Union for Conservation of Nature), और WWF जैसे वैश्विक पर्यावरण संगठनों ने इस Operation Olivia को बेहतर संरक्षण मॉडल के रूप में सराहा है।
Q11. आम नागरिक इसमें कैसे भाग ले सकते हैं?
उत्तर:
समुद्र तटों को स्वच्छ रखें
प्लास्टिक प्रदूषण को रोकें
सोशल मीडिया पर जागरूकता फैलाएं
कछुओं के प्रजनन काल में तटीय क्षेत्रों में सतर्कता बरतें
पर्यावरणीय शिक्षा को बढ़ावा दें
Q12. क्या यह Operation Olivia सिर्फ ओडिशा तक सीमित है?
उत्तर: मुख्य रूप से ओडिशा के तटों पर केंद्रित है, लेकिन अन्य तटीय राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में भी जागरूकता और निगरानी अभियान चलाए जाते हैं
निष्कर्ष: Operation Olivia – समुद्री जीवन की रक्षा में भारत का आदर्श प्रयास
Operation Olivia न सिर्फ एक संरक्षण अभियान है, बल्कि यह भारत की पर्यावरणीय चेतना और प्रतिबद्धता का प्रतीक बन चुका है।
यह अभियान दर्शाता है कि एक सैन्य संगठन, जैसे कि भारतीय तटरक्षक बल, न सिर्फ सीमाओं की रक्षा कर सकता है, बल्कि समुद्री जैव विविधता की भी रक्षा में अहम भूमिका निभा सकता है।
इस अभियान के अंतर्गत हर वर्ष लाखों ओलिव रिडले कछुओं को उनके प्राकृतिक प्रजनन स्थल तक सुरक्षित पहुंचने में मदद मिलती है, जिससे भारत की समुद्री पारिस्थितिकी को संरक्षित किया जा रहा है।
तकनीक, स्थानीय समुदायों का सहयोग और मजबूत निगरानी तंत्र इस ऑपरेशन की त्रिपक्षीय सफलता की कुंजी हैं।
आज जब पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन, समुद्री प्रदूषण और जैव विविधता के क्षरण जैसी चुनौतियों का सामना कर रही है, ऐसे में Operation Olivia एक प्रेरणादायक मॉडल के रूप में उभरा है — जो यह दर्शाता है कि सही नीति, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सामुदायिक सहभागिता से हम प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्यों को निभा सकते हैं।
यह सिर्फ कछुओं की सुरक्षा नहीं, बल्कि एक संवेदनशील, जागरूक और जिम्मेदार भारत की कहानी है।
यदि हर भारतीय इस अभियान की भावना को समझे और अपनाए, तो न केवल ओलिव रिडले कछुए, बल्कि समूचा प्रकृति तंत्र सुरक्षित रह सकता है — और यही है सतत विकास की सच्ची दिशा।
Related
Discover more from Aajvani
Subscribe to get the latest posts sent to your email.