PRASAD और SASCI योजना: क्या भारत का धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगा?
भारत अपनी समृद्ध धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। हजारों वर्षों से यह भूमि विविध परंपराओं, मंदिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों, चर्चों और अन्य आध्यात्मिक स्थलों का केंद्र रही है। भारतीय तीर्थयात्रा न केवल आध्यात्मिक तृप्ति का स्रोत रही है बल्कि यह देश के पर्यटन उद्योग और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करती है।
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Toggleइसी संदर्भ में, भारत सरकार ने धार्मिक पर्यटन को संरक्षित और विकसित करने के लिए “तीर्थयात्रा पुनरुद्धार और आध्यात्मिक, विरासत संवर्धन अभियान” (PRASAD – Pilgrimage Rejuvenation and Spiritual, Heritage Augmentation Drive)
और “विशेष सहायता योजना (SASCI – Special Assistance Scheme for Capital Investment)” जैसी योजनाओं को लागू किया है। इन योजनाओं का उद्देश्य तीर्थयात्रियों के अनुभव को समृद्ध करना, पर्यटन स्थलों की बुनियादी संरचना को मजबूत करना और धार्मिक स्थलों के सतत विकास को सुनिश्चित करना है।
PRASAD योजना: धार्मिक पर्यटन को पुनर्जीवित करने की पहल
PRASAD योजना क्या है?
भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने 2014-15 में PRASAD योजना की शुरुआत की थी। इस योजना का उद्देश्य भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों के विकास के लिए बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, तीर्थयात्रियों को सुविधाएं प्रदान करना और पर्यावरण-संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए स्थिरता सुनिश्चित करना है।
इस योजना के अंतर्गत, राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को चिन्हित तीर्थ स्थलों के विकास के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। यह सहायता विशेष रूप से बुनियादी ढांचे, स्वच्छता, सुरक्षा, यातायात प्रबंधन, कौशल विकास, और रोजगार सृजन को ध्यान में रखते हुए दी जाती है।
PRASAD योजना के मुख्य उद्देश्य
1. धार्मिक पर्यटन स्थलों का समावेशी विकास – यह योजना आधुनिक सुविधाओं के साथ धार्मिक स्थलों को एकीकृत रूप से विकसित करने पर केंद्रित है।
2. स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा – इस योजना के माध्यम से स्थानीय कारीगरों, दुकानदारों और सेवा प्रदाताओं को नए अवसर मिलते हैं।
3. सुरक्षा और स्वच्छता में सुधार – पर्यटन स्थलों पर आधुनिक स्वच्छता सुविधाएं, सुरक्षा उपकरण, सीसीटीवी निगरानी और अपशिष्ट प्रबंधन को लागू किया जाता है।
4. पर्यावरण-संवेदनशील विकास – तीर्थ स्थलों पर ग्रीन एनर्जी (सौर ऊर्जा पैनल, इलेक्ट्रिक वाहन, अपशिष्ट प्रबंधन) को प्रोत्साहित किया जाता है।
5. यात्री अनुभव को समृद्ध करना – सुविधाजनक पार्किंग, इलेक्ट्रॉनिक टिकटिंग, डिजिटल गाइड, प्रकाश और ध्वनि शो, और आधुनिक टूरिस्ट सूचना केंद्र विकसित किए जाते हैं।
PRASAD योजना के तहत स्वीकृत परियोजनाएँ
पर्यटन मंत्रालय ने अब तक 27 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 48 परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इन परियोजनाओं का उद्देश्य प्रमुख तीर्थ स्थलों को वैश्विक स्तर पर आकर्षक बनाना और वहां आने वाले यात्रियों को सुविधाजनक अनुभव प्रदान करना है।
महत्वपूर्ण स्थान जहाँ PRASAD योजना लागू की गई:
उत्तर प्रदेश – वाराणसी (काशी विश्वनाथ मंदिर)
मध्य प्रदेश – उज्जैन (महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग)
उत्तराखंड – केदारनाथ और बद्रीनाथ
ओडिशा – पुरी (जगन्नाथ मंदिर)
तमिलनाडु – रामेश्वरम
महाराष्ट्र – शिर्डी और नासिक (त्र्यंबकेश्वर)
राजस्थान – पुष्कर
केरल – सबरीमाला
तेलंगाना – वारंगल

PRASAD योजना के तहत किए गए महत्वपूर्ण कार्य
1. पर्यटन सुविधा केंद्रों की स्थापना – तीर्थ स्थलों पर सूचना केंद्र, प्रवेश द्वार, शौचालय परिसर, और विश्राम स्थल बनाए गए हैं।
2. ध्वनि और प्रकाश शो – मंदिरों और ऐतिहासिक स्थलों पर सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करने के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया है।
3. बहुमंजिला कार पार्किंग – प्रमुख तीर्थ स्थलों पर यातायात प्रबंधन को आसान बनाने के लिए समर्पित पार्किंग सुविधाएं विकसित की गई हैं।
4. घाटों और पैदल मार्गों का विकास – गंगा और अन्य पवित्र नदियों के तटों पर आधुनिक घाट, सुरक्षित सीढ़ियां, रंगीन लाइटिंग, और बैठने की सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।
5. सौर ऊर्जा और सीसीटीवी निगरानी – स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सौर ऊर्जा पैनल और सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।
SASCI योजना: प्रतिष्ठित पर्यटन स्थलों का विकास
SASCI योजना क्या है?
पर्यटन मंत्रालय ने विशेष सहायता योजना (SASCI) के तहत राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए एक विशेष दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इस योजना के तहत 3295.76 करोड़ रुपये की लागत से 23 राज्यों में 40 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।
इस योजना का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित पर्यटन स्थलों का विकास, उनकी ब्रांडिंग और विपणन करना है। यह पहल स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने, नवीन पर्यटन अवसरों को उत्पन्न करने और स्थायी पर्यटन को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
SASCI योजना के मुख्य उद्देश्य
1. विश्व स्तरीय पर्यटन केंद्रों का निर्माण – इस योजना के तहत कुछ विशेष पर्यटन स्थलों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त स्थलों के रूप में विकसित किया जाता है।
2. स्थानीय रोजगार के अवसर – इस योजना से स्थानीय गाइड, होटल व्यवसायी, परिवहन सेवाओं और हस्तशिल्प उद्योग को बढ़ावा मिलता है।
3. पर्यटन ब्रांडिंग और प्रचार-प्रसार – डिजिटल मीडिया, सोशल मीडिया और वैश्विक प्लेटफॉर्म पर भारतीय पर्यटन स्थलों का प्रचार किया जाता है।
4. हरित और सतत विकास – पर्यावरण अनुकूल पर्यटन परियोजनाओं को लागू किया जाता है।
SASCI योजना के तहत प्रमुख परियोजनाएँ
राजस्थान – जयपुर, जोधपुर और उदयपुर
उत्तर प्रदेश – अयोध्या और मथुरा
दिल्ली – लाल किला और कुतुब मीनार
महाराष्ट्र – अजंता और एलोरा गुफाएं
केरल – कोच्चि और मुन्नार
कर्नाटक – हम्पी और मैसूर
गोवा – तटीय पर्यटन स्थलों का विकास
भारत में पर्यटन विकास के प्रभाव और भविष्य की संभावनाएँ
पर्यटन के आर्थिक प्रभाव
भारत में पर्यटन उद्योग तेजी से बढ़ रहा है और यह देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है। धार्मिक पर्यटन का इससे विशेष संबंध है, क्योंकि भारत में हर साल लाखों तीर्थयात्री देश-विदेश से आते हैं। PRASAD और SASCI योजनाओं ने इस क्षेत्र में एक नई ऊर्जा भरी है, जिससे कई आर्थिक और सामाजिक लाभ प्राप्त हुए हैं:
1. स्थानीय अर्थव्यवस्था का सशक्तिकरण – पर्यटन स्थलों पर होटल, रेस्तरां, दुकानें, और परिवहन सेवाओं की मांग बढ़ी है, जिससे छोटे व्यापारियों और स्थानीय उद्यमियों को बड़ा फायदा हुआ है।
2. रोजगार के अवसर – पर्यटन स्थलों पर गाइड, फोटोग्राफर, शिल्पकार, और अन्य सेवाओं में रोजगार की संभावनाएं बढ़ी हैं।
3. राजस्व में वृद्धि – तीर्थयात्रियों और पर्यटकों से जुड़ी सेवाओं से सरकार को राजस्व प्राप्त होता है, जिससे बुनियादी ढांचे और अन्य विकास कार्यों में निवेश किया जाता है।
4. हस्तशिल्प और लोककला को बढ़ावा – तीर्थ और सांस्कृतिक स्थलों के आसपास हस्तशिल्प, पारंपरिक परिधान और स्मृति चिह्नों की बिक्री में वृद्धि हुई है, जिससे स्थानीय कलाकारों और कारीगरों को लाभ मिला है।
सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पुनरुत्थान
भारत के धार्मिक स्थल न केवल आस्था के केंद्र हैं, बल्कि वे संस्कृति, इतिहास और धरोहर के भी प्रतीक हैं। इन योजनाओं के माध्यम से:
1. प्राचीन धरोहर का संरक्षण – ऐतिहासिक मंदिरों, गुरुद्वारों, चर्चों और मस्जिदों की मरम्मत और जीर्णोद्धार किया गया है।
2. आध्यात्मिक पर्यटन का प्रचार – भारत सरकार ने योग, ध्यान और आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचार-प्रसार किया है।
3. धार्मिक सहिष्णुता और सौहार्द को बढ़ावा – पर्यटन स्थलों पर बहुधार्मिक समावेशन को बढ़ावा दिया गया है, जिससे सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बल मिला है।
पर्यावरण-संवेदनशील पर्यटन का विकास
धार्मिक स्थलों पर भीड़-भाड़ और अनियंत्रित पर्यटन से पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, PRASAD और SASCI योजनाओं के अंतर्गत सतत (Sustainable) और हरित (Green) विकास को प्राथमिकता दी गई है:
1. सौर ऊर्जा और हरित तकनीक का उपयोग – पर्यटन स्थलों पर सौर ऊर्जा संयंत्र, इलेक्ट्रिक बसें, और रिन्यूएबल एनर्जी स्रोतों का उपयोग बढ़ाया गया है।
2. ठोस अपशिष्ट प्रबंधन – धार्मिक स्थलों पर कचरा प्रबंधन प्रणाली, रीसाइक्लिंग केंद्र, और प्लास्टिक-मुक्त क्षेत्र बनाए गए हैं।
3. पानी और स्वच्छता का सुधार – तीर्थ स्थलों के पास शुद्ध पेयजल व्यवस्था, शौचालय परिसर, और स्वच्छता अभियानों को प्राथमिकता दी गई है।
PRASAD और SASCI योजनाओं की चुनौतियाँ
हालांकि ये योजनाएँ तीर्थ और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने में प्रभावी रही हैं, लेकिन कुछ चुनौतियाँ अब भी बनी हुई हैं:
1. संरक्षण बनाम आधुनिकीकरण – कई बार प्राचीन मंदिरों और ऐतिहासिक स्थलों के नवीनीकरण के दौरान उनकी प्राचीनता प्रभावित होती है।
2. प्राकृतिक आपदाओं का प्रभाव – कई तीर्थ स्थल हिमालयी क्षेत्र और समुद्र तटों के पास स्थित हैं, जहाँ बाढ़, भूकंप और चक्रवात जैसी आपदाओं का खतरा रहता है।
3. भीड़ प्रबंधन – प्रमुख धार्मिक स्थलों पर तीर्थयात्रियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जिससे यातायात, सफाई और सुरक्षा से जुड़ी समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं।
4. स्थानीय समुदाय की भागीदारी – कई बार स्थानीय लोग पर्यटन परियोजनाओं में प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं हो पाते, जिससे वे इन योजनाओं से पूरी तरह लाभान्वित नहीं हो पाते।
भविष्य की रणनीतियाँ और सुधार के सुझाव
पर्यटन मंत्रालय अब इन योजनाओं को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए नई रणनीतियाँ लागू कर रहा है। इनमें शामिल हैं:
1. डिजिटल और स्मार्ट पर्यटन – पर्यटन स्थलों पर वर्चुअल टूर, ऑडियो गाइड, डिजिटल टिकटिंग और ऑनलाइन बुकिंग की सुविधाएँ दी जा रही हैं।
2. अंतरराष्ट्रीय प्रचार-प्रसार – “अतुल्य भारत” और “देखो अपना देश” जैसे अभियानों के माध्यम से वैश्विक स्तर पर भारतीय तीर्थ स्थलों का प्रचार किया जा रहा है।
3. स्थानीय लोगों की सहभागिता – योजनाओं में स्थानीय कारीगरों, व्यापारियों और टूर गाइडों को प्राथमिकता दी जा रही है, जिससे वे सीधे लाभान्वित हो सकें।
4. इको-टूरिज्म और सस्टेनेबल टूरिज्म – प्लास्टिक मुक्त जोन, ग्रीन ट्रांसपोर्ट, और संरक्षित वन्यजीव पर्यटन को बढ़ावा दिया जा रहा है।
5. सुरक्षा उपायों में सुधार – धार्मिक स्थलों पर सीसीटीवी निगरानी, आपातकालीन सेवाएँ, चिकित्सा सुविधाएँ और महिला सुरक्षा उपायों को और मजबूत किया जा रहा है।

PRASAD और SASCI योजनाओं से जुड़े टॉप 10 सर्च किए जाने वाले प्रश्न और उनके विस्तृत उत्तर
भारत सरकार की PRASAD (तीर्थयात्रा पुनरुद्धार और आध्यात्मिक, विरासत संवर्धन अभियान) और SASCI (विशेष सहायता – प्रतिष्ठित पर्यटन केंद्रों का विकास) योजनाएँ देश में धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए चलाई जा रही हैं। लोग इन योजनाओं से जुड़े कई महत्वपूर्ण प्रश्न सोशल मीडिया पर सर्च करते हैं।
1. PRASAD योजना क्या है और इसका उद्देश्य क्या है?
PRASAD योजना (Pilgrimage Rejuvenation And Spiritual Augmentation Drive) भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा वर्ष 2014-15 में शुरू की गई थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों का पुनरुद्धार करना, वहां पर आधुनिक सुविधाओं का विकास करना और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना है।
इस योजना के अंतर्गत धार्मिक स्थलों पर आधारभूत संरचना का विकास किया जाता है, जिससे तीर्थयात्रियों को बेहतर सुविधाएँ मिल सकें। इसके अलावा, इस योजना का एक अन्य महत्वपूर्ण उद्देश्य स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना और वहां के लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करना है।
2. SASCI योजना क्या है और यह PRASAD से कैसे अलग है?
SASCI (Special Assistance for State Capital Investment) योजना भारत के प्रतिष्ठित पर्यटन स्थलों के वैश्विक स्तर पर विकास के लिए चलाई जा रही है। इसका मुख्य उद्देश्य पर्यटन स्थलों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग करना है, जिससे वे विश्व स्तर पर आकर्षण का केंद्र बन सकें।
PRASAD योजना मुख्य रूप से तीर्थ स्थलों के पुनरुद्धार पर केंद्रित है, जबकि SASCI योजना का ध्यान उन पर्यटन स्थलों के विकास पर है जो वैश्विक पहचान बना सकते हैं। PRASAD आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देती है, जबकि SASCI का फोकस बड़े पर्यटन स्थलों को वैश्विक पर्यटन केंद्र बनाने पर होता है।
3. PRASAD योजना के तहत कौन-कौन से शहर कवर किए गए हैं?
PRASAD योजना के तहत भारत सरकार ने 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 48 परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इस योजना के तहत कुछ प्रमुख तीर्थ स्थलों का विकास किया जा रहा है।
इनमें उत्तर प्रदेश में वाराणसी, मथुरा और अयोध्या, महाराष्ट्र में अजंता-एलोरा और शिर्डी, उत्तराखंड में केदारनाथ और बद्रीनाथ, मध्य प्रदेश में उज्जैन और अमरकंटक, राजस्थान में पुष्कर और अजमेर, गुजरात में द्वारका और सोमनाथ, बिहार में बोधगया और पटना साहिब, तमिलनाडु में रामेश्वरम और कन्याकुमारी, पश्चिम बंगाल में कालीघाट और तारापीठ तथा कर्नाटक में श्रीरंगपट्टनम और हम्पी शामिल हैं।
4. PRASAD योजना का क्रियान्वयन कौन करता है?
PRASAD योजना को पर्यटन मंत्रालय द्वारा लागू किया जाता है। इस योजना के क्रियान्वयन में राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
इन सरकारों के साथ मिलकर पर्यटन मंत्रालय तीर्थ स्थलों की पहचान करता है और वहां पर आधारभूत संरचना के विकास के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
इसके अतिरिक्त, इस योजना के तहत परियोजनाओं को पूरा करने के लिए विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों की भी भागीदारी होती है। योजना का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए सरकार समय-समय पर मॉनिटरिंग और मूल्यांकन करती है।
5. PRASAD योजना के तहत कौन-कौन से प्रमुख कार्य किए जाते हैं?
PRASAD योजना के अंतर्गत तीर्थ स्थलों को आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाता है। इस योजना के तहत किए जाने वाले प्रमुख कार्यों में पर्यटक सुविधा केंद्रों का निर्माण, ध्वनि और प्रकाश शो का आयोजन, बहुमंजिला कार पार्किंग का निर्माण, समर्पित पार्किंग क्षेत्र का विकास, घाटों का पुनरुद्धार, स्वच्छता व्यवस्था, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली, सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना और सीसीटीवी कैमरों की तैनाती शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त, इस योजना के तहत स्थानीय लोगों के कौशल विकास पर भी ध्यान दिया जाता है, जिससे वे पर्यटन उद्योग से जुड़कर अपनी आजीविका कमा सकें।
6. SASCI योजना के तहत कितनी परियोजनाएँ स्वीकृत की गई हैं?
SASCI योजना के तहत भारत सरकार ने 23 राज्यों में 3295.76 करोड़ रुपये की लागत से 40 परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इन परियोजनाओं का उद्देश्य प्रतिष्ठित पर्यटन स्थलों का विकास करना और उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना है।
इस योजना के तहत राज्यों को वित्तीय सहायता दी जाती है ताकि वे अपने क्षेत्र के प्रमुख पर्यटन स्थलों को बेहतर बना सकें और वहां पर विश्व स्तरीय सुविधाएँ विकसित कर सकें।
7. PRASAD और SASCI योजनाओं का भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा है?
PRASAD और SASCI योजनाओं का भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इन योजनाओं के तहत विभिन्न परियोजनाओं के कारण स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़े हैं।
साथ ही, पर्यटन स्थलों पर आधारभूत सुविधाओं के विकास से अधिक संख्या में पर्यटक आकर्षित हो रहे हैं, जिससे राज्यों की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है।
इसके अलावा, इन योजनाओं ने स्थानीय हस्तशिल्प और कारीगरी को भी बढ़ावा दिया है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन स्थलों की ब्रांडिंग और प्रचार-प्रसार से भारत में पर्यटन उद्योग का विस्तार हो रहा है, जिससे विदेशी मुद्रा आय में वृद्धि हो रही है।
8. PRASAD योजना में पर्यावरण संरक्षण को कैसे सुनिश्चित किया गया है?
PRASAD योजना के तहत पर्यावरण संरक्षण को विशेष प्राथमिकता दी गई है। इस योजना के अंतर्गत तीर्थ स्थलों पर स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन की उचित व्यवस्था की जाती है।
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली, जैविक अपशिष्ट पुनर्चक्रण, प्लास्टिक प्रतिबंध, सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना और जल संरक्षण तकनीकों को अपनाया जाता है।
इसके अलावा, इस योजना के तहत ग्रीन टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक परिवहन को प्राथमिकता दी जाती है और प्रदूषण नियंत्रण उपायों को अपनाया जाता है।
9. PRASAD योजना से किन समुदायों को सबसे अधिक लाभ हुआ है?
PRASAD योजना से सबसे अधिक लाभ स्थानीय समुदायों को हुआ है। इस योजना के अंतर्गत स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर मिले हैं, क्योंकि तीर्थ स्थलों पर सुविधाएँ बढ़ने के कारण पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हुई है।
इसके अलावा, छोटे दुकानदारों, होटल व्यवसायियों, गाइडों, टैक्सी चालकों और स्थानीय हस्तशिल्प कलाकारों को भी इस योजना से लाभ मिला है। सरकार द्वारा स्थानीय युवाओं को पर्यटन उद्योग से जोड़ने के लिए कौशल विकास कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं।
10. PRASAD और SASCI योजनाओं का भविष्य क्या है?
PRASAD और SASCI योजनाएँ भारत के पर्यटन उद्योग को एक नई ऊँचाई पर ले जाने के लिए बनाई गई हैं। सरकार इन योजनाओं को और अधिक व्यापक बनाने की योजना बना रही है। भविष्य में इन योजनाओं के तहत और अधिक तीर्थ स्थलों और प्रतिष्ठित पर्यटन स्थलों को शामिल किए जाने की संभावना है।
इसके अलावा, सरकार डिजिटल तकनीकों और स्मार्ट टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए भी काम कर रही है, जिससे पर्यटकों को बेहतर अनुभव मिल सके। PRASAD और SASCI योजनाएँ न केवल भारत के पर्यटन क्षेत्र को विकसित करेंगी बल्कि देश की आर्थिक वृद्धि में भी महत्वपूर्ण योगदान देंगी।
निष्कर्ष: भारत के पर्यटन का स्वर्णिम भविष्य
PRASAD और SASCI जैसी योजनाएँ भारत के धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पर्यटन को वैश्विक पहचान दिलाने में सफल रही हैं। इनसे न केवल पर्यटन स्थलों का विकास हुआ है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था, रोजगार और सांस्कृतिक धरोहर को भी मजबूती मिली है।
भविष्य में, भारत सरकार इन योजनाओं को और विस्तार देने की योजना बना रही है, ताकि अधिक से अधिक धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों को वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर स्थापित किया जा सके।
“धरोहर का संरक्षण, पर्यटन का संवर्धन और आत्मनिर्भर भारत का निर्माण – यही भारत सरकार की पर्यटन नीति की असली पहचान है!”
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