Rio de Janeiro Declaration: भारत को BRICS 2026 की अध्यक्षता – रणनीति, महत्व और भविष्य!
प्रस्तावना (Introduction)
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ToggleBRICS — यह केवल पाँच देशों का समूह नहीं, बल्कि एक उभरती हुई वैश्विक ताकत है। ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका से मिलकर बना यह संगठन विश्व की जनसंख्या और अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा नियंत्रित करता है। इन देशों की साझेदारी वैश्विक बहुपक्षीयता, आर्थिक समानता और दक्षिणी गोलार्ध (Global South) के देशों की आवाज़ को मज़बूती प्रदान करती है।
हर वर्ष होने वाला BRICS शिखर सम्मेलन सिर्फ एक औपचारिक बैठक नहीं होती, बल्कि एक रणनीतिक मंच होता है जहाँ विश्व की सबसे बड़ी उभरती अर्थव्यवस्थाएं विकास, शांति, सुरक्षा, और पारस्परिक सहयोग पर चर्चा करती हैं। इन सम्मेलनों में जो घोषणाएँ होती हैं, वे वैश्विक नीति निर्माण में निर्णायक भूमिका निभाती हैं।

2025 में हुए 17वें BRICS शिखर सम्मेलन में एक ऐतिहासिक घोषणा हुई – Rio de Janeiro Declaration के तहत भारत को 2026 की BRICS अध्यक्षता सौंपी गई, और यह स्पष्ट किया गया कि सदस्य राष्ट्र भारत को पूर्ण समर्थन देंगे।
“Rio de Janeiro Declaration” न केवल भारत के लिए एक कूटनीतिक विजय थी, बल्कि यह इस बात का संकेत भी था कि वैश्विक शक्ति संतुलन अब पश्चिम से हटकर एशिया और अफ्रीका की ओर मुड़ रहा है।
BRICS 17वाँ शिखर सम्मेलन: एक ऐतिहासिक पड़ाव
आयोजन स्थल और समय
17वां BRICS शिखर सम्मेलन ब्राज़ील के ऐतिहासिक शहर रियो डी जनेरियो में आयोजित हुआ। यह शहर पहले भी कई वैश्विक सम्मेलनों का केंद्र रहा है, और इस बार भी इसने एक ऐतिहासिक निर्णय की घोषणा का गवाह बना।
सम्मेलन की तिथि थी: 23-25 जून 2025। इस आयोजन में भाग लेने के लिए सभी पाँचों सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष उपस्थित हुए।
सम्मिलित प्रतिनिधि
ब्राज़ील – राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा (मेज़बान)
भारत – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
रूस – राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन
चीन – राष्ट्रपति शी जिनपिंग
दक्षिण अफ्रीका – राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा
इन नेताओं ने वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की, जिनमें आर्थिक असमानता, जलवायु परिवर्तन, संयुक्त राष्ट्र में सुधार और व्यापारिक सहयोग मुख्य विषय थे।
एजेंडा की प्रमुख बिंदु
17वें BRICS शिखर सम्मेलन के एजेंडा में निम्नलिखित बिंदुओं पर ज़ोर दिया गया:
बहुपक्षीय वैश्विक व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण
BRICS बैंक की नई रणनीति
डिजिटल करेंसी का प्रयोग
BRICS+ (अन्य देशों की सदस्यता पर विचार)
आतंकवाद और साइबर सुरक्षा
स्वास्थ्य सेवाओं और वैक्सीन सहयोग
परंतु सबसे अधिक ध्यान खींचने वाली बात थी — Rio de Janeiro Declaration — जिसके तहत भारत को 2026 में BRICS अध्यक्षता देने और शिखर सम्मेलन की मेज़बानी का समर्थन किया गया।
इस घोषणा ने भारत की वैश्विक नेतृत्व क्षमता को रेखांकित किया और यह संदेश दिया कि भारत न केवल क्षेत्रीय शक्ति है, बल्कि वह वैश्विक मंच पर एक भरोसेमंद नेतृत्वकर्ता बनकर उभरा है।
Rio de Janeiro Declaration क्या है?
Rio de Janeiro Declaration केवल एक औपचारिक दस्तावेज़ नहीं है, बल्कि यह BRICS के विज़न, मिशन और भविष्य के वैश्विक दृष्टिकोण का प्रतीक है। इस घोषणा-पत्र में BRICS सदस्य देशों ने बहुपक्षीयता, समानता, वैश्विक दक्षिण (Global South) की भूमिका, और नए वैश्विक आर्थिक आदेश की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।
मुख्य विशेषताएँ:
1. बहुपक्षीय व्यवस्था का समर्थन
घोषणा में कहा गया कि वैश्विक शासन व्यवस्था में सभी देशों को समान अधिकार मिलने चाहिए। पश्चिमी वर्चस्व वाली प्रणाली अब निष्प्रभावी होती जा रही है।
2. संयुक्त राष्ट्र में सुधार की माँग
“Rio de Janeiro Declaration” में स्पष्ट रूप से कहा गया कि UNSC जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में सुधार आवश्यक हैं और भारत जैसे देशों को स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए।
3. BRICS विस्तार
यह पहली बार था जब BRICS+ की बात गंभीरता से सामने आई। नए सदस्य जैसे ईरान, सऊदी अरब, मिस्र और अर्जेंटीना की चर्चा हुई।
4. डिजिटल सहयोग
सदस्य देशों ने डिजिटल करेंसी, साइबर सुरक्षा और डिजिटल संप्रभुता के क्षेत्र में आपसी सहयोग को बढ़ावा देने का निर्णय लिया।
5. भारत को 2026 की BRICS अध्यक्षता देने का समर्थन
Rio de Janeiro Declaration में स्पष्ट रूप से कहा गया:
“We fully support India’s BRICS Chairmanship in 2026 and the hosting of the 18th BRICS Summit in India.”
यह BRICS के अंदर भारत के बढ़ते हुए सम्मान और नेतृत्व की स्वीकार्यता को दर्शाता है।
इस घोषणा में “Rio de Janeiro Declaration” शब्द का उपयोग गहन राजनयिक संदर्भ में हुआ, जिससे भारत की अंतरराष्ट्रीय स्थिति और मजबूत हुई।
भारत को 2026 की BRICS अध्यक्षता क्यों सौंपी गई?
भारत की ऐतिहासिक भूमिका
BRICS के गठन से लेकर अब तक भारत एक ज़िम्मेदार और सक्रिय सदस्य रहा है। 2016 और 2021 में सफल BRICS शिखर सम्मेलनों की मेज़बानी भारत कर चुका है। भारत ने हमेशा संगठन के मूल सिद्धांतों — समावेशिता, पारदर्शिता, और विकास — को आगे बढ़ाया है।
आर्थिक और रणनीतिक योगदान
विश्व की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
IT और फार्मा सेक्टर में वैश्विक अग्रणी
Digital Public Infrastructure (UPI, CoWin, Aadhaar) का निर्यात
BRICS देशों के बीच भारत का व्यापार भी लगातार बढ़ रहा है, जिससे इसकी नेतृत्व क्षमता पर विश्वास और मजबूत हुआ है।
Global South का प्रतिनिधि
भारत को Global South का प्राकृतिक नेता माना जाता है। उसने अफ्रीका, दक्षिण एशिया और लैटिन अमेरिका के कई देशों की समस्याओं को वैश्विक मंचों पर उठाया है। यही वजह है कि “Rio de Janeiro Declaration” में भारत को 2026 अध्यक्षता देने का सर्वसम्मति से समर्थन मिला।
राजनयिक समझदारी और संतुलन
भारत ने रूस और पश्चिम के बीच संतुलन बनाए रखा, चीन के साथ विवादों के बावजूद BRICS मंच पर रचनात्मक योगदान जारी रखा और दक्षिण अफ्रीका के साथ अपनी ऐतिहासिक साझेदारी को मज़बूत किया।
“Rio de Janeiro Declaration” इस संतुलनकारी भूमिका का वैश्विक स्वीकार था।
Rio de Janeiro Declaration में भारत के लिए समर्थन की भाषा
Rio de Janeiro Declaration की भाषा सिर्फ औपचारिक नहीं, बल्कि रणनीतिक और कूटनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है। यह घोषणा भारत के प्रति BRICS राष्ट्रों के भरोसे, सम्मान और वैश्विक नेतृत्व की स्वीकृति को दर्शाती है।
घोषणापत्र का मूल कथन:
“We fully support India’s BRICS Chairmanship in 2026 and the hosting of the 18th BRICS Summit in India.”
यहां “fully support” शब्द भारत की BRICS में भूमिका को पूरी तरह से वैध और मजबूत बनाता है। यह सिर्फ समर्थन नहीं, बल्कि भारत को नेतृत्व सौंपने की सर्वसम्मति से स्वीकृति है।
राजनयिक दृष्टिकोण से महत्व:
1. विश्वास की मुहर: सदस्य देशों द्वारा भारत को विश्वसनीय नेता के रूप में स्वीकार किया गया।
2. स्थिरता का प्रतीक: यह भरोसा दिखाता है कि भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर स्थिर और संतुलित नेतृत्व प्रदान कर सकता है।
3. रणनीतिक संकेत: यह घोषणा चीन और रूस जैसे देशों के भारत पर भरोसे को भी दर्शाती है, जो अक्सर वैश्विक मंचों पर अलग-अलग ध्रुवों पर खड़े रहते हैं।
भाषा का मनोवैज्ञानिक प्रभाव:
“Rio de Janeiro Declaration” में भारत को दी गई अध्यक्षता की घोषणा ने देश के भीतर आत्मविश्वास और वैश्विक मंच पर छवि दोनों को मज़बूत किया।
भारत की संभावित भूमिका 2026 अध्यक्षता में
2026 में भारत की BRICS अध्यक्षता से दुनिया बहुत कुछ उम्मीद कर रही है। भारत की डिजिटल, कूटनीतिक और आर्थिक ताकत उसे अन्य सदस्य देशों से अलग करती है।
भारत की संभावित प्राथमिकताएँ:
1. Digital Public Infrastructure का निर्यात
भारत UPI, CoWIN, DigiLocker जैसे मॉडलों को BRICS देशों में लागू करने की योजना बना सकता है। इससे डिजिटल समावेशन को बल मिलेगा।
2. Global South को सशक्त करना
भारत दक्षिणी गोलार्ध के देशों की आवाज़ को BRICS मंच पर और बुलंद करेगा। इसमें अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देशों को शामिल करना भी शामिल हो सकता है।
3. BRICS बैंक (NDB) का सशक्तिकरण
नई विकास बैंक के तहत ऋण प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और प्राथमिकता तय करना एक अहम एजेंडा हो सकता है।
4. सुरक्षा और आतंकवाद-विरोधी सहयोग
भारत आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देगा, खासकर साइबर आतंकवाद और वित्तीय अपराधों के खिलाफ।
5. जलवायु परिवर्तन और सतत विकास
भारत स्वच्छ ऊर्जा, हरित प्रौद्योगिकी और जलवायु न्याय पर आधारित योजना पेश कर सकता है, जो ब्रिक्स के विजन को आगे ले जाएगी।
भारत का संभावित संदेश:
भारत 2026 में “Rio de Janeiro Declaration” की भावना को और गहराई देगा। वह शांति, विकास, और सहयोग पर आधारित बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था के लिए कार्य करेगा।
Rio de Janeiro Declaration की यह अध्यक्षता भारत के लिए सिर्फ एक अवसर नहीं बल्कि एक वैश्विक उत्तरदायित्व होगा — जो उसे भविष्य की नीति-निर्माण की धुरी बना देगा।

Rio de Janeiro Declaration और भारत की विदेश नीति
Rio de Janeiro Declaration सिर्फ एक BRICS दस्तावेज़ नहीं है, बल्कि यह भारत की विदेश नीति की दिशा और प्रभाव को परिभाषित करता है। इस घोषणा के जरिए भारत की अंतरराष्ट्रीय स्थिति, संतुलनकारी भूमिका और बहुपक्षीय नेतृत्व क्षमता का स्पष्ट प्रमाण मिला।
भारत की विदेश नीति के प्रमुख स्तंभ:
1. बहुध्रुवीयता (Multipolarity):
भारत लंबे समय से एक ऐसे विश्व की वकालत कर रहा है जहां सत्ता एक देश या ब्लॉक में केंद्रित न हो। Rio de Janeiro Declaration ने इस विचार को और मज़बूती दी।
2. रणनीतिक स्वायत्तता (Strategic Autonomy):
भारत किसी सैन्य गठबंधन (जैसे NATO) का हिस्सा नहीं है। BRICS के माध्यम से भारत ने यह दिखाया कि वह पश्चिम और रूस-चीन दोनों के साथ सामंजस्य रखते हुए स्वतंत्र नीतियों का पालन करता है।
3. Global South की वकालत:
भारत ने हमेशा विकासशील देशों की समस्याओं को वैश्विक मंचों पर उठाया है। BRICS और Rio de Janeiro Declaration इसके लिए एक सशक्त मंच बने।
4. संयुक्त राष्ट्र में सुधार की पहल:
Rio de Janeiro Declaration में संयुक्त राष्ट्र की संरचना में बदलाव और भारत को स्थायी सदस्यता दिए जाने के विचार को समर्थन मिला, जो भारत की लंबे समय से मांग रही है।
BRICS के माध्यम से भारत की संतुलनकारी कूटनीति:
रूस से रक्षा साझेदारी
अमेरिका के साथ क्वाड भागीदारी
चीन से रणनीतिक प्रतिस्पर्धा
अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में सहयोग विस्तार
इन सभी पहलुओं को संतुलित रखते हुए, “Rio de Janeiro Declaration” भारत की विदेश नीति को न केवल पुष्टि करता है बल्कि उसे वैश्विक स्वीकृति भी दिलाता है।
BRICS की चुनौतियाँ और भारत की रणनीति
BRICS भले ही उभरती शक्तियों का समूह हो, लेकिन यह भी कई आंतरिक और बाहरी चुनौतियों से जूझ रहा है। भारत को 2026 में इन समस्याओं से निपटने की ज़िम्मेदारी निभानी होगी।
प्रमुख चुनौतियाँ:
1. चीन और भारत के बीच तनाव
डोकलाम और गलवान जैसी घटनाओं के कारण दोनों देशों के रिश्तों में तनाव है। BRICS मंच पर इस असहजता को संतुलित बनाना एक चुनौती होगी।
2. BRICS के विस्तार पर मतभेद
कुछ देश जैसे ब्राज़ील और भारत BRICS विस्तार को लेकर सतर्क हैं, जबकि चीन चाहता है इसे शीघ्र बढ़ाया जाए।
3. NDB की वित्तीय कार्यप्रणाली
BRICS बैंक की ऋण प्रक्रियाएं अभी भी पारदर्शी नहीं हैं और भारत इसके सुधार की मांग कर सकता है।
4. तकनीकी असमानता
भारत और चीन के बीच तकनीकी विकास में फासला है, जबकि ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका अभी भी डिजिटल अंतर से जूझ रहे हैं।
भारत की रणनीति:
1. Inclusive Leadership
भारत 2026 में ऐसा एजेंडा रख सकता है जो सभी सदस्य देशों की प्राथमिकताओं को संतुलित करे।
2. विकासशील देशों के लिए आवाज
BRICS को UN, WTO और IMF जैसे वैश्विक मंचों पर एकजुट रखकर भारत विकासशील देशों की आवाज बन सकता है।
3. डिजिटल डिप्लोमेसी
भारत अपने UPI मॉडल और Digital Public Infrastructure को साझा कर BRICS को तकनीकी समावेशन की दिशा में ले जा सकता है।
4. वैश्विक संवाद की पहल
भारत “BRICS-Peace Dialogue” जैसे मंच प्रस्तावित कर सकता है ताकि अफ्रीका, मध्य-पूर्व और एशिया में शांति को बढ़ावा मिल सके।
इस प्रकार, “Rio de Janeiro Declaration” भारत के लिए केवल अध्यक्षता का आमंत्रण नहीं, बल्कि वैश्विक नेतृत्व का सुनहरा अवसर है।
“Rio de Janeiro Declaration” का वैश्विक असर
Rio de Janeiro Declaration न केवल BRICS के भीतर भारत की स्थिति को मजबूत करता है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी एक स्पष्ट संकेत है — कि विश्व नेतृत्व की धारा अब बहुध्रुवीयता की ओर बढ़ रही है।
संयुक्त राष्ट्र में प्रभाव:
घोषणा में UNSC में सुधार की जो बात की गई, उसने भारत की मांग को और प्रासंगिक बना दिया। अब संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी सदस्यता के पक्ष में माहौल और भी प्रबल हुआ है।
यह पहली बार है जब BRICS जैसे प्रभावशाली मंच ने एक स्वर में UNSC सुधार और भारत की भूमिका की वकालत की।
निष्कर्ष: Rio de Janeiro Declaration और भारत का वैश्विक नेतृत्व
Rio de Janeiro Declaration भारत के लिए सिर्फ कूटनीतिक विजय नहीं, बल्कि यह एक नई जिम्मेदारी का प्रतीक है। BRICS जैसे प्रभावशाली मंच पर भारत की अध्यक्षता यह दर्शाती है कि अब दुनिया एक नए नेतृत्व मॉडल की तलाश में है — जो सामूहिक विकास, शांति और साझेदारी को प्राथमिकता देता हो।
प्रमुख निष्कर्ष:
भारत को BRICS 2026 अध्यक्षता मिलना वैश्विक भरोसे की पुष्टि है।
Rio de Janeiro Declaration ने भारत की विदेश नीति और नेतृत्व को वैश्विक समर्थन दिलाया।
यह अवसर भारत को Global South के लिए आवाज़ और समाधान प्रदाता बनाने में सहायक होगा।
आगे की राह:
भारत के पास अब अवसर है कि वह 2026 में BRICS को नई दिशा दे — एक ऐसी दिशा जो केवल आर्थिक या राजनीतिक न होकर, आदर्श नेतृत्व, तकनीकी समावेशन और वैश्विक न्याय पर केंद्रित हो।
Rio de Janeiro Declaration में भारत का नाम सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि यह भविष्य की विश्व नीति का केंद्र बिंदु बनने की शुरुआत है।
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