Somvati Amavasya 2025: पितृ दोष मुक्ति और अक्षय पुण्य पाने का दुर्लभ योग
परिचय
भारतीय संस्कृति और धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है। अमावस्या, जिसका अर्थ होता है “चंद्रमा का अदृश्य होना”, वह दिन होता है जब चंद्रमा पूर्णतः अंधकार में छिपा होता है। इसके अनेक धार्मिक, आध्यात्मिक, और पौराणिक महत्व हैं।
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Toggleइनमें से Somvati Amavasya एक अत्यंत महत्वपूर्ण और शुभ दिन माना जाता है। यह अमावस्या विशेष रूप से सोमवार को आती है, इसलिए इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। इस दिन व्रत, पूजा, और धार्मिक क्रियाएं विशेष फलदायी मानी जाती हैं।
यहाँ हम हम Somvati Amavasya के धार्मिक, आध्यात्मिक, और सामाजिक महत्व के साथ-साथ इसके व्रत, पूजन विधि, मिथक, और समकालीन प्रचलन की पूरी जानकारी विस्तारपूर्वक प्रस्तुत करेंगे।
Somvati Amavasya क्या है?
Somvati Amavasya का अर्थ है वह अमावस्या जो सोमवार को पड़ती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अमावस्या चंद्रमा की नव निर्वाण अवस्था होती है, जब चंद्रमा दिखायी नहीं देता।
सामान्य अमावस्या की तुलना में सोमवती अमावस्या को अधिक शुभ माना जाता है क्योंकि सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है, और अमावस्या के दिन शिव जी की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं।
Somvati Amavasya वर्ष में लगभग 4-5 बार आती है, परंतु हर सोमवार की अमावस्या को ही सोमवती अमावस्या नहीं कहा जाता। इसका निर्धारण पंडित ज्योतिष के आधार पर किया जाता है।
Somvati Amavasya का धार्मिक महत्व
1. शिव पूजा का अवसर
सोमवार भगवान शिव का दिन होता है, और अमावस्या भगवान शिव से जुड़ी हुई होती है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से शिवजी की कृपा विशेष रूप से प्राप्त होती है।
भक्तगण विशेष तौर पर शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते हैं, जल अर्पित करते हैं और रुद्राभिषेक करते हैं।
2. पितृ तर्पण और पिंडदान
अमावस्या पितृ पक्ष के कारण भी महत्वपूर्ण है। सोमवती अमावस्या के दिन पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान करना अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि इस दिन किए गए तर्पण से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और वे प्रसन्न होते हैं।
3. धार्मिक कर्मों की सिद्धि
इस दिन किए गए धार्मिक कार्य, जैसे हवन, दान, और पूजा, Somvati Amavasya के मुकाबले दोगुना फल देते हैं। यह दिन मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
4. दुष्टताओं और संकटों से मुक्ति
Somvati Amavasya के दिन विशेषकर Somvati Amavasya पर व्रत और पूजा करने से जीवन के कष्ट, रोग, आर्थिक समस्याएं, और मानसिक तनाव दूर होते हैं।
Somvati Amavasya का आध्यात्मिक महत्व
Somvati Amavasya का दिन आध्यात्मिक उन्नति के लिए अनुकूल माना जाता है। यह दिन मन, वचन, और कर्म की शुद्धि का प्रतीक है।
जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है, वह न केवल अपने शरीर को शुद्ध करता है, बल्कि अपने मन को भी शांति और संयम के मार्ग पर ले आता है।
इस दिन चंद्रमा न दिखने के कारण अंधकार का प्रतीक होता है, और शिवजी की उपासना उस अंधकार को ज्ञान और प्रकाश में बदलने का माध्यम मानी जाती है। यह दिन आत्मा के अज्ञान से मुक्त होने का भी प्रतीक है।
Somvati Amavasya के व्रत का विधान
Somvati Amavasya के व्रत को धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस व्रत को पूरी श्रद्धा और नियम के साथ किया जाए तो इससे समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

व्रत के नियम:
व्रत सुबह सूर्योदय से पूर्व लिया जाता है।
दिनभर पानी का सेवन किया जाता है, या कुछ लोग फलाहार करते हैं।
शाम को भगवान शिव की पूजा, रुद्राभिषेक, और बेलपत्र अर्पण अनिवार्य है।
व्रत के दौरान कड़वे वचन न बोलें और सभी जीवों के प्रति दया भाव रखें।
व्रत पूर्ण होने के बाद परिवार के सभी सदस्यों को भोजन कराएं या गरीबों को दान दें।
पूजा विधि:
साफ-सुथरे स्थान पर शिवलिंग स्थापित करें।
जल, दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से रुद्राभिषेक करें।
बेलपत्र, धतूरा, और अक्षत (चावल) अर्पित करें।
महादेव के मंत्रों का जाप करें, जैसे “ॐ नमः शिवाय”।
अंत में प्रसाद वितरण करें।
Somvati Amavasya के व्रत के लाभ
जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
कष्ट और रोगों से मुक्ति मिलती है।
मन की शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त होती है।
आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष की प्राप्ति के मार्ग खुलते हैं।
Somvati Amavasya से जुड़ी पौराणिक कथाएँ
कथा 1: Somvati Amavasya और भगवान शिव
एक बार एक ब्राह्मण ने भगवान शिव से पूछा कि अमावस्या का दिन क्यों महत्वपूर्ण है? शिवजी ने बताया कि अमावस्या का दिन पापों के नाश और पुण्य की वृद्धि का दिन है।
विशेषकर जब यह अमावस्या सोमवार को आती है, तब इसका महत्व दुगना हो जाता है, क्योंकि सोमवार का दिन शिवजी का दिन होता है।
कथा 2: Somvati Amavasya और चंद्रमा
पौराणिक मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन चंद्रमा जब अपनी पूर्ण अदृश्य अवस्था में होता है, तो वह आत्मा की गंदगी को भी धुलता है।
इस दिन चंद्रमा की किरणें गहन आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करती हैं, जिससे मनुष्य के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से सोमवती अमावस्या
Somvati Amavasya पर अनेक सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं। मंदिरों में विशेष पूजा और हवन-यज्ञ होते हैं।
विभिन्न स्थानों पर मेलों और धार्मिक सभाओं का आयोजन किया जाता है, जहां लोग मिलकर धार्मिक और सामाजिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
यह दिन परिवार और समाज के लिए भी मेलजोल और सद्भाव बढ़ाने का माध्यम बनता है। व्रतधारी अपने परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर भोजन करते हैं, दान-पुण्य करते हैं और अपने जीवन में शांति एवं समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं।
Somvati Amavasya के व्रत से जुड़ी सावधानियां
व्रत करते समय स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
यदि कोई रोगी है या योग्यता नहीं है तो फलाहार या अन्य सरल विधि अपनाएं।
व्रत के दौरान संयमित भोजन करें और अत्यधिक परहेज न करें।
पूजा में साफ-सफाई और शुद्धता का ध्यान रखें।
Somvati Amavasya का ज्योतिषीय महत्व
हिंदू ज्योतिष में अमावस्या तिथि का चंद्रमा से गहरा संबंध है। चंद्रमा मन का प्रतीक है, और जब यह अदृश्य होता है, तब व्यक्ति के भीतर का आत्म-चिंतन, शांति और ध्यान की प्रवृत्ति तीव्र होती है।
जब अमावस्या सोमवार को आती है, तो इसका संबंध चंद्र ग्रह और सोमवार के अधिपति भगवान शिव से जुड़ जाता है। यह संयोजन मानसिक शांति, आध्यात्मिक बल और पूर्व जन्मों के पापों के क्षालन के लिए उत्तम माना जाता है।
> ज्योतिषीय लाभ:
रोगों से मुक्ति
मानसिक तनाव में कमी
ग्रह दोष शमन
कुंडली के दोषों की शुद्धि
शनि और राहु के प्रभाव को कम करना
Somvati Amavasya पर गंगा स्नान का महत्व
“गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिंधु कावेरी जलस्मिन संनिधिं कुरु।।”
Somvati Amavasya के दिन पवित्र नदियों में स्नान करना विशेष रूप से पुण्यदायक माना जाता है। खासकर गंगा, यमुना, गोदावरी, नर्मदा, क्षिप्रा जैसी नदियों में डुबकी लगाने से व्यक्ति के पाप कट जाते हैं और आत्मा को शुद्धि मिलती है।
> लोक मान्यता:
गंगा स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन में समृद्धि और सौभाग्य बढ़ता है।
तुलसी की परिक्रमा का महत्व
सोमवती अमावस्या पर तुलसी के पौधे की 108 परिक्रमाएँ करना अत्यंत शुभ और फलदायक माना गया है।
मान्यता:
जो महिलाएँ इस दिन तुलसी की 108 परिक्रमा करती हैं, उनके पति की आयु लंबी होती है और वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है। यह व्रत ‘सौभाग्यवती स्त्रियों’ के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
इस दिन कौन-कौन से कार्य करने चाहिए?
- व्रत रखना
ब्रह्म मुहूर्त में स्नान
शिव पूजन और रुद्राभिषेक
दान-पुण्य करना
पितृ तर्पण और श्राद्ध कार्य
तुलसी परिक्रमा
सूर्य को अर्घ्य देना
मंत्र जाप और ध्यान
पीपल के वृक्ष की पूजा
गरीबों को अन्न-वस्त्र दान

इस दिन क्या नहीं करना चाहिए?
- किसी का अपमान न करें
क्रोध और झूठ से बचें
शराब, मांसाहार, और नशीले पदार्थों से दूर रहें
बाल कटवाना, नाखून काटना वर्जित
पूजा-पाठ में लापरवाही न करें
स्त्रियों को चाहिए कि इस दिन अशुद्धता से बचें
पौराणिक कथा – ‘धर्मव्रता स्त्री’ की कहानी
पुराणों के अनुसार, एक बार एक ब्राह्मण परिवार में धर्मव्रता नाम की स्त्री थी। उसका पति कोढ़ रोग से पीड़ित था, लेकिन उसने कभी पति की सेवा से पीछे नहीं हटी।
एक दिन एक संत ने उसे सोमवती अमावस्या का व्रत रखने की सलाह दी। उसने पूरे विधिपूर्वक यह व्रत किया। परिणामस्वरूप उसका पति पूरी तरह स्वस्थ हो गया और दीर्घायु प्राप्त की।
यह कथा दर्शाती है कि इस दिन का व्रत करने से न केवल पुण्य मिलता है, बल्कि पति-पत्नी के जीवन में प्रेम, स्वास्थ्य और दीर्घायु भी आती है।
सोमवती अमावस्या और पीपल पूजन
इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने का अत्यंत महत्व है। यह वृक्ष त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु और महेश – का प्रतीक माना जाता है।
पूजन विधि:
जल, कच्चा दूध और गंगाजल अर्पित करें
पीपल की 108 परिक्रमा करें
दीपक जलाकर मनोकामना माँगें
कच्चा सूत बांधना शुभ होता है
2025 में अगली सोमवती अमावस्या कब है?
अगली सोमवती अमावस्या तिथि:
<तारीख: 28 जुलाई 2025 (सोमवार)
अमावस्या आरंभ: सुबह 07:32 बजे
अमावस्या समाप्त: 29 जुलाई प्रातः 05:54 बजे
यह अद्भुत संयोग है कि 2025 में सोमवती अमावस्या श्रावण मास में पड़ रही है, जो शिवजी की पूजा के लिए अत्यंत पवित्र महीना माना जाता है। यह दिन विशेष रूप से कल्याणकारी रहेगा।
महिलाओं के लिए विशेष महत्व
हिंदू संस्कृति में विवाहित स्त्रियाँ अपने पति की लंबी आयु और समृद्ध जीवन के लिए इस दिन व्रत रखती हैं।
मनोकामना पूर्ति, संतान सुख, और वैवाहिक सुख के लिए यह दिन अत्यंत प्रभावशाली माना गया है।
> “सौभाग्यवती भव:”
इस दिन व्रत रखने से स्त्री को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अमावस्या
वैज्ञानिक रूप से अमावस्या का दिन ग्रैविटी प्वाइंट होता है, जब चंद्रमा और सूर्य दोनों पृथ्वी की एक दिशा में होते हैं। इससे समुद्रों में ज्वार-भाटा भी विशेष होता है।
मानसिक स्वास्थ्य पर भी चंद्रमा का प्रभाव होता है, इसलिए ध्यान और योग साधना इस दिन अत्यंत प्रभावशाली सिद्ध होते हैं।
सोमवती अमावस्या और पर्यावरण
इस दिन पीपल, तुलसी, और बेल जैसे पवित्र पौधों की पूजा की जाती है, जो वातावरण को शुद्ध करने वाले होते हैं।
आजकल कई संस्थाएँ इस दिन वृक्षारोपण अभियान भी चलाती हैं, जिससे यह दिन एक धार्मिक-आध्यात्मिक और पर्यावरणीय चेतना का प्रतीक बन गया है।
सोमवती अमावस्या पर दान की महिमा
दान करें:
काले तिल
चावल
वस्त्र
घी
अन्न
तांबा
चांदी
पीतल के पात्र
> मान्यता:
इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराने, गौ सेवा करने और पंडितों को दान देने से कई जन्मों के पाप समाप्त हो जाते हैं।
निष्कर्ष: Somvati Amavasya – पुण्य, श्रद्धा और आत्मशुद्धि का पर्व
Somvati Amavasya हिंदू संस्कृति में एक अत्यंत पावन और दिव्य तिथि मानी जाती है, जिसका संबंध न केवल धार्मिक आस्था से है, बल्कि सामाजिक और आध्यात्मिक परंपराओं से भी गहराई से जुड़ा हुआ है।
जब अमावस्या का संयोग सोमवार से होता है, तो यह तिथि और भी अधिक प्रभावशाली हो जाती है, क्योंकि इस दिन चंद्रमा, शिव और पितरों की कृपा एक साथ प्राप्त होती है।
इस दिन व्रत, स्नान, दान, पितृ तर्पण, तुलसी और पीपल की पूजा, मंत्र जाप और आत्मचिंतन जैसे कर्म व्यक्ति के भीतर सकारात्मक ऊर्जा, शांति और आध्यात्मिक उन्नति को जन्म देते हैं।
यह दिन विशेष रूप से महिलाओं के लिए सौभाग्य, पति की लंबी आयु और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए महत्वपूर्ण होता है।
सोमवती अमावस्या केवल एक धार्मिक अवसर नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, पितृ ऋण से मुक्ति और पर्यावरण के प्रति जागरूकता का प्रतीक भी है। यदि श्रद्धा और विधिपूर्वक इस दिन के अनुष्ठान किए जाएं, तो यह जीवन में सुख, शांति और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है।
अतः सोमवती अमावस्या आत्मकल्याण और सनातन संस्कृति के मूल मूल्यों का प्रतीक पर्व है, जिसे हर व्यक्ति को श्रद्धा और आस्था से मनाना चाहिए।
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