Statistics: जानिए क्यों ये है हर बड़े फैसले के पीछे की असली ताकत!
भूमिका
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!जब आप समाचार में GDP, जनगणना, चुनावी सर्वे या कोरोना के आंकड़े सुनते हैं, तो क्या आपने कभी सोचा है कि इन सबका विश्लेषण कैसे किया जाता है? इस प्रश्न का उत्तर छुपा है “सांख्यिकी” में।
यह विषय केवल संख्याओं का अध्ययन नहीं, बल्कि उन संख्याओं के पीछे छिपी वास्तविकता को समझने की कला है। आज के समय में हर क्षेत्र – विज्ञान, अर्थशास्त्र, जनसंख्या, शिक्षा, तकनीक – में सांख्यिकी की भूमिका महत्वपूर्ण हो चुकी है।
सांख्यिकी क्या है? (What is Statistics?)
सांख्यिकी एक गणितीय विषय है जो आंकड़ों के संग्रह (Collection), विश्लेषण (Analysis), व्याख्या (Interpretation), प्रस्तुतीकरण (Presentation) और निष्कर्ष (Conclusion) से संबंधित होता है। इसका उद्देश्य किसी समस्या या स्थिति का वास्तविक चित्र प्रस्तुत करना होता है।
उदाहरण:
यदि किसी गाँव में 100 लोग रहते हैं और उनमें से 30 लोग किसान हैं, तो “30%” आँकड़ा सांख्यिकी के माध्यम से ही निकाला जाता है।
सांख्यिकी के मुख्य उद्देश्य
- तथ्यों का संग्रह करना
जानकारी को सारगर्भित रूप में प्रस्तुत करना
प्रतिरूपों (Patterns) की पहचान करना
पूर्वानुमान लगाना (Prediction)
नीति निर्माण में सहायता करना
सांख्यिकी के प्रकार
i. वर्णनात्मक सांख्यिकी (Descriptive Statistics):
यह डेटा को सारगर्भित रूप में प्रस्तुत करने का कार्य करती है। इसमें माध्य, माध्यिका, मोड, विचरण आदि माप शामिल हैं।
ii. अनुमानात्मक सांख्यिकी (Inferential Statistics):
यह बड़े समूहों की जानकारी छोटे नमूनों के आधार पर निकालने में सहायक होती है। जैसे – चुनाव पूर्व सर्वेक्षण।
Statistics में प्रयुक्त मुख्य शब्दावली
डेटा (Data): सूचना का संग्रह
सैंपल (Sample): पूरी जनसंख्या का एक हिस्सा
पॉपुलेशन (Population): समस्त समूह जिससे डेटा लिया जाता है
पैरामीटर (Parameter): पॉपुलेशन का कोई विशेष माप
स्टैटिस्टिक (Statistic): सैंपल से प्राप्त माप
डेटा के प्रकार
i. गुणात्मक (Qualitative):
रंग, लिंग, धर्म जैसे गुणात्मक पहलुओं को मापा नहीं जा सकता, पर श्रेणीबद्ध किया जा सकता है।
ii. मात्रात्मक (Quantitative):
संख्यात्मक आंकड़े जैसे ऊँचाई, वजन, आयु, जो मापे जा सकते हैं।
केंद्रीय प्रवृत्ति के माप
1. माध्य (Mean):
सभी मानों का योग ÷ कुल मानों की संख्या।
2. माध्यिका (Median):
किसी व्यवस्थित डेटा का मध्य मान।
3. मोड (Mode):
सबसे अधिक बार आने वाला मान।
प्रसार (Dispersion) के माप
डेटा कितना फैला हुआ है, यह दर्शाता है।
विचरण (Variance)
मानक विचलन (Standard Deviation)
सीमा (Range)

परिकल्पना परीक्षण (Hypothesis Testing)
जब हमें किसी विचार की सच्चाई को आँकड़ों के आधार पर परखना होता है, तो हम परिकल्पना परीक्षण करते हैं।
H0 (Null Hypothesis): कोई बदलाव नहीं हुआ
H1 (Alternative Hypothesis): बदलाव हुआ है
Statistics परीक्षण
1. t-Test – दो समूहों की तुलना
2. z-Test – बड़े सैंपल्स के लिए
3. Chi-square Test – गुणात्मक डेटा के लिए
4. ANOVA – एक से अधिक समूहों की तुलना
सहसंबंध और प्रतिगमन
सहसंबंध (Correlation):
दो चीजों के बीच संबंध का मापन। जैसे, शिक्षा और आय।
प्रतिगमन (Regression):
एक या अधिक चर के आधार पर भविष्यवाणी करना।
Statistics और तकनीक
नवीनतम ट्रेंड्स:
Big Data – विशाल आंकड़ों का विश्लेषण
Machine Learning – Statistics आधारित एल्गोरिदम
AI और Predictive Modelling
Statistics से जुड़े सॉफ्टवेयर
MS Excel – बेसिक विश्लेषण के लिए
SPSS – सामाजिक अनुसंधान के लिए
R Language – उच्च स्तरीय सांख्यिकी
Python (Pandas, NumPy, SciPy)
Statistics में करियर विकल्प
- डेटा वैज्ञानिक
बायोस्टैटिस्टिशियन
सांख्यिकीय विश्लेषक
शिक्षाविद
अनुसंधानकर्ता
Statistics में डेटा संग्रहण के तरीके
Statistics में सटीक परिणाम प्राप्त करने के लिए डेटा का संग्रहण सबसे महत्वपूर्ण चरण होता है। निम्नलिखित तरीके प्रमुख हैं:
1. प्राथमिक डेटा (Primary Data):
यह डेटा अनुसंधानकर्ता द्वारा स्वयं एकत्र किया जाता है।
उदाहरण: सर्वेक्षण, साक्षात्कार, प्रयोग।
2. द्वितीयक डेटा (Secondary Data):
यह पहले से उपलब्ध स्रोतों से प्राप्त होता है।
उदाहरण: जनगणना रिपोर्ट, समाचार पत्र, वेबसाइट।
डेटा संग्रहण की विधियाँ
(Methods of Data Collection in Statistics)
Statistics में डेटा संग्रहण (Data Collection) वह पहला और सबसे महत्वपूर्ण चरण होता है, जिस पर पूरे विश्लेषण की गुणवत्ता निर्भर करती है।
अगर डेटा ही त्रुटिपूर्ण हो, तो उसका निष्कर्ष भी भ्रामक होगा। इसलिए, डेटा संग्रहण की विधियाँ सुविचारित, उद्देश्यपूर्ण और वैज्ञानिक होनी चाहिए।
डेटा संग्रहण की मुख्यतः दो श्रेणियाँ होती हैं:
- प्राथमिक डेटा संग्रहण (Primary Data Collection)
द्वितीयक डेटा संग्रहण (Secondary Data Collection)
प्राथमिक डेटा संग्रहण की विधियाँ
जब आँकड़े स्वयं अनुसंधानकर्ता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से एकत्रित किए जाते हैं, तो इसे प्राथमिक डेटा कहा जाता है। इस तरह का डेटा विशेष रूप से उसी उद्देश्य के लिए एकत्र किया जाता है।
(क) साक्षात्कार विधि (Interview Method)
इस विधि में अनुसंधानकर्ता व्यक्ति से आमने-सामने मिलकर प्रश्न पूछता है। यह विधि गहन जानकारी प्राप्त करने के लिए बहुत उपयोगी होती है, लेकिन समय और संसाधन अधिक लगते हैं।
उपयुक्त तब जब उत्तरदाता साक्षर न हो
साक्षात्कारकर्ता के व्यवहार का प्रभाव पड़ सकता है
(ख) प्रश्नावली विधि (Questionnaire Method)
इसमें एक लिखित प्रश्नों की सूची (प्रश्नावली) लोगों को भेजी जाती है, जिसे वे स्वयं भरते हैं। यह विधि बड़ी जनसंख्या से डेटा एकत्र करने के लिए किफायती होती है।
कम लागत वाली विधि
उत्तर की सच्चाई पर निर्भरता
(ग) निरीक्षण विधि (Observation Method)
इसमें शोधकर्ता सीधे घटनाओं, गतिविधियों या व्यवहारों को देखता है और उसे रिकॉर्ड करता है। यह वस्तुनिष्ठ डेटा प्राप्त करने में सहायक होती है।
मानव व्यवहार के अध्ययन में उपयुक्त
सीमित घटनाओं पर ही लागू
(घ) प्रयोगात्मक विधि (Experimental Method)
इसमें नियंत्रित वातावरण में प्रयोग किया जाता है और परिणामों को रिकॉर्ड किया जाता है। यह वैज्ञानिक विधियों में सर्वोच्च मानी जाती है, खासकर विज्ञान और मनोविज्ञान में।
निष्कर्ष अधिक सटीक
प्रयोगशाला और संसाधनों की आवश्यकता
(ङ) सामाजिक सर्वेक्षण विधि (Social Survey Method)
यह बड़ी जनसंख्या पर आधारित होती है और इसके माध्यम से सामाजिक, आर्थिक या राजनीतिक मुद्दों से संबंधित डेटा प्राप्त किया जाता है।
उपयोगी नीति निर्माण में
समय-खपत और संगठनात्मक चुनौतियाँ
द्वितीयक डेटा संग्रहण की विधियाँ
जब आँकड़े पहले से किसी अन्य स्रोत द्वारा एकत्र किए गए होते हैं और हम उन्हें अपने विश्लेषण के लिए प्रयोग करते हैं, तो उसे द्वितीयक डेटा कहा जाता है।
(क) सरकारी प्रकाशन (Government Publications)
सरकार समय-समय पर जनगणना, आर्थिक सर्वेक्षण, श्रम रिपोर्ट आदि प्रकाशित करती है, जो विश्वसनीय द्वितीयक स्रोत होते हैं।
(ख) शोध पत्र और रिपोर्ट्स (Research Papers and Reports)
विश्वविद्यालय, अनुसंधान संस्थान, और निजी एजेंसियाँ अपने शोध रिपोर्ट्स प्रकाशित करती हैं, जो विशेष क्षेत्रों में उपयोगी होती हैं।
(ग) इंटरनेट और डिजिटल डेटाबेस (Internet and Digital Databases)
आज के समय में इंटरनेट एक बड़ा माध्यम बन चुका है, जहाँ से सरकारी पोर्टल्स, जर्नल्स, और ओपन डेटा वेबसाइट्स से महत्वपूर्ण आँकड़े लिए जा सकते हैं। हालांकि सत्यापन आवश्यक है।
(घ) पुस्तकें, समाचार पत्र और पत्रिकाएँ
पुराने डेटा, ऐतिहासिक जानकारी या किसी सामाजिक परिप्रेक्ष्य को समझने के लिए ये स्रोत उपयोगी होते हैं।
डेटा संग्रहण करते समय ध्यान देने योग्य बातें
1. उद्देश्य स्पष्ट हो: डेटा क्यों एकत्र किया जा रहा है, इसका उद्देश्य स्पष्ट हो।
2. नमूना उपयुक्त हो: सही सैंपलिंग तकनीक से प्रतिनिधिक नमूना लिया जाना चाहिए।
3. त्रुटि न्यूनतम हो: डेटा संग्रह की विधि ऐसी होनी चाहिए जिससे त्रुटियाँ कम से कम हों।
4. गोपनीयता का ध्यान रखा जाए: उत्तरदाताओं की जानकारी गोपनीय रखी जानी चाहिए।
डेटा प्रस्तुतीकरण के तरीके
डेटा को सरल और समझने योग्य बनाने के लिए निम्न विधियाँ प्रयोग होती हैं:
1. सारणी (Table):
व्यवस्थित रूप में आंकड़े प्रदर्शित करने की विधि।
2. चित्रमूलक विधियाँ:
बार चार्ट (Bar Chart)
पाई चार्ट (Pie Chart)
रेखा चित्र (Line Graph)
हिस्टोग्राम (Histogram)
बॉक्स प्लॉट (Box Plot)

सांख्यिकी और अनुसंधान पद्धति (Research Methodology)
सांख्यिकी अनुसंधान में रीढ़ की हड्डी के समान है। अनुसंधान के सभी चरणों जैसे:
- समस्या की पहचान
डेटा संग्रहण
विश्लेषण
निष्कर्ष और सिफारिशें
में Statistics विधियों का अत्यधिक योगदान होता है।
Statistics और नीति निर्माण
सरकारें और संस्थान सांख्यिकीय डेटा के आधार पर महत्वपूर्ण निर्णय लेते हैं:
शिक्षा नीति: नामांकन दर, ड्रॉपआउट रेट
स्वास्थ्य नीति: मृत्यु दर, टीकाकरण कवरेज
आर्थिक नीति: मुद्रास्फीति, बेरोजगारी दर
Statistics और व्यवसाय
व्यापारिक निर्णय जैसे कि उत्पाद की कीमत तय करना, ग्राहक की प्राथमिकताएँ समझना, लाभ और हानि का विश्लेषण – सब सांख्यिकी पर आधारित हैं।
CRM डेटा एनालिसिस
सेल्स रिपोर्टिंग
मार्केट सेगमेंटेशन
Statistics और पर्यावरण
जलवायु परिवर्तन मॉडलिंग
वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) विश्लेषण
प्रदूषण के प्रभाव का अध्ययन
Statistics के माध्यम से पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान हेतु डेटा-संचालित दृष्टिकोण अपनाया जाता है।
Statistics के विकास की ऐतिहासिक झलक
Statistics का इतिहास उतना ही पुराना है जितनी मानव सभ्यता। आरंभिक काल में जब मानव ने जनगणना, कृषि उत्पादन और कर प्रणाली की आवश्यकता महसूस की, तभी सांख्यिकीय विधियों की नींव पड़ गई थी।
प्राचीन भारत में सांख्यिकी का उपयोग बहुत पहले से होता रहा है। चाणक्य ने अपनी प्रसिद्ध कृति “अर्थशास्त्र” में शासन के संचालन हेतु जनसंख्या, कृषि, व्यापार आदि से जुड़े आँकड़ों के संकलन और विश्लेषण की बात कही थी।
यह दर्शाता है कि भारत में सांख्यिकीय सोच का बीज बहुत पहले बोया जा चुका था।
मिस्र और बेबीलोन की सभ्यताओं में भी कर निर्धारण, भूमि की माप और अनाज भंडारण के लिए आँकड़ों का उपयोग किया जाता था। मिस्र की पिरामिड संरचनाओं के निर्माण में भी सांख्यिकीय और गणितीय विधियों की झलक मिलती है।
17वीं शताब्दी में सांख्यिकी एक वैज्ञानिक विषय के रूप में उभरने लगी। इस काल में इंग्लैंड के जॉन ग्रांट ने जनसांख्यिकी डेटा का विश्लेषण करना शुरू किया और मृत्यु दर से संबंधित तालिकाएँ बनाई।
यही समय था जब प्रोबेबिलिटी थ्योरी (Probability Theory) का जन्म हुआ – पास्कल और फर्मा जैसे गणितज्ञों के योगदान से।
18वीं शताब्दी में सांख्यिकी को राज्य संचालन और प्रशासन में शामिल किया जाने लगा। सरकारें जनगणना के माध्यम से नीतिगत निर्णय लेने लगीं और “राज्य-शास्त्र” के रूप में सांख्यिकी की पहचान बनी।
19वीं शताब्दी में सांख्यिकी ने गणितीय आधार पर तेज़ी से प्रगति की। इस दौर में “सामान्य वितरण” (Normal Distribution), “सहसंबंध” (Correlation) और “प्रतिगमन विश्लेषण” (Regression Analysis) जैसे सिद्धांत विकसित हुए।
कार्ल पीयर्सन, फ्रांसिस गैल्टन और अर्नस्ट रेडफोर्ड जैसे वैज्ञानिकों ने सांख्यिकी को एक सशक्त गणितीय विषय में बदल दिया।
20वीं शताब्दी में सांख्यिकी का उपयोग विज्ञान, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, चिकित्सा, मनोविज्ञान और व्यापार में होने लगा। रोनाल्ड फिशर ने “परिकल्पना परीक्षण” (Hypothesis Testing) और “t-test” जैसे शक्तिशाली उपकरणों का विकास किया, जिससे सांख्यिकी और अनुसंधान पद्धति का घनिष्ठ संबंध बना।
जैसे-जैसे कंप्यूटर का विकास हुआ, Statistics विश्लेषण में क्रांति आ गई। अब बड़े-बड़े डेटा सेटों का विश्लेषण कुछ ही क्षणों में संभव हो गया। सॉफ्टवेयर जैसे SPSS, R, Python, Excel आदि ने सांख्यिकी को अधिक सुलभ और शक्तिशाली बना दिया।
21वीं सदी में, Statistics आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, डेटा साइंस और बिग डेटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में प्रवेश कर चुकी है। आज की दुनिया में “डेटा ही नया तेल है”, और सांख्यिकी उसकी परिष्करण विधि।
कोई भी निर्णय — चाहे सरकार का हो या कंपनियों का — बिना सांख्यिकीय विश्लेषण के नहीं लिया जाता।
इस प्रकार, सांख्यिकी की यात्रा प्राचीन गणनाओं से लेकर आज के सुपर कंप्यूटरों तक फैली हुई है। यह विषय ना केवल संख्याओं का विश्लेषण करता है, बल्कि हमारे समाज, व्यवहार और भविष्य की दिशा तय करने में भी मदद करता है।
Statistics से जुड़ी कुछ प्रमुख अवधारणाएँ
1. Sampling Techniques:
Simple Random Sampling
Stratified Sampling
Cluster Sampling
2. Bias in Statistics:
Sampling Bias – सैंपल का प्रतिनिधित्व सही नहीं
Measurement Bias – गलत माप तकनीक
3. Outliers:
ऐसे मान जो सामान्य डेटा से बहुत अलग होते हैं, जैसे – औसत आय 20,000 पर किसी की आय 10 लाख।
Statistics रिपोर्ट लिखना
एक अच्छी रिपोर्ट निम्न तत्वों से मिलकर बनती है:
- शीर्षक (Title)
उद्देश्य (Objective)
पद्धति (Methodology)
डेटा विश्लेषण (Data Analysis)
निष्कर्ष (Conclusion)
सुझाव (Recommendations)
Statistics में नैतिकता (Ethics in Statistics)
आंकड़ों के साथ छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए
डेटा गोपनीयता बनाए रखना चाहिए
निष्कर्ष निष्पक्ष और पारदर्शी होने चाहिए
Statistics के कुछ महान वैज्ञानिक
Statistics का विकास अनेक महान वैज्ञानिकों की दूरदृष्टि, प्रयोगधर्मिता और सैद्धांतिक नवाचारों का परिणाम है। इन वैज्ञानिकों के योगदान ने न केवल इस विषय को एक ठोस विज्ञान में बदल दिया, बल्कि इसे जीवन के हर क्षेत्र में उपयोगी भी बना दिया।
1. रोनाल्ड ए. फिशर (Ronald A. Fisher)
Statistics के इतिहास में फिशर को “आधुनिक सांख्यिकी का जनक” माना जाता है। इन्होंने “अनुभवात्मक डिज़ाइन” (Design of Experiments) की नींव रखी और “F-test”, “ANOVA” जैसी विधियों को विकसित किया।
फिशर ने कृषि प्रयोगों में सांख्यिकी के अनुप्रयोग को एक नई दिशा दी, जिससे वैज्ञानिक शोध की गुणवत्ता में क्रांतिकारी सुधार आया।
2. कार्ल पीयर्सन (Karl Pearson)
कार्ल पीयर्सन ने सांख्यिकीय गणित को एक सुसंगत ढाँचा देने में अहम भूमिका निभाई। इन्होंने “पीयर्सन सहसंबंध गुणांक” (Pearson Correlation Coefficient) विकसित किया, जिससे दो चरों के बीच संबंध को मापा जा सकता है।
साथ ही, इन्होंने “Chi-square test” की भी आधारशिला रखी, जो आज अनुसंधान में व्यापक रूप से प्रयुक्त होता है।
3. फ्रांसिस गैल्टन (Francis Galton)
गैल्टन ने “Regression” और “Correlation”जैसे सिद्धांतों का प्रारंभिक विकास किया। वह पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने आँकड़ों के माध्यम से मानव बुद्धि, ऊँचाई और अन्य गुणों का अध्ययन किया। गैल्टन ने सांख्यिकी को जैविक और सामाजिक क्षेत्रों से जोड़ने का कार्य किया।
4. थॉमस बेयस (Thomas Bayes)
बेयस ने “Probability Theory” में क्रांतिकारी योगदान दिया। उनके नाम पर “Bayes Theorem” रखा गया है, जो संभावनाओं के अद्यतन में प्रयोग होता है। आज यह नियम मशीन लर्निंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और निर्णय विश्लेषण में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
5. विलियम सीली गोसेट (William Sealy Gosset)
गोसेट ने “t-distribution” और “t-test” का विकास किया, लेकिन कंपनी नीति के कारण इन्होंने अपने लेख छद्म नाम ‘Student’ से प्रकाशित किए। इसलिए इसे “Student’s t-test” कहा जाता है। यह विधि छोटे सैम्पल साइज़ के विश्लेषण में बहुत उपयोगी सिद्ध हुई है।
6. जॉन ट्यूकी (John Tukey)
ट्यूकी ने डेटा विश्लेषण में ग्राफिकल अप्रोच को बढ़ावा दिया और “Exploratory Data Analysis (EDA)” की अवधारणा विकसित की। इन्होंने Box Plot, Stem-and-leaf Plot जैसे सरल लेकिन शक्तिशाली उपकरण दिए, जिससे आँकड़ों की व्याख्या सहज हो गई।
7. जैकब बर्नॉली (Jacob Bernoulli)
बर्नॉली ने संभाव्यता सिद्धांत (Probability Theory) को गणितीय आधार दिया। उनकी पुस्तक Ars Conjectandi को इस क्षेत्र में क्लासिक माना जाता है। बर्नॉली का “Law of Large Numbers” आज भी सांख्यिकी की नींव मानी जाती है।
8. एंड्री कोलमोगोरोव (Andrey Kolmogorov)
कोलमोगोरोव ने संभाव्यता को सैद्धांतिक रूप से संगठित किया और इसे गणितीय रूप में प्रतिष्ठित किया। उन्होंने 20वीं सदी में सांख्यिकी को गणित के साथ गहराई से जोड़ा और Probabilistic Models का विकास किया।
9. जेम्स टॉबिन (James Tobin)
टॉबिन एक अर्थशास्त्री थे, लेकिन इन्होंने सांख्यिकीय मॉडलों का उपयोग कर आर्थिक निर्णयों के लिए कई मॉडल बनाए। इन्होंने “Tobin’s Q” और अनेक सैद्धांतिक मॉडल्स दिए जो आज के समय में भी प्रासंगिक हैं।
10. डेविड कॉक्स (David Cox)
कॉक्स ने “Cox Proportional Hazards Model” विकसित किया जो चिकित्सा अनुसंधान और जीवन अवधि विश्लेषण में अत्यंत उपयोगी है। उन्होंने सांख्यिकी को जीवन विज्ञान से जोड़ने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
इन वैज्ञानिकों की सोच, प्रयोग और नवाचारों ने सांख्यिकी को एक जीवंत और सर्वव्यापक विज्ञान बना दिया। आज जिस भी क्षेत्र में हम आँकड़ों की सहायता से निर्णय लेते हैं, उसके पीछे इन महान मस्तिष्कों का योगदान है।
निष्कर्ष
Statistics केवल अंकगणना नहीं, बल्कि सोचने और समझने की एक पद्धति है। यह हमें बड़ी से बड़ी जनसंख्या के व्यवहार, प्रवृत्ति और परिवर्तन को मापने में सहायता देती है।
आज के डेटा-संचालित युग में सांख्यिकी न केवल एक शैक्षणिक विषय है, बल्कि निर्णय लेने का सबसे मजबूत औजार भी बन चुका है।
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