Tapovan-Kunjapuri Ropeway Project 2025: उत्तराखंड का पर्यटन, रोजगार और आस्था में क्रांतिकारी बदलाव
परिचय: देवभूमि की ऊँचाइयों से आध्यात्मिकता तक
Table of the Post Contents
Toggleउत्तराखंड को यूं ही ‘देवभूमि’ नहीं कहा जाता। यहां की हर घाटी में ईश्वर का निवास है, हर शिखर पर मंदिर है, और हर रास्ते पर श्रद्धा है। चाहे केदारनाथ की कठोर चढ़ाई हो या बद्रीनाथ की दिव्यता — उत्तराखंड ने लाखों लोगों की आस्था को दिशा दी है।
इसी आध्यात्मिक विरासत को और सुलभ, सुरक्षित और पर्यावरण-सम्मत बनाने के लिए उत्तराखंड सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है — तपोवन (ऋषिकेश) से कुंजापुरी देवी मंदिर (नरेन्द्रनगर) तक अत्याधुनिक रोपवे परियोजना की घोषणा।
Tapovan-Kunjapuri Ropeway 2025 परियोजना के लिए राज्य सरकार ने एक विश्वविख्यात स्विस रोपवे निर्माता Bartholet Maschinenbau AG के साथ समझौता (MoU) किया है।
समझौता (MoU) की मुख्य बातें
उत्तराखंड सरकार और स्विट्जरलैंड की Bartholet AG के बीच यह करार जनवरी 2025 में हुआ। इस समझौते के अनुसार:
तपोवन और कुंजापुरी मंदिर को जोड़ने के लिए एक विश्वस्तरीय रोपवे बनेगा।
यह समझौता PPP मॉडल (Public-Private Partnership) के तहत किया गया है।
परियोजना में आधुनिकतम तकनीक, सुरक्षा मानक और पर्यावरणीय अनुकूलता का विशेष ध्यान रखा जाएगा।
निर्माण कार्य 2025 के अंत तक शुरू होने की संभावना है।
इस MoU पर हस्ताक्षर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में हुए, और उन्होंने इसे “पर्यटन को बढ़ावा देने, रोजगार के अवसर सृजित करने और उत्तराखंड की संस्कृति को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल” बताया।
तपोवन से कुंजापुरी तक रोपवे परियोजना: एक दृष्टिकोण
स्थान:
प्रारंभ बिंदु: तपोवन, ऋषिकेश
गंतव्य: कुंजापुरी मंदिर, नरेंद्रनगर
अनुमानित दूरी:
लगभग 4.5 से 5 किलोमीटर
यात्रा समय: 10–12 मिनट
ऊँचाई का अंतर: लगभग 1000 मीटर से अधिक
तकनीकी विशेषताएँ:
Monocable Detachable Gondola System
प्रति घंटा 800 से 1000 यात्रियों की क्षमता
गोंडोला कैबिनों में कांच की छतें और पैनोरमिक व्यू
सोलर पैनल से आंशिक ऊर्जा आपूर्ति
स्विट्जरलैंड की सुरक्षा मानकों पर आधारित तकनीक
कुंजापुरी मंदिर: उत्तराखंड का शक्तिपीठ
कुंजापुरी मंदिर उत्तराखंड के सबसे पवित्र शक्तिपीठों में से एक है। यह मंदिर देवी सती के 52 शक्तिपीठों में शामिल है, जहां मान्यता है कि देवी के शरीर का अंश गिरा था।
विशेषताएँ:
समुद्र तल से ऊँचाई: 1676 मीटर
यहाँ से त्रिशूल के आकार में दिखते हैं हिमालय के शिखर: स्वर्गारोहिणी, चौखंबा, बंदरपूँछ
सालाना लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं
वर्तमान में:
मंदिर तक सड़क मार्ग से पहुँचना थका देने वाला है
बुजुर्गों व दिव्यांग यात्रियों के लिए यात्रा कठिन
रोपवे बन जाने से यात्रा सुगम, सुरक्षित और पर्यावरणहितैषी हो जाएगी
सतत (Sustainable) पर्यटन को बढ़ावा
पर्यटन केवल आना-जाना नहीं, बल्कि स्थानीय संस्कृति, पर्यावरण और जीवनशैली के प्रति सम्मान भी है। यह रोपवे परियोजना एक ‘सस्टेनेबल टूरिज्म मॉडल’ के तौर पर स्थापित की जाएगी।
कैसे?
1. कार्बन उत्सर्जन में कमी: वाहनों की आवाजाही घटेगी, जिससे वायु प्रदूषण कम होगा।
2. पर्यावरणीय संतुलन: निर्माण में ईको-फ्रेंडली सामग्री और सीमित कटाई।
- स्थानीय गाइड, दुकानदार, टैक्सी चालक और सेवा प्रदाताओं को लाभ।
स्थानीय रोजगार और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
इस परियोजना से आसपास के लोगों के लिए 1000 से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर सृजित होंगे:
निर्माण कार्य में स्थानीय श्रमिकों की भागीदारी
कैफे, हैंडीक्राफ्ट स्टॉल, लोककलाकारों के मंच
टूर गाइड, टैक्सी और होटल व्यवसाय को बढ़ावा
परियोजना के चलते पूरे क्षेत्र का आर्थिक कायाकल्प संभव है।

उत्तराखंड में अन्य रोपवे परियोजनाएँ
उत्तराखंड सरकार ने पर्यटन विकास हेतु कई रोपवे प्रोजेक्ट्स पर कार्य शुरू किया है:
- देहरादून-मसूरी रोपवे (निर्माणाधीन)
केदारनाथ रोपवे (Gaurikund से Kedarnath तक)
हेमकुंड साहिब रोपवे (Govindghat से Hemkund तक)
तपोवन-कुंजापुरी रोपवे इन सबमें एक आध्यात्मिक पर्यटन के लिहाज़ से विशिष्ट पहलू रखता है।
स्विस तकनीक: सुरक्षा और अनुभव दोनों में सर्वश्रेष्ठ
Bartholet AG की तकनीक विश्व में सबसे उन्नत मानी जाती है:
शत-प्रतिशत स्वचालित कंट्रोल सिस्टम
भूकंप रोधी तकनीक
ऑनबोर्ड सीसीटीवी और GPS ट्रैकिंग
आपातकालीन रेस्क्यू सिस्टम
यात्रियों को मिलेगा 360 डिग्री व्यू, शांतिपूर्ण सवारी और भरोसेमंद सुरक्षा।
रोपवे से यात्रा का अनुभव: आध्यात्मिकता, तकनीक और प्रकृति का संगम
इस रोपवे की सबसे खास बात यह है कि यह श्रद्धालुओं को मात्र 10–12 मिनट में हिमालय की गोद में स्थित कुंजापुरी मंदिर तक पहुँचा देगा, वह भी बिना किसी थकान के।
यात्रियों को मिलने वाले अनुभव:
ग्लास केबिनों से 360 डिग्री दृश्य — गंगा नदी, हिमालय की चोटियाँ और हरे-भरे जंगल।
एयर-कंडीशंड कैबिन — गर्मियों में राहत, सर्दियों में आरामदायक सफर।
ऑडियो गाइड सिस्टम — यात्रा के दौरान ऐतिहासिक और धार्मिक तथ्यों की जानकारी।
फोटोग्राफी डेक — इंटरमीडिएट स्टेशन पर सेल्फी प्वाइंट और व्यू डेक।
यह अनुभव न केवल आध्यात्मिक रूप से समृद्ध होगा, बल्कि तकनीकी रूप से भी यात्रियों को विश्व स्तरीय सुविधा का अहसास कराएगा।
पर्यावरणीय मंजूरी और सामाजिक आकलन
परियोजना को लागू करने से पहले कुछ महत्वपूर्ण पर्यावरणीय और सामाजिक मूल्यांकन प्रक्रियाएं भी पूरी की जाएंगी:
1. EIA (Environmental Impact Assessment)
प्रस्तावित मार्ग के आसपास की जैव विविधता का अध्ययन
पेड़ कटाई की आवश्यकता और उसके एवज में वृक्षारोपण
जल स्रोतों और वन्य जीवों की सुरक्षा की योजना
2. SIA (Social Impact Assessment)
स्थानीय ग्रामीणों की राय
भूमि के उपयोग पर प्रभाव
मुआवजा, पुनर्वास और प्रशिक्षण योजनाएं
सरकार का दावा है कि इस परियोजना में कम से कम प्राकृतिक क्षति होगी, और हर काटे गए पेड़ के बदले 5 नए वृक्ष लगाए जाएंगे।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
समर्थन:
स्थानीय युवाओं में उत्साह: नौकरी, गाइडिंग, पर्यटक सेवा के अवसर।
बुजुर्गों और श्रद्धालुओं को राहत: मंदिर तक सीधी पहुंच।
दुकानदार और रेस्टोरेंट चलाने वालों को पर्यटकों से लाभ।
कुछ चिंताएँ:
परियोजना से भूमि अधिग्रहण को लेकर कुछ ग्राम सभाएं असमंजस में हैं।
पर्यावरण प्रेमी जैव विविधता पर असर की निगरानी की माँग कर रहे हैं।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि पारदर्शी संवाद और समाधान प्रक्रिया अपनाई जाएगी और सभी स्थानीय हितधारकों को शामिल किया जाएगा।
उत्तराखंड पर्यटन नीति 2030 और यह परियोजना
उत्तराखंड की पर्यटन नीति 2030 का लक्ष्य है:
धार्मिक पर्यटन को सुलभ और सुरक्षित बनाना
साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देना
पर्यावरणीय संरक्षण के साथ पर्यटन का संतुलन
Tapovan-Kunjapuri Ropeway 2025 परियोजना इस नीति के निम्नलिखित प्रमुख उद्देश्यों पर खरा उतरती है:
सुलभता: मंदिर तक आसान, सुरक्षित और कम समय की यात्रा
सतत विकास: पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार निर्माण
सांस्कृतिक पहचान: स्थानीय परंपराओं और आस्था का प्रचार
आर्थिक वृद्धि: स्थानीय समुदाय को स्वरोजगार
Tapovan-Kunjapuri Ropeway 2025: भविष्य में क्या-क्या संभव है?
Tapovan-Kunjapuri Ropeway 2025 परियोजना के सफल निर्माण के बाद सरकार निम्नलिखित कदम भी उठा सकती है:
1. ‘चारधाम रोपवे सर्किट’ की योजना
2. पैकेज टूरिज्म — ऋषिकेश, कुंजापुरी, नरेंद्रनगर का सम्मिलित दर्शन
3. रात्रि प्रवास योजना — मंदिर के समीप होमस्टे और ईको टूरिज्म
4. ई-टिकटिंग ऐप — रोपवे बुकिंग, टूर गाइड, आरती शेड्यूल आदि एक जगह
- ‘Make in India + Make in Uttarakhand’ पहल के तहत केबिन निर्माण स्थानीय स्तर पर

राष्ट्रीय दृष्टिकोण से महत्व
Tapovan-Kunjapuri Ropeway 2025 न केवल उत्तराखंड, बल्कि भारत के लिए भी एक मिसाल बन सकता है।
राष्ट्रीय लाभ:
1. धार्मिक स्थलों का डिजिटलीकरण और आधुनिकीकरण:
Tapovan-Kunjapuri Ropeway 2025 परियोजना यह दिखाती है कि कैसे श्रद्धा और स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर एक साथ चल सकते हैं।
2. स्वदेशी पर्यटन को बढ़ावा:
अधिक से अधिक पर्यटक देश के भीतर ही अद्भुत और सुविधा-संपन्न धार्मिक स्थलों का रुख करेंगे।
3. Tapovan-Kunjapuri Ropeway 2025 प्रोजेक्ट्स के लिए ब्लूप्रिंट:
जैसे वैष्णो देवी में रोपवे, अमरनाथ में योजना — Tapovan-Kunjapuri Ropeway 2025 परियोजना से सीख लेकर उन्हें बेहतर बनाया जा सकता है।
4. “एक भारत श्रेष्ठ भारत” अभियान को मजबूती:
उत्तर भारत का ये प्रोजेक्ट दक्षिण, पूर्व और पश्चिम भारत से श्रद्धालुओं को आकर्षित करेगा, सांस्कृतिक समरसता बढ़ेगी।
तकनीकी विशेषताएँ: विश्वस्तरीय सुविधा का वादा
स्विट्ज़रलैंड की Tapovan-Kunjapuri Ropeway 2025 में कंपनी अपनी आधुनिक तकनीक के लिए जानी जाती है। इस परियोजना में कई ऐसी खूबियाँ होंगी जो भारत के लिए पहली बार होंगी:
विशेषता विवरण
कुल लंबाई लगभग 5.5 किलोमीटर
कैबिन की क्षमता एक केबिन में 8–10 व्यक्ति
प्रति घंटे यात्री क्षमता लगभग 1200 से अधिक
कुल यात्रा समय 10–12 मिनट
ऊँचाई अंतर 1650 मीटर तक
स्पीड लगभग 6 मीटर/सेकंड
> नवीनतम अपडेट (मई 2025):
स्विस कंपनी के विशेषज्ञों की टीम मई 2025 के पहले सप्ताह में ऋषिकेश पहुँच चुकी है और फिजिबिलिटी स्टडी का काम शुरू हो चुका है। उत्तराखंड सरकार ने बताया है कि अक्टूबर 2025 तक इसका भूमिपूजन और निर्माण कार्य प्रारंभ हो जाएगा।
पर्यावरणीय जागरूकता को मिलेगा बल
Tapovan-Kunjapuri Ropeway 2025 परियोजना केवल एक सुविधा नहीं, बल्कि एक पर्यावरण-अनुकूल यात्रा विकल्प भी है।
ईंधन मुक्त यात्रा — डीज़ल वाहनों के बदले इलेक्ट्रिक रोपवे
पर्यटन दबाव का विकेन्द्रीकरण — ऋषिकेश से बाहर पर्यटक आकर्षण बढ़ेगा
वन क्षेत्रों से दूरी — प्रस्तावित मार्ग को जंगलों से बाहर रखा गया है
ईको एजुकेशन प्वाइंट — रोपवे स्टेशन पर पर्यावरण जागरूकता केंद्र बनाए जाएंगे
डिजिटल एकीकरण: Smart Darshan
सरकार Tapovan-Kunjapuri Ropeway 2025 को डिजिटल इंडिया अभियान से जोड़ते हुए कई सुविधाएँ लाने की योजना बना रही है:
QR Code आधारित टिकटिंग
डिजिटल गाइड एप्लिकेशन — कुंजापुरी मंदिर का इतिहास, दर्शन समय, आरती समय
सीसीटीवी और लाइव कैमरा — मंदिर परिसर और रोपवे पर निगरानी
स्वचालित अलर्ट सिस्टम — मौसम या तकनीकी कारणों से रोपवे बंद होने की जानकारी
भारत के अन्य धार्मिक स्थलों के लिए प्रेरणा
Tapovan-Kunjapuri Ropeway 2025 को देखकर देश के अन्य धार्मिक स्थल भी इस ओर प्रेरित हो सकते हैं:
स्थल संभावित Tapovan-Kunjapuri Ropeway 2025 परियोजना
अमरनाथ बालटाल से पवित्र गुफा तक
तिरुपति अलिपिरी से मंदिर तक
वैष्णो देवी अर्धकुंवारी से भवन तक
केदारनाथ सोनप्रयाग से मंदिर तक (भविष्य की योजना)
उत्तराखंड का यह मॉडल एक नेशनल रोपवे नीति का आधार बन सकता है।
निष्कर्ष: उत्तराखंड की नई उड़ान – विकास, अध्यात्म और पर्यावरण का संगम
Tapovan-Kunjapuri Ropeway 2025 मंदिर तक रोपवे परियोजना उत्तराखंड सरकार की एक दूरदर्शी पहल है, जो धार्मिक आस्था, स्थानीय विकास, और पर्यावरण संरक्षण – तीनों को एक साथ साधती है।
स्विट्ज़रलैंड की विश्वविख्यात तकनीक के साथ साझेदारी इस बात का संकेत है कि राज्य अब गुणवत्ता और स्थायित्व को प्राथमिकता दे रहा है।
यह रोपवे:
श्रद्धालुओं को सुगम, सुरक्षित और तेज़ यात्रा प्रदान करेगा,
स्थानीय युवाओं को रोज़गार और स्वरोज़गार के नए अवसर देगा,
और पारंपरिक वाहनों पर निर्भरता कम करके प्रदूषण पर नियंत्रण लाएगा।
Tapovan-Kunjapuri Ropeway 2025 परियोजना न केवल एक परिवहन साधन है, बल्कि यह उत्तराखंड की आर्थिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय चेतना का प्रतीक बनने जा रही है।
“जहाँ भक्ति और तकनीक मिल जाए, वहाँ विकास खुद रास्ता बना लेता है।”
Tapovan-Kunjapuri Ropeway 2025 परियोजना उत्तराखंड को एक हरित, स्वच्छ और आध्यात्मिक राज्य बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है — जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा।
Related
Discover more from Aajvani
Subscribe to get the latest posts sent to your email.