Totapuri आम की खेती कैसे करें? लागत, लाभ, प्रोसेसिंग और एक्सपोर्ट जानकारी”
Totapuri आम क्या है? (What is Totapuri Mango?)
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ToggleTotapuri आम, जिसे दक्षिण भारत में कल्लामई, सैंडरशा, या गिन्नी आम के नाम से जाना जाता है, एक लोकप्रिय किस्म है जो अपने खास तोते की चोंच जैसे आकार के लिए प्रसिद्ध है।
इसका स्वाद हल्का खट्टा-मीठा होता है और इसे आमतौर पर पल्प इंडस्ट्री, जूस, और अचार में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है।
Totapuri आम की उत्पत्ति और इतिहास
Totapuri आम की शुरुआत आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले से मानी जाती है। 20वीं सदी में इसे अमेरिका के फ्लोरिडा में ‘Sandersha’ नाम से भेजा गया था। वर्तमान में इसे प्रोसेसिंग फ्रूट के रूप में भी जाना जाता है। इसकी लोकप्रियता का एक बड़ा कारण इसका कम रेशा और मोटा गूदा है।
Totapuri आम की खेती कैसे करें? (Totapuri Mango Farming Guide in Hindi)
उपयुक्त जलवायु और मिट्टी:
मिट्टी: रेतीली-दोमट, पीएच 6–7
जलवायु: उपोष्णकटिबंधीय, 750–1000 mm वर्षा
तापमान: 25–35°C आदर्श
रोपण की विधि:
दूरी: 8×10 मीटर
विधि: ग्राफ्टेड पौधों को लगाएं
समय: जून–जुलाई (मानसून की शुरुआत में)
उर्वरक व पोषण:
गोबर की खाद (10–15 किलो/पेड़/वर्ष)
NPK मिश्रण: 200:100:100 ग्राम/वर्ष
सिंचाई:
शुरुआती 3 साल में हर 10–15 दिन में सिंचाई
ड्रिप सिस्टम से पानी की बचत और गुणवत्ता में सुधार
कीट व रोग प्रबंधन:
आम की मक्खी, पाउडरी मिल्ड्यू और सूटी मोल्ड
जैविक कीटनाशक या नीम आधारित उत्पाद से इलाज
Totapuri आम के औषधीय लाभ (Health Benefits of Totapuri Mango)
विटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर
फाइबर में समृद्ध – पाचन में सुधार
विटामिन A – आंखों की रोशनी के लिए उपयोगी
पोटैशियम – दिल की सेहत के लिए लाभकारी
इम्युनिटी बूस्टर – रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है
Totapuri आम का उद्योगों में उपयोग (Totapuri Mango Processing Industry)
पल्प एक्सट्रैक्शन: 28° Brix तक की गुणवत्ता
जूस, स्क्वैश, जैम और अचार में इस्तेमाल
फ्रोजन पल्प का निर्यात कई देशों में
MSME इकाइयों के लिए आदर्श आम किस्म
Totapuri आम का राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय व्यापार (Totapuri Mango Export Market)
भारत में प्रमुख उत्पादन राज्य:
आंध्र प्रदेश (चित्तूर, तिरुपति)
कर्नाटक (बेंगलुरु, कोलार)
तमिलनाडु और तेलंगाना
निर्यात:
गल्फ कंट्रीज, यूरोप, अमेरिका में पल्प का निर्यात
महाराष्ट्र और गुजरात के बंदरगाहों से शिपिंग
FSSAI और APEDA प्रमाणित इकाइयों से प्रोसेसिंग
Totapuri आम की ताजा कीमतें (June 2025)
चित्तूर: ₹4,000/टन (कीमतों में भारी गिरावट)
वारंगल मंडी: ₹18–₹22/किलो
तेलंगाना, आंध्र, तमिलनाडु में औसत रेट ₹12–₹20/किलो
MSP की मांग: ₹12,000/टन तक किसान संगठनों द्वारा की जा रही है
Totapuri आम से जुड़ी ताज़ा खबरें (Latest News on Totapuri Mango – June 2025)
तमिलनाडु में कीमतों में ऐतिहासिक गिरावट
ज्यादा पैदावार और कम प्रोसेसिंग डिमांड की वजह से Totapuri आम की कीमत ₹20 से ₹4 प्रति किलो तक गिर गई।
पल्प उद्योग पर कीट संक्रमण का संकट
चित्तूर क्षेत्र में ‘fruit fly’ और ‘sooty mold’ की वजह से आम की गुणवत्ता गिरी, पल्प यूनिटों को उत्पादन रोकना पड़ा।
निर्यात ठप – आंध्र प्रदेश के किसान परेशान
Nunna मंडी से निर्यात रुक गया है; भारी नुकसान से किसान MSP की मांग कर रहे हैं।
राजनीतिक हस्तक्षेप शुरू
Chittoor के सांसद ने आम के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू करने की मांग की है।
Totapuri आम की वैज्ञानिक और तकनीकी जानकारी
वैज्ञानिक नाम:
Mangifera indica – Totapuri आम इसी प्रजाति का एक महत्वपूर्ण कल्टीवेटर (variety) है।
किस्म की विशेषताएँ:
फलों का आकार: मध्यम से बड़ा, लंबा, चोंचदार नुकीला सिरा
रंग: हल्का हरा या पीला
गूदा: गाढ़ा, फाइबर रहित
स्वाद: हल्का खट्टा, कम मिठास
पकने का समय: मई से जुलाई
औसत उपज: 8–12 टन/हेक्टेयर
Totapuri आम की उन्नत खेती के लिए सुझाव
ग्राफ्टिंग तकनीक:
Totapuri आम की खेती में कलम लगाना (Grafting) सबसे विश्वसनीय तरीका है। स्टोन ग्राफ्टिंग और वेज ग्राफ्टिंग तकनीक से कम समय में उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
मल्चिंग और इंटरक्रॉपिंग:
मल्चिंग से नमी बनी रहती है और खरपतवार नियंत्रित होता है।
Totapuri के बागानों में आप दालें, हल्दी या अलसी जैसी फसलें इंटरक्रॉप के रूप में उगा सकते हैं।
जैविक खेती की दिशा में प्रयास:
नीम खली, वर्मी कम्पोस्ट, गौमूत्र आदि का प्रयोग
फसल को जैविक प्रमाणन दिलाकर अंतरराष्ट्रीय बाजार में अच्छी कीमत मिलती है।

Totapuri आम की प्रोसेसिंग यूनिट कैसे लगाएं?
प्रोसेसिंग यूनिट के लिए मुख्य ज़रूरतें:
जमीन: 1000–2000 वर्ग फुट
मशीनें: Pulper, Pasteurizer, Canning Unit
निवेश: ₹10–25 लाख
लाइसेंस: FSSAI, GST, MSME रजिस्ट्रेशन
बनने वाले उत्पाद:
फ्रोजन मैंगो पल्प
टेट्रापैक जूस
फलों का मिश्रित स्क्वैश
प्यूरी और जैम
नुकसान और जोखिम: Totapuri आम की खेती में आने वाली चुनौतियाँ
मौसमी अनिश्चितता: असमय बारिश या ओलावृष्टि
कीट और रोग: आम की मक्खी (Mango Fruit Fly), दाग रोग
बाजार में गिरावट: अधिक पैदावार के कारण oversupply और भाव गिरना
बिचौलियों का वर्चस्व: किसान को उपयुक्त कीमत नहीं मिलती
जैव विविधता में Totapuri आम का योगदान
Totapuri आम न केवल एक वाणिज्यिक फसल है, बल्कि यह प्राकृतिक कीट-प्रतिरोधी किस्मों के विकास में भी योगदान देता है। इसके कम रेशा वाले गुण का उपयोग हाइब्रिड आमों की किस्मों में किया गया है।
Totapuri आम की गुणवत्ता जांच के मानक
घरेलू मानक:
रंग, गंध, गूदा और स्वाद
बीआरआईएक्स (Brix) स्तर: 20–28°
रासायनिक अंश: बिना किसी रेजिड्यू के होना चाहिए
अंतरराष्ट्रीय मानक (APEDA / EU):
GAP (Good Agricultural Practices) सर्टिफिकेशन
Residue-Free प्रमाणन
Export-grade sorting, grading और labeling
डिजिटल कृषि और ई-कॉमर्स में Totapuri की भूमिका
अब Totapuri आम को किसान ई-नाम (eNAM), Amazon, BigBasket, Dehaat, Ninjacart जैसी ई-कॉमर्स साइट्स पर बेच सकते हैं। इससे उन्हें बाजार तक सीधी पहुंच, बिचौलियों से मुक्ति और बेहतर दाम मिलता है।
सरकार की योजनाएं और सहायता
किसानों के लिए योजनाएं:
PMFME योजना: प्रोसेसिंग यूनिट के लिए सब्सिडी
PM-Kisan योजना: ₹6000 सालाना सहायता
APEDA सहायता: निर्यात को बढ़ावा
HORTNET: बागवानी क्षेत्र के लिए पोर्टल आधारित मदद
भविष्य की संभावनाएं (Future Scope of Totapuri Mango)
जैविक निर्यात का विस्तार
Value-added products जैसे आम कैंडी, पाउडर
AI आधारित खेती: कीट और रोगों की सटीक पहचान
Agri-tourism के तहत आम-बागानों की सैर
Totapuri आम पर कुछ रोचक तथ्य (Interesting Facts)
- Totapuri आम की तुलना तोते की चोंच से की जाती है।
इसे “Process King of Mangoes” भी कहा जाता है।
इसमें ज्यादा गूदा और कम बीज अनुपात होता है।
भारत के बाहर इसे Sandersha और Ginimoothi के नाम से जाना जाता है।
यह आम कभी पूरी तरह मीठा नहीं होता, इसका हल्का खट्टा स्वाद ही इसकी पहचान है।
जलवायु परिवर्तन और Totapuri आम की खेती पर प्रभाव
तापमान में बदलाव:
हाल के वर्षों में तापमान में वृद्धि के कारण आम के मंजर (flowering) पर विपरीत असर पड़ता है।
देर से फूल आना या फल गिरना आम समस्या बन गई है।
वर्षा की अनिश्चितता:
असमय बारिश से फल फट जाते हैं या कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है।
बेमौसम बारिश से पल्प की गुणवत्ता में भी गिरावट आती है।
समाधान क्या है?
ड्रिप इरिगेशन, मल्चिंग, और ऑटोमैटेड सिंचाई से मिट्टी की नमी बनाए रखें।
शेड नेट का उपयोग युवा पौधों के लिए करें।
जलवायु-प्रतिरोधी किस्मों की रिसर्च व डेवेलपमेंट जरूरी है।
Totapuri आम पर शोध और अकादमिक अध्ययन
यूनिवर्सिटी रिसर्च:
IIHR (Indian Institute of Horticultural Research) ने Totapuri आम की प्रोसेसिंग के लिए विशेष किस्मों का विकास किया है।
TNAU और ANGRAU विश्वविद्यालयों में Totapuri की उपज, गुणवत्ता और रोग प्रतिरोधकता पर लगातार शोध जारी है।
शोध विषय:
आम के रेशे और गूदे की संरचना
बायोएक्टिव तत्वों का विश्लेषण
आम के छिलके से पाउडर या अर्क निकालने की तकनीक

भारतीय अर्थव्यवस्था में Totapuri आम का योगदान
राष्ट्रीय आय में भागीदारी:
भारत में पल्प इंडस्ट्री लगभग ₹2,000 करोड़ की है, जिसमें Totapuri आम का बड़ा हिस्सा है।
10 लाख से अधिक किसान इस किस्म की खेती से जुड़े हैं।
ग्रामीण रोजगार:
प्रोसेसिंग यूनिटों में हजारों लोगों को स्थानीय रोज़गार मिलता है।
महिलाओं के लिए स्वरोजगार का एक बेहतर माध्यम है अचार और स्क्वैश बनाना।
Totapuri आम के वैश्विक निर्यात में भारत की स्थिति
प्रमुख निर्यात देश:
संयुक्त अरब अमीरात
सऊदी अरब
कतर
यूके
नीदरलैंड
मलेशिया
ब्रांडिंग और मार्केटिंग:
Indian Totapuri Mango Pulp को GI टैग दिलाने की मांग
“Made in India Organic Mango” जैसे टैग से निर्यात में लाभ
Totapuri आम पर विचार योग्य पहलू (Critical Thinking Points)
क्या Totapuri आम को अत्यधिक प्रोसेसिंग से दूर रखा जा सकता है ताकि उसका पोषण अधिकतम रहे?
क्या सरकार को इसे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के तहत लाना चाहिए?
क्या Agri-Startups को आम आधारित value chains में निवेश करना चाहिए?
Totapuri आम से बनने वाले नवाचार उत्पाद (Innovative Mango Products)
मैंगो पेपर: सूखे आम के गूदे से बना biodegradable कागज
मैंगो वाइन: पके हुए आमों से तैयार हल्का फर्मेंटेड पेय
मैंगो सीड ऑयल: सौंदर्य प्रसाधनों में इस्तेमाल होने वाला तेल
मैंगो चॉकलेट: दूध और आम के पल्प से तैयार मिठाई
निष्कर्ष: Totapuri आम – भारतीय बागवानी की सुनहरी मिसाल
Totapuri आम भारत की उन विरासतों में से एक है, जिसने न केवल पारंपरिक स्वाद को सहेजा है, बल्कि आर्थिक, व्यावसायिक और वैश्विक पहचान का प्रतीक भी बन गया है।
इसकी खास पहचान – बिना रेशा वाला मोटा गूदा, हल्की खटास और प्रोसेसिंग के लिए आदर्श गुण – इसे आम की बाकी किस्मों से अलग बनाते हैं।
आज जब भारत जैविक कृषि, वैल्यू एडेड एग्रीकल्चर और अंतरराष्ट्रीय निर्यात में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है, Totapuri आम की भूमिका और भी अहम हो जाती है। यह एक ऐसा फल है जो:
किसानों को सम्मानजनक आमदनी देता है,
उद्योगों को कच्चा माल प्रदान करता है,
ग्राहकों को पोषण और स्वाद देता है,
और भारत को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान देता है।
बढ़ती मांग, तकनीकी नवाचार, सरकारी योजनाओं और किसानों की मेहनत से आज Totapuri केवल एक फल नहीं, बल्कि एक ब्रांड, एक अवसर, और एक भविष्य बन चुका है।
यदि सही मार्गदर्शन, आधुनिक प्रशिक्षण, और जैविक मूल्यों को अपनाया जाए, तो यह आम “भारत की खेती को आत्मनिर्भरता और वैश्विक सफलता की दिशा में अग्रसर” कर सकता है।
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