UNCTAD: 2024 की अंतिम तिमाही में भारत का व्यापार रिकॉर्ड तोड़ बढ़ा, लेकिन क्या यह रफ्तार टिक पाएगी?
UNCTAD: संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (UNCTAD) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2024 की अंतिम तिमाही में वैश्विक व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। इस रिपोर्ट में खास तौर पर भारत के व्यापार क्षेत्र में मजबूती का जिक्र किया गया है। जहां एक ओर कई विकसित देशों के व्यापार में मंदी देखने को मिली, वहीं भारत ने निर्यात और आयात दोनों मोर्चों पर मजबूत प्रदर्शन किया।
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Toggleयह डेटा 2024 की अंतिम तिमाही में भारत के व्यापार में हुई वृद्धि, वैश्विक व्यापार परिदृश्य, और भारत की अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव का विस्तृत विश्लेषण करेगा। इसमें हम उन कारकों को समझने का प्रयास करेंगे जो इस वृद्धि के पीछे हैं और भारत को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में सहायक साबित हुए हैं।
1. UNCTAD: वैश्विक व्यापार का परिदृश्य 2024 में उभरती चुनौतियाँ और अवसर
वैश्विक व्यापार की स्थिति
2024 में वैश्विक व्यापार का कुल मूल्य रिकॉर्ड स्तर तक पहुँच गया। UNCTAD के अनुसार, वैश्विक व्यापार 33 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के आंकड़े को पार कर गया, जो 2023 की तुलना में लगभग 3.3% अधिक है। हालांकि, यह वृद्धि समान रूप से सभी देशों में नहीं देखी गई।
कई विकसित देशों, विशेषकर यूरोपीय संघ और जापान में व्यापार धीमा पड़ गया, जबकि चीन, भारत और अमेरिका जैसे देशों ने निर्यात में सकारात्मक वृद्धि दर्ज की।
व्यापार में वृद्धि के कारण
सेवा क्षेत्र की मजबूती: डिजिटल सेवाओं, वित्तीय सेवाओं और आईटी उद्योग में उछाल
ऊर्जा और प्राकृतिक संसाधनों की मांग: कच्चे तेल और खनिजों की निरंतर मांग
आपूर्ति श्रृंखला में सुधार: कोविड-19 के बाद से सप्लाई चेन में आ रही बाधाओं का समाधान
2.UNCTAD: भारत का व्यापार एक विस्तृत विश्लेषण

निर्यात में वृद्धि
भारत ने 2024 की अंतिम तिमाही में निर्यात में उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की। देश का कुल निर्यात पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 7% बढ़ा, जिससे यह चीन और अमेरिका के बाद दुनिया का तीसरा सबसे तेजी से बढ़ता निर्यातक बन गया।
प्रमुख निर्यात क्षेत्र
आईटी और सेवा उद्योग: सॉफ्टवेयर निर्यात में 12% की वृद्धि
वस्त्र और परिधान: उच्च गुणवत्ता वाले वस्त्रों की मांग बढ़ी
कृषि उत्पाद: विशेष रूप से चावल और मसालों के निर्यात में उछाल
इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल: मोबाइल फोन और ईवी (इलेक्ट्रिक व्हीकल) के निर्यात में बढ़त
UNCTAD: आयात में मजबूती
आयात के मामले में भी भारत ने अच्छी वृद्धि दर्ज की। 2024 की अंतिम तिमाही में आयात 8.4% बढ़ा, जिससे कुल आयात मूल्य 173 अरब डॉलर तक पहुँच गया।
UNCTAD: प्रमुख आयात क्षेत्र
कच्चा तेल और पेट्रोलियम उत्पाद
अर्धचालक और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण
स्वास्थ्य और चिकित्सा उपकरण
भारत की अर्थव्यवस्था में वृद्धि के साथ-साथ घरेलू उपभोक्ता मांग में भी इजाफा हुआ, जिससे आयात में तेजी देखी गई।
3. UNCTAD: व्यापार संतुलन और भारत की रणनीति
व्यापार संतुलन की स्थिति
UNCTAD: व्यापार संतुलन (Trade Balance) किसी भी देश के निर्यात और आयात के बीच के अंतर को दर्शाता है। भारत का व्यापार घाटा बढ़ा जरूर, लेकिन इसके पीछे मुख्य कारण घरेलू मांग में तेजी और औद्योगिक उत्पादन में मजबूती रही।
कारण
निर्यात और आयात दोनों में वृद्धि
ऊर्जा और कच्चे माल की बढ़ती कीमतें
वैश्विक लॉजिस्टिक्स में सुधार
भारत सरकार ने व्यापार संतुलन को सुधारने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी योजनाओं को बढ़ावा दिया, जिससे निर्यात को गति मिली।
4. वैश्विक व्यापार में भारत की भूमिका
भारत की निर्यात नीति
भारत ने 2024 में नई व्यापार नीति लागू की, जिसका लक्ष्य था:
निर्यात को प्रोत्साहित करना
घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देना
नई तकनीकों को अपनाना
सेवा क्षेत्र का योगदान
UNCTAD: भारत की आईटी और व्यापारिक सेवाएँ वैश्विक बाजार में अपनी मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं। सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट में 12% की वृद्धि दर्ज की गई।
5. प्रमुख चुनौतियाँ और समाधान
भूराजनीतिक तनाव
रूस-यूक्रेन युद्ध और चीन-ताइवान विवाद जैसे भू-राजनीतिक संकटों का असर वैश्विक व्यापार पर पड़ा।
समाधान
नई बाजार रणनीतियाँ: भारत ने यूरोप और अफ्रीका के बाजारों पर ध्यान केंद्रित किया।
स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा: आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत देश में उत्पादन को मजबूत किया गया।
कच्चे माल की बढ़ती कीमतें
वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल और अन्य वस्तुओं की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, जिससे व्यापार प्रभावित हो सकता है।
समाधान
नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाना
विदेशी निवेश आकर्षित करना
6. भविष्य की संभावनाएँ और रणनीतियाँ
डिजिटल व्यापार का बढ़ता महत्व
भारत ने ई-कॉमर्स और डिजिटल सेवाओं को मजबूत किया, जिससे छोटे और मध्यम व्यापारियों को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा करने का मौका मिला।
व्यापार समझौतों की भूमिका
UNCTAD: भारत ने कई देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) पर हस्ताक्षर किए, जिससे व्यापार बाधाओं को कम किया गया।
भारत के व्यापार की मजबूती और भविष्य की रणनीतियाँ
UNCTAD: भारत ने 2024 की अंतिम तिमाही में व्यापार क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की, लेकिन यह सफर केवल यहीं तक सीमित नहीं है। आने वाले समय में भारत को कई अवसरों और चुनौतियों का सामना करना होगा। यहां हम 10 प्रमुख बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे, जो भारत के व्यापारिक परिदृश्य को प्रभावित कर सकते हैं।
1. भारत का वैश्विक निर्यात नेटवर्क मजबूत हो रहा है
भारत तेजी से अपने निर्यात नेटवर्क को विस्तारित कर रहा है। 2024 में भारत ने यूरोप, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका जैसे नए बाजारों में प्रवेश किया।
मुख्य कारक:
भारतीय वस्त्र उद्योग यूरोपीय बाजारों में अधिक प्रतिस्पर्धी हो गया है।
अफ्रीका में डिजिटल सेवाओं और दवा उद्योग का विस्तार हो रहा है।
भारत और दक्षिण अमेरिका के बीच कृषि उत्पादों का व्यापार बढ़ा है।
2. उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLI) से निर्यात को बढ़ावा
सरकार की Production-Linked Incentive (PLI) योजना का सकारात्मक प्रभाव इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा, ऑटोमोबाइल, और टेक्सटाइल उद्योगों पर पड़ा है।
मुख्य लाभ:
मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का निर्यात तेजी से बढ़ा।
ऑटोमोबाइल सेक्टर, विशेषकर इलेक्ट्रिक वाहन (EV) निर्माण में तेजी आई।
फार्मा सेक्टर में सस्ती और उच्च गुणवत्ता वाली दवाओं की वैश्विक मांग बढ़ी।
3. भारत और ASEAN देशों के बीच व्यापार सहयोग बढ़ा
UNCTAD: भारत और ASEAN देशों के बीच व्यापार 2024 में 15% बढ़ा, जो एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
प्रमुख पहल:
भारत और वियतनाम के बीच कृषि उत्पादों का व्यापार बढ़ा।
इंडोनेशिया और मलेशिया के साथ ई-कॉमर्स और डिजिटल सेवाओं में साझेदारी बढ़ी।
दक्षिण पूर्व एशियाई बाजार में भारत की दवा कंपनियों ने अपनी स्थिति मजबूत की।
4. भारतीय समुद्री व्यापार और बंदरगाहों में निवेश
भारत अपने समुद्री व्यापार को मजबूत करने के लिए प्रमुख बंदरगाहों पर निवेश कर रहा है।
महत्वपूर्ण परियोजनाएँ:
सागरमाला परियोजना के तहत बंदरगाहों का आधुनिकीकरण किया जा रहा है।
मुंबई, चेन्नई और कोलकाता के बंदरगाहों का विस्तार किया गया।
कंटेनर लॉजिस्टिक्स में सुधार से माल ढुलाई की लागत घटी।
5. रुपया-आधारित व्यापार प्रणाली को बढ़ावा
UNCTAD: भारत ने कई देशों के साथ रुपया-आधारित व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे डॉलर पर निर्भरता कम हो रही है।
लाभ:
व्यापार संतुलन में सुधार हुआ।
रूस, ईरान और यूएई जैसे देशों के साथ व्यापार आसान हुआ।
विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव कम हुआ।

6. भारत का ऊर्जा क्षेत्र और व्यापार पर प्रभाव
ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ने से भारत के व्यापार संतुलन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
मुख्य सुधार:
सौर ऊर्जा उत्पादन में भारत दुनिया के अग्रणी देशों में शामिल हो गया।
ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत भारत भविष्य की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने की योजना बना रहा है।
कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता धीरे-धीरे कम हो रही है।
7. डिजिटल इंडिया और ई-कॉमर्स का बढ़ता प्रभाव
डिजिटल इंडिया पहल के तहत ई-कॉमर्स और डिजिटल सेवाओं का व्यापार तेजी से बढ़ रहा है।
मुख्य बिंदु:
Amazon और Flipkart जैसी कंपनियाँ भारत से अधिक निर्यात कर रही हैं।
छोटे व्यापारियों को ONDC (Open Network for Digital Commerce) प्लेटफॉर्म से वैश्विक बाजारों में व्यापार का मौका मिला।
फ्रीलांसिंग और डिजिटल सेवाएँ भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रही हैं
8. कृषि निर्यात में भारत की बढ़ती हिस्सेदारी
UNCTAD: 2024 की अंतिम तिमाही में भारत का कृषि निर्यात 10% बढ़ा, जिससे देश के किसानों को अधिक लाभ हुआ।
प्रमुख निर्यात उत्पाद:
चावल और गेहूँ का निर्यात मध्य पूर्व और अफ्रीकी देशों में बढ़ा।
मसाले और जैविक उत्पादों की यूरोप और अमेरिका में मांग बढ़ी।
डेयरी उत्पादों का निर्यात भी उभरते बाजारों में तेजी से बढ़ा।
9. भारत में स्टार्टअप इकोसिस्टम और व्यापार पर प्रभाव
भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम तेजी से विकसित हो रहा है, जिससे व्यापार को नई दिशा मिल रही है।
मुख्य पहल:
2024 में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप हब बन गया।
फिनटेक, हेल्थटेक और एग्रीटेक स्टार्टअप्स वैश्विक स्तर पर निवेश आकर्षित कर रहे हैं।
सरकार ‘Startup India’ और ‘Standup India’ जैसी योजनाओं से उद्यमिता को बढ़ावा दे रही है।
10. भारत की भविष्य की व्यापार रणनीति
UNCTAD: भारत 2030 तक वैश्विक व्यापार में शीर्ष 5 देशों में शामिल होने की दिशा में काम कर रहा है।
भविष्य की योजनाएँ:
नए मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) पर हस्ताक्षर करना।
स्थानीय विनिर्माण को और बढ़ावा देना।
आधुनिक लॉजिस्टिक्स नेटवर्क विकसित करना, जिससे सप्लाई चेन को मजबूत किया जा सके।
नई तकनीकों जैसे एआई, ब्लॉकचेन और बिग डेटा को व्यापार में अपनाना।
निष्कर्ष
UNCTAD: भारत की व्यापारिक वृद्धि 2024 की अंतिम तिमाही में बेहद मजबूत रही, और आने वाले वर्षों में इसे और गति मिलने की उम्मीद है। भारत के निर्यात, डिजिटल व्यापार, ऊर्जा आत्मनिर्भरता और स्टार्टअप इकोसिस्टम में सुधार से देश वैश्विक स्तर पर मजबूत स्थिति में पहुँच चुका है।
हालांकि, भूराजनीतिक तनाव, ऊर्जा संसाधनों की कीमतें और आपूर्ति श्रृंखला की चुनौतियाँ भारत के लिए आगे भी बनी रहेंगी, लेकिन सही नीतियों और सुधारों से भारत 2030 तक एक व्यापारिक महाशक्ति बन सकता है।
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