Uttarakhand e-RUPI Update: 4 नई नीतियों से किसानों की किस्मत चमकाने का मास्टरप्लान!
प्रस्तावना: उत्तराखंड में डिजिटल और कृषि क्रांति का आगाज़
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Toggleउत्तराखंड राज्य ने 17 मई 2025 को एक ऐतिहासिक दिन का अनुभव किया, जब मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में देश की सबसे आधुनिक डिजिटल भुगतान प्रणाली “ई-रूपी” की शुरुआत की।
इस अवसर पर उन्होंने चार नई कृषि नीतियों का अनावरण किया, साथ ही फूलों की खेती और शहद उत्पादन को लेकर नई नीतियों की घोषणा कर राज्य के कृषि क्षेत्र में व्यापक सुधार का संकेत दिया।
e-RUPI प्रणाली क्या है?
ई-रूपी एक डिजिटल वाउचर आधारित भुगतान प्रणाली है जिसे बिना इंटरनेट कनेक्शन के भी उपयोग किया जा सकता है। इसमें लाभार्थियों को एक SMS या QR कोड के रूप में वाउचर प्राप्त होता है, जिसका उपयोग वे सरकारी सेवाओं (जैसे कि उर्वरक, बीज, स्वास्थ्य सेवाएं आदि) में कर सकते हैं।
e-RUPI के लाभ:
उत्तराखंड में e-RUPI के कई प्रत्यक्ष और परोक्ष लाभ होंगे, विशेष रूप से ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों के लिए।
1. सीधा लाभ हस्तांतरण (DBT) में पारदर्शिता
अब सरकारी योजनाओं के लाभ सीधे वाउचर के माध्यम से मिलेंगे।
रिश्वत या बिचौलिए की कोई गुंजाइश नहीं।
2. बैंकिंग सेवाओं से वंचित लोगों को लाभ
पहाड़ों में कई स्थानों पर बैंकिंग की पहुँच नहीं है।
e-RUPI मोबाइल मैसेज या QR कोड के माध्यम से कार्य करता है, जिससे आम आदमी भी लाभ उठा सकता है।
3. स्वास्थ्य, शिक्षा और उर्वरक वितरण में प्रयोग
e-RUPI का इस्तेमाल स्कॉलरशिप, स्वास्थ्य सेवा, खाद-बीज वितरण जैसी कई सरकारी सेवाओं में किया जा सकता है।
पारदर्शिता: राशि सीधे सेवा प्रदाता को जाती है।
लक्ष्य आधारित: लाभार्थी निर्धारित सेवा के लिए ही वाउचर का उपयोग कर सकता है।
लागत में बचत: नकद वितरण की प्रक्रिया समाप्त।
मुख्यमंत्री द्वारा घोषित चार प्रमुख कृषि नीतियां
1. कृषि यंत्रीकरण नीति
इस नीति का उद्देश्य किसानों को सब्सिडी पर आधुनिक मशीनें प्रदान करना है। छोटे और सीमांत किसानों के लिए मशीन बैंकों की स्थापना की जाएगी।
2. फसल विविधीकरण नीति
उत्तराखंड में पारंपरिक फसलों की निर्भरता को कम करने और नकदी फसलों की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए यह नीति लागू की गई है।
3. जैविक खेती प्रोत्साहन नीति
राज्य में जैविक उत्पादों की मांग को देखते हुए किसानों को प्रशिक्षित किया जाएगा, जैविक खाद व कीटनाशकों पर सब्सिडी मिलेगी।
4. कृषि विपणन और मूल्य समर्थन नीति
किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य दिलाने के लिए मंडियों का डिजिटलीकरण, MSP पर अधिक फसलों को शामिल करने और राज्य स्तर पर मूल्य स्थिरीकरण कोष की स्थापना की गई है।
फूलों की खेती नीति: उत्तराखंड को ‘फ्लॉरल स्टेट’ बनाने की दिशा
उत्तराखंड की जलवायु फूलों की खेती के लिए उपयुक्त है। मुख्यमंत्री द्वारा घोषित इस नीति के अंतर्गत:
किसानों को सदाबहार और मौसमी फूलों की खेती में प्रशिक्षण मिलेगा।
सरकार फूलों के थोक बाजार विकसित करेगी।
गुलाब, जरबेरा, लिली, ऑर्किड जैसी उन्नत प्रजातियों को सब्सिडी पर बढ़ावा दिया जाएगा।
शहद उत्पादन नीति: मधुमक्खी पालन से आत्मनिर्भरता की ओर
उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में शहद उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं। नई नीति के अंतर्गत:
किसानों को मधुमक्खी पालन किट निशुल्क या रियायती दरों पर उपलब्ध कराई जाएगी।
क्लस्टर आधारित हनी हब विकसित किए जाएंगे।
शुद्धता की जांच के लिए हनी टेस्टिंग लैब्स की स्थापना होगी।
केंद्र-राज्य समन्वय: कृषि को लेकर साझा संकल्प
5 मई को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और मुख्यमंत्री धामी ने उत्तराखंड की कृषि योजनाओं की समीक्षा की। चर्चाओं में शामिल प्रमुख मुद्दे:
2000 कृषि विशेषज्ञों की तैनाती
1000 कृषि यंत्र बैंकों के लिए ₹400 करोड़ का प्रस्ताव
झंगोरा के लिए MSP की मांग
बाड़ निर्माण के लिए ₹1,053 करोड़ की परियोजना
कीवी, मशरूम, विदेशी सब्जियों के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस
उत्तराखंड के विकास का नया मॉडल
धामी सरकार ने विभिन्न जिलों में अनेक विकास परियोजनाएं शुरू कीं:
चंपावत में ₹113 करोड़ की 18 परियोजनाएं
काशीपुर में ₹110 करोड़ की सड़क और सीवेज परियोजनाएं
70 विधायकों को ₹5 करोड़ प्रति विधायक निधि
80,000 युवाओं के लिए नई भर्तियां

इन पहलों का प्रभाव: किसानों और ग्रामीणों की बदलती तस्वीर
इन योजनाओं के लागू होने से उत्तराखंड के किसानों को न केवल आर्थिक सशक्तिकरण मिलेगा, बल्कि उन्हें तकनीक, बाजार और सुरक्षा तीनों स्तरों पर सशक्त किया जाएगा। फूलों और शहद की खेती को प्रोत्साहन देकर उत्तराखंड पर्यटन और निर्यात में भी वृद्धि करेगा।
उत्तराखंड की फूल नीति | Uttarakhand Flower Policy 2025
राज्य सरकार उत्तराखंड को “फ्लॉरल स्टेट” बनाने के मिशन पर है। प्रस्तावित फूल नीति में कई प्रावधान होंगे:
बुग्याल क्षेत्रों में स्थानीय फूलों की खेती को बढ़ावा,
फूलों के निर्यात को सरकारी सहायता,
फूल आधारित उद्योगों (अगरबत्ती, इत्र, गुलदस्ता उद्योग) को बढ़ावा।
मुख्यमंत्री का मानना है कि उत्तराखंड के मौसम और भौगोलिक स्थिति फूलों की खेती के लिए अत्यंत अनुकूल है और इससे गांवों में स्वरोजगार के द्वार खुलेंगे।
शहद नीति – मधु ग्राम की कल्पना | Honey Policy Uttarakhand CM Dhami
शहद उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री ने आगामी शहद नीति की रूपरेखा भी प्रस्तुत की:
हर जिले में “मधु ग्राम” की स्थापना,
प्रशिक्षित मधुमक्खी पालकों को आर्थिक सहायता,
100% जैविक शहद उत्पादन की दिशा में कार्य,
उत्तराखंडी शहद को ब्रांड बनाने की पहल।
यह नीति ना केवल कृषि आधारित स्वरोजगार को बढ़ावा देगी, बल्कि राज्य की जीव विविधता और पारिस्थितिकी संतुलन को भी सहेजेगी।
कृषि भूमि कानून – बाहरी लोगों पर रोक | Uttarakhand Krishi Bhoomi Kanoon 2025
उत्तराखंड सरकार ने राज्य की कृषि भूमि की रक्षा के लिए एक मजबूत कानून लागू किया है, जिसके अनुसार:
अब बाहरी लोग 11 पहाड़ी जिलों में कृषि भूमि नहीं खरीद पाएँगे।
राज्य की संस्कृति, पर्यावरण और स्थानीय रोजगार की रक्षा होगी।
यह फैसला राज्य की लोकसंस्कृति और ग्रामीण स्वरूप को बनाए रखने की दिशा में मील का पत्थर माना जा रहा है।
मुख्यमंत्री की दृष्टि – आत्मनिर्भर किसान, सशक्त उत्तराखंड
मुख्यमंत्री धामी की इन सभी पहलों के पीछे एक स्पष्ट सोच है — “किसान मजबूत होगा, तो उत्तराखंड आत्मनिर्भर बनेगा।” उनकी प्राथमिकता है:
युवा किसानों को आधुनिक ज्ञान,
किसानों को डिजिटल साधनों से जोड़ना,
कृषि को एक लाभदायक व्यवसाय बनाना।
उत्तराखंड का भविष्य: “डिजिटल + जैविक” राज्य बनने की दिशा में
मुख्यमंत्री धामी की यह योजना केवल योजनाएं नहीं, बल्कि दूरदर्शी रणनीति का हिस्सा हैं जो उत्तराखंड को “Digital+Organic State” में बदलने की नींव रखती है। यहां पर ई-रूपी, जैविक खेती, फूलों की खेती और मधुमक्खी पालन को जोड़कर एक सतत कृषि आधारित अर्थव्यवस्था तैयार की जा रही है।
किस तरह से यह योजना उत्तराखंड के युवाओं को जोड़ती है?
एग्री-बिजनेस स्टार्टअप को बढ़ावा मिलेगा।
युवा किसानों के लिए डिजिटल कृषि प्रशिक्षण केंद्र स्थापित होंगे।
रिवर्स माइग्रेशन को प्रोत्साहित कर पहाड़ी क्षेत्रों में रोजगार के अवसर तैयार किए जाएंगे।
महिला सशक्तिकरण में इन योजनाओं की भूमिका
महिला स्वयं सहायता समूहों को फूलों और शहद के उत्पादन में प्राथमिकता दी जाएगी।
जैविक उत्पादों की ब्रांडिंग और पैकेजिंग में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है।
महिलाओं को ई-रूपी वाउचर के माध्यम से लक्षित सहायता प्रदान की जाएगी।
उत्तराखंड को आदर्श कृषि राज्य बनाने की दिशा में उठाए गए अन्य कदम
उत्तराखंड कृषि विश्वविद्यालय को तकनीकी सलाहकार बनाया गया है।
PM Fasal Bima Yojana को ई-रूपी के साथ जोड़ा जाएगा।
फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स की स्थापना की जाएगी।
पर्यावरण और सतत विकास की दृष्टि
जैविक खेती से रासायनिक प्रदूषण में कमी आएगी।
मधुमक्खी पालन से परागण में वृद्धि और जैव विविधता का संरक्षण होगा।
पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखने में मदद मिलेगी।
उत्तराखंड की कृषि नीति की चुनौतियाँ | Challenges in Uttarakhand Agriculture Policy 2025
इन नीतियों के क्रियान्वयन में कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियाँ भी सामने आ सकती हैं, जिन्हें सरकार को गंभीरता से लेना होगा:
1. जागरूकता और प्रशिक्षण की कमी
किसानों को e-RUPI, जैविक खेती और आधुनिक यंत्रों के उपयोग की जानकारी देना आवश्यक है।
2. भौगोलिक बाधाएँ
पहाड़ी इलाकों में खेती करना पहले से ही कठिन है। मशीनों का प्रयोग वहाँ आसान नहीं।
3. विपणन की समस्याएँ
उत्तराखंडी उत्पादों को बाहरी बाजार में उचित मूल्य और ब्रांडिंग दिलाना एक बड़ी चुनौती है।
4. नकली जैविक उत्पादों से प्रतिस्पर्धा
सस्ते और नकली जैविक उत्पाद राज्य के असली उत्पादों को बाज़ार में चुनौती दे सकते हैं।
मुख्यमंत्री धामी की किसान केंद्रित सोच | CM Pushkar Singh Dhami Vision for Farmers
मुख्यमंत्री धामी की सभी नीतियों में एक बात साफ़ झलकती है – किसानों की गरिमा को पुनर्स्थापित करना। उनका मानना है कि:
अब किसान सिर्फ अन्नदाता नहीं बल्कि उद्यमी बनें।
खेती को आधुनिक, वैज्ञानिक और बाजारोन्मुख बनाया जाए।
युवाओं को एग्री स्टार्टअप की ओर प्रेरित किया जाए।
उत्तराखंड को जैविक राज्य बनाने की दिशा | Making Uttarakhand an Organic State
उत्तराखंड की सरकार 2027 तक राज्य को पूर्णत: जैविक राज्य घोषित करने की योजना बना रही है। इसके अंतर्गत:
रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता समाप्त होगी।
किसानों को जैविक प्रमाणन (organic certification) की सुविधा मुफ्त दी जाएगी।
विदेशों में निर्यात के लिए ऑर्गेनिक ब्रांडिंग विकसित की जाएगी।
फूल और शहद नीति का ग्रामीण विकास से संबंध | Link Between Floriculture, Apiculture & Rural Development
फूल और शहद की नीति सिर्फ खेती नहीं, बल्कि ग्राम विकास, महिला सशक्तिकरण और पर्यटन से जोड़कर आयवृद्धि का माध्यम भी बनेगी।
फूल नीति के प्रभाव:
शादी-ब्याह, धार्मिक समारोहों, होटलों और सजावट के लिए स्थायी माँग।
फूलों की खेती में कम जमीन और ज्यादा मुनाफा।
शहद नीति के प्रभाव:
महिलाओं और युवाओं के लिए कम लागत में स्वरोजगार।
“हिम शहद” जैसे ब्रांड से राज्य की अलग पहचान।

डिजिटल उत्तराखंड की दिशा में बड़ा कदम | e-Governance in Agriculture Sector
इन सभी योजनाओं के साथ उत्तराखंड सरकार एक डिजिटल इकोसिस्टम खड़ा कर रही है:
किसानों का e-KYC और e-RUPI से जुड़ाव।
जमीन का डिजिटल रिकॉर्ड।
मोबाइल ऐप्स के माध्यम से सभी कृषि योजनाओं की जानकारी।
उत्तराखंड कृषि विकास – भविष्य की रणनीति | Future Roadmap of Agriculture in Uttarakhand
राज्य सरकार निम्नलिखित बिंदुओं पर भविष्य की रणनीति बना रही है:
सौर ऊर्जा आधारित सिंचाई का विस्तार।
फूड प्रोसेसिंग उद्योग के लिए निवेश आकर्षित करना।
हर्बल और औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा।
FPO (Farmer Producer Organization) के माध्यम से समूह खेती।
उत्तराखंड – आत्मनिर्भर भारत की एक मिसाल | Uttarakhand as a Model for Self-Reliant India
उत्तराखंड की ये योजनाएँ ना केवल राज्य को आगे ले जाएँगी, बल्कि अन्य राज्यों के लिए मॉडल बन सकती हैं। प्रधानमंत्री मोदी के “आत्मनिर्भर भारत” के विजन के अनुरूप यह पहलें हैं:
तकनीक, पारंपरिक ज्ञान और आधुनिकता का संगम।
पर्यावरण के संरक्षण के साथ आर्थिक समृद्धि।
महिला और युवा केंद्रित विकास।
FAQ – उत्तराखंड e-RUPI और कृषि नीतियाँ 2025
Q1: e-RUPI क्या है और यह कैसे काम करता है?
उत्तर:
e-RUPI एक डिजिटल वाउचर आधारित भुगतान प्रणाली है, जो लाभार्थी के मोबाइल पर SMS या QR कोड के रूप में भेजी जाती है। इसे किसी बैंक खाते या इंटरनेट की जरूरत के बिना सीधे सेवा प्रदाता को भुगतान करने में प्रयोग किया जाता है। इसका उपयोग सरकारी योजनाओं के लाभ सीधे देने के लिए किया जाता है।
Q2: उत्तराखंड में e-RUPI को लागू करने का उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
e-RUPI को लागू करने का उद्देश्य सरकारी योजनाओं को पारदर्शी, लक्षित और भ्रष्ट्राचार-मुक्त बनाना है। इससे लाभार्थियों को सीधे और बिना किसी बिचौलिए के लाभ मिल पाएगा।
Q3: उत्तराखंड की चार नई कृषि नीतियाँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर:
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा लॉन्च की गई चार नई कृषि नीतियाँ हैं:
- जैविक कृषि नीति
- बीज विकास एवं वितरण नीति
- उद्यान नीति 2025
- नवाचार एवं अनुसंधान कृषि नीति
Q4: फूल और शहद नीति कब लागू होगी?
उत्तर:
फूल (फ्लोरीकल्चर) और शहद (एपीकल्चर) नीति की रूपरेखा तैयार की जा रही है और मुख्यमंत्री ने इसकी जल्द घोषणा की बात कही है। इसका उद्देश्य किसानों को वैकल्पिक आय स्रोत देना है।
Q5: e-RUPI से किसानों को क्या विशेष लाभ होंगे?
उत्तर:सब्सिडी और योजनाओं के लाभ सीधे डिजिटल वाउचर के रूप में मिलेंगे।
पारदर्शिता और समय की बचत होगी।
किसानों को बैंक पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
तकनीक से जुड़कर स्मार्ट किसान बन सकेंगे।
Q6: उत्तराखंड जैविक राज्य कैसे बनेगा?
उत्तर:
राज्य सरकार का लक्ष्य 2027 तक रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों को पूरी तरह समाप्त कर राज्य को जैविक बनाना है। इसके लिए जैविक प्रशिक्षण, प्रमाणन, विपणन सहायता और अंतरराष्ट्रीय बाजार से जुड़ाव को बढ़ावा दिया जा रहा है।
Q7: क्या e-RUPI का इस्तेमाल सिर्फ किसानों के लिए है?
उत्तर:
नहीं, e-RUPI का उपयोग स्वास्थ्य, शिक्षा, टीकाकरण, स्कॉलरशिप, उर्वरक वितरण, सामाजिक सुरक्षा योजनाओं आदि में भी किया जा सकता है।
Q8: e-RUPI का लाभ लेने के लिए किन दस्तावेजों की आवश्यकता है?
उत्तर:
मोबाइल नंबर
आधार कार्ड
योजना विशेष के लिए पात्रता दस्तावेज (जैसे किसान रजिस्ट्रेशन, भूमि रिकॉर्ड आदि)
हालांकि, बैंक खाता जरूरी नहीं है।
Q9: क्या उत्तराखंड की नई कृषि नीतियों से युवाओं को भी लाभ होगा?
उत्तर:
हां, इन नीतियों में कृषि स्टार्टअप्स, फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स, जैविक खेती में नवाचार और डिजिटल खेती को बढ़ावा दिया गया है, जिससे युवा उद्यमियों को रोजगार और व्यापार के अवसर मिलेंगे।
Q10: e-RUPI से संबंधित कोई शिकायत या मदद के लिए कहाँ संपर्क करें?
उत्तर:
लाभार्थी उत्तराखंड कृषि विभाग, CSC (Common Service Center), या e-RUPI हेल्पलाइन से संपर्क कर सकते हैं। जल्दी ही इसके लिए एक राज्यस्तरीय पोर्टल और टोल फ्री नंबर भी जारी किया जाएगा।
Q11: क्या e-RUPI ऑफलाइन भी इस्तेमाल हो सकता है?
उत्तर:
हां, e-RUPI वाउचर QR कोड या SMS के रूप में मोबाइल पर आता है और इसे स्कैन कर ऑफलाइन भुगतान भी किया जा सकता है, बशर्ते सेवा प्रदाता के पास आवश्यक डिवाइस हो।
Q12: क्या यह नीति पहाड़ी क्षेत्रों में भी प्रभावी होगी?
उत्तर:
जी हाँ, नीति को विशेष रूप से पर्वतीय क्षेत्रों की भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया गया है। पारंपरिक कृषि, औषधीय पौधों, जैविक उत्पादों और फूलों की खेती को प्राथमिकता दी गई है।
निष्कर्ष: उत्तराखंड में e-RUPI और कृषि नीतियों का क्रांतिकारी कदम
उत्तराखंड सरकार द्वारा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अगुवाई में e-RUPI प्रणाली का शुभारंभ और चार प्रमुख कृषि नीतियों की घोषणा राज्य के किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए एक ऐतिहासिक पहल है।
इससे न केवल योजनाओं में पारदर्शिता और समयबद्ध लाभ वितरण सुनिश्चित होगा, बल्कि किसानों को आत्मनिर्भर और तकनीक-सक्षम भी बनाया जा सकेगा।
जैविक खेती को बढ़ावा, बीज सुधार, उद्यानिकी विकास, और कृषि नवाचार के क्षेत्र में नीति निर्माण राज्य को “जैविक उत्तराखंड” बनाने के सपने की ओर ले जा रहा है।
इसके अलावा प्रस्तावित फूल और शहद नीति किसानों को नए बाजार, मूल्यवर्धन और निर्यात के अवसर प्रदान करेगी।
e-RUPI जैसी डिजिटल वाउचर प्रणाली सीधे लाभार्थी को बिना किसी बिचौलिए के सहायता पहुँचाकर सरकारी योजनाओं को अधिक पारदर्शी, लक्ष्यित, और भ्रष्टाचार-मुक्त बनाएगी।
इस संपूर्ण पहल से स्पष्ट है कि उत्तराखंड अब केवल पारंपरिक खेती पर निर्भर नहीं रहेगा, बल्कि डिजिटल, जैविक, और नवाचार-आधारित कृषि को अपनाकर राज्य और देश की कृषि अर्थव्यवस्था में अग्रणी भूमिका निभाने को तैयार है।
यह कदम डबल इंजन सरकार के उस विजन को साकार करता है, जिसमें किसान की समृद्धि, ग्राम का विकास, और राज्य की खुशहाली को केंद्र में रखा गया है।
“डिजिटल पहाड़, समृद्ध किसान” की दिशा में उत्तराखंड का यह कदम पूरे देश के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण है।
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