Indian Junior Women’s Hockey Team की बेल्जियम पर 3-2 की रोमांचक जीत
प्रस्तावना: जब जूनियर्स ने दिखाई सीनियर क्लास
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ToggleIndian Junior Women’s Hockey Team ने यूरोप दौरे के पहले ही मुकाबले में इतिहास रच दिया। बेल्जियम के एंटवर्प शहर में खेले गए इस हाई-वोल्टेज मैच में भारत ने मेज़बान टीम को 3-2 से हरा दिया। यह सिर्फ एक जीत नहीं थी, बल्कि भारत की खेल संस्कृति में उभरती बेटियों का वो जोश था, जिसने साबित कर दिया कि आने वाला कल हमारा है।
मैच स्थल और पृष्ठभूमि
स्थान: विलरिज़ प्लेन हॉकी स्टेडियम, एंटवर्प, बेल्जियम
तिथि: 8 जून 2025
अवसर: भारत की यूरोपीय हॉकी सीरीज़ की शुरुआत
विपक्षी टीम: बेल्जियम जूनियर महिला टीम
यह यूरोप दौरा भारत की अंडर-21 Women’s Hockey Team के लिए न केवल एक टूर्नामेंट है, बल्कि यह एक टेस्ट है कि कैसे ये युवा खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय माहौल में खुद को साबित करती हैं।
पहला हाफ – जब भारत ने दिखाई आक्रामक शुरुआत
खेल की शुरुआत से ही भारतीय Women’s Hockey Team ने आक्रामक रुख अपनाया। 11वें मिनट में गीता यादव ने पहला गोल दागकर बेल्जियम की डिफेंस लाइन को हिला दिया। यह गोल ना केवल स्कोरबोर्ड पर बढ़त थी, बल्कि विरोधियों को मनोवैज्ञानिक दबाव में लाने की रणनीति भी थी।
बेल्जियम ने हालांकि 25वें मिनट में वापसी की और स्कोर 1-1 से बराबर कर दिया। खेल का टेम्पो तेज होता गया और दोनों टीमें पूरे जोश के साथ खेलने लगीं।
दूसरा हाफ – भारत की वापसी और निर्णायक बढ़त
दूसरे हाफ में बेल्जियम ने 34वें मिनट में दूसरा गोल किया और 2-1 की बढ़त बना ली। कुछ समय तक लगने लगा कि भारत पर दबाव हावी हो जाएगा। लेकिन Women’s Hockey Team की ‘never give up’ मानसिकता ने पूरा खेल पलट दिया।
40वें मिनट में सोनम ने ज़ोरदार फील्ड गोल कर मैच को फिर से बराबरी पर ला खड़ा किया – 2-2।
इसके बाद 45वें मिनट में लल्थांतलुआंगी ने पेनल्टी कॉर्नर को गोल में बदल कर भारत को 3-2 की निर्णायक बढ़त दिला दी।
रणनीति और टीम संयोजन – कोचिंग की जीत
Women’s Hockey Team की इस जीत के पीछे हेड कोच पीयूष कुमार दुबे की रणनीति अहम रही। उन्होंने खिलाड़ियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि पहले 15 मिनट में ही दबाव बनाया जाए। डिफेंस और मिडफील्ड की चेन प्रणाली ने बेल्जियम को अपनी संरचना बनाने का मौका ही नहीं दिया।
3-4-3 फार्मेशन के तहत भारत ने आक्रामक हॉफ प्रैसिंग की तकनीक अपनाई और बेल्जियम के स्ट्राइकर को बेअसर कर दिया।
भारत की स्टार खिलाड़ी – प्रेरणा की मिसाल
गीता यादव (फॉरवर्ड)
शानदार स्पीड और प्लेसिंग की महारथी
11वें मिनट का गोल मानसिक बढ़त दिलाने वाला था
सोनम (मिडफील्ड)
गेंद पर नियंत्रण और पासिंग की दक्षता
40वें मिनट में किए गए गोल ने टीम को वापसी दिलाई
लल्थांतलुआंगी (डिफेंडर)
पेनल्टी कॉर्नर पर सटीक फ्लिक
45वें मिनट का गोल जीत का टर्निंग पॉइंट

खेल के आँकड़े – संख्या भी करती है बयान
गोल्स: भारत – 3, बेल्जियम – 2
पेनल्टी कॉर्नर्स: भारत – 4, बेल्जियम – 3
शॉट्स ऑन टारगेट: भारत – 7, बेल्जियम – 6
पास सफलता दर: भारत – 78%, बेल्जियम – 72%
पोज़ेशन: भारत – 53%, बेल्जियम – 47%
ये आंकड़े बताते हैं कि भारत ने पूरे मैच में तकनीकी रूप से नियंत्रण बनाए रखा।
यूरोपीय दौरा – आगे क्या?
भारत का अगला मुकाबला 10 जून 2025 को फिर से बेल्जियम के खिलाफ होगा। उसके बाद टीम:
ऑस्ट्रेलिया से खेलेगी (14 जून)
नीदरलैंड्स से भिड़ेगी (18 जून)
इन मैचों से भारत को जूनियर वर्ल्ड कप के लिए तैयारी का अवसर मिलेगा।
भविष्य की उम्मीदें – यह सिर्फ शुरुआत है
इस जीत से ये साफ हो गया है कि भारत की जूनियर Women’s Hockey Team में वह जुनून और क्षमता है, जो उन्हें वैश्विक मंच पर भारत का परचम लहराने के लिए सक्षम बनाती है।
इन खिलाड़ियों में वह ऊर्जा है, जो न केवल खेल के लिए, बल्कि “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, बेटी खिलाओ” अभियान के लिए प्रेरणा बन सकती है।
खिलाड़ियों की प्रतिक्रियाएं – मैदान से दिल की बातें
गीता यादव – “हर गोल देश के लिए था”
> “मैंने मैदान में उतरते ही तय कर लिया था कि स्कोरबोर्ड बदलकर रहूंगी। जब पहला गोल किया, तो लगा जैसे पूरा भारत मेरे पीछे खड़ा है। ये जीत सिर्फ टीम की नहीं, हर उस लड़की की है जो मैदान में आने का सपना देखती है।”
सोनम – “डर और दबाव को हरा दिया”
> “जब बेल्जियम 2-1 से आगे था, तो कई लड़कियों की आंखों में तनाव दिखा। लेकिन हमारे कोच ने कहा – ‘डर जीत से बड़ी चीज़ नहीं है’। फिर मैंने बस गोल की ओर दौड़ लगाई और स्कोर बराबर कर दिया।”
लल्थांतलुआंगी – “पेनल्टी कॉर्नर पर ज़िम्मेदारी थी, डर नहीं”
> “हर खिलाड़ी का सपना होता है कि वो निर्णायक पल में अपनी Women’s Hockey Team के लिए खड़ा हो। उस समय पेनल्टी कॉर्नर लेना डरावना था, लेकिन मैंने भारत की जीत को आंखों में देखा और वही किया जो सही था।”
कोच की रणनीति: जीत के पीछे की बुनियाद
पीयूष कुमार दुबे – भारत की युवा ब्रिगेड के मास्टरमाइंड
इस ऐतिहासिक जीत के पीछे कोच पीयूष दुबे की रणनीति का अहम योगदान था। उन्होंने खिलाड़ियों को हर स्थिति के लिए मानसिक रूप से तैयार किया।
उनकी तीन मुख्य रणनीतियाँ थीं:
1. हाई-इंटेंसिटी पहले क्वार्टर में
विरोधी टीम को पहले ही 15 मिनट में दबाव में लाना और लय बिगाड़ देना।
2. काउंटर-अटैक प्लानिंग
जैसे ही बेल्जियम मिडफील्ड में गलत पास करता, भारत फॉरवर्ड लाइन से तुरंत हमला करता।
3. रोटेशन पॉलिसी
थकान न हो इसलिए खिलाड़ियों को बार-बार रोटेट कर फुल एनर्जी बनाए रखी गई।
भारत की जूनियर Women’s Hockey Team – बीते वर्षों का प्रदर्शन
भारत की जूनियर Women’s Hockey Team ने पिछले एक दशक में कई बड़े टूर्नामेंटों में शानदार प्रदर्शन किया है। नीचे संक्षिप्त इतिहास:
वर्ष टूर्नामेंट परिणाम
2013 जूनियर वर्ल्ड कप कांस्य पदक
2016 एशिया कप रजत पदक
2021 एशिया कप स्वर्ण पदक
2022 जूनियर वर्ल्ड कप चौथा स्थान
2025 यूरोप टूर जीत से शुरुआत
> इससे पता चलता है कि भारतीय Women’s Hockey Team लगातार ग्रोथ कर रही है और अब बेल्जियम जैसी ताकतवर टीमों को हराना एक नया अध्याय बन रहा है।
शिक्षा, खेल और बेटियों का भविष्य
भारत में खेल और शिक्षा का जुड़ाव अब और गहरा हो रहा है। गीता, सोनम और लल्थांतलुआंगी जैसी खिलाड़ी छोटे शहरों से निकलकर अब ग्लोबल मंच पर पहुंच रही हैं।
इनकी सफलता ये संदेश देती है:
बेटियों को अवसर दो, वे इतिहास लिखेंगी।
खेल सिर्फ जीत नहीं, पहचान का माध्यम भी है।
गाँवों से निकलकर बेटियाँ अब विश्व विजेता बन रही हैं।

भारतीय Women’s Hockey Team के लिए यह जीत क्यों ऐतिहासिक मानी जा रही है?
इस जीत को ऐतिहासिक कहा जा रहा है, इसके पीछे कई ठोस और प्रेरक कारण हैं:
1. विदेशी ज़मीन पर जीत
भारतीय Women’s Hockey Team ने यूरोप में, बेल्जियम जैसे हॉकी में मजबूत देश के खिलाफ जीत दर्ज की। ये कोई घरेलू मुकाबला नहीं था — यह यूरोपीय परिस्थितियों, भाषा, जलवायु और दर्शकों के दबाव के बीच भारत की जीत थी।
2. युवा टीम, बड़ा कारनामा
Women’s Hockey Team की औसत आयु सिर्फ 18 वर्ष थी। इन खिलाड़ियों का अंतरराष्ट्रीय अनुभव कम था, फिर भी बेल्जियम जैसे देश को हराकर यह बता दिया कि भारतीय खिलाड़ियों की क्षमता उम्र नहीं, मेहनत और तैयारी से तय होती है।
3. रणनीति से जीता गया मैच
यह जीत सिर्फ ताकत की नहीं थी, यह रणनीति, संयम और तकनीक से जीता गया मुकाबला था। इससे यह संदेश गया कि भारत अब हॉकी में सिर्फ ‘हार्ड वर्क’ ही नहीं, बल्कि ‘स्मार्ट वर्क’ भी करता है।
भविष्य के सुपरस्टार्स – जिन पर देश को गर्व होगा
गीता यादव – “भारत की अगली वंदना कटारिया”
गीता यादव ने जिस अंदाज में बेल्जियम के डिफेंस को तोड़ा, उससे साफ हो गया कि वह आने वाले समय में सीनियर टीम की लीडिंग स्ट्राइकर बन सकती हैं। उनकी बॉल कंट्रोल, फ्लिक शॉट्स और रनिंग एंगल्स विश्व स्तरीय हैं।
सोनम – “मिडफील्ड की धड़कन”
सोनम की सबसे बड़ी खासियत है – मध्यम क्षेत्र (midfield) में नियंत्रण। उन्होंने न केवल पास डिस्ट्रीब्यूशन बेहतर किया, बल्कि समय पर टैकल और गोल से वापसी कराई।
लल्थांतलुआंगी – “डिफेंस की दीवार”
जब Women’s Hockey Team को पेनल्टी कॉर्नर मिला, तो डिफेंडर होते हुए भी उन्होंने अटैक में भागीदारी की और गोल दाग दिया। इससे साबित होता है कि वह टोटल हॉकी की परिभाषा हैं।
खेलो इंडिया’ और ‘टारगेट ओलंपिक पोडियम’ का असर
भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही Khelo India Scheme और TOPS (Target Olympic Podium Scheme) का यह असर देखने को मिल रहा है:
खिलाड़ियों को फ्री किट, ट्रेनिंग, फिजियो और डाइट सपोर्ट
मनोरोग विशेषज्ञ (sports psychologist) का सहयोग
अंतरराष्ट्रीय exposure tours, जिससे खिलाड़ी मानसिक रूप से मजबूत होते हैं
इस जीत ने यह भी सिद्ध कर दिया है कि जब सरकार, कोच और खिलाड़ी एक साथ हों — तो परिणाम चमत्कारी होते हैं।
भारत की अगली बड़ी उम्मीद: जूनियर वर्ल्ड कप 2025
अब भारत की नजरें होंगी:
अक्टूबर 2025 में होने वाले FIH Junior Women’s World Cup पर
यह टूर्नामेंट भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतने का सुनहरा मौका बन सकता है
बेल्जियम जैसी टीम को हराने से भारत को टॉप 5 सीडिंग मिल सकती है
निष्कर्ष: एक जीत, एक युग की शुरुआत
भारतीय जूनियर Women’s Hockey Team की बेल्जियम पर 3-2 की जीत सिर्फ एक स्कोरलाइन नहीं है, यह नई सोच, नई रणनीति, और नई ऊर्जा का प्रतीक है। इस जीत ने साबित कर दिया कि भारत की बेटियाँ अब सिर्फ भाग नहीं लेतीं, वो जीतकर दिखाती हैं।
यह मुकाबला उन सभी के लिए प्रेरणा है:
जो छोटे गाँवों से निकलकर बड़े सपने देखते हैं,
जो मानते हैं कि परिश्रम और सही मार्गदर्शन से कुछ भी संभव है,
और जो मानते हैं कि बेटियाँ केवल घर नहीं संभालतीं, देश का नाम भी रोशन करती हैं।
इस ऐतिहासिक जीत ने भारत को यह भरोसा दिया है कि हमारी जूनियर ब्रिगेड तैयार है — सिर्फ आने वाले वर्ल्ड कप के लिए नहीं, बल्कि ओलंपिक गोल्ड के लिए भी।
यह सिर्फ एक खेल नहीं था।
यह एक संदेश था — कि भारत अब महिला हॉकी में भी विश्व विजेता बनने की राह पर है।
जय हिंद! जय भारतीय महिला हॉकी!
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