Zero-Click Attacks: Modern Hack का नया हथियार और बचाव की Positive Strategy!
भूमिका – जब हमला होता है, और पता भी नहीं चलता
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Toggleकल्पना कीजिए – आप अपने स्मार्टफोन पर कोई मैसेज नहीं खोलते, किसी लिंक पर क्लिक नहीं करते, न ही कोई ऐप डाउनलोड करते हैं, फिर भी कोई है जो आपकी हर हरकत पर नजर रखे हुए है।
आपके कैमरे को चला सकता है, आपके मैसेज पढ़ सकता है, और आपके डेटा को चुपचाप चुरा रहा है। डरावना लगा? ये डरावना हकीकत है – और इसका नाम है Zero-Click Vulnerability।
यह साइबर दुनिया की ऐसी कमजोरी है, जो उपयोगकर्ता से कुछ भी किए बिना आपके डिवाइस को हैक कर सकती है। न कोई लिंक, न कोई क्लिक, न कोई चेतावनी।
Zero-Click Vulnerability क्या होती है?
Zero-Click Vulnerability एक ऐसा सुरक्षा छेद होता है जो किसी सॉफ़्टवेयर, ऑपरेटिंग सिस्टम या ऐप में मौजूद होता है और जिसका फायदा उठाने के लिए उपयोगकर्ता को किसी भी प्रकार की सहभागिता (interaction) की जरूरत नहीं होती।
दूसरे शब्दों में कहें तो:
> “यह एक ऐसा हमला है जो आपके अनजाने में ही आपके डिवाइस में एंट्री पा लेता है – बिना क्लिक, बिना टच, बिना सहमति।”
यह हमले आमतौर पर ऐसे सर्विसेज़ या ऐप्स पर होते हैं जो बैकग्राउंड में नेटवर्क डेटा को प्रोसेस करते हैं – जैसे:
मैसेजिंग ऐप्स (WhatsApp, iMessage, Signal)
कॉलिंग सर्विसेज़ (VoIP)
ईमेल ऐप्स
वायरलेस नेटवर्क्स (WiFi, Bluetooth)
Zero-Click Vulnerability कैसे काम करती है?
इसका मूल मंत्र है: Exploit करना बिना यूज़र एक्शन के।
Step-by-Step प्रक्रिया:
1. एक कमजोर सिस्टम या ऐप की पहचान:
जैसे कोई पुराना या unpatched सॉफ्टवेयर जिसमें bugs मौजूद हों।
2. दुर्भावनापूर्ण डेटा का निर्माण:
हमलावर एक विशेष crafted image, वीडियो, या मैसेज बनाते हैं जिसमें कोड छुपा होता है।
3. डेटा का नेटवर्क के जरिए भेजा जाना:
ये कोड ईमेल, MMS, iMessage, या किसी भी नेटवर्क के ज़रिए भेजा जा सकता है।
4. बैकग्राउंड में Auto-Process:
जैसे ही ऐप या सिस्टम इस डेटा को ‘प्रोसेस’ करता है – चाहे वो स्क्रीन पर दिखे या न दिखे – कोड एक्टिव हो जाता है।
5. डिवाइस पर नियंत्रण:
अब हमलावर आपके डिवाइस पर स्पाइवेयर, ट्रैकिंग टूल्स, या रिमोट कंट्रोल हासिल कर सकता है।
Zero-Click Vulnerabilities क्यों खतरनाक हैं?
अदृश्य हमला: यूज़र को इसका पता तक नहीं चलता।
कोई क्लिक नहीं: इसलिए पारंपरिक “Don’t click unknown links” वाली चेतावनी यहां बेकार हो जाती है।
बायपास सिक्योरिटी: ये कमजोरियाँ sandboxing, permissions और encryption को भी पार कर सकती हैं।
टारगेटेड हमले: इन्हें खास लोगों को निशाना बनाने में इस्तेमाल किया जाता है – पत्रकार, नेता, अफसर।
Google द्वारा खोजी गई हालिया Zero-Click खामी
2025 की शुरुआत में, Google Project Zero ने दो गंभीर कमजोरियाँ उजागर कीं, जिनमें से एक Zero-Click nature की थी।
CVE-2024-53150:
यह Android सिस्टम में पाई गई एक खामी थी जिसमें attacker को सिर्फ एक crafted डेटा पैकेट भेजकर सिस्टम से संवेदनशील डेटा निकालने की छूट मिल रही थी – बिना किसी अनुमति, बिना यूज़र की जानकारी।
यह खामी इतनी खतरनाक थी कि इसे Google ने Critical Severity में रखा और तत्काल पैच जारी किया।
Zero-Click Attacks के कुछ चर्चित उदाहरण
1. Pegasus Spyware (NSO Group)
यह दुनिया का सबसे चर्चित ज़ीरो-क्लिक हमला है।
iMessage में भेजे गए सिर्फ एक मैसेज के ज़रिए iPhone पर पूरा कंट्रोल हासिल कर लिया गया – कैमरा, माइक, लोकेशन, मैसेज, सब कुछ।
इसका शिकार बने – पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता, राजनेता।
2. WhatsApp Exploit 2019
WhatsApp कॉलिंग सिस्टम में एक बग पाया गया – जिसमें एक मिस्ड कॉल के ज़रिए स्पाइवेयर इंस्टॉल हो गया।
यूज़र ने कॉल उठाया तक नहीं था – और फोन संक्रमित हो गया।
3. iMessage Zero-Click Exploit (2021)
Apple के सबसे सुरक्षित माने जाने वाले प्लेटफॉर्म पर भी ज़ीरो-क्लिक हमला हुआ।
किसी मैसेज को खोले बिना ही डिवाइस एक्सप्लॉइट हो गया।
इन हमलों के पीछे कौन होता है?
Zero-Click Exploits विकसित करना आसान नहीं होता – इसके पीछे होती हैं बहुत सशक्त और पेशेवर संस्थाएँ, जैसे:
State-sponsored एजेंसियाँ
Advanced Persistent Threat (APT) ग्रुप्स
सरकारें, जो गुप्त निगरानी चाहती हैं

Zero-Click Vulnerability से कैसे बचें?
Zero-Click Vulnerabilities से पूरी तरह सुरक्षित रहना कठिन है, लेकिन नीचे दिए गए उपायों से आप खतरा काफी हद तक कम कर सकते हैं:
1. अपना सिस्टम अपडेट रखें
सभी सुरक्षा पैच को नियमित रूप से इंस्टॉल करें। Zero-Click हमले अक्सर पुराने सिस्टम पर होते हैं।
2. कम permissions दें
अपने ऐप्स को सोच-समझकर permissions दें – खासतौर पर कैमरा, माइक, कॉन्टैक्ट्स, लोकेशन।
3. फालतू ऐप्स हटाएं
जिन ऐप्स का उपयोग नहीं कर रहे, उन्हें फोन से हटा दें. कम ऐप्स = कम entry points
4. Encrypted फोन और मैसेजिंग ऐप्स का उपयोग करें
Signal, Proton Mail जैसे ऐप्स end-to-end encryption का बेहतर स्तर देते हैं।
5. Zero-Click Detection Tools
कुछ रिसर्च संगठन अब AI आधारित tools बना रहे हैं जो ज़ीरो-क्लिक हमलों के सिग्नल पहचान सकते हैं।
सरकारें और कंपनियाँ क्या कर रही हैं?
Google, Apple, और Microsoft जैसी कंपनियाँ अपने सुरक्षा रिसर्च टीमों (जैसे Project Zero) के माध्यम से इन हमलों की पहचान कर रही हैं।
Apple ने Lockdown Mode शुरू किया है – खासतौर पर उन लोगों के लिए जो ज़ीरो-क्लिक के खतरे में हैं।
सरकारें स्पाइवेयर डेवलपमेंट पर नियम और प्रतिबंध लगाने की कोशिश कर रही हैं।
मानवता की दृष्टि से चिंताएँ
Zero-Click Exploits केवल तकनीकी खतरा नहीं हैं – वे मानवाधिकार, निजता और लोकतंत्र के लिए भी एक बड़ा खतरा हैं।
प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला: जब पत्रकारों की जासूसी होती है।
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की निगरानी: जब सरकारें विरोध को कुचलना चाहती हैं।
सामान्य नागरिक का डेटा खतरे में: जब आपकी निजी बातें किसी के सर्वर पर पहुंच जाती हैं – बिना आपकी जानकारी के।

भविष्य की सुरक्षा बनाम Zero-Click खतरे – एक दौड़
जैसे-जैसे तकनीक आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे साइबर खतरों की प्रकृति भी विकसित हो रही है। Zero-Click Vulnerabilities इस रेस में सबसे तेज़ धावक बनकर उभरी हैं।
AI और Machine Learning का उपयोग – खतरा या सुरक्षा?
AI आज Zero-Click Exploits को पहचानने और रोकने में मदद कर रहा है, लेकिन ये तकनीक खुद हमलावरों द्वारा भी इस्तेमाल की जा रही है।
AI आधारित स्पाइवेयर अब नेटवर्क ट्रैफिक में छिप सकता है।
Deepfake जैसी तकनीकें Zero-Click Exploit को भ्रमित करने के लिए उपयोग हो सकती हैं।
Internet of Things (IoT) Devices पर खतरा
आपका Smart TV, Smart AC, या Smart Camera – ये सब भी Zero-Click Exploits के निशाने पर हैं।
इनमें अक्सर ऑटो-अपडेट नहीं होता और सिक्योरिटी कमजोर होती है।
भारत में Zero-Click Exploits – स्थिति और सुरक्षा नीति
भारत सरकार की चुनौतियाँ
भारत जैसे विशाल डिजिटल उपभोक्ता वाले देश में ऐसे हमले राष्ट्र की सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती हैं।
2021 में Pegasus मामले में भारतीय पत्रकारों, नेताओं और जजों के फोन टारगेट किए गए थे – यह एक wake-up call था।
सरकारी उपाय
CERT-IN (Indian Computer Emergency Response Team) लगातार advisories जारी करता है।
सरकार ने Pegasus जैसी surveillance टेक्नोलॉजी की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कमेटी बनाई थी।
Digital Personal Data Protection Act, 2023
इस नए कानून का उद्देश्य नागरिकों की निजता की रक्षा करना है। यह भी एक कदम है Zero-Click जैसे खतरों के खिलाफ कानूनी आधार बनाने की दिशा में।
Zero-Click Exploits का इंसानी पहलू – दिल को छू जाने वाली सच्ची घटनाएं
1. रवीना की कहानी – एक पत्रकार का डर
रवीना, एक स्वतंत्र पत्रकार, जो मानवाधिकारों पर रिपोर्टिंग करती थीं, को पता चला कि उनका फोन Pegasus से संक्रमित था।
उन्हें न तो मैसेज खोला था, न कोई कॉल उठाया – लेकिन हर कदम रिकॉर्ड हो रहा था।
इसने उनकी मानसिक सेहत को झकझोर दिया।
2. प्रोफेसर मिश्रा – शिक्षा में सेंध
एक प्रोफेसर जो विश्वविद्यालय में सेंसरशिप और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर शोध कर रहे थे, उनका डेटा चोरी हो गया – उनका Draft रिसर्च पेपर किसी दूसरे नाम से अंतरराष्ट्रीय पत्रिका में छप गया।
ये घटनाएं साबित करती हैं कि Zero-Click Vulnerability सिर्फ तकनीकी नहीं – इंसानी त्रासदी बन जाती है।
Zero-Click Exploits के विरुद्ध वैश्विक लड़ाई
1. Apple का Lockdown Mode
Apple ने iOS 16 में एक नया मोड शुरू किया – Lockdown Mode – जो high-risk users के लिए Zero-Click अटैक को रोकने की कोशिश करता है:
iMessage attachments को ब्लॉक करता है
JIT JavaScript को बंद करता है
नई कनेक्शन रिक्वेस्ट को रोकता है
2. Amnesty International और Citizen Lab का योगदान
इन संस्थाओं ने दुनियाभर में Zero-Click हमलों की पहचान की है।
इन्होंने forensic tools विकसित किए हैं जिससे यूज़र्स जांच सकते हैं कि उनका डिवाइस संक्रमित है या नहीं।
3. Big Tech Collaborations
Google, Apple, Microsoft, और Mozilla जैसे बड़े टेक दिग्गज अब आपस में मिलकर काम कर रहे हैं ताकि Zero-Click हमलों के खिलाफ सामूहिक सुरक्षा नेटवर्क तैयार किया जा सके।
आप की भूमिका – एक सजग नागरिक की तरह
शिक्षकों और जागरूक नागरिकों की भूमिका यहाँ सबसे महत्वपूर्ण है:
1. जागरूकता फैलाइए
अपने छात्रों, सहकर्मियों, परिवारजनों को Zero-Click खतरे के बारे में बताइए।
खासकर डिजिटल डिवाइस इस्तेमाल करने वाले बच्चों और बुजुर्गों को।
2. Cyber Hygiene अपनाइए
Strong पासवर्ड का इस्तेमाल करें
OTP को कभी साझा न करें
समय-समय पर सिक्योरिटी अपडेट्स करें
3. Digital Privacy के अधिकार की मांग करें
सरकारों और कंपनियों से जवाबदेही माँगें
Digital अधिकारों के पक्ष में अपनी आवाज़ उठाइए
निष्कर्ष – डर नहीं, सजगता ज़रूरी है
Zero-Click Vulnerability एक अदृश्य शिकारी है – यह देखता है, सुनता है, और चुपचाप आपकी निजता को निगलता है। लेकिन डरने की जरूरत नहीं, सजगता ही असली अस्त्र है।
> “जब खतरा अज्ञात हो, तब ज्ञान ही सबसे बड़ी ढाल होता है।”
आज आपने यह आर्टिकल पढ़ा – अब आप इस खतरे से परिचित हैं। यह जागरूकता आपके लिए कवच बन सकती है, और दूसरों के लिए प्रकाश।
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