क्या यह मोबाइल और लैपटॉप की बैटरी लाइफ को हमेशा के लिए बदल देगी?
एयर-चार्जेबल बैटरी:नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर बढ़ती दुनिया में, ऊर्जा भंडारण की चुनौती लंबे समय से एक बड़ा सवाल बनी हुई है। पारंपरिक बैटरियां ऊर्जा भंडारण में सहायक होती हैं, लेकिन उनकी सीमित क्षमता और चार्जिंग निर्भरता के कारण एक स्थायी समाधान की आवश्यकता महसूस की जाती रही है।
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Toggleहाल ही में भारतीय शोधकर्ताओं ने एक नवीनतम तकनीक—वायु-सहायता प्राप्त स्व-चार्जिंग बैटरी—का अनावरण किया है, जो इस समस्या का समाधान प्रस्तुत कर सकती है।
यह बैटरी हवा से ऑक्सीजन ग्रहण करके स्वयं को चार्ज करने की क्षमता रखती है और इसमें फोटो-सहायता प्राप्त ऊर्जा भंडारण की सुविधा भी उपलब्ध है।
इसका अर्थ है कि यह बैटरी सूर्य के प्रकाश में अपनी चार्जिंग क्षमता को बढ़ा सकती है और पारंपरिक ऊर्जा भंडारण की तुलना में अधिक कुशल हो सकती है। इस नवाचार से एक कार्बन-तटस्थ भविष्य की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति संभव है।
ऊर्जा भंडारण की वर्तमान चुनौतियाँ
आज की दुनिया में ऊर्जा भंडारण के लिए मुख्य रूप से लिथियम-आयन बैटरियों (Li-ion) पर निर्भरता बनी हुई है। हालांकि, लिथियम-आयन बैटरियों की कुछ प्रमुख सीमाएँ हैं:
ये महंगी होती हैं।
इनके निर्माण में सीमित संसाधनों की आवश्यकता होती है।
इनका जीवनकाल सीमित होता है।
इन्हें चार्ज करने के लिए बाहरी विद्युत आपूर्ति की आवश्यकता होती है।
इन्हीं सीमाओं को देखते हुए वैज्ञानिकों ने एक बेहतर और पर्यावरण-अनुकूल ऊर्जा भंडारण समाधान की खोज शुरू की।
वायु-सहायता प्राप्त एयर-चार्जेबल बैटरी क्या है?
इस नवीन बैटरी की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह वातावरण से ऑक्सीजन ग्रहण करके स्वयं को चार्ज कर सकती है। यह पारंपरिक बैटरियों की तुलना में अधिक कुशल और टिकाऊ है।
मुख्य विशेषताएँ:
1. एयर-चार्जेबल बैटरी क्षमता: यह बैटरी हवा में मौजूद ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया करके चार्ज होती है, जिससे इसे बार-बार बाहरी स्रोत से चार्ज करने की जरूरत नहीं होती।
2. फोटो-सहायता प्राप्त तकनीक: यह बैटरी सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में अधिक क्षमता से कार्य करती है, जिससे ऊर्जा संग्रहण की दक्षता बढ़ जाती है।
3. वातावरण-अनुकूल: इसमें लिथियम-आयन की जगह जिंक-आयन का उपयोग किया गया है, जिससे यह अधिक पर्यावरण-अनुकूल है।
4. दीर्घकालिक क्षमता: इस बैटरी की ऊर्जा भंडारण क्षमता पारंपरिक बैटरियों की तुलना में 170% अधिक है।
एयर-चार्जेबल बैटरी के कार्य करने की प्रक्रिया
इस एयर-चार्जेबल बैटरी में “वायु-सहायता स्व-चार्जिंग” (Air-assisted self-charging) सिद्धांत का उपयोग किया गया है। इसका तात्पर्य है कि बैटरी की कैथोड सामग्री ऑक्सीजन के साथ रासायनिक अभिक्रिया करती है, जिससे बैटरी चार्ज होती है।
मुख्य रासायनिक अभिक्रिया:
बैटरी की कैथोड सामग्री वैनाडियम ऑक्साइड (VO₂) और टंग्स्टन ट्रॉक्साइड (WO₃) से बनी होती है।
जब बैटरी वातावरण के संपर्क में आती है, तो इसमें ऑक्सीजन की उपस्थिति से इलेक्ट्रॉन ट्रांसफर की प्रक्रिया शुरू होती है।
इस प्रक्रिया से बैटरी स्वतः चार्ज होती है और इसकी ऊर्जा भंडारण क्षमता बढ़ जाती है।
शोध और विकास
इस तकनीक को विकसित करने में बेंगलुरु स्थित नैनो एवं मृदु पदार्थ विज्ञान केन्द्र (CeNS) के शोधकर्ताओं का योगदान महत्वपूर्ण रहा है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के सहयोग से, डॉ. आशुतोष कुमार सिंह के नेतृत्व में एक टीम ने इस पर शोध किया।
उनका अध्ययन प्रतिष्ठित “केमिकल इंजीनियरिंग जर्नल” में प्रकाशित हुआ, जिसमें बताया गया कि कैसे वैनाडियम ऑक्साइड और टंग्स्टन ट्रॉक्साइड के उपयोग से बैटरी की स्व-चार्जिंग क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।
अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष:
- बैटरी में 0.02 mA/cm² की निरंतर करंट घनत्व पर 170% अधिक चार्ज भंडारण देखा गया।
- यह बैटरी 1V का ओपन सर्किट पोटेंशियल (OCP) प्रदर्शित करती है, जो इसे अन्य पारंपरिक बैटरियों से अलग बनाती है।
- यह पहली बार था जब WO₃ को चार्ज-सेपरेटिंग परत के रूप में उपयोग किया गया, जिससे बैटरी की कार्यक्षमता और स्थायित्व में वृद्धि हुई।
एयर-चार्जेबल बैटरी के लाभ
(क) पर्यावरण-अनुकूल समाधान
यह एयर-चार्जेबल बैटरी लिथियम-आयन बैटरियों की तुलना में कम प्रदूषणकारी है।
इसके निर्माण में आसानी से उपलब्ध तत्वों का उपयोग किया जाता है, जिससे यह अधिक टिकाऊ बनती है।
(ख) उच्च क्षमता और दीर्घायु
पारंपरिक बैटरियों की तुलना में इसकी चार्ज भंडारण क्षमता 170% अधिक है।
इसमें लिथियम की जगह जिंक का उपयोग किया गया है, जिससे यह अधिक स्थिर और सुरक्षित है।
(ग) ऊर्जा के सतत स्रोतों का एकीकरण
यह एयर-चार्जेबल बैटरी सौर ऊर्जा और वायु-सहायता प्राप्त स्व-चार्जिंग तकनीक को जोड़ती है, जिससे इसे नवीकरणीय ऊर्जा समाधानों में आसानी से एकीकृत किया जा सकता है।
(घ) आत्मनिर्भर इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए आदर्श
यह एयर-चार्जेबल बैटरी इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) डिवाइसेस, सस्टेनेबल ग्रीन टेक्नोलॉजी और स्मार्ट ग्रिड सिस्टम में क्रांति ला सकती है।

संभावित उपयोग और भविष्य की संभावनाएँ
(क) स्मार्ट इलेक्ट्रॉनिक्स
यह तकनीक मोबाइल फोन, लैपटॉप और अन्य उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स में इस्तेमाल की जा सकती है।
(ख) नवीकरणीय ऊर्जा सिस्टम
इसे सौर ऊर्जा संचालित सिस्टम में एकीकृत किया जा सकता है, जिससे बैकअप पावर की समस्या को हल किया जा सकता है।
(ग) इलेक्ट्रिक वाहन (EVs)
यह बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी लाइफ बढ़ाने में सहायक हो सकती है, जिससे चार्जिंग की निर्भरता कम होगी।
(घ) अंतरिक्ष अनुसंधान
इस तकनीक को अंतरिक्ष मिशनों और दूरस्थ स्थानों पर ऊर्जा भंडारण के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
एयर-चार्जेबल बैटरी और फोटो-सहायता प्राप्त स्व-चार्जिंग बैटरी से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर
यहाँ एयर-चार्जेबल बैटरी और फोटो-सहायता प्राप्त स्व-चार्जिंग बैटरी से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर विस्तार से दिए गए हैं। ये प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं, वैज्ञानिक अनुसंधान और सामान्य ज्ञान के लिए उपयोगी होंगे।
1. एयर-चार्जेबल बैटरी क्या है?
उत्तर: एयर-चार्जेबल बैटरी एक नवीनतम ऊर्जा भंडारण तकनीक है जो चार्जिंग प्रक्रिया के दौरान वातावरण से ऑक्सीजन प्राप्त करती है। यह बैटरी पारंपरिक बैटरियों की तुलना में अधिक कुशल होती है और कार्बन-तटस्थ ऊर्जा समाधान प्रदान करने में सहायक है।
इसकी प्रमुख विशेषता यह है कि इसे चार्जिंग के लिए बाहरी बिजली स्रोत की बहुत कम आवश्यकता होती है, जिससे यह पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा भंडारण तकनीक बन जाती है।
2. एयर-चार्जेबल बैटरी कैसे काम करती है?
उत्तर: एयर-चार्जेबल बैटरी ऑक्सीजन रेडॉक्स अभिक्रिया (Oxygen Reduction Reaction – ORR) पर आधारित होती है। जब बैटरी डिस्चार्ज होती है, तो यह वातावरण से ऑक्सीजन को ग्रहण करती है और एक विद्युत-रासायनिक अभिक्रिया के माध्यम से बिजली उत्पन्न करती है।
जब बैटरी पुनः चार्ज होती है, तो यह ऑक्सीजन को छोड़ती है, जिससे बैटरी की क्षमता फिर से भर जाती है। इस पूरी प्रक्रिया में वातावरण से ऑक्सीजन का उपयोग किया जाता है, जिससे यह चार्जिंग के लिए बाहरी ऊर्जा स्रोतों की आवश्यकता को कम करता है।
3. फोटो-सहायता प्राप्त बैटरी क्या है?
उत्तर: फोटो-सहायता प्राप्त बैटरी एक विशेष प्रकार की बैटरी है जो सौर ऊर्जा और पारंपरिक ऊर्जा भंडारण तकनीक को जोड़ती है। यह बैटरी प्रकाश की उपस्थिति में अपनी चार्जिंग क्षमता को बढ़ाने में सक्षम होती है। इसका मुख्य लाभ यह है कि यह बैटरी सौर कोशिकाओं और बैटरी स्टोरेज सिस्टम के बीच निर्बाध सहयोग प्रदान करती है।
4. एयर-चार्जेबल बैटरी और फोटो-सहायता प्राप्त बैटरी में क्या अंतर है?
उत्तर: एयर-चार्जेबल बैटरी मुख्य रूप से वातावरण से ऑक्सीजन ग्रहण कर ऊर्जा उत्पन्न करती है, जबकि फोटो-सहायता प्राप्त बैटरी सौर ऊर्जा के प्रभाव से चार्ज होती है।
एयर-चार्जेबल बैटरी में चार्जिंग प्रक्रिया बाहरी बिजली स्रोतों पर कम निर्भर होती है, जबकि फोटो-सहायता प्राप्त बैटरी में प्रकाश ऊर्जा का उपयोग करके चार्जिंग क्षमता को बढ़ाया जाता है।
इसके अलावा, एयर-चार्जेबल बैटरी का उपयोग उच्च क्षमता वाली ऊर्जा भंडारण प्रणालियों में किया जा सकता है, जबकि फोटो-सहायता प्राप्त बैटरी मुख्य रूप से सौर ऊर्जा आधारित उपकरणों में उपयुक्त होती है।

5. हाल ही में किस नई बैटरी तकनीक का विकास किया गया है?
उत्तर: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST), बेंगलुरु के नैनो एवं मृदु पदार्थ विज्ञान केंद्र (CENS) के शोधकर्ताओं ने फोटो-सहायता प्राप्त स्व-चार्जिंग जिंक-आयन बैटरी (JIB) विकसित की है।
यह बैटरी प्रकाश की उपस्थिति में अपनी चार्जिंग क्षमता को बढ़ाने में सक्षम है और वातावरण से ऑक्सीजन ग्रहण कर स्वयं को चार्ज कर सकती है।
6. इस बैटरी में किस प्रकार की उन्नत सामग्री का उपयोग किया गया है?
उत्तर: इस बैटरी में दो प्रमुख सामग्री का उपयोग किया गया है। पहली है वैनाडियम ऑक्साइड (VO₂), जो एक सक्रिय सामग्री के रूप में कार्य करती है और ऊर्जा भंडारण में मदद करती है।
दूसरी सामग्री टंग्स्टन ट्रॉक्साइड (WO₃) है, जिसे चार्ज-सेपरेटिंग परत के रूप में जोड़ा गया है। यह बैटरी की फोटो-सहायता प्राप्त चार्जिंग क्षमता को बढ़ाने में सहायक होती है और ऊर्जा भंडारण को अधिक प्रभावी बनाती है।
7. इस नई बैटरी की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर: यह बैटरी वायु और प्रकाश की उपस्थिति में स्वयं को चार्ज करने की क्षमता रखती है। यह चार्ज भंडारण क्षमता को 170% तक बढ़ाने में सक्षम है।
इसमें 1V का ओपन सर्किट पोटेंशियल (OCP) दर्ज किया गया है। इस बैटरी में वीओ2 (वैनाडियम ऑक्साइड) और डब्ल्यूओ3 (टंग्स्टन ट्रॉक्साइड) का उपयोग किया गया है, जो इसे अन्य पारंपरिक बैटरियों की तुलना में अधिक उन्नत बनाता है।
8. इस बैटरी का व्यावहारिक उपयोग कहाँ हो सकता है?
उत्तर: यह बैटरी कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में उपयोगी हो सकती है। इसे अत्मनिर्भर इलेक्ट्रॉनिक्स में एकीकृत किया जा सकता है, जिससे कम ऊर्जा खपत वाले उपकरणों को बिना बाहरी बिजली स्रोत के चार्ज किया जा सकता है।
यह बैटरी नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियों में भी उपयोग की जा सकती है, विशेष रूप से सौर ऊर्जा से चलने वाले उपकरणों में, जहां ऊर्जा संग्रहण की आवश्यकता होती है।
इसके अलावा, इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए भी यह बैटरी बेहतर और स्व-चार्जिंग समाधान प्रदान कर सकती है। स्मार्टफोन, टैबलेट और अन्य पोर्टेबल डिवाइसेस में इसकी लंबी बैटरी लाइफ के कारण यह एक बेहतरीन विकल्प साबित हो सकती है।
9. फोटो-सहायता प्राप्त बैटरी कैसे पारंपरिक बैटरियों से बेहतर है?
उत्तर: फोटो-सहायता प्राप्त बैटरियां पारंपरिक बैटरियों की तुलना में अधिक कुशल हैं क्योंकि यह सौर ऊर्जा को सीधे बैटरी में संग्रहीत कर सकती हैं। पारंपरिक बैटरियों को चार्ज करने के लिए बाहरी बिजली स्रोतों की आवश्यकता होती है.
जबकि फोटो-सहायता प्राप्त बैटरियां प्रकाश के प्रभाव में अपनी चार्जिंग क्षमता को बढ़ाने में सक्षम होती हैं। यह बैटरियां ऊर्जा भंडारण और सौर ऊर्जा रूपांतरण को एक साथ जोड़ती हैं, जिससे इनकी कार्यक्षमता और स्थायित्व बढ़ जाता है।
10. क्या यह बैटरियां पर्यावरण के अनुकूल हैं?
उत्तर: हाँ, ये बैटरियां पर्यावरण के अनुकूल हैं क्योंकि ये नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर निर्भर करती हैं और बाहरी बिजली स्रोतों की आवश्यकता को कम करती हैं।
एयर-चार्जेबल बैटरियां कार्बन-तटस्थ होती हैं, क्योंकि वे ऑक्सीजन को ग्रहण करके ऊर्जा उत्पन्न करती हैं, जिससे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी आती है। वहीं, फोटो-सहायता प्राप्त बैटरियां सौर ऊर्जा का उपयोग करके स्थायी ऊर्जा समाधान प्रदान करती हैं।
11. इस बैटरी तकनीक के विकास का भविष्य क्या है?
उत्तर: यह बैटरी तकनीक भविष्य में स्वच्छ ऊर्जा समाधान के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है। जैसे-जैसे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस की ऊर्जा आवश्यकताएँ बढ़ रही हैं, वैसे-वैसे स्व-चार्जिंग और लंबी बैटरी लाइफ वाली तकनीकों की मांग भी बढ़ रही है। यह बैटरी भविष्य में इलेक्ट्रिक वाहनों, स्मार्ट ग्रिड सिस्टम और पोर्टेबल डिवाइसेस में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।
निष्कर्ष
वायु-सहायता प्राप्त स्व-चार्जिंग बैटरी ऊर्जा भंडारण के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी खोज है। इसकी स्व-चार्जिंग क्षमता, उच्च दक्षता और पर्यावरण-अनुकूल प्रकृति इसे भविष्य की ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए उपयुक्त बनाती है।
इस बैटरी का विकास सतत ऊर्जा समाधानों और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यदि इस तकनीक को वाणिज्यिक स्तर पर सफलतापूर्वक लागू किया जाता है, तो यह ऊर्जा भंडारण के पारंपरिक तरीकों को पूरी तरह बदल सकती है और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को बढ़ावा दे सकती है।
भविष्य इसी तकनीक का है—एक स्वच्छ, हरित और टिकाऊ ऊर्जा व्यवस्था की ओर!
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