दूध उत्पादन में भारत नंबर 1, लेकिन क्या यह डेयरी उद्योग के लिए सुनहरा भविष्य है?

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भारत में दुग्ध उत्पादन: वर्तमान स्थिति, चुनौतियाँ और सरकारी योजनाएँ!

भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहाँ दुग्ध उत्पादन ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है। 1998 से भारत विश्व में दूध उत्पादन में पहले स्थान पर है और वर्तमान में वैश्विक दूध उत्पादन में इसका योगदान 25% तक पहुँच चुका है। यह उपलब्धि मुख्य रूप से डेयरी किसानों, सहकारी समितियों, सरकारी नीतियों और तकनीकी विकास के कारण संभव हो पाई है।

पिछले एक दशक में, भारत में दूध उत्पादन में 63.56% की वृद्धि दर्ज की गई है। 2014-15 में भारत का कुल दुग्ध उत्पादन 146.3 मिलियन टन था, जो 2023-24 में 239.2 मिलियन टन तक पहुँच गया।

इसके साथ ही, देश में दूध उत्पादन की वार्षिक वृद्धि दर 5.7% है, जबकि वैश्विक स्तर पर यह केवल 2% प्रति वर्ष है।

इसके अलावा, प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता भी उल्लेखनीय रूप से बढ़ी है। 2023-24 में यह 471 ग्राम/व्यक्ति/दिन हो गई, जो वैश्विक औसत 322 ग्राम/व्यक्ति/दिन से कहीं अधिक है।

इन आँकड़ों से स्पष्ट होता है कि भारत न केवल दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर है, बल्कि यह वैश्विक दुग्ध बाजार में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।

भारत में दुग्ध उत्पादन का महत्व

1. ग्रामीण अर्थव्यवस्था में योगदान

भारत में करीब 70% जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है और पशुपालन उनके जीवनयापन का एक प्रमुख स्रोत है। दूध उत्पादन से किसानों को नियमित आय प्राप्त होती है और यह कृषि पर निर्भरता को भी संतुलित करता है।

2. पोषण और खाद्य सुरक्षा

दूध को संपूर्ण आहार (Complete Food) कहा जाता है, क्योंकि इसमें प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन डी और आवश्यक खनिज प्रचुर मात्रा में होते हैं। भारत में बढ़ती आबादी के लिए दुग्ध उत्पादन खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करता है।

3. डेयरी उद्योग में रोजगार के अवसर

भारत में डेयरी उद्योग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाखों लोगों को रोजगार प्रदान करता है। इसमें दुग्ध उत्पादन, प्रसंस्करण, विपणन, पैकेजिंग और वितरण जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं।

4. महिला सशक्तिकरण

दुग्ध उत्पादन में महिलाओं की भागीदारी लगभग 70% है। कई स्वयं सहायता समूह (SHGs) और सहकारी समितियाँ महिलाओं द्वारा संचालित की जा रही हैं, जिससे वे आत्मनिर्भर बन रही हैं।

5. निर्यात क्षमता

भारत से दुग्ध उत्पादों का निर्यात भी लगातार बढ़ रहा है। घी, मक्खन, दूध पाउडर, पनीर और कंडेंस्ड मिल्क की अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारी माँग है।

भारत सरकार द्वारा दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रमुख योजनाएँ

1. राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (NPDD)

इस कार्यक्रम के तहत दुग्ध उत्पादन और प्रसंस्करण के लिए बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जाता है। इसमें दो प्रमुख घटक हैं:

(A) प्राथमिक शीतलन सुविधाएँ और गुणवत्ता परीक्षण उपकरण:

इसमें सहकारी समितियों, स्वयं सहायता समूहों (SHGs) और डेयरी संघों को ठंडी भंडारण सुविधाएँ और दूध परीक्षण मशीनें प्रदान की जाती हैं।

(B) सहकारिता के माध्यम से डेयरी:

इसका उद्देश्य किसानों को संगठित बाजार से जोड़ना, डेयरी प्रसंस्करण को आधुनिक बनाना और विपणन बुनियादी ढांचे में सुधार करना है।

2. पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (AHIDF)

इस योजना के तहत, डेयरी और पशुपालन क्षेत्र में निजी उद्यमियों, किसान उत्पादक संगठनों (FPOs), सहकारी समितियों और MSMEs को आर्थिक सहायता दी जाती है। इसके तहत:

दूध प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन इकाइयों की स्थापना

पशु चारा निर्माण संयंत्र

पशु नस्ल सुधार तकनीक और पशु चिकित्सा सुविधाएँ

3. राष्ट्रीय गोकुल मिशन (RGM)

इसका उद्देश्य देशी गायों की नस्लों का संरक्षण और सुधार करना है। भारत में गिर, साहीवाल, रेड सिंधी, थारपारकर और राठी जैसी उच्च दुग्ध उत्पादक नस्लें हैं, जिनके संरक्षण और संवर्धन पर ध्यान दिया जा रहा है।

4. राष्ट्रीय पशुधन मिशन (NLM)

इसका उद्देश्य पशुपालन में उद्यमिता को बढ़ावा देना और नस्ल सुधार करना है। इसके तहत एफपीओ, एसएचजी और राज्य सरकारों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।

5. पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम (LHDCP)

इस योजना के तहत पशुओं में टीकाकरण, रोग निगरानी, पशु चिकित्सा सेवाओं का विस्तार और आधुनिक पशु अस्पतालों की स्थापना की जाती है।

दूध उत्पादन में भारत नंबर 1, लेकिन क्या यह डेयरी उद्योग के लिए सुनहरा भविष्य है?
दूध उत्पादन में भारत नंबर 1, लेकिन क्या यह डेयरी उद्योग के लिए सुनहरा भविष्य है?

6. डेयरी सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों को सहायता

सरकार डेयरी सहकारी समितियों को कार्यशील पूंजी ऋण पर ब्याज सब्सिडी देती है, ताकि वे प्राकृतिक आपदा या विपरीत बाजार परिस्थितियों में भी सुचारु रूप से कार्य कर सकें।

7. दूध उपभोक्ता जागरूकता अभियान

पशुपालन एवं डेयरी विभाग सोशल मीडिया, डिजिटल प्लेटफॉर्म और प्रचार अभियानों के माध्यम से दूध और डेयरी उत्पादों के पोषण लाभों के बारे में जागरूकता फैलाता है।

भारत में दुग्ध उत्पादन की भविष्य की संभावनाएँ और समाधान

भारत में दुग्ध उत्पादन को और अधिक विकसित करने के लिए नई तकनीकों, आधुनिक पशुपालन प्रणाली, बेहतर विपणन और सरकारी सहयोग की आवश्यकता है। यदि सही रणनीतियाँ अपनाई जाएँ, तो भारत केवल दुग्ध उत्पादन में ही नहीं, बल्कि डेयरी उत्पादों के वैश्विक निर्यात केंद्र के रूप में भी उभर सकता है।

भविष्य की संभावनाएँ और सुधार के उपाय

1. पशुओं की उत्पादकता बढ़ाना

हाइब्रिड नस्लों और अनुवांशिक सुधार: उच्च दुग्ध उत्पादन देने वाली नस्लों (जैसे – गिर, साहीवाल, मुर्रा, जर्सी, होल्स्टीन फ्रिजियन) को बढ़ावा देना।

कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination) और इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन (IVF) को अपनाना ताकि अधिक दूध देने वाली नस्लें तैयार की जा सकें।

आधुनिक फार्मिंग तकनीकों का उपयोग – डेयरी फार्मों को वैज्ञानिक और व्यावसायिक रूप से विकसित करना।

2. पशु आहार और पोषण में सुधार

संतुलित आहार और गुणवत्तायुक्त पशु चारे की उपलब्धता बढ़ाना।

साइलेज (Silage) और हाइड्रोपोनिक चारा उत्पादन जैसी नई तकनीकों को अपनाना।

किसानों को पशु आहार की सही विधियों की जानकारी देना।

3. आधुनिक दुग्ध प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन

उन्नत डेयरी प्रसंस्करण इकाइयाँ स्थापित करना ताकि दूध को पनीर, मक्खन, दही, घी, आइसक्रीम और अन्य उत्पादों में बदला जा सके।

स्मार्ट डेयरी फार्मिंग – IoT (Internet of Things) और AI (Artificial Intelligence) के माध्यम से दूध उत्पादन और पशुपालन की निगरानी।

पशु चिकित्सा सुविधाओं को डिजिटल करना ताकि बीमारियों का शीघ्र पता लगाया जा सके।

4. दुग्ध विपणन और सप्लाई चेन को मजबूत बनाना

सहकारी समितियों का विस्तार करना, जिससे किसानों को सीधे बाजार से जोड़ा जाए।

कोल्ड स्टोरेज सुविधाएँ और दूध शीतलन केंद्र (Bulk Milk Coolers – BMCs) बढ़ाना ताकि दूध खराब न हो।

ऑनलाइन मार्केटप्लेस और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को बढ़ावा देना ताकि दुग्ध उत्पादों को देश-विदेश तक पहुँचाया जा सके।

5. दुग्ध उद्योग में नवाचार और अनुसंधान

डेयरी उद्योग में नवाचार और शोध को बढ़ावा देना ताकि दूध की गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता में सुधार हो।

बायोटेक्नोलॉजी और पशु स्वास्थ्य अनुसंधान से रोगों की रोकथाम की नई तकनीकों का विकास।

मिलावट रहित दूध उत्पादन के लिए आधुनिक गुणवत्ता परीक्षण उपकरणों का उपयोग।

6. वित्तीय सहायता और नीति सुधार

दुग्ध किसानों को कम ब्याज दर पर ऋण और सब्सिडी प्रदान करना।

डेयरी सहकारी समितियों को और मजबूत बनाना, जिससे किसानों को बेहतर मूल्य मिल सके।

निर्यात नीति को सरल बनाना ताकि भारत वैश्विक डेयरी बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सके।

भारत को वैश्विक दुग्ध निर्यात हब बनाने की रणनीति

1. निर्यात बढ़ाने के लिए वैश्विक मानकों को अपनाना

भारत को FOOD SAFETY AND STANDARDS AUTHORITY OF INDIA (FSSAI), CODEX ALIMENTARIUS, और यूरोपीय संघ के मानकों के अनुसार अपने डेयरी उत्पादों का उत्पादन करना होगा।

2. दुग्ध उत्पादों में विविधता लाना

ऑर्गेनिक और A2 दूध (गिर और साहीवाल गाय का दूध) का उत्पादन बढ़ाना।

फ्लेवर्ड मिल्क, पनीर, लस्सी, योगर्ट, और फ़ंक्शनल डेयरी उत्पादों की अधिक माँग को देखते हुए इनका बड़े पैमाने पर उत्पादन करना।

मिल्क पाउडर, चीज़ और मक्खन जैसे उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में निर्यात करना।

3. वैश्विक ब्रांडिंग और मार्केटिंग

‘Make in India’ पहल के तहत भारतीय डेयरी उत्पादों का वैश्विक ब्रांड बनाना।

अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेलों, एक्सपो और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भारतीय डेयरी उत्पादों को प्रमोट करना।

भारत की जैविक डेयरी ब्रांडिंग (Organic Dairy Branding) को मजबूत करना।

4. डेयरी सेक्टर में निजी निवेश और स्टार्टअप्स को बढ़ावा देना

डेयरी टेक्नोलॉजी स्टार्टअप्स को बढ़ावा देना ताकि स्मार्ट फार्मिंग, ब्लॉकचेन और AI जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जा सके।

बड़े कॉरपोरेट हाउस और निजी क्षेत्र को डेयरी उद्योग में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करना।

भारत में दुग्ध उद्योग: चुनौतियाँ और उनके समाधान

भारत भले ही दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है, लेकिन इस क्षेत्र में कई चुनौतियाँ भी हैं। यदि इन समस्याओं का सही समाधान निकाला जाए, तो भारत न केवल दुग्ध उत्पादन बल्कि दुग्ध प्रसंस्करण और निर्यात में भी अग्रणी बन सकता है।

दुग्ध उत्पादन क्षेत्र की प्रमुख चुनौतियाँ

1. दुग्ध उत्पादकता में असमानता

भारत में कुछ राज्यों में दुग्ध उत्पादन अधिक है, जबकि कई राज्य अब भी पिछड़े हुए हैं। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में दूध उत्पादन अधिक है, लेकिन पूर्वोत्तर और दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में उत्पादन कम है।

समाधान

कम उत्पादन वाले राज्यों में डेयरी योजनाओं और अनुदानों को प्राथमिकता देना।

पशुपालकों को आधुनिक तकनीकों की ट्रेनिंग देना।

हर राज्य में डेयरी सहकारी समितियों का विस्तार करना।

2. पशुओं के लिए उचित आहार और पोषण की कमी

कई छोटे किसानों के पास गुणवत्तापूर्ण चारा और पोषण आहार की कमी होती है, जिससे पशुओं की दूध उत्पादन क्षमता प्रभावित होती है।

समाधान

सस्ती और पोषक पशु चारा उपलब्ध कराना।

साइलेज और हाइड्रोपोनिक चारे को बढ़ावा देना।

सरकार द्वारा पशुपालकों को सब्सिडी पर उच्च गुणवत्ता वाला चारा देना।

3. दूध की गुणवत्ता और मिलावट की समस्या

भारत में दूध में मिलावट एक गंभीर समस्या है, जिससे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है और भारतीय दुग्ध उत्पादों की विश्वसनीयता कम होती है।

समाधान

सख्त खाद्य सुरक्षा नियम लागू करना।

सभी डेयरी सहकारी समितियों में दूध की गुणवत्ता जाँचने के लिए टेस्टिंग लैब बनाना।

बिना मिलावट वाले जैविक दूध (Organic Milk) को बढ़ावा देना।

4. कोल्ड स्टोरेज और लॉजिस्टिक्स की समस्या

भारत में कई दुग्ध उत्पादक क्षेत्रों में कोल्ड स्टोरेज और दूध शीतलन केंद्रों (Bulk Milk Coolers – BMCs) की कमी है, जिससे दूध जल्दी खराब हो जाता है।

समाधान

हर गाँव और ब्लॉक में दूध शीतलन केंद्र स्थापित करना।

सस्ती और टिकाऊ कोल्ड चेन सिस्टम विकसित करना।

सहकारी समितियों को दूध के संग्रहण और परिवहन के लिए वित्तीय सहायता देना।

दूध उत्पादन में भारत नंबर 1, लेकिन क्या यह डेयरी उद्योग के लिए सुनहरा भविष्य है?
दूध उत्पादन में भारत नंबर 1, लेकिन क्या यह डेयरी उद्योग के लिए सुनहरा भविष्य है?

5. पशु चिकित्सा सुविधाओं की कमी

कई किसानों को पशु चिकित्सा सेवाएँ समय पर नहीं मिलतीं, जिससे पशुओं में बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है और दुग्ध उत्पादन घटता है।

समाधान

गाँव-गाँव में मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयाँ शुरू करना।

आधुनिक पशु अस्पतालों की संख्या बढ़ाना।

पशुओं के लिए डिजिटल स्वास्थ्य कार्ड और AI आधारित रोग पहचान प्रणाली विकसित करना।

6. डेयरी उत्पादों के विपणन और निर्यात की समस्या

भारत के डेयरी उत्पादों का वैश्विक बाजार में पूरी तरह से विस्तार नहीं हुआ है। भारतीय दूध और डेयरी उत्पादों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग की कमी के कारण उनका निर्यात सीमित है।

समाधान

‘Make in India’ और ‘Vocal for Local’ जैसी योजनाओं के तहत भारतीय डेयरी उत्पादों को प्रमोट करना।

डेयरी सहकारी समितियों और निजी कंपनियों को वैश्विक बाजार में उतरने के लिए प्रोत्साहित करना।

फूड सेफ्टी और क्वालिटी कंट्रोल पर अधिक ध्यान देना।

भारत की डेयरी क्रांति 2.0: आगे की राह

1. डेयरी उद्योग में डिजिटल तकनीक का उपयोग

IoT (Internet of Things) आधारित स्मार्ट डेयरी फार्मिंग

AI (Artificial Intelligence) के माध्यम से पशुओं की सेहत की निगरानी

ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी से दूध की सप्लाई चेन को पारदर्शी बनाना

2. नवाचार (Innovation) और स्टार्टअप्स को बढ़ावा देना

डेयरी उद्योग में स्टार्टअप्स को सरकारी फंडिंग और सब्सिडी देना।

बायोटेक्नोलॉजी और जेनेटिक रिसर्च से पशुओं की नस्ल सुधारना।

नए डेयरी उत्पादों (जैसे – लैक्टोज-फ्री मिल्क, प्रोबायोटिक दही, हाई-प्रोटीन मिल्क) का विकास।

3. डेयरी किसानों के लिए आर्थिक सहायता

सस्ता लोन और सब्सिडी प्रदान करना।

डेयरी सहकारी समितियों को मजबूत बनाना।

किसानों को पशु बीमा और अन्य सुरक्षा योजनाओं से जोड़ना।

निष्कर्ष

भारत में दुग्ध उत्पादन में जबरदस्त वृद्धि हुई है, लेकिन अभी भी कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं। सरकार, निजी क्षेत्र और किसानों के सहयोग से यदि आधुनिक तकनीकों को अपनाया जाए, पशुओं के स्वास्थ्य और नस्ल सुधार पर ध्यान दिया जाए और बाजार की संरचना को मजबूत किया जाए, तो भारत दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में और अधिक मजबूती हासिल कर सकता है।

देश के डेयरी क्षेत्र की मजबूती केवल आर्थिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि पोषण सुरक्षा और रोजगार सृजन के लिए भी महत्वपूर्ण है। यदि सही रणनीतियों के साथ काम किया जाए, तो भारत आने वाले वर्षों में दूध और डेयरी उत्पादों का वैश्विक केंद्र बन सकता है।


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