नागरहोल टाइगर रिज़र्व

नागरहोल टाइगर रिज़र्व – वनस्पति, जीव-जंतु और प्रमुख आकर्षण

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नागरहोल टाइगर रिज़र्व – भारत का अद्भुत वन्यजीव संरक्षण स्थल

प्रस्तावना

भारत अपनी प्राकृतिक विविधता और समृद्ध वन्यजीवों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। यहाँ की नदियाँ, पर्वत, जंगल और अनोखे जीव-जंतु इसे एक अद्वितीय पहचान देते हैं। वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में भारत ने पिछले कुछ दशकों में उल्लेखनीय प्रयास किए हैं। इन्हीं प्रयासों का एक जीवंत उदाहरण है नागरहोल टाइगर रिज़र्व, जिसे कर्नाटक का हरा-भरा रत्न कहा जाता है।

“नागरहोल” नाम संस्कृत शब्दों से बना है—“नाग” (सर्प) और “होल” (धारा/नदी)। इसका अर्थ है “साँप जैसी बहती नदी”, जो इस क्षेत्र की भौगोलिक विशेषता को दर्शाता है। यह रिज़र्व पश्चिमी घाट और नीलगिरी पर्वतमाला का हिस्सा है और अपनी प्राकृतिक सुंदरता, घने जंगलों और बाघों की आबादी के लिए जाना जाता है।

प्रोजेक्ट टाइगर के तहत इस रिज़र्व को विशेष संरक्षण प्राप्त है। यह न केवल बाघों का सुरक्षित घर है, बल्कि यहाँ हाथियों के बड़े झुंड, दुर्लभ पक्षी, और अनेक शिकार प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं। यही कारण है कि नागरहोल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिली है।

आज के समय में जब पर्यावरणीय संकट और जलवायु परिवर्तन एक गंभीर चुनौती बन चुके हैं, ऐसे संरक्षित क्षेत्र हमें यह याद दिलाते हैं कि प्रकृति का संतुलन बनाए रखना कितना जरूरी है। नागरहोल टाइगर रिज़र्व सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि जैव विविधता संरक्षण की एक जीवंत प्रयोगशाला भी है।

नागरहोल टाइगर रिज़र्व का इतिहास

आरंभिक दौर

नागरहोल का इतिहास बहुत रोचक है। यह क्षेत्र कभी मैसूर के वाडियार राजाओं का शाही शिकारगाह हुआ करता था। उस समय घने जंगल और वन्यजीवों से भरपूर यह इलाका राजघरानों के लिए साहसिक शिकार यात्राओं का केंद्र था।

बाघ, तेंदुआ और हाथी यहाँ बड़ी संख्या में पाए जाते थे, और राजपरिवार के सदस्य तथा विदेशी मेहमान यहाँ शिकार खेलने आते थे।

लेकिन धीरे-धीरे यह समझ आने लगा कि लगातार शिकार से वन्यजीवों की संख्या कम हो रही है। इसके बाद 1955 में इस क्षेत्र को वन्यजीव अभयारण्य घोषित कर दिया गया। उस समय इसका क्षेत्रफल लगभग 285 वर्ग किलोमीटर था।

यह निर्णय एक महत्वपूर्ण मोड़ था, क्योंकि यहीं से इस जंगल का स्वरूप शिकारगाह से संरक्षण क्षेत्र की ओर बदलना शुरू हुआ।

नागरहोल टाइगर रिज़र्व
नागरहोल टाइगर रिज़र्व – वनस्पति, जीव-जंतु और प्रमुख आकर्षण

राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा

जैसे-जैसे वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ी, नागरहोल को और अधिक सुरक्षा देने की आवश्यकता महसूस की गई। 1988 में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा प्रदान किया गया।

इस समय इसका क्षेत्रफल बढ़ाकर लगभग 643 वर्ग किलोमीटर कर दिया गया। राष्ट्रीय उद्यान बनने के बाद शिकार पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा और वैज्ञानिक संरक्षण योजनाएँ लागू की गईं।

नागरहोल टाइगर रिज़र्व के रूप में मान्यता

भारत सरकार ने 1973 में “प्रोजेक्ट टाइगर” की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य देशभर में बाघों की घटती संख्या को बचाना था। 1999 में नागरहोल को इस परियोजना में शामिल कर लिया गया और इसे आधिकारिक रूप से नागरहोल टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया।

आज यह रिज़र्व नीलगिरी बायोस्फीयर रिज़र्व का हिस्सा है और बाघों के साथ-साथ एशियाई हाथियों की सबसे बड़ी आबादी का घर भी माना जाता है।

क्षेत्रफल और विस्तार

वर्तमान में नागरहोल टाइगर रिज़र्व का क्षेत्रफल लगभग 847.981 वर्ग किलोमीटर है। यह पश्चिमी घाट के उन संरक्षित क्षेत्रों में शामिल है, जिन्हें UNESCO द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा देने के लिए प्रस्तावित किया गया है। इसके उत्तर में बंधीपुर राष्ट्रीय उद्यान और दक्षिण में वायनाड वन्यजीव अभयारण्य (केरल) स्थित है, जबकि पश्चिम में ब्रह्मगिरि वन्यजीव अभयारण्य है। इस तरह नागरहोल एक बड़े संरक्षित नेटवर्क का हिस्सा बनता है, जिसे निलगिरी रिज़र्व नेटवर्क कहा जाता है।

भौगोलिक स्थिति एवं स्थलाकृति

स्थान

नागरहोल टाइगर रिज़र्व दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित है। यह मुख्य रूप से कोडागु (Coorg) और मैसूर (Mysuru) जिलों में फैला हुआ है। रिज़र्व का बड़ा हिस्सा पश्चिमी घाट की तलहटी और मैदानी क्षेत्रों से जुड़ा हुआ है।

इसकी भौगोलिक स्थिति इसे अन्य महत्वपूर्ण संरक्षित क्षेत्रों से जोड़ती है:

उत्तर में – बंधीपुर राष्ट्रीय उद्यान

दक्षिण में – वायनाड वन्यजीव अभयारण्य (केरल)

पश्चिम में – ब्रह्मगिरि वन्यजीव अभयारण्य

पूर्व में – मैसूर का कृषि क्षेत्र

इसका कुल क्षेत्रफल लगभग 848 वर्ग किलोमीटर है, जो इसे भारत के बड़े टाइगर रिज़र्व्स में शामिल करता है।

स्थलाकृति (Topography)

नागरहोल का भूगोल काफी विविधतापूर्ण है। यहाँ मैदान, घाटियाँ, पहाड़ और घुमावदार नदियाँ मिलकर एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करती हैं।

रिज़र्व की ऊँचाई लगभग 687 मीटर से 960 मीटर तक है।

यहाँ की पहाड़ियाँ पश्चिमी घाट का हिस्सा हैं, जिनकी ढलानों पर घने जंगल पाए जाते हैं।

बीच-बीच में चौड़ी घासभूमि और जलाशय इसे वन्यजीवों के लिए आदर्श निवास स्थान बनाते हैं।

नागरहोल टाइगर रिज़र्व का नाम ही यहाँ की अनोखी स्थलाकृति को दर्शाता है — “नाग” (साँप) और “होल” (धारा), यानी ऐसी नदी जो साँप की तरह बल खाती हुई बहती है। यह नदियाँ और धाराएँ यहाँ के परिदृश्य को जीवन देती हैं।

जलवायु (Climate)

नागरहोल टाइगर रिज़र्व का मौसम उष्णकटिबंधीय (Tropical) प्रकार का है। यहाँ साल भर तीन प्रमुख ऋतुएँ पाई जाती हैं:

गर्मी (मार्च से मई): तापमान 30-35°C तक पहुँच सकता है।

मानसून (जून से सितंबर): दक्षिण-पश्चिम मानसून से औसतन 1500-2000 मिमी वर्षा होती है।

सर्दी (अक्टूबर से फरवरी): तापमान 14-20°C के बीच रहता है और यह घूमने का सबसे अच्छा समय माना जाता है।

बरसात के दिनों में जंगल हरा-भरा हो जाता है, नदियाँ और झीलें लबालब भर जाती हैं, जबकि गर्मियों में जल स्रोतों के आसपास जानवरों की अधिकता देखने को मिलती है।

नदियाँ और झीलें

नागरहोल टाइगर रिज़र्व का जीवन इसकी नदियों और झीलों से जुड़ा है।

काबिनी नदी यहाँ की प्रमुख नदी है, जो हाथियों और अन्य वन्यजीवों के लिए महत्वपूर्ण जलस्रोत है।

लक्ष्मण तीर्था और तेरकनहोले जैसी नदियाँ भी इस रिज़र्व से होकर गुजरती हैं।

मानसून के समय बनने वाले छोटे-छोटे झरने और तालाब पूरे क्षेत्र को और अधिक सुंदर बना देते हैं।

काबिनी नदी पर बना जलाशय (Kabini Reservoir) विशेष रूप से प्रसिद्ध है, जहाँ गर्मियों में सैकड़ों हाथी इकट्ठा होते हैं। यह दृश्य पर्यटकों के लिए अद्भुत अनुभव होता है।

जैव विविधता (Biodiversity)

नागरहोल टाइगर रिज़र्व भारत के उन कुछ जंगलों में से है, जहाँ वनस्पति और जीव-जंतुओं की इतनी अधिक विविधता पाई जाती है। यहाँ के घने जंगल, नदियाँ और घासभूमि मिलकर एक ऐसा पारिस्थितिक तंत्र (Ecosystem) बनाते हैं, जो दुर्लभ और विलुप्तप्राय प्रजातियों के लिए सुरक्षित आश्रय स्थल है।

वनस्पति (Flora)

नागरहोल टाइगर रिज़र्व के जंगलों में अलग-अलग प्रकार की वनस्पति देखने को मिलती है।

शुष्क पर्णपाती वन (Dry Deciduous Forests): यहाँ साल, टर्मिनेलिया, टेक्टोना (सागौन) और बांस की झाड़ियाँ प्रमुख हैं।

आर्द्र पर्णपाती वन (Moist Deciduous Forests): काबिनी नदी और अन्य जलस्रोतों के आसपास घने नम जंगल पाए जाते हैं, जिनमें रोज़वुड और जामुन जैसी प्रजातियाँ प्रमुख हैं।

अर्ध-सदाबहार वन (Semi-Evergreen Forests): पहाड़ी ढलानों पर पाए जाने वाले ये जंगल सालभर हरे रहते हैं।

घासभूमि और दलदली क्षेत्र: यह क्षेत्र शाकाहारी जानवरों जैसे चीतल और सांभर के लिए आदर्श चरागाह हैं।

यहाँ के जंगल सिर्फ जानवरों का घर नहीं हैं, बल्कि आयुर्वेदिक और औषधीय पौधों का भी खजाना हैं।

जीव-जंतु (Fauna)

प्रमुख शिकार प्रजातियाँ (Prey Species)

नागरहोल टाइगर रिज़र्व में शाकाहारी प्रजातियों की भरमार है, जो बाघ और अन्य शिकारी प्रजातियों के लिए भोजन का मुख्य स्रोत हैं।

चीतल (Spotted Deer)

सांभर (Sambar Deer)

गौर (Indian Bison)

जंगली सूअर

बार्किंग डियर (काकड़)

चौसिंगा (Four-horned Antelope)

शिकारी प्रजातियाँ (Predators)

नागरहोल टाइगर रिज़र्व खासकर अपने बाघों के लिए प्रसिद्ध है।

बाघ (Tiger): यहाँ की बाघ आबादी लगातार बढ़ रही है और ये आसानी से सफारी के दौरान देखे जा सकते हैं।

तेंदुआ (Leopard): बाघों के साथ-साथ बड़ी संख्या में तेंदुए भी पाए जाते हैं।

जंगली कुत्ते (Dhola या Indian Wild Dog): ये झुंड में शिकार करने के लिए प्रसिद्ध हैं।

स्लॉथ बियर (भालू): कीटों और फलों पर निर्भर यह प्रजाति भी यहाँ आम है।

अन्य स्तनधारी

एशियाई हाथी (Elephant) – यहाँ के हाथी झुंड दुनिया में सबसे बड़े माने जाते हैं।

लंगूर और मकाक – बंदरों की कई प्रजातियाँ यहाँ मिलती हैं।

उड़न गिलहरी (Flying Squirrel) – रात के समय देखने को मिलती है।

पक्षी जीवन (Avifauna)

नागरहोल टाइगर रिज़र्व पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग है। यहाँ लगभग 270 से अधिक पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं।

मालाबार पाइड हॉर्नबिल

पेंटेड स्टॉर्क

किंगफिशर

क्रेस्टेड हॉक ईगल

ब्रॉन्ज़ विंग्ड डव

ग्रे जंगल फाउल (राज्य पक्षी)

सरीसृप और उभयचर

यहाँ कई तरह के सांप, छिपकलियाँ और मेंढक पाए जाते हैं।

भारतीय अजगर

कोबरा

मॉनिटर लिज़र्ड

पेड़ मेंढक

संरक्षण प्रयास (Conservation Efforts)

नागरहोल टाइगर रिज़र्व सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं है, बल्कि यह वन्यजीव संरक्षण का मॉडल भी है। यहाँ वन विभाग और सरकारी-गैर-सरकारी संगठन मिलकर बाघों, हाथियों और अन्य वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।

प्रोजेक्ट टाइगर का योगदान

प्रोजेक्ट टाइगर भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जो 1973 में शुरू हुई थी। इसका उद्देश्य देशभर में बाघों की घटती संख्या को रोकना और उनके प्राकृतिक आवास को सुरक्षित रखना था।

नागरहोल को 1999 में इस परियोजना के तहत शामिल किया गया। इसके मुख्य पहलुओं में शामिल हैं:

बाघों की संख्या में वृद्धि: नियमित काउंट और जैव-मानिटरिंग से आबादी की निगरानी।

हबिटैट प्रोटेक्शन: जंगल की कटाई पर रोक और घासभूमि का संरक्षण।

वैज्ञानिक शोध: वन्यजीव व्यवहार, प्रजनन और भोजन की आदतों का अध्ययन।

इस योजना के परिणामस्वरूप नागरहोल में बाघों की संख्या लगातार बढ़ी है और यह भारत के सबसे सुरक्षित टाइगर रिज़र्व्स में शामिल है।

मानव-वन्यजीव संघर्ष समाधान

वन्यजीवों के संरक्षण में सबसे बड़ी चुनौती है मानव और वन्यजीवों का संघर्ष। नागरहोल में इस समस्या का समाधान इस प्रकार किया गया:

गाँवों का पुनर्वास (Relocation of Villages): रिज़र्व के भीतर रहने वाले ग्रामीणों को सुरक्षित क्षेत्रों में स्थानांतरित किया गया।

फेंसिंग और सुरक्षा गार्ड: जंगल की सीमाओं पर सुरक्षा व्यवस्था और पक्की फेंसिंग।

अवैध शिकार पर रोक: ट्रैपिंग, पिंजरे और कैमरा ट्रैप के माध्यम से शिकारी और शिकारियों पर निगरानी।

जागरूकता अभियान: स्थानीय लोगों और पर्यटकों को वन्यजीवों के महत्व और नियमों के बारे में जागरूक किया जाता है।

अंतरराष्ट्रीय पहचान

नागरहोल टाइगर रिज़र्व को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी संरक्षण का मॉडल माना जाता है। यहाँ की वन्यजीव आबादी और जैव विविधता की वजह से इसे UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल करने के लिए प्रस्तावित किया गया है।

इसके अलावा, कई अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण संगठन जैसे WWF और Wildlife Conservation Society (WCS) यहाँ सक्रिय हैं और बाघों की सुरक्षा, जंगल की सफाई और पारिस्थितिक अध्ययन में योगदान देते हैं।

नई तकनीक का इस्तेमाल

कैमरा ट्रैप: बाघों और तेंदुओं के व्यवहार को समझने के लिए।

GPS ट्रैकिंग: हाथियों और अन्य बड़े जानवरों की गतिविधियों पर निगरानी।

ड्रोन सर्वे: जंगल की निगरानी और आग लगने की रोकथाम के लिए।

इन आधुनिक तकनीकों से न केवल वन्यजीवों का जीवन सुरक्षित रहता है, बल्कि पर्यावरण और जैव विविधता की गुणवत्ता भी बनी रहती है।

पर्यटन और आकर्षण (Tourism & Attractions)

नागरहोल टाइगर रिज़र्व न केवल वन्यजीवों के संरक्षण का केंद्र है, बल्कि यह पर्यटकों और नेचर लवर्स के लिए स्वर्ग भी है। यहाँ का प्राकृतिक परिदृश्य, सफारी अनुभव, पक्षी जीवन और वन्यजीवों का नज़ारा इसे खास बनाते हैं।

सफारी अनुभव (Safari Experience)

नागरहोल की सफारी पर्यटकों के लिए सबसे आकर्षक अनुभव है। यहाँ विभिन्न प्रकार की सफारी उपलब्ध हैं:

जीप सफारी (Jeep Safari): यह सबसे लोकप्रिय है। सुबह और शाम के समय यह सफारी बाघ, हाथी और अन्य वन्यजीवों को देखने का मौका देती है।

बोट सफारी (Boat Safari): काबिनी नदी पर बोटिंग का अनुभव बेहद रोमांचक होता है। हाथियों और जंगली जानवरों को नदी के किनारे देखा जा सकता है।

बस सफारी (Bus Safari): यह बड़े समूहों के लिए उपयुक्त है और जंगल के अंदरूनी हिस्सों तक जाने का अवसर देती है।

मुख्य आकर्षण (Main Attractions)

नागरहोल में पर्यटकों को कई तरह के आकर्षण देखने को मिलते हैं:

बाघ और हाथी दर्शन: जंगल के भीतर बाघ और हाथियों का अद्भुत दृश्य।

बर्ड वॉचिंग (Bird Watching): यहाँ 270+ पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं। विशेष रूप से हॉर्नबिल और किंगफिशर का नज़ारा यादगार होता है।

नेचर वॉक और ट्रेकिंग: जंगल में छोटे ट्रेल्स पर पैदल यात्रा, जिससे जंगल के हर कोने की जानकारी मिलती है।

काबिनी जलाशय: यहाँ सूर्योदय और सूर्यास्त का दृश्य बेहद सुंदर होता है।

नागरहोल टाइगर रिज़र्व
नागरहोल टाइगर रिज़र्व – वनस्पति, जीव-जंतु और प्रमुख आकर्षण

ठहरने की व्यवस्था (Accommodation)

पर्यटकों के लिए नागरहोल में सरकारी और निजी दोनों तरह के आवास उपलब्ध हैं:

काबिनी रिवर लॉज (Kabini River Lodge): लक्ज़री लॉज के रूप में प्रसिद्ध।

इको-रिसॉर्ट्स (Eco Resorts): जंगल के बीच में प्राकृतिक अनुभव के लिए।

सरकारी गेस्ट हाउस: बजट यात्रियों के लिए सुविधाजनक।

पर्यटन के नियम (Tourist Guidelines)

जंगल में सिर्फ अधिकृत गाइड के साथ जाना अनिवार्य है।

कैमरा, दूरबीन और जरूरी उपकरण साथ ले जा सकते हैं, लेकिन जंगल में कोई कचरा न छोड़ें।

ध्वनि प्रदूषण से बचें और जानवरों को परेशान न करें।

बोट सफारी और जीप सफारी के लिए पूर्व बुकिंग करना जरूरी है।

उपयुक्त समय (Best Time to Visit)

अक्टूबर से मई: यह मौसम बाघ और हाथियों को देखने के लिए सबसे अच्छा है।

मानसून (जून से सितंबर): इस समय जंगल घना और हरा-भरा होता है, लेकिन कुछ ट्रेल्स बंद हो सकते हैं।

यात्रा की जानकारी (How to Reach & Travel Tips)

नागरहोल टाइगर रिज़र्व दक्षिण भारत में स्थित होने के कारण कई माध्यमों से आसानी से पहुँचा जा सकता है। यहाँ पहुँचने के लिए सड़क, रेल और हवाई मार्ग सभी उपलब्ध हैं।

हवाई मार्ग (By Air)

नज़दीकी हवाई अड्डा:

मैसूर एअरपोर्ट: लगभग 90 किलोमीटर

बेंगलुरु (Bengaluru) अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा: लगभग 220 किलोमीटर

हवाई अड्डे से टैक्सी या बस द्वारा रिज़र्व तक पहुँचना आसान है।

रेलवे मार्ग (By Train)

नज़दीकी रेलवे स्टेशन:

मैसूर जंक्शन: लगभग 90 किलोमीटर

कोडागु और काबिनी के लिए ट्रांसफर: मैसूर से बस या टैक्सी

मैसूर और बेंगलुरु दोनों शहरों से नियमित ट्रेनें उपलब्ध हैं।

सड़क मार्ग (By Road)

बेंगलुरु, मैसूर और कोडागु से नागरहोल के लिए अच्छी सड़कें हैं।

निजी कार, टैक्सी या बस द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।

मुख्य मार्ग:

मैसूर से नागरहोल: लगभग 90 किलोमीटर

कोडागु से नागरहोल: लगभग 120 किलोमीटर

सड़क मार्ग पर यात्रा करते समय स्थानीय संकेत और जंगल सुरक्षा नियमों का पालन करना आवश्यक है।

घूमने का उपयुक्त समय (Best Time to Travel)

अक्टूबर से मई: यह समय शुष्क मौसम का है और सफारी के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।

मानसून (जून-सितंबर): जंगल हरियाली से भर जाता है, लेकिन कुछ ट्रेल्स और रास्ते बंद हो सकते हैं।

सुबह और शाम के समय सफारी विशेष रूप से आकर्षक होती है, क्योंकि जानवरों की गतिविधियाँ अधिक होती हैं।

यात्रा सुझाव (Travel Tips)

अधिकृत गाइड के साथ सफारी करें: सुरक्षा और जानवरों का disturbance कम करने के लिए।

कैमरा और दूरबीन ले जाएँ: पक्षियों और वन्यजीवों को पास से देखने के लिए।

हल्के और आरामदायक कपड़े पहनें: जंगल में चलने में सुविधा।

पानी और स्नैक्स साथ रखें: लंबी सफारी के दौरान उपयोगी।

जंगल नियमों का पालन करें: ध्वनि प्रदूषण न करें और कचरा न फैलाएँ।

निष्कर्ष (Conclusion)

नागरहोल टाइगर रिज़र्व केवल भारत का एक प्रमुख वन्यजीव अभयारण्य नहीं है, बल्कि यह प्राकृतिक सौंदर्य, जैव विविधता और पारिस्थितिक संतुलन का प्रतीक भी है। यहाँ के घने जंगल, शुद्ध जल स्रोत, बाघ और हाथियों की आबादी, और दुर्लभ पक्षियों की विविधता इसे एक अनोखा पारिस्थितिक तंत्र बनाते हैं।

प्रोजेक्ट टाइगर और वन विभाग के संरक्षण प्रयासों ने नागरहोल टाइगर रिज़र्व को सुरक्षित और समृद्ध वन्यजीव आश्रय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आधुनिक तकनीकों जैसे GPS ट्रैकिंग, कैमरा ट्रैप और ड्रोन सर्वे ने वन्यजीवों और उनके आवास की सुरक्षा को और प्रभावी बनाया है।

नागरहोल टाइगर रिज़र्व का पर्यटन न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह जैव विविधता के महत्व और पर्यावरण संरक्षण की सीख भी देता है। यहाँ की सफारी, पक्षी दर्शन, बोटिंग और नेचर वॉक पर्यटकों को जंगल के करीब ले जाते हैं और प्रकृति के महत्व को समझने का अनुभव कराते हैं।

संक्षेप में, नागरहोल टाइगर रिज़र्व भारत के उन अमूल्य प्राकृतिक संसाधनों में शामिल है, जिनका संरक्षण हर नागरिक की जिम्मेदारी है। यह रिज़र्व न केवल वन्यजीवों का घर है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रकृति और जीवन का संदेश भी देता है।

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Sanjeev

Hello! Welcome To About me My name is Sanjeev Kumar Sanya. I have completed my BCA and MCA degrees in education. My keen interest in technology and the digital world inspired me to start this website, “Aajvani.com.”

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