पीएम-दक्ष योजना: बदलते भारत की नई उड़ान या अधूरी उम्मीद?

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पीएम-दक्ष योजना: एक समावेशी कौशल विकास पहल

पीएम-दक्ष योजना: भारत में सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए विभिन्न योजनाएँ चलाई जाती हैं। इन्हीं योजनाओं में से एक महत्वपूर्ण योजना है “पीएम-दक्ष योजना”। यह योजना केंद्र सरकार द्वारा संचालित एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, जिसका उद्देश्य अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, विमुक्त जनजातियां (डीएनटी), सफाई कर्मचारी और कूड़ा बीनने वालों को कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान करना है।

पीएम-दक्ष योजना के तहत पैनलबद्ध प्रशिक्षण संस्थानों के माध्यम से लक्षित समूह को विभिन्न प्रकार के कौशल सिखाए जाते हैं, ताकि वे रोजगार प्राप्त कर सकें या स्वरोजगार शुरू कर सकें।

PM Daksh Yojana के कार्यान्वयन में राज्यों की कोई भूमिका नहीं है, क्योंकि यह पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा संचालित की जाती है। इसलिए, योजना के तहत वितरित किए जाने वाले फंड को राज्यवार आवंटित नहीं किया जाता है।

इसके बजाय, पूरे देश में पात्र लाभार्थियों को जरूरत के अनुसार कौशल प्रशिक्षण दिया जाता है। इस योजना की शुरुआत से लेकर अब तक लाखों लोग इससे लाभान्वित हो चुके हैं।

पीएम-दक्ष योजना के तहत प्रशिक्षित लाभार्थियों की संख्या

योजना की शुरुआत के बाद से विभिन्न वर्षों में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले लाभार्थियों की संख्या में निरंतर वृद्धि देखी गई है। इस योजना के अंतर्गत अलग-अलग राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले लोगों की संख्या इस प्रकार रही:

वर्ष 2020-21 में कुल 32,097 लोगों ने इस योजना के तहत प्रशिक्षण प्राप्त किया।

वर्ष 2021-22 में यह संख्या बढ़कर 42,002 हो गई।

वर्ष 2022-23 में 33,021 लोगों ने इस योजना के तहत कौशल विकास प्रशिक्षण लिया।

वर्ष 2023-24 में यह संख्या काफी अधिक बढ़ गई और कुल 80,185 लोग प्रशिक्षित किए गए।

इस योजना के तहत प्रशिक्षित होने वाले लाभार्थियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिससे स्पष्ट होता है कि समाज के कमजोर वर्गों के बीच इस योजना की लोकप्रियता बढ़ रही है और अधिक से अधिक लोग इससे जुड़ रहे हैं।

राज्यवार प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले लाभार्थी

पीएम-दक्ष योजना के तहत अलग-अलग राज्यों में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले लाभार्थियों की संख्या अलग-अलग रही है। उदाहरण के लिए:

उत्तर प्रदेश इस योजना के तहत सबसे अधिक लाभार्थियों को प्रशिक्षित करने वाला राज्य रहा है। यहाँ 2023-24 में 21,304 लोगों को प्रशिक्षण दिया गया, जो कि किसी भी अन्य राज्य से अधिक है।

मध्य प्रदेश में भी PM Daksh Yojana के तहत बड़ी संख्या में लोग प्रशिक्षित किए गए। 2023-24 में यहाँ 17,192 लोगों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया।

महाराष्ट्र में 10,046, राजस्थान में 7,934, और असम में 3,633 लोगों ने प्रशिक्षण लिया।

अन्य राज्यों में भी पीएम-दक्ष योजना के तहत बड़ी संख्या में लोग लाभान्वित हुए, जिनमें पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, तमिलनाडु, बिहार, और ओडिशा शामिल हैं।

कुछ राज्यों में यह संख्या अपेक्षाकृत कम रही, जैसे कि लद्दाख, चंडीगढ़, मेघालय, और गोवा।

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि पीएम-दक्ष योजना पूरे भारत में लागू की जा रही है और विभिन्न राज्यों में रहने वाले सामाजिक रूप से कमजोर वर्गों के लोगों को इसका लाभ मिल रहा है।

पीएम-दक्ष योजना के तहत प्रशिक्षण कार्यक्रम

PM Daksh Yojana के तहत कौशल विकास मंत्रालय के एसआईडीएच (SIDH) पोर्टल पर उपलब्ध रोजगार की मांगों के अनुसार प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। पैनलबद्ध प्रशिक्षण संस्थानों द्वारा लक्षित समूहों के बीच विशिष्ट रोजगार की मांग को ध्यान में रखते हुए विभिन्न प्रकार के कौशल सिखाए जाते हैं। यह प्रशिक्षण इस प्रकार के होते हैं:

1. तकनीकी और गैर-तकनीकी प्रशिक्षण:

विभिन्न तकनीकी और गैर-तकनीकी क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया जाता है, जिससे लाभार्थी आधुनिक औद्योगिक जरूरतों को पूरा कर सकें।

2. स्वरोजगार उन्मुख प्रशिक्षण:

इस योजना का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य लोगों को स्वरोजगार के लिए तैयार करना है, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें।

3. सर्टिफिकेशन और प्लेसमेंट:

प्रशिक्षण पूरा करने के बाद, प्रशिक्षुओं का मूल्यांकन किया जाता है और उन्हें प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है।

प्रमाणित प्रशिक्षुओं को वेतन रोजगार या स्वरोजगार के अवसर प्रदान किए जाते हैं।

4. उद्यमिता विकास कार्यक्रम:

इच्छुक उम्मीदवारों को व्यवसाय शुरू करने के लिए आवश्यक कौशल सिखाए जाते हैं और उन्हें वित्तीय सहायता प्राप्त करने में सहायता की जाती है।

इस योजना के तहत प्रशिक्षण संस्थानों को इस बात की जिम्मेदारी दी गई है कि वे प्रशिक्षण कार्यक्रमों को इस तरह डिजाइन करें कि प्रशिक्षु बाजार की मांग के अनुसार प्रशिक्षित हो सकें और उन्हें रोजगार के बेहतर अवसर प्राप्त हों।

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पीएम-दक्ष योजना के प्रचार-प्रसार और जागरूकता अभियान

पीएम-दक्ष योजना को लक्षित समूहों तक पहुँचाने और इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न प्रचार माध्यमों का उपयोग किया जाता है। इसके अंतर्गत:

1. प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से प्रचार

इस योजना को लोकप्रिय बनाने के लिए अखबारों, पत्रिकाओं और टेलीविजन चैनलों पर विज्ञापन दिए जाते हैं।

2. सोशल मीडिया का उपयोग

फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से इस योजना की जानकारी साझा की जाती है।

3. जागरूकता शिविरों का आयोजन

विभिन्न राज्यों और जिलों में जागरूकता शिविर आयोजित किए जाते हैं, जहाँ लक्षित समूहों को इस योजना के लाभों के बारे में जानकारी दी जाती है।

4. समुदायों में सीधा संपर्क अभियान

प्रशिक्षकों और योजना से जुड़े अधिकारियों द्वारा विभिन्न समुदायों में जाकर लोगों को इस योजना से जोड़ने का प्रयास किया जाता है।

सरकार की प्रतिबद्धता और भविष्य की योजनाएँ

केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री श्री बी.एल. वर्मा ने लोकसभा में दिए गए एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी कि पीएम-दक्ष योजना सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य समाज के वंचित वर्गों को कौशल प्रदान कर उन्हें सशक्त बनाना है। सरकार इस योजना के कार्यान्वयन को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है।

भविष्य में, इस योजना को और अधिक राज्यों और जिलों तक विस्तारित करने, अधिक लाभार्थियों को प्रशिक्षित करने और रोजगार के बेहतर अवसर प्रदान करने की योजना बनाई जा रही है।

सरकार इस योजना के तहत दिए जाने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रमों की गुणवत्ता में सुधार करने और आधुनिक तकनीकों को अपनाने की दिशा में भी काम कर रही है।

निष्कर्ष

पीएम-दक्ष योजना भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जो समाज के वंचित वर्गों को सशक्त बनाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए कार्य कर रही है। इस योजना के तहत लाखों लोगों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है और हर वर्ष अधिक से अधिक लोग इससे लाभान्वित हो रहे हैं।

केंद्र सरकार की यह पहल समाज के आर्थिक रूप से कमजोर और पिछड़े वर्गों के लोगों को रोजगार और स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

इस योजना का मुख्य उद्देश्य केवल कौशल विकास तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रशिक्षुओं को रोजगार से जोड़ने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

सरकार द्वारा इस योजना के प्रचार-प्रसार और इसे और अधिक प्रभावी बनाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे समाज के हर जरूरतमंद व्यक्ति तक इसका लाभ पहुँच सके।

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