प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना: सस्ती दवाओं से कैसे हो रही करोड़ों की बचत?

प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना: सस्ती दवाओं से कैसे हो रही करोड़ों की बचत?

Facebook
WhatsApp
LinkedIn
Reddit
X

प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना: स्वास्थ्य सेवा में क्रांति, जाने कैसे मिलती हैं सस्ती दवाइयाँ!

स्वास्थ्य सेवा प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है, लेकिन महंगी दवाइयों के कारण यह कई लोगों की पहुंच से बाहर हो जाती है। इस समस्या के समाधान के लिए भारत सरकार ने प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (PMBJP) की शुरुआत की। इस योजना का उद्देश्य आम जनता को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराना है।

प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना क्या है?

प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना भारत सरकार द्वारा संचालित एक विशेष पहल है, जो सस्ती और प्रभावी जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने पर केंद्रित है। यह परियोजना फार्मास्यूटिकल्स एंड मेडिकल डिवाइसेस ब्यूरो ऑफ इंडिया (PMBI) द्वारा संचालित की जाती है।

इस योजना के अंतर्गत 15,000 से अधिक जनऔषधि केंद्र स्थापित किए गए हैं, जहाँ ब्रांडेड दवाओं की तुलना में 50% से 80% तक सस्ती दवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।

प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना के मुख्य उद्देश्य

1. सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाओं की उपलब्धता: लोगों को कम कीमत पर उच्च गुणवत्ता वाली दवाइयाँ उपलब्ध कराना।

2. जनता में जागरूकता फैलाना: जेनेरिक दवाओं के प्रति लोगों की गलतफहमियों को दूर करना।

3. स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाना: ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में सस्ती दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना।

4. स्वदेशी फार्मा उद्योग को बढ़ावा देना: घरेलू स्तर पर दवाओं के उत्पादन को बढ़ावा देकर आत्मनिर्भर भारत की दिशा में आगे बढ़ना।

5. रोजगार के नए अवसर पैदा करना: जनऔषधि केंद्र खोलने से लोगों को रोजगार के अवसर मिलते हैं।

प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना की प्रमुख विशेषताएँ

1. मूल्य नियंत्रण: जनऔषधि केंद्रों पर मिलने वाली दवाएँ अन्य ब्रांडेड दवाओं की तुलना में काफी सस्ती होती हैं।

2. नियमित गुणवत्ता परीक्षण: सभी दवाइयाँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार प्रमाणित की जाती हैं।

3. व्यापक वितरण नेटवर्क: देशभर में हजारों जनऔषधि केंद्र स्थापित किए गए हैं।

4. आर्थिक बचत: अब तक प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना के तहत लोगों को ₹30,000 करोड़ की अनुमानित बचत हो चुकी है।

5. सरल पंजीकरण प्रक्रिया: इच्छुक व्यक्ति आसानी से जनऔषधि केंद्र खोल सकते हैं।

जेनेरिक और ब्रांडेड दवाओं में अंतर

जेनेरिक दवाएं उन्हीं सक्रिय तत्वों से बनाई जाती हैं, जिनसे ब्रांडेड दवाएं बनती हैं। इनमें केवल नाम और पैकेजिंग का अंतर होता है। जेनेरिक दवाओं की कीमत कम होती है क्योंकि:

इनका विपणन (मार्केटिंग) खर्च कम होता है।

इन पर पेटेंट लागू नहीं होता।

सरकार द्वारा इन पर मूल्य नियंत्रण लागू किया जाता है।

औषधि मूल्य नियंत्रण प्रणाली

देश में दवाओं की कीमतें राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण नीति, 2012 (NPPA, 2012) के तहत विनियमित की जाती हैं। यह नीति औषधि (मूल्य नियंत्रण) आदेश, 2013 (DPCO, 2013) के माध्यम से लागू की जाती है। राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) इस नीति का संचालन करता है।

औषधि मूल्य नियंत्रण के प्रमुख घटक

1. अनुसूचित दवाओं का मूल्य नियंत्रण:

आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची (NLEM, 2022) में शामिल दवाओं की अधिकतम कीमतें NPPA द्वारा तय की जाती हैं।

कीमतें तय होने के बाद सभी निर्माता और विक्रेता इन्हीं दामों पर दवाएं बेचने के लिए बाध्य होते हैं।

2. गैर-अनुसूचित दवाओं की कीमत पर नियंत्रण:

गैर-अनुसूचित दवाओं की कीमतों में प्रति वर्ष 10% से अधिक वृद्धि नहीं की जा सकती।

3. महत्वपूर्ण दवाओं पर विशेष नियंत्रण:

कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग, और अन्य गंभीर बीमारियों की दवाओं के लिए अलग से मूल्य नियंत्रण नीति लागू की गई है।

प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना: सस्ती दवाओं से कैसे हो रही करोड़ों की बचत?
प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना: सस्ती दवाओं से कैसे हो रही करोड़ों की बचत?

जनऔषधि केंद्रों का प्रभाव

1. आर्थिक प्रभाव:

प्रतिदिन 10-12 लाख लोग जनऔषधि केंद्रों से लाभान्वित होते हैं।

अब तक ₹6,975 करोड़ की दवाइयाँ बेची जा चुकी हैं, जिससे जनता को लगभग ₹30,000 करोड़ की बचत हुई है।

औसतन 17% तक दवाओं की कीमतें कम हुई हैं, जिससे सालाना ₹3,788 करोड़ की बचत हुई।

2. सामाजिक प्रभाव:

दवा की कीमत कम होने से गरीब और निम्न-मध्यम वर्गीय परिवारों को राहत मिली।

दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच बढ़ी।

गैर-अनुसूचित दवाओं की कीमतों में कमी से गंभीर बीमारियों के उपचार की लागत घटी।

3. विशेष उपलब्धियाँ:

2014: मधुमेह और हृदय रोग की 106 गैर-अनुसूचित दवाओं की कीमतों को नियंत्रित किया गया, जिससे 350 करोड़ की बचत हुई।

2017: कोरोनरी स्टेंट और घुटने के प्रत्यारोपण की अधिकतम कीमतें तय की गईं, जिससे 13,100 करोड़ की बचत हुई।

2021: ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, ब्लड प्रेशर मॉनिटर और अन्य चिकित्सा उपकरणों की कीमतों में नियंत्रण से ₹1,000 करोड़ की बचत हुई।

सरकार द्वारा उठाए गए अन्य कदम

1. सोशल मीडिया अभियान:

फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब के माध्यम से जनऔषधि केंद्रों के लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा रही है।

2. विज्ञापन और प्रचार:

टीवी, रेडियो, समाचार पत्रों और सिनेमा विज्ञापनों के माध्यम से योजना का प्रचार किया जा रहा है।

3. जनऔषधि दिवस का आयोजन:

हर साल 7 मार्च को जनऔषधि दिवस मनाया जाता है, जिससे जागरूकता बढ़ती है।

PMBJP के लाभ

1. सामान्य जनता के लिए लाभ

गरीब और मध्यम वर्ग के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की किफायती पहुँच संभव हुई है।

ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को भी सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाएँ मिल रही हैं।

2. स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार

सरकारी और निजी अस्पतालों में मरीजों को किफायती दवाएँ मिल रही हैं।

दवा व्यवसाय में मूल्य पारदर्शिता आई है।

3. स्वदेशी उद्योग को बढ़ावा

भारतीय जेनेरिक दवा निर्माताओं को अधिक अवसर मिल रहे हैं।

रोज़गार के नए अवसर पैदा हुए हैं।

भविष्य की संभावनाएँ

1. नए जनऔषधि केंद्र खोलना: सरकार का लक्ष्य अगले कुछ वर्षों में 20,000 जनऔषधि केंद्र खोलना है।

2. नई दवाओं को शामिल करना: कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों की दवाओं को भी जनऔषधि केंद्रों में उपलब्ध कराने की योजना है।

3. ऑनलाइन वितरण प्रणाली: सरकार ई-फार्मेसी प्लेटफॉर्म लॉन्च कर सकती है, जिससे दवाएं ऑनलाइन भी उपलब्ध हो सकें।

4. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार: अन्य विकासशील देशों को सस्ती दवाइयाँ निर्यात करने की योजना है।

जनऔषधि केंद्रों का नेटवर्क

वर्तमान में देशभर में 15,000 से अधिक जनऔषधि केंद्र स्थापित किए जा चुके हैं। ये केंद्र विभिन्न अस्पतालों, क्लीनिकों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के निकट स्थापित किए गए हैं, ताकि अधिक से अधिक लोग इनका लाभ उठा सकें।

केंद्र खोलने की प्रक्रिया

योग्यता: कोई भी व्यक्ति, डॉक्टर, फार्मासिस्ट, एनजीओ, ट्रस्ट या अस्पताल PMBJP केंद्र खोल सकता है।

आवेदन प्रक्रिया: ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से आवेदन किया जाता है।

अनुदान: सरकार प्रति केंद्र ₹2.5 लाख तक की वित्तीय सहायता प्रदान करती है।

प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना: सस्ती दवाओं से कैसे हो रही करोड़ों की बचत?
प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना: सस्ती दवाओं से कैसे हो रही करोड़ों की बचत?

जनहित में उठाए गए कदम

2014: मधुमेह और हृदय रोगों की 106 गैर-अनुसूचित दवाओं की अधिकतम कीमत तय की गई, जिससे ₹350 करोड़ की बचत हुई।

2017: कोरोनरी स्टेंट की कीमतें तय की गईं, जिससे ₹11,600 करोड़ की बचत हुई।

2021: ब्लड प्रेशर मॉनिटर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, ग्लूकोमीटर आदि की कीमतों को नियंत्रित किया गया, जिससे ₹1,000 करोड़ की बचत हुई।

प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना का प्रभाव

आर्थिक बचत

प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना के तहत 10 वर्षों में ₹6,975 करोड़ की दवाएँ बेची गईं।

ब्रांडेड दवाओं की तुलना में नागरिकों को ₹30,000 करोड़ की बचत हुई।

17% औसत कीमत कमी से ₹3,788 करोड़ की वार्षिक बचत हुई।

स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रभाव

10-12 लाख लोग प्रतिदिन जनऔषधि केंद्रों का लाभ उठाते हैं।

ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधा में सुधार हुआ।

गैर-अनुसूचित दवाओं पर नियंत्रण

गैर-अनुसूचित दवाओं के मामले में:

निर्माताओं को प्रति वर्ष अधिकतम 10% मूल्य वृद्धि की अनुमति है।

2014 में 106 गैर-अनुसूचित मधुमेह और हृदय रोग संबंधी दवाओं की अधिकतम कीमत तय की गई।

कैंसर रोधी दवाओं की कीमतों में औसतन 50% कमी लाई गई, जिससे ₹984 करोड़ की वार्षिक बचत हुई।

कोरोनरी स्टेंट (2017) की कीमतें नियंत्रित की गईं, जिससे ₹11,600 करोड़ की बचत हुई।

घुटने के प्रत्यारोपण (2017) की कीमतों में कमी, जिससे ₹1,500 करोड़ की बचत हुई।

चुनौतियाँ और समाधान

चुनौतियाँ:

1. जागरूकता की कमी – कई लोग अभी भी जेनेरिक दवाओं की गुणवत्ता को लेकर भ्रमित हैं।

2. लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति समस्याएँ – दवाओं की सतत उपलब्धता सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है।

3. स्थानीय मेडिकल स्टोर्स का विरोध – पारंपरिक मेडिकल स्टोर्स PMBJP के कारण अपना व्यापार प्रभावित होता देख रहे हैं।

समाधान:

1. जागरूकता अभियान – अधिक से अधिक लोगों को जेनेरिक दवाओं के फायदों के बारे में बताया जाए।

2. आपूर्ति शृंखला मजबूत करना – फार्मा कंपनियों और केंद्रों के बीच समन्वय को बेहतर बनाया जाए।

3. स्थानीय दुकानों के साथ साझेदारी – निजी मेडिकल स्टोर्स को भी इस योजना से जोड़ने पर विचार किया जाए।

निष्कर्ष: प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना

प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना (PMBJP) ने देश में स्वास्थ्य सेवाओं को किफायती और सुलभ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना न केवल जनसाधारण को सस्ती और उच्च गुणवत्ता वाली जेनेरिक दवाइयाँ प्रदान करती है, बल्कि भारत में औषधि उद्योग में पारदर्शिता और मूल्य नियंत्रण को भी सुनिश्चित करती है।

PMBJP के अंतर्गत 15,000 से अधिक जन औषधि केंद्रों की स्थापना ने औसत नागरिकों को महंगे ब्रांडेड दवाओं के विकल्प के रूप में सस्ती जेनेरिक दवाइयाँ उपलब्ध कराई हैं।

इन केंद्रों से प्रतिदिन 10 से 12 लाख लोग लाभान्वित हो रहे हैं। प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना के कारण लोगों ने दवाओं की खरीद पर लगभग ₹30,000 करोड़ की बचत की है, जो कि एक बहुत बड़ी आर्थिक राहत है।

राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण नीति, 2012 और औषधि (मूल्य नियंत्रण) आदेश, 2013 के तहत औषधियों की कीमतों को नियंत्रित किया जाता है, जिससे दवाओं की अधिकतम खुदरा मूल्य को सीमित कर महंगे उपचार से जनता को बचाया गया है।

इसके अलावा, सरकार ने आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची (NLEM) के माध्यम से कई आवश्यक दवाओं की कीमतों को नियंत्रित किया है।

उदाहरण के लिए, कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग, ऑर्थोपेडिक घुटने के प्रत्यारोपण और कोरोनरी स्टेंट जैसी महत्वपूर्ण चिकित्सा आवश्यकताओं के लिए दवाओं और उपकरणों की कीमतों में कमी की गई है, जिससे लाखों रोगियों को राहत मिली है।

प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना के प्रचार-प्रसार के लिए सरकार ने कई माध्यमों का उपयोग किया है, जिनमें प्रिंट मीडिया, टीवी, सोशल मीडिया, सिनेमा, बस ब्रांडिंग, और डिजिटल प्लेटफॉर्म शामिल हैं।

साथ ही, 7 मार्च को हर साल ‘जन औषधि दिवस’ मनाकर इस योजना के प्रति जागरूकता बढ़ाई जाती है।

प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना के प्रभाव को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना एक क्रांतिकारी कदम साबित हुई है।

हालाँकि, इसके कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियाँ बनी हुई हैं, जैसे कि ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी पहुंच बढ़ाना, अधिक केंद्र स्थापित करना, और आपूर्ति श्रृंखला को अधिक मजबूत बनाना।

भविष्य में, प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए सरकार को लॉजिस्टिक्स को मजबूत करने, डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं के साथ इसे एकीकृत करने और जन औषधि केंद्रों की संख्या में वृद्धि करने की आवश्यकता होगी।

निस्संदेह, प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत की है और आने वाले वर्षों में प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना और अधिक प्रभावशाली साबित हो सकती है।


Discover more from News & Current Affairs ,Technology

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Comment

Trending now

Index

Discover more from News & Current Affairs ,Technology

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading