भारत की रामसर साइट्स: वो 91 प्राकृतिक धरोहरें जो हर भारतीय को जाननी चाहिए!
प्रस्तावना
Table of the Post Contents
Toggle2025 का विश्व पर्यावरण दिवस भारत के लिए एक ऐतिहासिक पल लेकर आया। राजस्थान के दो बेहद अहम वेटलैंड्स—खिचन (जोधपुर) और मेनार (उदयपुर) को रामसर साइट्स का दर्जा प्राप्त हुआ।
इसके साथ ही भारत की कुल रामसर साइट्स की संख्या 91 हो गई—जो किसी भी एशियाई देश से अधिक है। यह केवल एक संख्या नहीं है, बल्कि भारत की प्राकृतिक धरोहरों के प्रति प्रतिबद्धता, स्थानीय समुदायों की जागरूकता और पर्यावरणीय संरक्षण के संगठित प्रयासों का प्रतीक है।
लेकिन ये रामसर साइट्स क्या होती हैं? और इन दो वेटलैंड्स की विशेषता क्या है? आइए, विस्तार से समझते हैं।
रामसर कन्वेंशन: वेटलैंड संरक्षण की वैश्विक पहल
रामसर कन्वेंशन 1971 में ईरान के शहर रामसर में स्थापित एक अंतरराष्ट्रीय संधि है, जिसका उद्देश्य है – “वेटलैंड्स और उनके जैव-विविधता के संरक्षण एवं विवेकपूर्ण उपयोग को सुनिश्चित करना।”
भारत ने इस संधि पर 1982 में हस्ताक्षर किए और उसी वर्ष पहला रामसर वेटलैंड बनाया गया था: चिल्का झील (ओडिशा) और केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (राजस्थान)।
रामसर साइट बनने के लिए मानदंड:
जैव विविधता का प्रमुख केंद्र
संकटग्रस्त प्रजातियों का आवास
प्रवासी पक्षियों का रुकाव स्थल
पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बनाए रखने वाला क्षेत्र
भारत में वेटलैंड्स की भूमिका
भारत की भूमि का लगभग 4.6% हिस्सा वेटलैंड्स से घिरा है। ये आर्द्रभूमियाँ न केवल पेयजल स्रोत, मछलीपालन, और कृषि में सहायक हैं, बल्कि पर्यावरणीय रूप से भी अतिमहत्वपूर्ण हैं:
बाढ़ नियंत्रण
भूजल रिचार्ज
जलवायु संतुलन
कार्बन स्टोरेज
लाखों जीव-जंतुओं का घर
भारत की वेटलैंड्स में कई स्थान अब अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त कर चुके हैं—और खिचन और मेनार इस सूची में नवीनतम जुड़ाव हैं।
खिचन वेटलैंड, जोधपुर: डेमोइसेल क्रेन का ‘धरती पर स्वर्ग’
परिचय
राजस्थान के जोधपुर जिले में स्थित खिचन गांव पक्षी प्रेमियों के लिए किसी तीर्थस्थल से कम नहीं। हर साल 20,000 से अधिक डेमोइसेल क्रेन (Demoiselle Crane) यहां अक्टूबर से मार्च तक प्रवास करती हैं।
वेटलैंड का भूगोल
खिचन एक अर्ध-शुष्क क्षेत्र है, जहां परंपरागत जल संरक्षण प्रणालियों जैसे ‘नाड़ी’ और ‘तलाब’ मौजूद हैं। यही जलस्रोत पक्षियों और स्थानीय वनस्पतियों के लिए जीवनरेखा हैं।
सामुदायिक संरक्षण की मिसाल
खिचन की सबसे बड़ी विशेषता है स्थानीय लोगों की भूमिका। यहां के मारवाड़ी समुदाय ने दशकों पहले पक्षियों को दाना डालना शुरू किया था। उन्होंने:
शिकार पर प्रतिबंध लगाया
क्रेनों को भोजन दिया
‘क्रेन फीडिंग ग्राउंड’ विकसित किया
यहां के लोग इन पक्षियों को ‘अतिथि देवो भवः’ की भावना से देखते हैं।
पारिस्थितिकी और पर्यटन
यह क्षेत्र अब बर्ड वॉचिंग और इको-टूरिज्म के लिए जाना जाता है। हर साल हजारों पर्यटक दूर-दराज से इन क्रेनों को देखने आते हैं। खिचन में:
200+ पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं
कई दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियाँ भी आती हैं
मेनार वेटलैंड, उदयपुर: राजस्थान का ‘बर्ड विलेज’
संक्षिप्त परिचय
उदयपुर जिले में स्थित मेनार गांव को अब ‘बर्ड विलेज’ के नाम से जाना जाता है। यहां दो प्रमुख वेटलैंड्स हैं:
ब्रह्म तालाब
धंध तालाब
यह क्षेत्र 180+ पक्षी प्रजातियों का घर है।
संरक्षण की अनूठी कहानी
मेनार में स्थानीय निवासियों ने पर्यावरण संरक्षण का जो उदाहरण प्रस्तुत किया, वह देशभर के लिए प्रेरणादायक है। 2010 के बाद से:
गांववासियों ने शिकारियों को भगाया
पक्षियों के लिए घोंसले बनाए
तालाबों की सफाई की
पक्षियों की निगरानी और गणना शुरू की
2021 में राजस्थान सरकार ने मेनार को बर्ड विलेज का दर्जा दिया।
मेनार की पारिस्थितिकी
यहां प्रवासी पक्षियों की 70 से अधिक प्रजातियाँ आती हैं
पक्षियों में प्रमुख हैं: ग्रेटर फ्लेमिंगो, व्हाइट-आईबिस, ब्लैक-नेक्ड स्टॉर्क, बार-हेडेड गूज
91वीं रामसर साइट्स: भारत के लिए क्या मायने रखते हैं?
1. वैश्विक मान्यता: रामसर टैग मिलने से वेटलैंड को अंतरराष्ट्रीय संरक्षण का दर्जा मिलता है
2. पर्यटन को बढ़ावा: स्थानीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिलती है
3. साइंटिफिक रिसर्च: इन क्षेत्रों में वैज्ञानिक शोध और डेटा संग्रहण में वृद्धि
4. बायोडायवर्सिटी प्रोटेक्शन: पक्षियों, पौधों, कीटों, उभयचर, और स्तनधारियों के संरक्षण को मजबूती
5. सामुदायिक सहभागिता: स्थानीय लोगों को नीति निर्धारण और संरक्षण प्रयासों में शामिल किया जाता है
भारत की 91 रामसर साइट्स: राज्यों के अनुसार वितरण
भारत के प्रमुख राज्यों में रामसर साइट्स की संख्या:
तमिलनाडु – 20
उत्तर प्रदेश – 10
पंजाब – 6
राजस्थान – 5 (अब 7)
केरल – 4
मध्य प्रदेश – 3
इनमें से कई साइट्स जैसे चिल्का झील, वुल्लर लेक, सांभर झील, और केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान पहले से ही विश्वस्तर पर प्रसिद्ध हैं।
राजस्थान की अन्य महत्वपूर्ण वेटलैंड्स
सांभर झील
भारत की सबसे बड़ी खारी पानी की झील
हजारों फ्लेमिंगो हर साल यहां आते हैं
बर्ड माइग्रेशन के लिए अंतरराष्ट्रीय महत्व का केंद्र
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (भरतपुर)
UNESCO World Heritage Site
साइबेरियन क्रेन सहित 370+ पक्षी प्रजातियाँ
शुष्क क्षेत्र में संरक्षित दलदली पारिस्थितिकी का बेहतरीन उदाहरण

ताल छापर ब्लैकबक सैंक्चुअरी
चुरु जिले में स्थित
घास के मैदानों के बीच काले हिरण (ब्लैकबक) और प्रवासी पक्षियों का मेल
राजस्थान सरकार की रणनीति
राजस्थान सरकार वेटलैंड्स संरक्षण के लिए कई योजनाएं चला रही है:
- राज्य वेटलैंड प्राधिकरण की स्थापना
जल संरक्षण योजनाएं (मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना)
वन विभाग और समुदाय की भागीदारी
स्कूलों में वेटलैंड शिक्षा
अजमेर के फॉय सागर जैसे जल निकायों का जीर्णोद्धार
भारत में जून 2025 तक कुल 91 रामसर साइट्स हैं, जो अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमियाँ हैं। इनमें से कई साइट्स हाल ही में जोड़ी गई हैं, जैसे राजस्थान में खीचन और मेनार, जिससे राज्य की कुल संख्या 4 हो गई है।
यहाँ भारत में राज्यवार रामसर साइट्स की सूची दी गई है:
आंध्र प्रदेश (1)
कोल्लेरु झील
असम (1)
दीपोर बील
बिहार (3)
कबरताल आर्द्रभूमि
नागी पक्षी अभयारण्य
नकटी पक्षी अभयारण्य
गोवा (1)
नंदा झील
गुजरात (4)
नलसरोवर पक्षी अभयारण्य
थोल झील वन्यजीव अभयारण्य
वधवाना आर्द्रभूमि
खिजड़िया वन्यजीव अभयारण्य
हरियाणा (2)
सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान
भिंडावास वन्यजीव अभयारण्य
हिमाचल प्रदेश (3)
चंद्रताल
पोंग डैम झील
रेणुका झील
जम्मू और कश्मीर (5)
वुलर झील
सुरिनसर-मानसर झीलें
होकर्सर आर्द्रभूमि
हायगम आर्द्रभूमि संरक्षण रिजर्व
शालबुग आर्द्रभूमि संरक्षण रिजर्व
झारखंड (1)
उधवा झील
कर्नाटक (4)
रंगनाथिट्टू पक्षी अभयारण्य
अंकासमुद्र पक्षी संरक्षण रिजर्व
अघनाशिनी मुहाना
मगदी केरे संरक्षण रिजर्व
केरल (3)
वेम्बनाड-कोल आर्द्रभूमि
सस्थामकोट्टा झील
अष्टमुडी आर्द्रभूमि
लद्दाख (2)
त्सो कर आर्द्रभूमि परिसर
त्सो मोरीरी झील
मध्य प्रदेश (5)
भोपाल आर्द्रभूमि
सिरपुर आर्द्रभूमि
साख्या सागर
यशवंत सागर
तवा जलाशय
महाराष्ट्र (3)
नांदुर मधमेश्वर
लोनार झील
ठाणे क्रीक
मणिपुर (1)
लोकटक झील
मिजोरम (1)
पाला आर्द्रभूमि
ओडिशा (6)
चिल्का झील
भीतरकनिका मैंग्रोव
सतकोसिया गॉर्ज
तम्पारा झील
हिराकुंड जलाशय
अंसुपा झील
पंजाब (6)
हरीके झील
कंजली झील
रोपर झील
ब्यास संरक्षण रिजर्व
केशोपुर-मियानी सामुदायिक रिजर्व
नंगल वन्यजीव अभयारण्य
राजस्थान (4)
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान
सांभर झील
खीचन (फलोदी)
मेनार (उदयपुर)
सिक्किम (1)
खेचियोपलरी आर्द्रभूमि

तमिलनाडु (20)
पॉइंट कैलिमेरे वन्यजीव और पक्षी अभयारण्य
कूनथानकुलम पक्षी अभयारण्य
चित्रांगुडी पक्षी अभयारण्य
कारिकिली पक्षी अभयारण्य
पल्लिकरनई मार्श रिजर्व फॉरेस्ट
पिचावरम मैंग्रोव
गोल्फ ऑफ मन्नार मरीन बायोस्फीयर रिजर्व
वेम्बनूर आर्द्रभूमि परिसर
वेल्लोडे पक्षी अभयारण्य
उदयमार्थांडपुरम पक्षी अभयारण्य
वेदांथंगल पक्षी अभयारण्य
सुचिंद्रम थेरूर आर्द्रभूमि परिसर
वडुवूर पक्षी अभयारण्य
कंजीरनकुलम पक्षी अभयारण्य
करैवेट्टी पक्षी अभयारण्य
लॉन्गवुड शोल रिजर्व फॉरेस्ट
नांजारायन पक्षी अभयारण्य
काझुवेली पक्षी अभयारण्य
सक्कराकोट्टई पक्षी अभयारण्य
थेरथंगल पक्षी अभयारण्य
त्रिपुरा (1)
रुद्रसागर झील
उत्तर प्रदेश (10)
बखीरा वन्यजीव अभयारण्य
हैदरपुर आर्द्रभूमि
ऊपरी गंगा नदी (बृजघाट से नरौरा तक)
संदी पक्षी अभयारण्य
सरसई नावर झील
सुर सरोवर
समसपुर पक्षी अभयारण्य
सामन पक्षी अभयारण्य
पार्वती अर्गा पक्षी अभयारण्य
नवाबगंज पक्षी अभयारण्य
उत्तराखंड (1)
असन संरक्षण रिजर्व
पश्चिम बंगाल (2)
ईस्ट कोलकाता आर्द्रभूमि
सुंदरबन आर्द्रभूमि
भारत और रामसर कन्वेंशन: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
1. रामसर कन्वेंशन की शुरुआत:
स्थान: रामसर शहर, ईरान
दिनांक: 2 फरवरी 1971
उद्देश्य: आर्द्रभूमियों का संरक्षण और सतत उपयोग
2. भारत की सदस्यता:
भारत ने इस संधि पर 1982 में हस्ताक्षर किए।
पहली रामसर साइट: चिल्का झील (ओडिशा) और केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (राजस्थान) – वर्ष 1981 में शामिल।
3. World Wetlands Day:
प्रतिवर्ष 2 फरवरी को मनाया जाता है (रामसर संधि की याद में)।
यह दिन स्कूलों व सरकारों द्वारा जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है।
रामसर साइट्स की खास बातें (भारत संदर्भ में)
1. भारत में अब कुल 91 रामसर साइट्स हैं (जून 2025 तक)।
यह संख्या लगातार बढ़ रही है, जो भारत की पर्यावरणीय प्रतिबद्धता दर्शाती है।
2. तमिलनाडु में सबसे अधिक रामसर साइट्स (20)।
राज्य के दक्षिणी भाग में कई तटीय आर्द्रभूमियाँ और पक्षी अभयारण्य हैं।
3. कई रामसर साइट्स यूनेस्को बायोस्फीयर रिजर्व और वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स से जुड़ी हैं, जैसे:
सुंदरबन (West Bengal)
चिल्का झील (Odisha)
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Rajasthan)
4. वुलर झील (J&K) – एशिया की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील
5. लोकटक झील (Manipur) – भारत की एकमात्र फ्लोटिंग लेक (फुमदी द्वीपों के कारण)
6. केशोपुर-मियानी (पंजाब ) और नंदा झील (Goa) – ये दोनों सामुदायिक और शहरी संरक्षण के अनोखे उदाहरण हैं।
पर्यावरणीय और जैव विविधता महत्व
1. आर्द्रभूमियाँ (Wetlands) प्राकृतिक जल शोधक होती हैं।
वे जल को फिल्टर करती हैं और भूजल स्तर को बनाए रखती हैं।
2. ये प्रवासी पक्षियों के लिए सुरक्षित आश्रय हैं – खासकर साइबेरिया, रूस और मध्य एशिया से आने वाले पक्षियों के लिए।
3. जैव विविधता के हॉटस्पॉट:
कई संकटग्रस्त और स्थानिक प्रजातियाँ जैसे घड़ियाल, सरस क्रेन, ओटर, कछुए, दलदली बाघ, आदि यहां पाए जाते हैं।
आर्थिक और सामाजिक महत्व
- रामसर साइट्स स्थानीय समुदायों के लिए आजीविका का स्रोत हैं – जैसे मछली पालन, मधुमक्खी पालन, औषधीय पौधों का संग्रह।
इनसे जुड़े इको-टूरिज्म से राज्य को आर्थिक लाभ भी मिलता है। उदाहरण: चिल्का झील की डॉल्फिन बोटिंग।
बाढ़ नियंत्रण, सूखा प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन बढ़ाने में इनकी बड़ी भूमिका है।
भारत की रामसर साइट्स – निष्कर्ष (Conclusion):
भारत की रामसर साइट्स न केवल जैव विविधता की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वे पारिस्थितिकीय संतुलन, जलवायु अनुकूलन, और स्थानीय समुदायों की आजीविका के लिए भी अत्यंत आवश्यक हैं।
वर्ष 2025 तक भारत की कुल 91 रामसर साइट्स यह दर्शाती हैं कि देश आर्द्रभूमियों के संरक्षण को लेकर प्रतिबद्ध है।
इन आर्द्रभूमियों का महत्व केवल पक्षियों या जलजीवों तक सीमित नहीं है, बल्कि ये प्राकृतिक आपदाओं को रोकने, जल संसाधनों के प्रबंधन, और पर्यटन के अवसरों के रूप में भी कार्य करती हैं।
राज्यों की भागीदारी, नीति-निर्माण और समुदायों की सक्रिय भूमिका के बिना इनका दीर्घकालिक संरक्षण असंभव है।
इसलिए, रामसर साइट्स को केवल “संरक्षित क्षेत्र” नहीं, बल्कि “जीवंत पारिस्थितिक तंत्र” के रूप में देखना और बचाना समय की मांग है।
“संरक्षण, संवर्धन और सहभागिता” की त्रिवेणी ही इन प्राकृतिक धरोहरों का भविष्य सुनिश्चित कर सकती है।
Related
Discover more from Aajvani
Subscribe to get the latest posts sent to your email.